Uttar Pradesh

Faizabad

CC/223/2012

Swami Nath - Complainant(s)

Versus

Zila Shkari Bank - Opp.Party(s)

04 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/223/2012
 
1. Swami Nath
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Zila Shkari Bank
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित-    (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

            परिवाद सं0-223/2012

            
स्वामीनाथ वर्मा उभ्र लगभग 45 साल पुत्र श्री राम दयाल, निवासी ग्राम दिगम्बरपुर, पोस्ट मुबारकगंज, तहसील सोहावल, जिला फैजाबाद।                     .............. परिवादी
बनाम
1.    फैजाबाद जिला सहकारी बैंक लिमिटेड द्वारा महा प्रबन्धक फैजाबाद जिला सहकारी बैंक लिमिटेड प्रधान कार्यालय निकट सिविल कोर्ट कम्पाउण्ड फैजाबाद। 
2.    षाखा प्रबन्धक जिला सहकारी बैंेेक लिमिटेड षाखा सुचितागंज जनपद फैजाबाद।
3     प्रहलाद सिंह आंकिक किसान सहकारी समिति पिलखांवा जिला फैजाबाद। 
4    उदयराज कर्मचारी किसान समिति पिलखांवा जनपद फैजाबाद।   ..........  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 04.02.2016            
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या
                    निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी छोटा सीमान्त कृशक है। परिवादी के पास कुल भूमि 0.384 हेक्टेयर अर्थात् पक्के डेढ़ बीधा भूमि है। परिवादी के द्वारा किसान सहकारी समिति पिलखावां से रूपये 2,358/- का ऋण वर्श 2007 में लिया गया था। भारत सरकार द्वारा वर्श 2008 में ऋण राहत योजना 2008 लाया गया जिसके अन्र्तगत 31 दिसम्बर 2007 तक आने वाले ऋण माफी का आदेष बैंको को दिया गया। विपक्षी सं0 1 व 2 उत्तर प्रदेष सरकार के अधीनस्थ लोक सेवा उपलब्ध कराने हेतु एक वित्तीय संस्था है, और परिवादी विपक्षीगण के द्वारा गठित किसान सहकारी समिति का सदस्य किसान के रूप में है। परिवादी फसल नश्ट हो जाने और गरीबी के कारण उक्त कृशि ऋण की अदायगी नहीं कर पाया। परिवादी उक्त कृशि ऋण को माफ करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया तो विपक्षी सं0 2 व 3 ने बताया कि परिवादी का कृशि ऋण माफ कर दिया है। परिवादी विपक्षीगण के आष्वासन के बाद विष्वास करके बैठ गया। वर्श 2011 में विपक्षी सं0 3 व 4 परिवादी के पास आये और कृशि ऋण रूपये 2,358/- मय ब्याज सहित अदा 

 

करने के लिए कहा। परिवादी ने कहा कि उक्त ऋण माफ हो गया है, तो विपक्षीगण ने कहा कि ऋण माफ नहीं हुआ है तब परिवादी के द्वारा दिनांक 03-06-2011 को विपक्षी सं01 के समक्ष प्र्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। पुनः परिवादी के द्वारा जिलाधिकारी महोदय फेैजाबाद व सहायक निबन्धक सहकारी समिति के समक्ष प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया परन्तु उसके बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। विपक्षीगण अवैधानिक रूप से ऋण की वसूली करना चाहते है। इस कारण यह परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा। ऋण रूपये 2,358/- किसान सहकारी समिति पिलखांवा का माफ करने हेतु विपक्षीगण को आदेषित किया जाय। क्षतिपूर्ति के मद में रूपये 5,000/-तथा खर्चा मुकदमा दिलाया जाय। 
     विपक्षी सं0 1 व 2 ने अपना जवाबदावा दाखिल किया तथा कथन किया है, कि परिवादी की कृशि कार्य के सम्बन्ध में उत्तरदाता विपक्षी सं0 2 से खाद बीज आदि वस्तु के रूप में लेता है जिसका क्रीत मूल्य ऋण के रूप में खाते में अंकित होता है जिसे परिवादी किष्तों में जमा करता है उक्त वास्तविक स्थिति में परिवादी किसी भी रूप में विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है और ऐसी स्थिति परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में न आने के कारण उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वतः निरस्त होने योग्य है। भारत सरकार द्वारा अपने केन्द्रीय बजट 2008-2009 के अन्र्तगत कृशकों के ऋण माफी एवं राहत योेजना 2008 बनायी गयी। इस सम्बन्ध में नाबार्ड द्वारा अपने परिपत्र दिनंाक 23-05-2008 के माध्यम से समस्त सचिव /महाप्रबन्धक जिला सहकारी बैंक लि0 उ0प्र0 को पत्रांकःमाण्ट /2008-09/सी-12 दिनांक 03-06-2008 को उपरोक्त योजना के अन्र्तगत कृशको की पात्रता ऋण माफी एवं ऋण राहत के सम्बन्ण में विस्तृत विवेचना की गयी है। उक्त योजना के अन्र्तगत पात्रता के सम्बन्ध में सिर्फ उन्ही कृशकों को पात्र माना गया है जिन्होंने दिनंाक 31-03-1997 से 31-03-2007 के मध्य ऋण प्राप्त किया हैं। परिवादी द्वारा दिनंाक 14-11-2007 को वस्तुुुुुु के क्रीत रूपये 2,168.15 पेैसे एवं पष्चात दिनंाक 21-11-2007 क्रीत वस्तु का मूल्य रूपये 1,515/- ऋण के रूप में लिये थे जिसमें से रूपये 1,325/- परिवादी द्वारा उत्तरदाता के बैंक में जमा किया गया है ऐसी दषा में उक्त ऋण माफी योेजना का पात्र परिवादी नहीं है तथा उसके द्वारा ऋण धनराषि रूपये 2,358.15 पेैसे मय ब्याज के उत्तरदाता विपक्षीगण परिवादी से प्राप्त करने के अधिकारी हैं। सम्पूर्ण कथनों एवं परिस्थितियों को देखते हुए सेवा में कमी का कोई मामला नहीं बनता है। उक्त परिवाद मात्र विपक्षीगण को हैरान व परेषान करने की नीयत से दायर किया गया है। परिवादी द्वारा उक्त परिवाद तथ्यों को छिपाकर प्रस्तुत किया गया है जो सव्यय निरस्त होने योग्य है। 
    विपक्षी सं0 3 व 4 ने अपना जवाबदावा दाखिल किया तथा कथन किया कि विपक्षी सं0 1 व 2 के अधीनस्थ कर्मचारी है। ऋण माफी या अन्य क्रिया कलापो से उत्तरदाता विपक्षीगण का कोई दायित्व नहीं है । मात्र उत्तरदाता विपक्षीगण को हैरान व परेषान करने के लिए ही परिवादी ने पक्ष बनाया है। परिवाद के मूल विवाद से उत्तरदाता विपक्षीगण का कोई वास्ता व सरोकर नहीं है। परिवादी द्वारा उक्त परिवाद तथ्यों को छिपाकर प्रस्तुत किया गया है। उक्त परिवाद वाद व्यय व विषेश हर्जा सहित निरस्त किया जाना चाहिए।
    
