सुरक्षित।
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1540/1996
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या-682/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-08-1996 के विरूद्ध)
- मनवीर सिंह एडवोकेट पुत्र श्री छिद्दा सिंह निवासी-185 राधा नगर, बुलन्दशहर।
- श्रीमती राज कुमारी पत्नी श्री मनवीर सिंह एडवोकेट निवासी-185 राधा नगर, बुलन्दशहर।
अपीलार्थी/परिवादीगण
बनाम्
डाक्टर यशवन्त सिंह सर्जन नाक, कान, गला विशेषज्ञ बाबू बनारसी दास राजकीय चिकित्सालय बुलन्दशहर।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष :-
1- मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - श्री टी0एच0 नकवी।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 09-01-2015
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलाथी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या-682/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-08-1996 के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें निम्न आदेश पारित किया गया –
'' प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है। उभयपक्ष इस परिवाद की परिस्थितियों में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें, से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी संख्या-1 ने अपनी पत्नी को हुए जुखाम के इलाज हेतु दो अगस्त, 1994 को बाबू बनारसी दास जिला राजकीय चिकित्सालय बुलन्दशहर में विपक्षी डाक्टर यशवन्त सिंह के पास ले गये। विपक्षी ने परिवादी सं0-2 का परीक्षण करने के बाद कहा कि परिवादीगण विपक्षी के निवास पर आये क्योंकि यहॉं पर अच्छी तरह जॉंच नहीं हो पायेगी। दिनांक 06-08-1994 को परिवादीगण विपक्षी के निवास स्थान पर अन्य मरीजों को देख रहा है विपक्षी ने परिवादी संख्या-2 का
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परीक्षण 50/-रू0 फीस लेकर किया और बताया कि परिवादी संख्या-2 को एलर्जी है, पॉंच हफ्ते इलाज चलेगा तथा विपक्षी ने परिवादी संख्या-2 के लिए तीन दिन की दवाईं लिख दी वह दवा भी विपक्षी संख्या-2 ने एक व्यक्ति से अपने घर पर ही परिवादीगण को दिलायी और 100/-रू0 दवा का मूल्य परिवादीगण से लिया इसके बाद परिवादीगण पुन: दिनांक 09-08-1994, 12-08-1994 को गये और विपक्षी की दवा का उपयोग करते रहे। दिनांक 15-08-1994 को परिवादी संख्या-2 ने अपने जुकाम में कोई आराम न होने की बात डाक्टर को बतायी इस पर विपक्षी ने जॉंच करके बाद में परिवादी संख्या-2 को बताया कि तुम्हारी नाक में मांस बढ़ गया है वह जलाया जायेगा जिसके लिए आपको 8 दिन तक लगातार आना पड़ेगा और इस कार्य के लिए विपक्षी की फीस 1000/-रू0 होगी। मजबूरन परिवादी संख्या-1 ने उक्त कार्य हेतु डाक्टर को 1000/-रू0 फीस देकर परिवादी सं0-2 का इलाज विपक्षी से जारी रखा। विपक्षी ने परिवादी संख्या-2 के नाक के नथनों में विघुत यंत्र से जलाया जिससे परिवादी संख्या-2 को भारी पीड़ा हुई और 200/-रू0 की परिवादीगण को दवाईं दी। 8 दिन तक विपक्षी द्वारा परिवादी संख्या-2 की नाक जलाने पर भी कोई विशेष आराम परिवादी संख्या-2 को नहीं हुआ। इस प्रकार विपक्षी के आश्वासन पर दिनांक 28-10-1994 तक परिवादी संख्या-2 का निरन्तर विपक्षी से इलाज करने पर भी जब परिवादी संख्या-2 को कोई आराम नहीं हुआ तो परेशान होकर परिवादी संख्या-2 को दूसरे नाक, कान गला रोग विशेष सर्जन डा0 मेजर पी0सी0 चौहान से परीक्षण कराया जिन्होंने परिवादी संख्या-2 को मामूली सी दवा लिखी और 15 दिन के मामूली उपचार से ही परिवादी संख्या-2 की उक्त तकलीफ ठीक हो गयी इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादीगण से राजकीय चिकित्सालय में परिवादीसंख्या-2 की जॉंच एवं परीक्षण न करके अपने निवास स्थान पर इलाज करके परिवादीगण से अवैध धन प्राप्त किया है और गलत इलाज करके परिवादीगण को आर्थिक हानि एवं शारीरिक कष्ट पहुँचाया है जिसके लिए विपक्षी उत्तरदायी है। उक्त आधार पर परिवादीगण ने विपक्षी से 6050/-रू0 खरचा फीस एवं इलाज एवं 35000/-रू0 क्षतिपूर्ति धनराशि स्वरूप विपक्षी से दिलाये जाने के अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है।
