Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/244/2016

Dr. Ram Ashray Sahu - Complainant(s)

Versus

Zonal Officer - Opp.Party(s)

25 Apr 2017

ORDER

 
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
 
   अध्यासीनः   डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
 
 
उपभोक्ता वाद संख्या-244/2016
डा0 राम आश्रय साहु पुत्र स्व0 पूरनलाल साहु निवासी-105/592 चन्द्रिका देवी, हलीम कॉलेज रोड, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1. जोनल अधिकारी, जोन-1 (गंगा हैरिटेज जोन) नगर निगम, सिविल लाइन्स, कानपुर नगर-208001
2. नगर आयुक्त नगर निगम मोतीझील, कानपुर नगर-208002
                             ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 28.04.2016
निर्णय तिथिः 15.06.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःएकपक्षीय-निर्णयःःः
1.   परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण को आदेषित किया जाये कि परिवादी द्वारा जमा की गयी समस्त धनराषि को अपने रिकार्ड में सही करते हुए फर्जी बकाया धनराषि रू0 2943.00 जो कि वर्श 2007 में बतायी गयी थी, वर्श 2007-08 एवं 2008-09 में रू0 13,637.00 बताया, वर्श 2015-16 में रू0 10,921.00 बताया है, को ब्याज सहित अविलम्ब षून्य करें एवं वर्श 2015-16 का गृहकर बिना किसी ब्याज के अविलम्ब जमा करें, परिवादी को पिछले 7-8 वर्शों से लगातार हैरान व परेषान करने एवं मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न के एवज में विपक्षीगण से रू0 40,000.00 क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें तथा परिवाद व्यय रू0 20000.00 अदा करे।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी भवन सं0-105/592 चन्द्रिका देवी हलीम कॉलेज रोड जोन-1 कानपुर नगर का अपनी मां की मृत्यु के उपरांत 1/3 भाग का स्वामी है। परिवादी उक्त भवन में अपने हिस्से के लिए अपना नाम नामांत्रित कराने के लिए प्रयत्नषील है, लेकिन विपक्षीगण की लापरवाही के कारण परिवादी का 
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नाम नामान्तरित नहीं हो पाया है। विपक्षीगण परिवादी को मानसिक रूप से दिनांक 05.06.07 से प्रताड़ित कर रहे हैं। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को एक मांग पत्र दिनांकित 05.06.07 भेजा गया था, जिसके द्वारा परिवादी के उपरोक्त मकान का रू0 2943.00 गृहकर की मांग की गयी थी। परिवादी की आपत्ति पर रू0 2943.00 के स्थान पर विपक्षीगण ने अपनी गलती मानते हुए वर्श 2007-8 के मद में गृहकर के रूप में कुल रू0 1012.00 जमा करने के लिए कहा और उस पर 10 प्रतिषत छूट प्रदान करने के पष्चात रू0 911.00 जमा कराया था। इस प्रकार वर्श 2007-08 तक का संपूर्ण गृहकर परिवादी द्वारा विपक्षी के कथनानुसार जमा कर दिया गया था, अब कोई गृहकर षेश नहीं है। विपक्षीगण स्थिति स्पश्ट न करके बकाया गृहकर जमा करने के लिए दबाव डालने लगे, जिस पर परिवादी ने जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत विपक्षीगण से सूचना मांगी तो विपक्षीगण ने अपने पत्र दिनांकित 11.09.09 के द्वारा परिवादी को सूचित किया कि बकाया धनराषि रू0 13,637.00 वित्तीय वर्श 2007-08 व 2008-09 की है। अर्थात पूर्व के वर्शों का, प्रष्नगत भवन के सम्बन्ध में, गृहकर के मद में, कोई धनराषि बकाया नहीं है। विपक्षीगण ने बदनियती से वर्श 2010-11 में फर्जी धनराषि का गृहकर के मद में मांगपत्र परिवादी को भेज दिया, जिसको निरस्त करने के सम्बन्ध में परिवादी ने दिनांक 27.08.10 को एक प्रार्थनापत्र विपक्षीगण को दिया और कहा कि वर्श 2010-11 के मांगपत्र में रू0 5507.00 तथा ब्याज के मद में रू0 185.00 कुल रू0 5692.00 की बकाया धनराषि गलत है और उसे निरस्त करने की प्रार्थना की। किन्तु विपक्षीगण के द्वारा कुछ समय पष्चात वर्श 2012-13 की बकाया धनराषि रू0 7367.00 व ब्याज के मद में रू0 222.00 का मांगपत्र परिवादी को भेज दिया। जबकि परिवादी के ऊपर किसी भी वर्श का कोई गृहकर बकाया नहीं था। इसलिए परिवादी ने वर्श 2011-12 का दिनांक 23.07.11 को देय धनराषि रू0 4971.00 में 10 प्रतिषत छूट का लाभ उठाते हुए गृहकर जमा के विवरण के साथ एक पत्र दिनांकित 23.07.12 को विपक्षीगण को लिखा अैर उनसे प्रार्थना की कि वर्श 2012-13 के मांग 
