(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1253/2017
1. एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, शिकोहाबाद, जिला फिरोजाबाद।
2. जूनियर इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, खण्ड सिरसागंज एरिया, जिला फिरोजाबाद।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम्
योगेन्द्र सिंह पुत्र सत्य प्रकाश, योगीराज होटल एण्ड रेस्टोरेंट, बाई पास रोड, रूधावली, तहसील शिकोहाबाद, जिला फिरोजाबाद।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री बृजेश तिवारी।
दिनांक: 25.11.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-188/2016, योगेन्द्र सिंह बनाम अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा पारित बहुमत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.05.2017 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। यह निर्णय एवं आदेश दो सदस्यों द्वारा पारित किया गया है, इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए आपत्तियां मांगने के पश्चात पुन: राजस्व का निर्धारण करने का आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष द्वारा अपने स्वतंत्र निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.05.2017 के अनुसार राजस्व निर्धारण के विरूद्ध उपभोक्ता परिवाद संधारणीय न मानते हुए खारिज किया गया है।
2. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेश तिवारी को सुना गया तथा प्रश्नगत बहुमत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
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3. स्वंय परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में उल्लेख किया है कि परिवादी ने व्यावसायिक विद्युत संयोजन ले रखा है और एक होटल प्रतिष्ठान चलाता है। यह उल्लेख इस तथ्य को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि परिवादी ने व्यापारिक उद्देश्य के लिए विद्युत संयोजन प्राप्त किया हुआ है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। फिर यह भी कि परिवादी के होटल पर विद्युत विभाग की एक टीम द्वारा विद्युत चोरी पायी गयी। विद्युत चोरी के कारण कर निर्धारण किया गया, इसलिए कर निर्धारण के विरूद्ध भी उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के दो गैर न्यायिक सदस्यों द्वारा इन दोनों विधिक बिन्दुओं पर कोई विचार नहीं किया गया और एक मनमाना निर्णय एवं आदेश पारित कर दिया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि इन दोनों गैर न्यायिक सदस्यों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की परियोज्यता तथा विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत विद्युत चोरी पाए जाने पर कर निर्धारण से संबंधित विधिक स्थिति का कोई ज्ञान नहीं है और अज्ञानतावश यह निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, जो अपास्त होने और अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित बहुमत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.05.2017 अपास्त किया जाता है तथा संधारणीय न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है।
अपीलार्थीगण द्वारा अपील प्रस्तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में अपीलार्थीगण को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2