Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2375

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Yunus Ali - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

08 Jun 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/2375
( Date of Filing : 21 Oct 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Central Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Yunus Ali
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Jun 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2375/2013

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कुशीनगर द्वारा परिवाद संख्‍या 107/2007 में पारित आदेश दिनांक 30.09.2013 के विरूद्ध)

सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, शाखा पडरौना, जनपद-कुशीनगर द्वारा मुख्‍य शाखा प्रबन्‍धक।

                                  ........................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

यूनुस अली पुत्र अली हसन, निवासी-बेलवा जंगल, अमननगर पडरौना, जिला-कुशीनगर।

                                     ...................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जफर अजीज,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 08.06.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, कुशीनगर द्वारा परिवाद संख्‍या-107/2007 युनुस अली बनाम सेंट्रल बैंक आफ इण्डिया में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.09.2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने निम्न आदेश पारित किया:-

''यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इस प्रकार अधिनिर्णित किया जाता है कि वह निर्णय तिथि के एक माह के अन्‍तर्गत परिवादी को क्षतिपूर्ति हेतु 100000.00रू0(एक लाख रू0) तथा वाद व्‍यय                हेतु2000.00 रू0 (दो हजार रू0) प्रदान करेंगें। इस अवधि में यह राशि न देने पर इसकी समाप्ति के पश्‍चात इस पर 10 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज कुल अदायगी तक विपक्षी द्वारा परिवादी को देय होगा।''

 

 

-2-

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख विगत लगभग 09 वर्षों से अधिक समय से लम्बित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता                    श्री जफर अजीज को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपनी बेरोजगारी दूर करने के लिए तथा अपने एवं अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए चार लाख कैश क्रेडिट लिमिट वर्ष 2006 में सीसी एकाउण्‍ट नं0-74 के द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से ऋण लिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा ऋण की राशि की अदायगी यथाशीघ्र किये जाने हेतु प्रयत्‍न किया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि दिनांक 30.01.2007 को पूर्वांचल में साम्‍प्रदायिक दंगा हुआ, जिसमें प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दुकान में कुछ साम्‍प्रदायिक तत्‍वों ने लूट पाट किया तथा शेष बचे सामानों को जला दिया, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 6,00,000/-रू0 का नुकसान हुआ। इस मध्‍य कर्फ्यू लगाया गया, जो दिनांक 03.02.2007 को समाप्‍त हुआ। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कर्फ्यू समाप्‍त होने पर स्‍थानीय थाने में घटना की सूचना दी गयी तथा दिनांक 06.02.2007 को अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को भी उक्‍त घटना के सम्‍बन्‍ध में सूचित किया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से निवेदन किया कि उक्‍त घटना की सूचना वे अविलम्‍ब बीमा कम्‍पनी को दे देवें तथा यह कि‍ अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को उक्‍त सूचना देने के पश्‍चात् प्रत्‍यर्थी/परिवादी को विश्‍वास था कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक उसे बीमा कम्‍पनी से बीमित धनराशि का भुगतान अविलम्‍ब करा देगा क्‍योंकि नियमानुसार ऋण खाते में यह व्‍यवस्‍था है कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक बीमा के प्रीमियम की धनराशि खातेदार के खाते में से निकाल कर बीमा कम्‍पनी को भेज देगी, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्रीमियम की धनराशि को डेविड नहीं किया गया तथा  न  ही  बीमा

 

 

-3-

कम्‍पनी को प्रीमियम की धनराशि प्रेषित की गयी। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दुकान का बीमा न कराकर बीमा लाभ से वंचित करने के लिए प्रीमियम की धनराशि बीमा कम्‍पनी में न भेजकर लापरवाही की गयी, अत: क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया और वांछित अनुतोष की मांग की।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र में लूट तथा आगजनी की घटना, कर्फ्यू लगाये जाने तथा साम्‍प्रदायिक दंगा होने को पूर्ण रूप से इंकार किया तथा सेन्‍ट व्‍यापारी स्‍कीम में व्‍यवसायिक ऋण प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्राप्‍त किये जाने के कारण जिला उपभोक्‍ता आयोग को क्षेत्राधिकार न होने का कथन किया।

अपीलार्थी/विपक्षी बैंक का कथन है कि अनुबंध के अनुसार दुकान का स्‍टाक व स्‍टाक बीमा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को स्‍वयं कराना था न कि बैंक को। बीमा कराने के बाद बीमा रसीद को प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बैंक में जमा करना चाहिए था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जानबूझकर प्रीमियम राशि बचाने के लिए बीमा नहीं कराया। किसी प्रकार की लूट पाट, आगजनी असामाजिक तत्‍वों द्वारा नहीं की गयी। बैंक को बीमा कराने हेतु बाध्‍य नहीं किया जा सकता है, अतएव इस आधार पर परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपनी दुकान का कोई बीमा नहीं कराया गया तथा बैंक के बार-बार कहने पर भी उसने बीमा प्रपत्र बैंक को उपलब्‍ध नहीं कराया तथा य‍ह कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी केवल मौखिक रूप से यह कहता रहा कि बीमा पॉलिसी मिलने पर प्रस्‍तुत कर देगा। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपनी दुकान का बीमा न कराना उसकी स्‍वयं की लापरवाही है तथा बैंक की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।

अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जानबूझकर पैसा बचाने के लिए अपनी दुकान का बीमा नहीं कराया तथा बैंक से झूठे वादे करता रहा।

अपीलार्थी/विपक्षी बैंक  के  विद्वान  अधिवक्‍ता  का  कथन  है  कि

 

 

-4-

अपीलार्थी/विपक्षी एक बैंकिंग कम्‍पनी है तथा यह कि उस पर कोई भी बीमा की किसी भी प्रकार की जिम्‍मेदारी नहीं डाली जा सकती। इस कारण जिला उपभोक्‍ता आयोग का निर्णय एवं आदेश विधिसम्‍मत नहीं है, जो निरस्‍त होने योग्‍य है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों एवं अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बैंक का पैसा वापस न करने की दूषित मानसिकता से परिवाद प्रस्‍तुत किया गया, अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्‍मत नहीं है, जो अपास्‍त किये जाने तथा प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, कुशीनगर द्वारा परिवाद संख्‍या-107/2007 युनुस अली बनाम सेंट्रल बैंक आफ इण्डिया में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.09.2013 अपास्‍त किया जाता है।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                         अध्‍यक्ष             

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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