न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 23 सन् 2015ई0
नागेन्द्र नाथ सिंह पुत्र रामप्रसाद निवासी सोनेडेहरा पर0 नरवन जिला चन्दौली।प्रो0न्यू ममता टेन्ट हाऊस एण्ड इलेक्ट्रिक डेकोरेशन जी0टी0रोड सैयदराजा।
...........परिवादी बनाम
1-जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली।
2-जिलाधिकारी चन्दौली।
.............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप, सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी संख्या 1 से परिवादी का अदेय बिल रू0 79240/-मय कानूनी व्याज एवं शारीरिक,मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय के रूप में 120000/- दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया है कि परिवादी अपने जीविकोपार्जन हेतु टेन्ट सामग्री आदि की सप्लाई का कार्य करता है। विपक्षी संख्या 1 के निर्देश पर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय बरहनी जिला चन्दौली में माह जुलाई 2011 से दिसम्बर 2011 तक टेन्ट सामग्री का सप्लाई किया जिसमे से माह सितम्बर 2011 व अक्टूबर 2011 का भुगतान विपक्षी संख्या 1 द्वारा नहीं किया गया। परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 के नियंत्रण में विपक्षी संख्या 1 के निर्देश पर उक्त सामग्री की सेवा प्रदान किया किन्तु विपक्षी द्वारा सेवा में कमी करते हुए अव्यवहारिक व्यापारिक व्यवहार कारित करते हुए परिवादी का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी ने माह सितम्बर 2011का बिल रू0 40800/- एवं माह अक्टूबर 2011 के बिल रू038440/- के भुगतान हेतु कई बार आवेदन किया परन्तु विपक्षी द्वारा आश्वासन दिये जाने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया, तब परिवादी ने एक आवेदन वर्ष 2012 में तथा दिनांक 7-5-2013 को तहसील दिवस में दिया किन्तु विपक्षी द्वारा भुगतान लम्बित रखा गया तो परिवादी ने एक किता नोटिस अपने अधिवक्ता के माध्यम से 14-3-2014 को दिया जो विपक्षी को दिनांक 19-3-2014 को प्राप्त हुआ, तब विपक्षी ने दिनांक 19-4-2014 को पत्र प्रेषित करते हुए भुगतान किये जाने की कार्यवाही करने से अवगत कराया,किन्तु विपक्षी के पत्र प्राप्ति के लगभग 3 माह बाद तक परिवादी विपक्षी के कार्यालय में भुगतान प्राप्त करने हेतु दौडता रहा किन्तु भुगतान नहीं किया गया। परिवादी विवश होकर पुनः अपने अधिवक्ता के जरिये दिनांक 24-7-2014 को अबिलम्ब भुगतान किये जाने हेतु आवेदन किया किन्तु विपक्षीगण द्वारा भुगतान नहीं किया गया। विपक्षीगण द्वारा भुगतान न करने से परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षति हुई है। अतः उसने यह परिवाद दाखिल किया है।
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3- विपक्षीगण पर नोटिस का तामिला पर्याप्त रूप से हुआ और विपक्षी संख्या 1 द्वारा प्रतिवाद पत्र भी दाखिल किया गया है किन्तु विपक्षी संख्या 2 की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल नहीं किया जिसके कारण मुकदमा विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एक पक्षीय चल रहा है।
4- विपक्षी संख्या 1 ने अपने जबाबदावा में परिवाद के अभिकथनों से इन्कार करते हुए संक्षेप में यह कहा गया है कि परिवादी का बकाया वित्तीय वर्ष 2011-2012 का है और धनराशि अथवा निर्देश प्राप्त होते ही भुगतान की कार्यवाही की जायेगी। अतिरिक्त कथन के रूप में विपक्षी संख्या 1 द्वारा यह कहा गया है कि परिवादी का परिवाद असत्य एवं मनगढन्त कथांनक के आधार पर प्रस्तुत किया गया है जो निरस्त किये जाने योग्य है। तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली के स्तर से वर्णित सामग्रीयों की आपूर्ति हेतु निर्देश निर्गत करने का कोई लिखित साक्ष्य विपक्षी संख्या 1 के कार्यालय में उपलब्ध नहीं है और तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मौजूदा समय में चन्दौली में कार्यरत नहीं है। वर्तमान जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दिनांक 17-5-2012 को चन्दौली जनपद में कार्यभार ग्रहण किया गया है और उनके द्वारा