Uttar Pradesh

StateCommission

CC/315/2019

Sudheer Kumar - Complainant(s)

Versus

Zila Sahakari Bank - Opp.Party(s)

Alok Ranjan

24 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/315/2019
( Date of Filing : 15 Oct 2019 )
 
1. Sudheer Kumar
S/O Sri Ravindra Kumar C-1 G.D.A. Staff Quarter Basant Road Ghaziabad U.P.
...........Complainant(s)
Versus
1. Zila Sahakari Bank
R.D.C.A. -20 Rajnagar Ghaziabad U.P. 201002 Through Branch Manager
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Jun 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-315/2019

सुधीर कुमार पुत्र श्री रविन्‍द्र कुमार, सी-1, जी.डी.ए. स्‍टाफ क्‍वार्टर, बसन्‍त रोड, गा‍जियाबाद, यू.पी.

बनाम

जिला सहकारी बैंक लि0, आर.डी.सी.ए.-20, राजनगर, गाजियाबाद, यू.पी. पिन-201002 द्वारा ब्रांच मैनेजर

 

समक्ष:-                                                  

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

परिवादी की ओर से उपस्थित       : श्री आलोक रंजन।

विपक्षी की ओर से उपस्थित        : श्री बी.एल. यादव।                        

दिनांक : 24.06.2024 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत परिवाद, इस न्‍यायालय के सम्‍मुख परिवादी द्वारा इस अनुरोध के साथ प्रस्‍तुत किया गया है कि वह बंधक रखी हुई सम्‍पत्ति को बाजार मूल्‍य पर उपलब्‍ध खरीदार को बेंचे, बिक्री आय से अपने बकाये की वसूली करें और शेष राशि परिवादी को उपलब्‍ध कराए। विपक्षी को यह भी ओदशित किया जाए कि वह बलपूर्वक कोई कदम न उठाए और परिवादी को हुए वित्‍तीय नुकसान के लिए अंकन 15 लाख रूपये भी दें। मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की मद में अंकन 1,50,000/-रू0 की भी मांग की गई है।

 परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी           ने  अपनी  सम्‍पत्ति  दिनांक 07.05.2024 को बंधक रख कर अंकन

 

-2-

15,00,000/-रू0 का ऋण विपक्षी से प्राप्‍त किया था। उक्‍त ऋण अंकन 23,300/-रू0 की 120 मासिक किस्‍तों में चुकाया जाना था। दिनांक 30.10.2015 के बाद परिवादी की वित्‍तीय स्थिति ठीक न होने के कारण किस्‍तें देने में असमर्थ रहा। वर्ष 2015 में परिवादी ने शाखा प्रबंधक को पत्र लिखा था कि बंधक रखी सम्‍पत्ति को विक्रय कर बकाये की राशि समायाजित करें और शेष राशि को परिवादी को हस्‍तांतरित करें, किंतु उक्‍त पत्र का कोई जवाब परिवादी को प्राप्‍त नहीं हुआ। परिवादी व्‍यक्तिगत रूप से शाखा प्रबंधक से मिला और उनसे बंधक रखी सम्‍पत्ति को जल्‍द से जल्‍द विक्रय करने का अनुरोध किया ताकि ब्‍याज सहित ऋण चुकाया जा सके, किंतु शाखा प्रबंधक ने बताया कि उन्‍हें मुख्‍य कार्यालय से अनुमति लेनी होगी और बाद में सूचित करने की बात कही। कुछ समय इंतजार करने के बाद परिवादी पुन: शाखा प्रबंधक से मिला, किंतु शाखा प्रबंधक ने कोई रूचि नहीं दिखाई और परिवादी को बताया कि यदि बंधक सम्‍पत्ति की बिक्री से ऋण और ब्‍याज की राशि प्राप्‍त होती है तो बैंक को ब्‍याज की भारी राशि का नुकसान होगा। परिवादी ने शाखा प्रबंधक से पुन: अनुरोध किया कि वह वित्‍तीय संकट से जूझ रहा है।

विपक्षी बैंक ने दिनांक 29.10.2018 को नोटिस भेजकर अंकन 8,69,600/-रू0 15 दिनों में ब्‍याज सहित जमा करने के लिए कहा, ऐसा न करने पर आर.सी. जारी कर दी जाएगी। परिवादी वित्‍तीय स्‍िथति ठीक न होने  के कारण मांगी गई राशि जमा नहीं कर सका।  विपक्षी  बैंक  ने परिवादी के पत्र का उत्‍तर न देकर तथा

 

-3-

बंधक सम्‍पत्ति को उपलब्‍ध खरीदारों को बाजार मूल्‍य पर न बेचकर सेवा में कमी कारित की है, जिससे क्षुब्‍ध होकर उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा संलग्‍नक 1 लगायत 2 प्रस्‍तुत किए गए।

विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया गया कि बैंक द्वारा ऋण परिवादी को दिया गया है और परिवादी की सम्‍पूर्ण जिम्‍मेदारी है कि वह ऋण की अदायगी समय से करे। यदि वह ऋण की अदायगी समय पर नहीं करता है तब विपक्षी बैंक को यह अधिकार है कि वह बकाया ऋण के लिए आर.सी. निर्गत कर वसूली कर सकता है। विपक्षी बैंक द्वारा वष्र 2015 से वर्ष 2019 तक धनराशि जमा करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं। यह भी कथन किया गया कि विपक्षी बैंक द्वारा अपने सदस्‍यों को ही ऋणस प्रदान किया जाता है, इसलिए ऋण देते समय नोमीनल मेम्‍बर बनाकर ही ऋण वितरण किया जाता है। उ0प्र0 सहकारी समिति अधिनियम 1965 एवं उ0प्र0 सहकारी समिति नियमावली 1968 के नियमानुसार ऋण देते समय ऋणी को बैंक का नोमीनल/मनोनीत सदस्‍य बनाया जाता है। नोमीनल/मनोनीत सदस्‍य बनाने के उपरांत ही ऋण वितरण किया जाता है। श्री सुधीर कुमार पुत्र श्री रविन्‍द्र कुमार बैंक के नोमिनल सदस्‍य हैं और बैंक के उपभोक्‍ता नहीं हैं। अत: उपभोक्‍ता न होने के कारण प्रस्‍तुत परिवाद संधारणीय नहीं है।

लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया।

-4-

परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री बी.एल. यादव को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया। उभय पक्ष को विस्‍तार से सुनने एवं समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से ऋण की बकाया राशि की वसूली हेतु बैंक को पूर्ण अधिकार प्राप्‍त है और बैंक अपने ऋण की वसूली के लिए जो नोटिस प्रेषित किया गया है, वह विधिसम्‍मत है। प्रस्‍तुत परिवाद में कोई बल नहीं है। प्रस्‍तुत परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

तदनुसार प्रस्‍तुत परिवाद खारिज किया जाता है।

उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

 

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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