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पत्र में दिखायी गयी बकाया धनरिष व ब्याज को निरस्त करके, वर्तमान में देय गृहकर के मद में 10 प्रतिषत का लाभ देते हुए उससे गृहकर जमा करा लिया जाये। दिनांक 10.09.13 को परिवादी द्वारा पुनः विपक्षीगण को पत्र प्रेशित करके वर्श 2013-14 का बकाया रहित बिल परिवादी को भेज दिया। परिवादी ने विपक्षीगण को एक और पत्र दिनांक 05.12.14 को लिखा और सूचित किया कि वह सभी धनराषि जमा कर चुका है। अतः उपरोक्त जमा धनराषि को देखकर उसका लाभ प्रदान किया जाय और बकाया गृहकर को निरस्त किया जाये। विपक्षीगण द्वारा गलत तरीके से दिनांक 25.03.10 को वर्श 2009-10 का गृहकर जमा कराते हुए पिछले वर्शों का बकाया रू0 1457.00 भी रसीद सं0-6298 दिनांकित 25.03.10 के द्वारा जमा कर लिया गया, किन्तु नगर निगम ने अपने रिकार्ड से इसके बाद भी बकाया रू0 13,637.00 नहीं हटाया। जिसके लिए परिवादी द्वारा स्थानीय अधिकारियों से विभिन्न लोगों से भी संपर्क किया गया और पत्र लिखे गये। मांगपत्र दिनांकित 22.06.15 के द्वारा परिवादी को ज्ञात हुआ कि बकाया धनराषि रू0 15,416.00$ ब्याज रू0 1035.00 कुल रू0 16,451.00 देय है। आपत्ति करने पर विपक्षीगण द्वारा अपने संषोधित मांग पत्र दिनांकित 23.07.15 के द्वारा उक्त बकाया धनराषि को घटाकर बकाया रू0 10501.00$ब्याज रू0 420.00 कुल रू0 10921.00 कर दिया गया, किन्तु षून्य नहीं किया गया। जिस पर परिवादी ने पुनः विरोध किया। जिससे स्पश्ट होता है कि विपक्षीगण की वर्श 2007 की मांग रू0 2943. वर्श 2007-08 एवं 2008-09 में रू0 13,637. वर्श 2015-16 में रू0 10921.00 यह तीनों बकाया मांगपत्र फर्जी व गलत हैं। क्योंकि विपक्षीगण को यह ज्ञात ही नहीं है कि उक्त सम्पत्ति का कोई भी बकाया गृहकर है भी या नहीं। जोनल अधिकारी जोन-1 नगर निगम कानपुर ने मनगढ़ंत व अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए अपने पत्र दिनांकित 23.07.15 के द्वारा सूचित किया कि उपरोक्त बकाया वर्श 1999-2000 का है, जो कि उस समय पर रू0 1000.00 के लगभग था और उस पर ब्याज लगाते-लगाते वर्श 2015-16 में रू0 10921.00 हो गया। जबकि पहले विपक्षीगण इस बकाये को रू0 13,627.00 दिखा रहे थे और वर्श 2007-08 व वर्श 2008-09        का बता रहे थे। परिवादी षुरू से लगातार बिना किसी चूक के प्रत्येक वर्श
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गृहकर अदा करता चला आ रहा है। परिवादी पर कोई बकाया षेश नहीं है। परिवादी एक वरिश्ठ नागरिक है और प्रतिश्ठित चिकित्सक है। विपक्षीगण के द्वारा की जा रही सेवा में उपरोक्त कमी के कारण परिवादी को अत्यन्त मानसिक व षारीरिक कश्ट हो रहा है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद येजित करना पड़ा।
3. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षीगण फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षीगण पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 09.11.16 को विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 27.04.16 एवं 06.03.17 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्नक कागज सं0-5/1 लगायत् 5/20 दाखिल किया है।
निष्कर्श
5. फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
6. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को एकपक्षीय रूप से सुनने तथा प्रस्तुत लिखित बहस व पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता           है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र तथा अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये है विपक्षीगण बावजूद नोटिस तलब तकाजा कोई उपस्थित नहीं आया और न ही तो परिवादी की ओर से  प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र व परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये षपथपत्र तथा प्रस्तुत उपरोक्त प्रलेखीय साक्ष्यों का खण्डन किया गया है। अतः ऐसी दषा में परिवादी की ओर से प्रस्तुत षपथपत्र व प्रलेखीय साक्ष्यों पर अविष्वास किये जाने का कोई आधार नहीं है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्य अखण्डनीय हैं। 
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अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये कारणों से फोरम इस निश्कर्श पर पहुॅचता है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक व एकपक्षीय रूप से, वर्श 2015-16 में रू0 10,921.00 ब्याज सहित निरस्त करने हेतु एवं वर्श 2015-16 का गृहकर बिल बिना किसी ब्याज के परिवादी को उपलब्ध कराने हेतु तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक एवं एकपक्षीय रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण द्वारा वर्श 2015-16 में प्रेशित गृहकर बिल बावत रू0 10,921.00 ब्याज सहित निरस्त किया जाता है तथा विपक्षीगण को निर्देषित किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय के 30 दिन के अंदर वह, परिवादी को एवं वर्श 2015-16 का गृहकर बिल बिना किसी ब्याज के परिवादी को उपलब्ध करायें, जिसे परिवादी नियमानुसार, अदा करे। विपक्षीगण को यह भी निर्देषित किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करें।
 
   (पुरूशोत्तम सिंह)      ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य       सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।
 
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
 
  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य       सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर। 
 

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