Mohd. Irfaan filed a consumer case on 11 Apr 2023 against Zeeshaan Aalam in the Barabanki Consumer Court. The case no is CC/19/2022 and the judgment uploaded on 12 Apr 2023.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 11.01.2022
अंतिम सुनवाई की तिथि 23.03.2023
निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि 11.04.2023
परिवाद संख्याः 19/2022
मो0 इरफान उम्र करीब 31 वर्ष पुत्र सुबराती ग्राम गुरसेल पोस्ट साढ़ेमऊ थाना व तहसील फतेहपुर जिला-बाराबंकी।
द्वारा- श्री इरशाद अली सिद्दीकी, अधिवक्ता
बनाम
जीशान असलम उम्र करीब 35 वर्ष पुत्र असलम राईन स्वामी चिनहट कोल्ड स्टोरेज एण्ड एलाईड इन्डस्ट्रीज गांव पवईयाबाद देवां फतेहपुर रोड, देवां बाराबंकी (उ0 प्र0)
समक्षः-
माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष
माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य
माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री इरशाद अली सिद्दीकी, अधिवक्ता
विपक्षी सं0-01 की ओर से-श्री सुदीप कुमार अधिवक्ता,
विपक्षी की ओर से-कोई नहीं
द्वारा-डॉ0 शिव कुमार त्रिपाठी, सदस्य
निर्णय
परिवादी ने विपक्षी के विरूद्व धारा-35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 के तहत शारीरिक, मानसिक, आर्थिक क्षति की भरपाई हेतु रू0 19,68,750.00 मय बारह प्रतिशत ब्याज दिलाये जाने हेतु अनुतोष की माँग किया है।
संक्षेप में परिवाद कथानक इस प्रकार है कि परिवादी कृषक है। खेती बाड़ी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है। परिवादी ने अपने खेत में आलू बोया था और आलू की खुदाई करने के उपरान्त 1459 पैकेट आलू (राजिन्दर RI) दिनांक 02.03.2021 को विपक्षी के आलू स्टोरेज में भविष्य को देखते सभी औपचारिकतायें पूर्ण करते हुये जमा किया। आलू बोने के सीजन के समय जब परिवादी को आलू के बीज की आवश्यकता हुई तब परिवादी दिनांक 30.10.2021 को विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज गया तो विपक्षी से आलू निकासी की बात हुई तो विपक्षी द्वारा गाली गलौज करते हुये जान से मारने की धमकी दी गई तथा बताया गया कि जितना भी आलू था बाजार का रेट 1250/-था उसको मैने परसो 28.10.2021 को बेच दिया। विपक्षी द्वारा यह भी बताया गया कि उक्त आलू 1459 पैकेट का बिक्री मूल्य रू0 18,23,750/-हुये। तब परिवादी ने कहा कि मेरी बिना अनुमति के आलू क्यों बेंचा तो परिवादी को बहुत भला बुरा करते हुये अभद्र व्यवहार किया। परिवादी को अपने 30 बीघे कच्चे खेत में आलू बोने हेतु 120 पैकेट रू0 1000/-की दर से क्रय करना पड़ा। विपक्षी से बात करने पर आज-कल का बहाना बनाते हुये टाल देते है। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से लीगल नोटिस दिनांक 23.12.2021 प्रेषित किया परन्तु न तो उसका उत्तर प्राप्त हुआ और न ही आलू का मूल्य। अतः परिवादी ने उपरोक्त अनुतोष हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी ने परिवाद के कथन के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।
परिवादी की तरफ से सूची दिनांक 10.01.2022 से लीगल नोटिस तथा उसे भेजने की रसीद, ट्रैक रिपोर्ट, आधार कार्ड, खतौनी तथा आलू रखने की तेरह रसीदों की छायाप्रति दाखिल किया है।
पर्याप्त अवसर दिये जाने पर भी विपक्षी की ओर से कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया। अतः विपक्षी के विरूद्व दिनांक 01.07.2022 को परिवाद एकपक्षीय रूप से अग्रसर हुआ।
परिवादी ने शपथपत्र साक्ष्य दाखिल किया है।
परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना तथा पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।
परिवादी द्वारा दाखिल सामयिक आलू प्राप्ति रसीद संख्या-1277 दिनांक 02.03.2021, 1810 दिनांक 05.03.2021, 1250 दिनांक 02.03.2021, 1805 दिनांक 05.03.2021, 1528 दिनांक 03.03.2021, 1531 दिनांक 03.03.2021, 1530 दिनांक 03.03.2021, 1272 दिनांक 02.03.2021, 1527 दिनांक 03.03.2021, 1839 दिनांक 05.03.2021, 1838 दिनांक 05.03.2021, 1280 दिनांक 02.03.2021 तथा 1279 दिनांक 02.03.2021 से स्पष्ट है कि कुल 1459 पैकेट आलू दिनांक 02.03.2021 से 05.03.2021 के मध्य विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में जमा किया था जिसका निर्धारित भंडारण शुल्क अदा किया था इस प्रकार यह सिद्व है कि परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
