मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ०प्र० लखनऊ
अपील संख्या- 140/2011
हरि प्रसाद
बनाम
जिला प्रबन्धक, यू०पी० स्टेट खाद्य एवं आवश्यक वस्तु नि० लि० गोण्डा
समक्ष:-
- माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
- माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्या
अपीलार्थी की ओर से : कोई उपस्थित नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक- 10.01.2024
माननीय सदस्या श्रीमती सुधा उपाध्याय द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी हरि प्रसाद की ओर से विद्वान जिला आयोग, गोण्डा द्वारा परिवाद संख्या– 233/2009 हरि प्रसाद बनाम जिला प्रबन्धक, उ०प्र० राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तुत निगम व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 13-01-2011 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्यर्थी की ओर से भी कोई उपस्थित नहीं नहीं हुआ है।
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पीठ द्वारा स्वयं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी ग्राम पंचायत कस्तुआ न्याय पंचायत काजीदेवर विकास खण्ड झंझरी का फुटकर खाद्य एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम के अन्तर्गत कोटेदार/दुकानदार है जो प्रत्यर्थी/विपक्षी विभाग से प्रत्येक महीने खाद्य एवं आवश्यक वस्तुओं को लेकर कार्डधारकों के मध्य वितरित करता है। इस हेतु चेक द्वारा धनराशि का भुगतान किया जाता है। अपीलार्थी/परिवादी ने दिनांक 22-02-2008 को 20829/-रू० का चेक विपक्षी विभाग में जमा किया था। उपरोक्त चेक जमा होने के बावजूद अपीलार्थी/परिवादी को खाद्यान नहीं दिया गया। बार-बार सम्पर्क करने के बाद भी खाद्यान उपलब्ध नहीं कराया गया जिससे अपीलार्थी/परिवादी को कार्डधारकों के मध्य अपमानित होना पड़ा। अत: परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया गया।
जिला आयोग ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद खारिज कर दिया है।
पीठ द्वारा जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया तथा यह पाया गया कि यथार्थ में यह विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है। यदि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा चेक के माध्यम से धनराशि जमा की गयी है तो सिविल न्यायालय के
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माध्यम से इस राशि के लिए माल आपूर्ति की मांग कर सकता है, परन्तु उपभोक्ता विवाद कतई संधारणीय नहीं है।
पीठ की राय में जिला आयोग समस्त तथ्यों को उचित ढंग से विश्लेषित करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं प्रतीत होती है, तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 3