Uttar Pradesh

StateCommission

A/285/2023

The Oriental Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Yogendra and others - Opp.Party(s)

Vashudev Mishra

04 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/285/2023
( Date of Filing : 16 Feb 2023 )
(Arisen out of Order Dated 10/11/2022 in Case No. C/2020/79 of District Hapur)
 
1. The Oriental Insurance Co. Ltd
Branch Office Upon the Building of Bank Of India Nehru Lane Hapur through B.M.
...........Appellant(s)
Versus
1. Yogendra and others
S/o Sri Chauhan Singh R/o Vill. Dholpur post Bhaina Dist. Hapur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Sep 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-285/2023

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, हापुड़ द्वारा परिवाद संख्‍या 79/2020 में पारित आदेश दिनांक 10.11.2022 के विरूद्ध)

दि ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ब्रांच आफिस: बैंक आफ इण्डिया बिल्डिंग के ऊपर, नेहरू लेन हापुड़, जिला-हापुड़ द्वारा ब्रांच मैनेजर

                .....................अपीलार्थी/विपक्षी सं02

बनाम

1. योगेन्‍द्र, पुत्र श्री चमन सिंह, ग्राम: ढोलपुर, पोस्‍ट-भैना, तहसील-गढमुक्‍तेश्‍वर, जिला-हापुड़

2. उ0प्र0 सरकार द्वारा जिलाधिकारी, हापुड़, कलैक्‍ट्रेट कैम्‍पस, जिला हापुड़

............प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी सं01

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वासुदेव मिश्रा,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री विनीत कुमार,  

                                      विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 04.09.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता                    आयोग, हापुड़ द्वारा परिवाद संख्‍या-79/2020 योगेन्‍द्र बनाम उ0प्र0 सरकार द्वारा जिलाधिकारी व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.11.2022 के विरूद्ध योजित की गयी।

अपील की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री वासुदेव मिश्रा एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री विनीत

 

 

 

-2-

कुमार को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली  पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी का भाई राहुल जो कि ग्राम ढोलपुर तहसील गढ़मुक्तेश्‍वर में स्थित कृषि भूमि खाता संख्या 088 के खसरा  संख्या 199 व 215 का सहखातेदार था उक्त भूमि को जोतता व बोता था। राहुल अभी अविवाहित था तथा मृतक राहुल के अतिरिक्त परिवादी के 3 विवाहित भाई भी हैं।

परिवादी के भाई राहुल की दिनांक 30.06.2018 को सडक दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जिसकी रिपोर्ट थाना गजरौला जिला ज्योति फूले नगर (अमरोहा) में मुकदमा अपराध संख्या 424/2018 पर दर्ज करायी गयी। परिवादी के भाई की मृत्यु के उपरान्‍त उसका पंचनामा एवं पोस्ट मार्टम किया गया। परिवादी द्वारा अपने भाई की मृत्यु के उपरान्त मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अन्तर्गत 5,00,000/-रू0 मुआवजा हेतु दावा प्रपत्र समस्त शर्तों को पूरा करते हुए तहसीलदार गढ़मुक्तेश्‍वर के समक्ष नियत समय से पूर्व जमा किया गया। दावा प्रपत्र जमा होने के विपक्षी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी द्वारा जांच कराई गई, जिसमें परिवादी द्वारा जांचकर्ता द्वारा मांगे गए समस्त कागजात उलब्‍ध कराए गए।

विपक्षी संख्या-2 बीमा कम्पनी के द्वारा यह कहते हुए बीमा दावा निरस्‍त कर दिया गया कि मृतक राहुल परिवार के मुखिया व रोटी अर्जक नहीं थे तथा वे अपनी पिता की अविवाहित सन्तान थे उक्त दावा देय नहीं है। बीमा कम्‍पनी द्वारा किसान बीमा दुर्घटना योजना के नियमों व शर्तों के विपरीत जाकर परिवादी का दावा निरस्त किया गया, जबकि परिवादी मृतक राहुल का वैध व कानूनी वारिस है।

परिवादी द्वारा दिनांक 21.01.2019 को  अपने  अधिवक्ता  के

 

 

 

 

 

-3-

माध्यम से विपक्षीगण को अलग-अलग विधिक नोटिस प्रेषित किया गया, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से लिखित कथन दाखिल किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी अपने मृतक भाई राहुल का कानूनी व वैध वारिस नहीं है। परिवादी का क्लेम विपक्षी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी के द्वारा निरस्त किया गया है। क्षतिपूर्ति/क्लेम की कोई धनराशि विपक्षी संख्‍या-1 के द्वारा परिवादी को अदा नहीं की जा सकती है। परिवादी व विपक्षी संख्या-1 के मध्य उपभोक्ता का सम्बन्ध नहीं है क्योंकि विपक्षी संख्या-1 के द्वारा परिवादी के मृतक भाई की पॉलिसी कल्याणकारी योजना के अन्तर्गत की गई थी।

