Rajasthan

Ajmer

CC/175/2015

TARUN AGRAWAL - Complainant(s)

Versus

ZUBILANT FOOD WORKS - Opp.Party(s)

SELF

07 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/175/2015
 
1. TARUN AGRAWAL
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. ZUBILANT FOOD WORKS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 07 Jul 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर


तरूण अग्रवाल, 332/31, पटेल नगर, तोपदड़ा, अजमेर ।     

                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

जुबिलांण्ट फूडवक्र्स लिमिटेड(डोमिनोज पिज्जा) षाप नम्बर, जी-5-6-7,  सूचना केन्द्र चैराहा, दीनदयाल मार्ग, जयपुर रोड, अजमेर- 305001 जरिए इसके प्रबन्धक/कैषियर । 
                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 175/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री तरूण अग्रवाल, प्रार्थी स्वयं
                  2. अप्रार्थी  की ओर से कोई उपस्थित नहीं 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-08.07.2016
 
 1.          प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने अप्रार्थी संस्थान से  दिनंाक 30.12.2014 को दो पिज्जा क्रय किए । जिसकी क्रय राषि रू. 117/- का भुगतान जरिए केषमीमों संख्या क्च्166209ध्14.15ध्105168  के अदा की । प्रार्थी ने उक्त पिज्जा का सेवन अप्रार्थी संस्थान में नहीं कर घर पर जाकर किया फिर भी अप्रार्थी संस्थान ने उक्त कैषमीमो के माध्यम से उससे सेवा कर के रूप में रू. 4.85 पै. वसूल कर लिए । उसने इस राषि के पुनर्भुगतान हेतु दिनांक 20.12.2014 को नोटिस भी दिया  जिसके प्रतिउत्तर में अप्रार्थी ने बताया कि टेकअवे सर्विस पर भी सेवाकर लिया जा सकता है ।  इस प्रकार अप्रार्थी ने उससे अवैध रूप से सेवाकर के रूप में उक्त राषि वसूल कर सेवा दोष किया है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.            अप्रार्थी बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी के विरूद्व दिनांक 22.06.2015  को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई । 
3.             प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि  उसके द्वारा रेस्टोरेंट में बैठकर नहीं खाने पर भी जारी किए गए बिल में सेवा कर की राषि रू. 4.85 पै. उससे वसूल की है, वह अनुचित है । सर्विस टैक्स रूल्स के अनुसार संस्थान में बैठकर खाने पर ही सेवा कर दिया जा सकता है किन्तु अप्रार्थी द्वारा वस्तु की बिक्री पर भी सेवा कर लिया गया है, जो अनुचित व्यापार व्यवहार है । इस संदर्भ में उन्होने ज्ंगंइसम  ेमतअपबम की परिभाषा का भी हवाला दिया है । जो निम्नानुसार है:-
          श्ज्ंगंइसम ेमतअपबम ए उमंदे ंदल ेमतअपबम चतवअपकमक वत जलव इम चतवअपकमक जव ंदल चमतेवद इल ं तमेजंनतंदजए इल ूींजमअमत दंउम  बंससमकए ींअपदह जीम ंिबपसपजल व िंपत.बवदकपजपवदपदह पद ंदल चंतज व िजीम मेजंइसपेीउमदजए ंज ंदल जपउम कमपिदम जीम पिदंदबपंस लमंतए ूीपबी ींे सपबमदेम जव ेमतअम ंसबवीवसपब इमअमतंहमेए पद तमसंजपवद जव ेमतअपदह व िविवक वत4 इमअमतंहमए पदबसनकपदह ंसबवीवसपब इमअमतंहमे वत इवजीए पद पज चतमउपेमे    श्    
             
4.    हमने विचार किया ।  विचारणीय प्रष्न मात्र यह है कि  विक्रय की गई वस्तु पर सेवा प्रदाता द्वारा किसी प्रकार की सेवा सुविधा प्रदान  किए बिना सर्विस टैक्स लिया जाना अनुचित व्यपार व्यवहार है ? 
5.    जो ज्ंगंइसम सर्विस की  परिभाषा उपरोक्त अनुसार प्रार्थी द्वारा बताई गई है, के संदर्भ में यदि हम पिदंदबम ।बजए1994 में उल्लेखित  सर्विस की परिभाषा का अवलोकन करने तो इसके अनुसार परिभाषित सर्विस टैक्स के क्रम में धारा 66ठ पिदंदबम ।बजए1994 उल्लेखनीय है।  जिसके अन्तर्गत निम्न प्रावधानों के  प्रकाष में नेगेटिव लिस्ट के अलावा सभी मामलों में सर्विस टैक्स  देय है, भले ही परिसर  में बैठ कर वस्तु का उपभोग उपयोग नहीं  किया हो अथवा सेवाओं का उपयोग नहीं किया गया हो:-
श् प्द जमतउे व िैमबजपवद 66ठ व िजीम पिदंदबम ।बजए1994;ैमतअपबम ज्ंग ।बज ंे ंउमदकमक इल जीम पिदंदबम ।बजए2016 द्धेमतअपबम जंग ूपसस इम सवअमंइसम वद ंसस ेमतअपबमे चतवअपकमक पद जीम जंगंइसम  जमततपजवतल इल ं चमतेवद जव ंदवजीमत वित ं बवदेपकमतंजपवद वजीमत जींद जीम ेमतअपबमे ेचमबपपिमक पद जीम ैमतअपबम ज्ंग छमहंजपअम स्पेजण्
6.           स्वीकृत रूप से  हस्तगत प्रकरण में प्रार्थी ने रेस्टोरेट  में बैठकर  अथवा उनकी सेवाओं का कोई उपयोग नहीं किया है ।  किन्तु विक्रय के रूप में प्रष्नगत वस्तु पर कर अदा किया है । अतः विधायिका द्वारा लगाए गए सर्विस टैक्स को  अदा करने का दायित्व प्रार्थी का बनता है । यदि वह इस टैक्स को ही असवैधानिक मानते हुए चुनौती देता है तो इसके लिए सक्षम प्लेटफार्म में चाराचोही करने के लिए स्वतन्त्र है । 
7.         सार यह है कि  अप्रार्थी द्वारा जो क्रय की गई वस्तु की कीमत के साथ साथ सर्विस टैक्स जोड़ कर बिल दिया गया है, में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है । ऐसी स्थिति में प्रार्थी का परिवाद मंच की राय में स्वीकार किए जाने योग्य नहीं  है एवं आदेष है कि:

                         :ः- आदेष:ः-
8ण्           प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 08.07.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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