परिवादी के साथ कोई अव्यवहारिक,व्यापारिक व्यवहार नहीं किया गया है। तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली एवं तत्कालीन सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी चन्दौली द्वारा माह सितम्बर एवं अक्टूबर सन् 2011 का भुगतान परिवादी को क्यों नहीं किया गया इसका कोई कारण स्पष्ट नहीं है और न ही इस सम्बन्ध में कोई साक्ष्य उपलब्ध है। इस प्रकरण की जानकारी होने पर विपक्षी संख्या 1 द्वारा जिला समन्वयक बालिका शिक्षा एवं सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी से जानकारी प्राप्त की गयी तो उन्होंने अवगत कराया कि माह सितम्बर 2011 जिसमे शिकायतकर्ता का बिल सम्मिलित है दिनांक 23-11-2011 को एवं माह अक्टूबर 2011 का बिल दिनांक 3-2-2011 को जिला समन्वयक बालिका शिक्षा चन्दौली द्वारा नोटशीट तैयार करके तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली से आदेशित कराकर पत्रावली विपक्षी संख्या 1 को प्राप्त करायी गयी और इसके बाद बिलों का सत्यापन/परीक्षण करने के उपरान्त बिल भुगतान करने हेतु पत्रावली प्रस्तुत करने पर तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा मौखिक आदेश दिया गया कि उक्त बिल को भुगतान हेतु अभी प्रतीक्षा में रखा जाय और तब उक्त पत्रावली को प्रतीक्षा में रख दिया गया। वित्तीय वर्ष 2011-2012 में उक्त मद में धनराशि उपलब्ध न होने के कारण उक्त बिलों का भुगतान नहीं हो सका। विपक्षी संख्या 1 का अभिकथन है कि परिवादी का बिल वित्तीय वर्ष 2011-2012 का है जिसका भुगतान तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी द्वारा नहीं किया जा सका और जब यह प्रकरण विपक्षी संख्या 1 के संज्ञान में आया तो उन्होंने सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी से पूछताछ किया तो यह ज्ञात हुआ कि राज्य परियोजना कार्यालय में आहूत समीक्षा बैठकों में अवशेष बिलों के भुगतान करने हेतु आवश्यक धनराशि की
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मांग राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ से की गयी है। इस सम्बन्ध में दिनांक9-6-2015,20-7-2015,5-8-2015 तथा दिनांक 28-9-2015 को आवश्यक धनराशि की मांग करते हुए राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ को पत्र प्रेषित किये गये है। बिना लिखित क्रयादेश के सामग्री की आपूर्ति परिवादी द्वारा किये जाने का उल्लेख किया गया है जो औचित्यपूर्ण नहीं है। लिखित क्रयादेश के अभाव में दर तथा शर्तो आदि का परीक्षण एवं सत्यापन किया जाना सम्भव नहीं है। लिखित क्रयादेश प्राप्त होने पर ही परिवादी को सामग्रीयों की आपूर्ति की जानी चाहिए थी ताकि कार्यादेश के आदेश में बिल सामग्री एवं दर का सत्यापन करके भुगतान की कार्यवाही हो सके। विपक्षी संख्या 1 का अभिकथन है कि इसके बावजूद परिवादी के हित को ध्यान में रखते हुए सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी द्वारा राज्य परियोजना कार्यालय में आहूत समीक्षा बैठकों में लम्बित बिलों की धनराशि के भुगतान की मांग की गयी है ताकि परिवादी का हित प्रभावित न हो उनका यह भी अभिकथन है कि परिवादी का केवल 2 माह के बिलों का भुगतान नहीं हुआ है और इस सम्बन्ध में जानबूझकर कोई लापरवाही नहीं की गयी है।
5- परिवादी की ओर से स्वयं परिवादी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी द्वारा सप्लाई की गयी सामग्री के बिलों की छायाप्रतियां 8 अद्द,तहसील दिवस की रसीद,परिवादी द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्रेषित पत्र की छायाप्रति,जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा परिवादी की नोटिस के सम्बन्ध में दिये गये जबाब की मूल प्रति,परिवादी द्वारा विपक्षीगण को प्रेषित विधिक नोटिस की मूल प्रति तथा परिवादी के अधिवक्ता द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्रेषित पत्र दिनांकित 15-7-2014 की छायाप्रति दाखिल की गयी है।