विपक्षी द्वारा दिनांक 07.01.2022 को परिवादी के रजिस्टर्ड लीगल नोटिस दिनांक 23.12.2021 के जवाब में इसकी पुष्टि करते हुये 1459 पैकेट आलू प्रतिष्ठान/कोल्ड स्टोरेज में जमा किया जाना स्वीकार किया है और कहा गया है कि नोटिस दिनांक 23.12.2021 के पैरा-3 में वर्णित 1459 पैकेट आलू मेरे मुवक्किल के प्रतिष्ठान में आपके मुवक्किल के नाम जमा किया जाना सही है। शेष वर्णित कथन बिलकुल निराधार, असत्य व भ्रामक तथ्यों पर आधारित होने के कारण आपको मुवकिकल, मेरे मुवक्किल से कुछ भी पाने का हकदार नहीं है। किन्तु उक्त रजिस्टर्ड जवाब नोटिस दिनांकित 07.01.2022 के प्रस्तर-2 में विपक्षी द्वारा यह कथन किया गया है कि ‘‘आपके मुवक्किल नोटिस देहन्दा उपरोक्त द्वारा आपको इस बात से अवगत नहीं कराया गया है कि आपके मुवक्किल ने अपने नाम वर्णित सम्पूर्ण आलू को मुश्ताक, निवासी ग्राम आल्हेमऊ, गुरसेल, जिला बाराबंकी द्वारा मेरे मुवक्किल के प्रतिष्ठान में आलू खरीद-बिक्री का कारोबार करने हेतु मेरे मुवक्किल से ली गयी रकम मु0 30,00,000/-की एवज में बतौर जमानत दिनांक 26.10.2021 को बन्धक कर दिया गया था। जिसकी बावत मुश्ताक अली द्वारा हस्ताक्षरित दिया गया उक्त आलू का बन्धक पत्र मेरे मुवक्किल के पास मौजूद है।‘‘ प्रस्तर-3 में कहा गया है कि ‘‘मुश्ताक अली ने कारोबार हेतु ली गयी उपरोक्त रकम जब मेरे मुवक्किल को वापस नहीं की तब मेरे मुवक्किल ने मुश्ताक अली द्वारा हस्ताक्षरित दिये गये बन्धक पत्र में वर्णित शर्तो के अनुसार उक्त आलू की बिक्री कर दी और आलू बिक्री से प्राप्त धनराशि को कारोबार हेतु दी गयी रकम में समायोजित कर लिया। उक्त आलू बिक्री की धनराशि कारोबार हेतु दी गयी धनराशि में समायोजित करने के बाद अभी भी मेरे मुवक्किल का काफी रूपया मो0 मुश्ताक के जिम्मे बाकी है जिसकी वसूली हेतु मेरा मुवकिकल कार्यवाही करने के लिए स्वतन्त्र है।‘‘
उपरोक्त जवाब से यह स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा किसी मुश्ताक निवासी ग्राम आल्हेमऊ, गुरसेल जिला-बाराबंकी के हक में परिवादी द्वारा विपक्षी से ली गई रकम तीस लाख के एवज में बतौर जमानत 1459 पैकेट आलू को दिनांक 26.10.2021 को बंधक कर दिया बताया है किन्तु इस संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। रजिस्टर्ड जवाब नोटिस में मात्र यह जिक्र किया गया है कि उक्त आलू का बंधक पत्र मेरे मुवक्किल के पास मौजूद है किन्तु उनके द्वारा न तो अपने रजिस्टर्ड जवाब नोटिस में बन्धक पत्र की प्रति संलग्न की गई है ना ही न्यायालय से नोटिस तामीला होने के बावजूद अपना कोई उत्तर अथवा साक्ष्य प्रस्तुत किया है। मुश्ताक अली न तो वर्तमान परिवाद में कोई पक्षकार है ना ही परिवादी मो0 इरफान के परिवार के दृष्टिगत होते है। परिवादी द्वारा खाता संख्या-00225 के बावत प्रस्तुत खतौनी फसली वर्ष 1425-1423 में भी किसी मुश्ताक का नाम दर्ज नहीं है। ऐसी दशा में परिवादी के 1459 पैकेट आलू की वापसी न करके अथवा परिवादी की सहमति के बिना उसके द्वारा कोल्ड स्टोरेज में रखें गये आलू की बिक्री करके विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गई है जिसकी क्षतिपूर्ति हेतु विपक्षी दायित्वाधीन है।
उपरोक्त विवेचन के आलोक में वर्तमान परिवाद एकपक्षीय आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद संख्या-19/2022 अंशतः एकपक्षीय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को आलू पैकेट की धनराशि रू0 18,23,750/- परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 11.01.2022 से अदायगी की तिथि तक 6% साधारण वार्षिक ब्याज सहित, मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति रू0 5,000/-तथा वाद व्यय रू0 2,000/- पैंतालिस दिन में अदा करेगें। पैतालिस दिवस में अनुपालन न करने की स्थिति में आदेशित धनराशि रू0 18,23,750/-पर अदायगी की तिथि तक 9% की दर से ब्याज देय होगा।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक को आयोग के अध्यक्ष एंव सदस्य द्वारा खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 11.04.2023
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