मैंने पत्रावली का भली भांति परिषीलन किया। परिवादी  ने अपने पक्ष के सर्मथन में षपथ पत्र दाखिल किया जो षामिल पत्रावली है। परिवादी ने सूची पर फसली खसरा की छाया प्रति दाखिल की हैं तथा कृशि ऋण माफी राहत योजना 2008 की छाया प्रति दाखिल किया है, जो षामिल पत्रावली है।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य तथा विपक्षीगण की लिखित बहस दाखिल की है। परिवादी के पास कुल कृशि भूमि 0.384 हेक्टेयर अर्थात पक्का डेढ़ बीधा भूमि हैं। परिवादी ने कुल रूपये 2358/- कृशि ऋण वर्श 2007 में लिया था। कृशि ऋण माफी राहत योजना 2008 के तहत भारत सरकार के पैरा 3.5 के अनुसार परिवादी सीमान्त किसान के श्रेणी में आता हैं। पैरा 4 के अनुसार परिवादी ऋण माफी या ऋण राहत के लिये पात्र ब्यक्ति हैं। पैरा न0 (8) .1 के अनुसार ऋण दाता संस्थाएं 29 फरवरी 2008 के बाद की कृशि अवधि के लिये पात्र राषि पर कोई ब्याज प्रभावित नहीं करेगी। इस षासनादेष के अनुसार 31 मार्च 2007 तक वितरित की तो ऐसे ऋण राषि ब्याज सहित सव्यय वितरित की गयी हो और 31 दिसम्बर 2007 को अतिदेय हो और 29 फरवरी 2008 तक जिसका भुगतान ही हुआ हो उसका ऋण माफ कर दिया जायेगा। 
इस प्रकार परिवादी सीमान्त किसान के श्रेणी में आता है। परिवादी ने कृशि ऋण विपक्षीगण से लिया था। परिवादी से विपक्षीगण षासनादेष कृशि ऋण माफी राहत योजना के तहत किसी प्रकार की धनराषि की वसूली नहीं कर सकते हंै। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्व अंषतः स्वीकार तथा अंषतः खारिज किये जाने योग्य है।    
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाशिक रूप से स्वीकार तथा अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। परिवादी से विपक्षीगण कृशि ऋण रूपये 2,358/- अथवा ब्याज वसूल न करें। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण परिवादी को निर्णय एवं आदेष की तिथि से एक माह के अन्दर क्षतिपूर्ति के मद में रूपये 3000/- तथा परिवाद व्यय के मद में  ंरूपये 2000/-का भी भुगतान करें तथा नो ड्यूज देवें।         
           (विष्णु उपाध्याय)                (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)
                सदस्य                        सदस्या                    अध्यक्ष                                                
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 04.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)                 (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)
               सदस्य                         सदस्या                    अध्यक्ष

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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