इसी प्रकार विपक्षी संख्या 1 की ओर से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली श्री पी0सी0 यादव का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रतिवाद पत्र के संलग्नक के रूप में सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी चन्दौली द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली को प्रेषित पत्र की मूल प्रति तथा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली द्वारा राज्य परियोजना निदेशक सर्व शिक्षा अभियान लखनऊ को प्रेषित पत्र दिनांकित 9-6-2015,20-7-2015,5-8-2015 तथा 28-9-2015 की छायाप्रतियां दाखिल की गयी है।
6- परिवादी के अधिवक्ता की बहस सुनी गयी है तथा परिवादी की ओर से दाखिल लिखित तर्क का अवलोकन किया गया। अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षी संख्या 1 की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई लिखित बहस दाखिल की गयी है। पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
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7- परिवादी की ओर से तर्क दिया गया है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 जो विपक्षी संख्या 2 के नियंत्रणाधीन है के निर्देश पर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय बरहनी,जिला चन्दौली में माह जुलाई सन् 2011 से दिसम्बर 2011 तक टेण्ट सामग्री सप्लाई किया था जिसमे से माह सितम्बर 2011 तथा माह अक्टूबर 2011 के टेण्ट सप्लाई के बिल क्रमशः रू0 40800/-तथा रू0 38440/-अर्थात कुल रू0 79240/- का भुगतान विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया। इस सम्बन्ध में परिवादी ने विपक्षीगण को लिखित आवेदन किया,मौखिक रूप से भी अनेक बार कहा लेकिन उन्होंने कोई भुगतान नहीं किया तब परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक कानूनी नोटिस भी विपक्षीगण को प्रेषित किया जो उन्हें दिनांक 19-3-2014 को प्राप्त हुई और उन्होंने नोटिस का जबाब देते हुए यह अवगत कराया कि भुगतान के सम्बन्ध में कार्यवाही की जा रही है और राज्य परियोजना कार्यालय से धनराशि प्राप्त होने पर भुगतान किया जायेगा लेकिन आजतक कोई भुगतान नहीं किया गया। परिवादी के अधिवक्ता का तर्क है कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गयी है तथा अव्यवहारिक,व्यापारिक,व्यवहार कारित किया गया है। परिवादी के अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी ने टेण्ट सामग्री की सप्लाई सन् 2011 में की थी और आज तक बिल का भुगतान न होने के कारण परिवादी को अत्यधिक शारीरिक,मानसिक एवं आर्थिक क्षति उठानी पडी है। अतएव प्रार्थी अपनी बिल की धनराशि रू0 79240/-मय व्याज तथा शारीरिक,मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय के रूप में भी 120000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
8- पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मामले में विपक्षीगण ने इस तथ्य से कही इन्कार नहीं किया है कि परिवादी द्वारा माह जुलाई सन् 2011 से दिसम्बर सन् 2011 तक टेण्ट सामग्री सप्लाई की गयी थी। उभय पक्ष के अभिकथनों से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने 6 माह तक विपक्षीगण के निर्देश पर टेण्ट सामगी की सप्लाई किया जिसमे से 4 महीने का पैसा परिवादी को प्राप्त हुआ है। परिवादी के अधिवक्ता का कथन है कि माह सितम्बर व अक्टूबर सन् 2011 का रू0 79240/- के बिल का भुगतान विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया है। विपक्षी संख्या 1 ने जो अपना जबाबदावा एवं उसके संलग्नक के रूप में अभिलेख दाखिल किया है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी यह स्वीकार करते है कि परिवादी ने सितम्बर,अक्टूबर सन् 2011 में टेण्ट सामग्री की सप्लाई किया था वह यह भी स्वीकार करते है कि इस सम्बन्ध में परिवादी ने भुगतान हेतु बिल विपक्षी विभाग में प्रस्तुत किया था लेकिन जब यह बिल जिला समन्वयक बालिका शिक्षा चन्दौली द्वारा नोटशीट तैयार करके तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली से आदेशित कराकर पत्रावली अधोहस्ताक्षरी अर्थात वर्तमान जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्राप्त करायी गयी। इसके उपरान्त जब सत्यापन/परीक्षण करके भुगतान हेतु पत्रावली तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की गयी तो उन्होंने मौखिक रूप से आदेश दिया कि उक्त बिल के भुगतान को अभी प्रतीक्षा में रखा जाय और उसी समय से पत्रावली प्रतीक्षा में रख दी गयी।