परिवादी को विपक्षी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी द्वारा क्लेम अस्वीकृत किये जाने की दशा में जिलाधिकारी हापुड की अध्यक्षता में गठित समिति के समय शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी, परन्‍तु परिवादी द्वारा जिलाधिकारी हापुड के समक्ष कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी गयी, जिस कारण परिवाद जिला फोरम में पोषणीय नहीं है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। जिला फोरम को परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादी या परिवादी के परिवार के द्वारा कोई प्रीमियम की धनराशि जमा नहीं की गई है, जिस कारण परिवाद योजित करने का परिवादी को अधिकार प्राप्त नहीं है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी की ओर से लिखित कथन दाखिल किया गया तथा मुख्‍य  रूप से यह कथन किया गया कि  विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा  बीमा

 

 

 

 

 

-4-

दावा पॉलिसी की नियम व शर्तों के अनुसार नो क्लेम किया है। मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना विपक्षी बीमा कम्पनी एवं उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के मध्य एक अनुबन्ध के तहत विशिष्ट अवधि के लिए बीमा पॉलिसी की नियम व शर्तों के अनुसार ही लागू थी।

विपक्षी बीमा कम्‍पनी के जांच अधिकारी के द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट व अन्य प्रपत्रों के  परिशीलन के उपरान्‍त विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा मृतक राहुल के परिवार का मुखिया न होने व अविवाहित होने व परिवार का मुख्य अर्जनकर्ता न होने के कारण बीमा पॉलिसी में वर्णित शर्तों के अनुरूप न होने के कारण ही बीमा क्‍लेम नियमानुसार नो क्लेम किया गया है। परिवाद जिला आयोग हापुड में चलने योग्य नहीं है। विपक्षी बीमा कम्पनी के द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद निरस्त करने की मांग करते है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में उल्लिखित किया गया कि पॉलिसी से सम्बन्धित अनुबन्ध में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति खतौनी में सहखातेदार कृषक के रूप मे दर्ज है तो वह कृषक माना जायेगा और उसकी दुर्घटना में मृत्यु होने पर उसके वारिस/मुखिया/ रोटी अर्जक पॉंच लाख रूपये बतौर क्लेम प्राप्त करने के अधिकारी होंगे। यदि व्यक्ति कृषक नहीं है तो परिवार का मुखिया हो या रोटी अर्जक हो तभी बीमा पॉलिसी की योजना में कवर होता है। प्रस्तुत मामले में मृतक राहुल सहखातेदार के रूप में उ.प्र. की स्थित भूमि का कृषक है, इसलिए इस मामले में मुखिया या रोटी अर्जक देखना प्रासंगिक नहीं है। इस योजना में विवाहित या अविवाहित सभी व्यक्तियों को शामिल किया गया है। विपक्षी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी द्वारा ऐसी  किसी  शर्त  का  उल्लेख  नहीं  किया  गया,  जिसमें

 

 

 

 

-5-

अविवाहित व्यक्ति उक्त बीमा योजना में कवर न होता हो इस सम्बन्ध में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया। विपक्षी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी द्वारा कहा गया कि बीमा कम्पनी ने परिवादी के क्लेम की जांच हेतु श्री एस.के. अग्रवाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था और उनके द्वारा जांचकर अपनी आख्या बीमा कम्पनी में दिनांक 18.09.2018 को दाखिल की गयी थी, परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा जांच आख्या जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख साक्ष्य के रूप में दाखिल नहीं की गयी।

तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पाया गया कि राहुल की मृत्यु दुर्घटना में होने व उसके 25 वर्ष की आयु प्राप्त करने तथा उ.प्र. का निवासी होने व ढोलपुर (पूठ) ग्राम की खतौनी में सहखातेदार कृषक होने के कारण उक्त योजना के अन्तर्गत पॉंच लाख रूपया उसके वारिस प्राप्त करने के अधिकारी हैं। इस प्रकार विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम नियम विरूद्ध खारिज किया गया।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने निर्णय में निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित किए गए:-

''वारिश की परिभाषा हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 2 (च) के अनुसार ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है चाहे वह पुरूष हो या नारी जो निर्वसीयत की सम्पति का उत्तराधिकारी होने का इस अधिनियम के अधीन हकदार है। हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 की धारा 8 में पुरुष की दशा में उत्तराधिकार के साधारण नियम दिये गये है।

