सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 1517/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, अमरोहा द्वारा परिवाद संख्या-51/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06-06-2016 के विरूद्ध)
1- एच0डी0एफ0सी0 स्टैण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंश कम्पनी लि0 द्वारा एम.डी. कारपोरेट एण्ड रजिस्टर्ड आफिस Lodha Excelus, 13 th floor, अपोलो मिल कम्पाउण्ड, एन.एम. जोशी मार्ग महालक्ष्मी मुम्बई 400011.
2- एच0डी0एफ0सी0 स्टैण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंश कम्पनी लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर, नियर महिला थाना, सिविल लाइन्स मुरादाबाद।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
जाकिर अहमद, पुत्र श्री रफीक सैफी, निवासी ग्राम ताजपुर, लहदवर पोस्ट कमेलपुर उर्फ इकबालपुल तहसील धनौरा जनपद अमरोहा।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री ए०के० पाण्डेय
दिनांक: 18-09-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 51 सन् 2015 जाकिर अहमद बनाम एच0डी0एफ0सी0 स्टैण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंश कम्पनी लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, अमरोहा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 06-06-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुये निम्न आदेश पारित किया है:-
" परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से 4000/- रू० वाद व्यय सहित इस आदेश के साथ स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी संख्या-1 परिवादी को बीमा धारक की मृत्यु के परिणाम स्वरूप बीमा क्लेम की धनराशि 6,17,930/- रू० (छ: लाख सत्रह हजार नौ सौ तीस मात्र) फोरम में परिवाद प्रस्तुत किये जाने के दिनांक 12-06-2015 से मय 08 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से अदायगी तक अदा करें एवं विपक्षी संख्या-1 परिवादी को मानसिक और शारीरिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति हेतु 3000/- रू० अदा करें। परिवाद विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध खारिज किया जाता है।
आदेश का अनुपालन 30 दिन के अन्दर सुनिश्चित किया जाए। "
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण एच0डी0एफ0सी0 स्टैण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंश कम्पनी लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ए०के० पाण्डेय उपस्थित आए हैं।
हमने प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसके पुत्र दिलशाद की जन्मतिथि दिनांक 04-06-1993 थी उसे
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दिलशाद अली के नाम से भी जाना जाता था। विपक्षीगण से प्रश्नगत पालिसी लेते समय उसकी आयु 20 वर्ष थी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण के इंश्योरेंश एडवाइजर सचिन देशवाल व उदय सिंह के अनुरोध पर पालिसी के बताए गए गुणों के आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी ने 29100/- नगद प्रीमियम का भुगतान कर प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र ने पालिसी प्राप्त की और अपना नामिनी प्रत्यर्थी/परिवादी को बनाया। उसकी पालिसी का नं० 16479881 था और वैधता अवधि 20 वर्ष थी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि दिनांक 14-04-2014 को उसके पुत्र दिलशाद अहमद की तबियत खराब होने के कारण घर पर मृत्यु हो गयी। तब उसने नामिनी की हैसियत से सभी आवश्यक प्रपत्रों के साथ इंश्योर्ड धनराशि 6,17,930/- रू० प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रत्र प्रस्तुत किया परन्तु अपीलार्थी/विपक्षीगण ने उसका बीमा दावा इस आधार पर निरस्त कर दिया कि प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र दिलशाद अहमद की मृत्यु दिनांक 14-04-2011 को हुयी है जबकि प्रश्नगत बीमा पालिसी दिनांक 14-04-2014 को ली गयी है। अत: यह पालिसी मृत व्यक्ति के नाम से ली गयी है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवाद पत्र में कथित बीमा पालिसी 20 वर्ष के लिए अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जारी की गयी थी और इस बीमा पालिसी में प्रत्यर्थी/परिवादी बीमा धारक, दिलशाद अहमद का नामिनी था। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि दिनांक