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वित्तीय वर्ष 2011-2012 में उक्त मद में धनराशि उपलब्ध न होने के कारण उक्त बिलों का भुगतान नहीं हो सका। इस प्रकार स्वयं विपक्षी के जबाबदावा में किये गये अभिकथनों से ही यह स्पष्ट है कि परिवादी ने सही ढंग से बिल बनाकर भुगतान हेतु समय से विपक्षी के कार्यालय में प्रस्तुत किया था और यह बिल भुगतान हेतु सम्बन्धित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के समक्ष पेश भी की गयी थी किन्तु उन्होंने मौखिक रूप से बिल का भुगतान रोक दिया परन्तु भुगतान क्यों रोका गया इसका कोई कारण नहीं बताया गया। बिना कोई कारण बताएं किसी बिल का भुगतान रोका जाना विधिक रूप से सही नहीं माना जा सकता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विपक्षीगण की ओर से सम्यक विधिक प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया और मनमाने तौर पर परिवादी के बिल का भुगतान रोक दिया गया है जो फोरम की राय में सेवा में कमी का मामला है। स्वयं विपक्षी संख्या 1 की ओर से दाखिल जबाबदावा के संलग्नकों के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी के बिल के भुगतान के सम्बन्ध में सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी चन्दौली द्वारा तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली को पत्र लिखा गया था जिसमे इस बात का उल्लेख किया गया था कि वित्तीय वर्ष 2011-2012 में उक्त मद में धनराशि उपलब्ध न होने के कारण परिवादी के बिलों का भुगतान नहीं हो सका। अतः वर्तमान सत्र में राज्य परियोजना कार्यालय से धन मंगाकर भुगतान किया जाना उचित होगा। इसी प्रकार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्दौली द्वारा भी राज्य परियोजना निदेशक उत्तर प्रदेश लखनऊ को दिनांक 9-6-2015, 20-7-2015, 5-8-2015 तथा दिनांक 28-9-2015 को पत्र लिखे गये है जिसमे परिवादी के बिल से सम्बन्धित रू0 79240/- की धनराशि अवमुक्त करने की प्रार्थना की गयी है। किन्तु आजतक परिवादी के बिल का भुगतान नहीं किया गया है।
उपरोक्त सम्पूर्ण तथ्यों से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मामले में परिवादी ने विपक्षीगण को टेण्ट सामग्री की सप्लाई की है और उसके सम्बन्ध में समय से बिल भी प्रस्तुत किया है लेकिन बिना किसी उचित कारण के विपक्षीगण द्वारा आजतक परिवादी के बिल का भुगतान नहीं किया गया है जो निश्चित रूप से सेवा में कमी का मामला है। अतः परिवादी विपक्षीगण से टेण्ट सामग्री की सप्लाई के बिल का रू079240/- तथा उस पर दावा दाखिल करने की तिथि से 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है। इसी प्रकार इतने वर्षो तक बिल का भुगतान न होने के कारण परिवादी को जो शारीरिक एवं मानसिक क्षति हुई उसकी क्षतिपूर्ति के रूप में उसे रू0 5000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- दिलाया जाना भी न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार उसका परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के अन्दर परिवादी को उसके द्वारा टेण्ट सामगी सप्लाई करने सम्बन्धित बिल की धनराशि रू0 79240/-(उन्यासी
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हजार दो सौ चालीस) तथा इस धनराशि पर परिवाद दाखिल करने की तिथि अर्थात दिनांक 15-5-2015 से पैसा अदा करने की तिथि तक 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज परिवादी को अदा करें। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे इसी अवधि में परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5000/-(पांच हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार)भी अदा करें।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक-17-5-2017