(क) प्रथमतः उन वारिसो को जो अनुसूची के वर्ग 1 में विनिर्दिष्ट सम्बन्धी है।

(ख) द्वितीयतः यदि वर्ग 1 में वारिस न हो तो उन वासियों को जो अनुसूची के वर्ग 2 में विनिर्दिष्ट सम्बन्धी है।

(ग) अनुसूची में वर्ग 1 मे वारिस सम्बन्धियों की सूची देखी तो स्पष्ट हुआ कि उक्त वर्ग में मृतक राहुल का  कोई  वारिस/सम्बन्धी

 

 

 

 

-6-

नहीं है। तदोपरान्त वर्ग 2 का अवलोकन किया गया तो पाया कि उसमें क्रम से 2 में भाई व बहिन उपलब्ध है। धारा 9 यह प्रावधित करता है कि अनुसूची में के वारिसो के उत्तराधिकार का क्रम क्या होगा। प्रस्तुत मामला वर्ग 2 के क्रम में उत्तराधिकार का निर्धारण किया जाता है। वर्ग 2 में पहली प्रविष्ठि में के वारिसों को दूसरी प्रविष्ठि में के वारिसों की अपेक्षा अधिमान प्राप्त होगा। वर्ग 2 की प्रविष्ठि क्रम स. 2 में भाई है तथा बहन है तो नियम अनुसार प्रविष्ठि 2 के वारिसों में सम्पत्ति ऐसे विभाजित की जायेगी कि उन्हे बराबर अंश मिले। ऐसी दशा में मृतक राहुल के भाई दिनेश, मुकेश, राजीव, सोनू उर्फ योगेन्द्र सिंह (परिवादी) व बहन प्रभा पुत्री स्व० चमन सिंह तथा लोकेश उर्फ गुडडन पुत्री स्व० चमन सिंह मृतक राहुल के मुख्यमंत्री किसान बीमा योजना के अन्तर्गत क्लेम मय ब्याज पाने के अधिकारी है। तथा परिवादी मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी द्वारा अन्य भाइयों व बहनो का कोई सहमति पत्र क्लेम प्राप्त करने हेतु दाखिल नहीं किया है। उक्त विश्‍लेषण के आधार पर इस निष्‍कर्ष पर पहुँचा जाता है कि मृतक राहुल उ.प्र. का कृषक व निवासी होने तथा पॉलिसी के नियम व शर्तों के अनुरूप आयु प्राप्त होने तथा दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के कारण मुख्यमंत्री किसान सर्वहित बीमा योजना के अन्तर्गत उसके वारिस क्लेम प्राप्त करने के अधिकारी है। तथा विपक्षी कम्पनी द्वारा परिवादी के क्लेम को नो क्लेम करना परिवादी के पक्ष में सेवा में कमी की परिधि में आता है, परिवादी को वाद हेतुक प्राप्त है, परिवाद पोषणीय है।''

तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

'' परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी सं. 2 के विरूद्व स्वीकार किया जाता है और विपक्षी कम्पनी. दि ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि० शाखा कार्यालय हापुड को निर्देश दिया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर मृतक राहुल के दुर्घटना में हुई मृत्यु के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री किसान सर्वहित बीमा योजना के अन्तर्गत  क्लेम  धनराशि  500000/-रू०  (पाँच

 

 

 

-7-

लाख रू०) और इस राशि पर नो क्लेम करने की तिथि 27.09.2018 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत ब्याज की दर से ब्याज सहित कुल धनराशि में से बराबर बराबर धनराशि विभाजित  कर परिवादी व उसके भाई दिनेश पुत्र स्व. चमन सिंह, मुकेश पुत्र स्व० चमन सिंह, राजीव पुत्र स्व. चमन सिंह निवासीगण ग्राम ढोलपुर पूठ तहसील गढ़मुक्तेश्‍वर जिला हापुड व बहन प्रभा पुत्री स्व०चमन सिंह व लोकेश उर्फ गुडडन पुत्री स्व० श्री चमन सिंह प्रत्येक को अदा करें तथा इसके अतिरिक्त मानसिक क्षतिपूर्ति रू० 5000/- तथा वाद व्यय 3000/रू० विपक्षी बीमा कम्पनी केवल परिवादी को अदा करें। उक्त धनराशि विपक्षी बीमा कम्‍पनी नियत अवधि में भुगतान करने में असफल रहती है तो  भुगतान प्राप्तकर्ता विधिक प्रक्रिया के माध्यम से उक्त धनराशि प्राप्त करने के अधिकारी होगे।''

     उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्वय को सुनने तथा समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता

आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता   आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार समस्‍त तथ्‍यों को विस्‍तार से उल्लिखित करते हुए निर्णय पारित किया, जिसमें मेरे विचार से हस्‍तक्षेप हेतु पर्याप्‍त आधार नहीं हैं।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश

 

 

 

-8-

को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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