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11-02-2015 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 14-04-2014 को अपने पुत्र के मरने की सूचना दी तब अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने जांच कराया तो पाया गया कि उसके पुत्र की मृत्यु दिनांक 14-04-2011 को ही हो चुकी थी। पालिसी बीमा कम्पनी को धोखा देकर प्राप्त की गयी है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का क्लेम खारिज कर सेवा में कोई कमी नहीं की है।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त जिला फोरम ने यह निष्कर्ष अंकित किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी यह साबित करने में असफल रही है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र दिलशाद अहमद की मृत्यु दिनांक 14-04-2011 को हुयी है और प्रश्नगत पालिसी मृत व्यक्ति के नाम से ली गयी है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से आधार अपील में कहा गया है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है। कथित बीमा धारक की मृत्यु दिनांक 14-04-2011 को हो चुकी थी। अत: बीमा पालिसी मृत व्यक्ति के नाम से दिनांक 14-04-2014 को प्राप्त की गयी है। अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि यह साबित करने का भार प्रत्यर्थी/परिवादी पर है कि दिनांक 14-04-2014 को उसका पुत्र जीवित था जब यह पालिसी ली गयी थी। परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी यह साबित करने में असफल रहे हैं।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है। प्रत्यर्थी/परिवादी के
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विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि यह साबित करने का भार अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी पर है कि प्रश्नगत बीमा पालिसी मृत व्यक्ति के नाम से ली गयी है और बीमा पालिसी लेते समय बीमा धारक दिलशाद अहमद जीवित नहीं था। परन्तु यह साबित करने में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी पूर्णतया असफल रही है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
प्रश्नगत बीमा पालिसी प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र दिलशाद अली के नाम से जारी किया जाना अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को स्वीकार है। अत: यह साबित करने का भार अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी पर है कि बीमा पालिसी लेते समय प्रत्यर्थी/परिवादी का पुत्र दिलशाद अहमद जीवित नहीं था और यह पालिसी मृत व्यक्ति के नाम से ली गयी है। जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि जिला फोरम के समक्ष बीमा धारक दिलशाद अहमद का मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल किया गया है जिसमें उसकी मृत्यु की तिथि दिनांक 14-04-2014 अंकित है। मृत्यु प्रमाण पत्र में प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र का नाम मो0 दिलशाद अली अंकित है जबकि बीमा पालिसी में उसका नाम दिलशाद अहमद अंकित है। परन्तु ऐसा कोई साक्ष्य या अभिलेख अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से पत्रावली पर नहीं लाया गया है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि मोहम्मद दिलशाद अली, पुत्र जाकिर अहमद और दिलशाद अहमद पुत्र जाकिर अहमद दो अलग-अलग नाम के व्यक्ति हैं और प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र दिलशाद अहमद की मृत्यु दिनांक 14-04-2011 को हुयी है। मृत्यु की तिथि हेतु जन्म-मृत्यु रजिस्टर की प्रविष्टि महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। परन्तु
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अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने उसकी मृत्यु दिनांक 14-04-2011 को होना साबित करने हेतु मृत्यु पंजिका की कोई प्रति प्रस्तुत नहीं की है।
अत: सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करते के उपरान्त हम इस मत के हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी यह साबित करने में असफल रही है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र दिलशाद अहमद की मृत्यु दिनांक 14-04-2011 को हो चुकी थी और उसके मरने के बाद उसके नाम से प्रश्नगत बीमा पालिसी प्राप्त की गयी है।
सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो निष्कर्ष निकाला है कि बीमा कम्पनी मृतक व्यक्ति के नाम प्रश्नगत पालिसी प्राप्त किया जाना साबित नहीं कर सकी है वह साक्ष्य और विधि के अनुकूल है। जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि जिला फोरम ने प्रस्तुत साक्ष्यों की उचित और विधिक विवेचना के बाद यह निष्कर्ष निकाला है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर हम इस मत के हैं कि अपील बल रहित है। अत: अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01