विपक्षी ने प्रस्तुत परिवाद का लिखित विरोध किया है। विपक्षी की ओर से कहा गया कि इस परिवाद की समस्त धाराऍं जिस प्रकार से तहरीर की गयी है गलत है, कानून के विरूद्ध है तथा स्वीकार नहीं है। विपक्षी की ओर से आगे कहा गया है कि विपक्षी सरकारी डाक्टर के पद पर जिला राजकीय चिकित्सालय बुलन्दशहर में कार्यरत डाक्टर है। उक्त अस्पताल में
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मरीजों से कोई फीस नहीं ली जाती है। विपक्षी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करता है। विपक्षी जिला अस्पताल में अपनी ड्यूटी के समय भी राजकीय कर्मचारियों/अधिकारियों का उनके निर्वहन पर नि:शुल्क इलाज करते है और दवा लिखकर दे देता है। परिवादी सं0-1 गर्वन्मेंट एडवोकेट सिविल है तथा जिला अस्पताल में कार्यरत सरकारी डाक्टर, सहदेव के मित्र हैं। डा0 सहदेव के ही माध्यम से तो परिवादी संख्या-1 के सरकारी वकील होने के आधार पर परिवादी संख्या-1 का विपक्षी के यहॉं आना जाना, मेल हुआ। परिवादी संख्या-1 सदैव विपक्षी का मित्र होने का दावा करता रहा है। परिवादी संख्या-1 सरकारी वकील/राजकीय कर्मचारी है और उसी आधार पर परिवादीगण बिना आउटडोर टिकिट (पर्चा) अस्पताल के विपक्षी के पास आये और परिवादी संख्या-1 के निजी अनुरोध पर विपक्षी ने परिवादी संख्या-2 का परिक्षण करके उनका बिना कोई शुल्क लिये दवा लेकर दी। उस समय कागज उपलब्ध नहींथा अत: विपक्षी ने अपने लैटरपैड पर उनकोदवा लिखकर दे दी। विपक्षी ने कोई प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं की है। विपक्षी सरकारी डाक्टर है मरीजो का मुफ्त इलाज करता है अत: परिवादीगण विपक्षी के उपभोक्ता नहीं है और प्रस्तुत परिवाद इस फोरम के समक्ष कानूनन पोषणीय नहीं है। परिवादी संख्या-1 अपने सरकारी वकील होने तथा कथित तौर पर विपक्षी का मित्र होने का नाजायज फायदा, उठाते हुए बिना पर्चा बनाये अस्पताल बंद होने के समय विपक्षी के यहॉं आते थे और कचहरी में देर हो जाने का कारण बताकर दवा लिखकर ले जाते थे। ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी संख्या-1 विपक्षी से किन्हीं व्यक्तिगत कारणों से नाराज होने तथा विपक्षी को परेशान एवं ब्लैकमेल करने के इरादे से यह निराधार परिवाद असत्य कथन के साथ योजित कर दिया है। विपक्षी द्वारा परिवादी संख्या-2 को लिखी गयी दवाऍं किसी भी दशा में 500/-रू0 से अधिक कीमत की नहीं है। विपक्षी ने परिवादीगण से कोई फीस उक्त दवाओं के लिखाने या इलाज के लिए कभी प्राप्त नहीं की है जहॉं तक इस परिवाद में विपक्षी के घर पर मरीजों को देखने एवं इलाज करने का मुद्दा उठाया गया है वह निराधार है वैसे भी परिवादीगण को उक्त आधार पर प्रस्तुत परिवाद योजित करने का कोई अधिकार किसी भी प्रकार का प्राप्त नहीं है। प्रस्तुत परिवाद प्रिवलस एवं सिक्योशियस है तथा सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
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हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा पत्रावली एवं विद्धान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय का परिशीलन किया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला मंच द्वारा जो निर्णय किया गया है वह विधि अनुसार नहीं किया गया है अत: अपील स्वीकार की जाए।
पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि अपीलार्थी/परिवादीगण द्वारा यह स्वीकृत है कि डा0 मेजर सी0पी0 चौहान द्वारा दी गयी दवाओं से अपीलार्थी/परिवादी सं0-2 की नाक का रोग दूर हो गया जबकि वही दवायें विपक्षी/प्रत्यर्थी ने अपीलार्थी/परिवादी संख्या-2 के इलाज हेतु लिखी। परिवादीगण/अपीलार्थीगण की ओर से यह तर्क भी दिया गया कि विपक्षी/प्रत्यर्थी ने परिवादी संख्या-2 की नाक का मॉस बिजली से अपने घर पर जलाया जिससे अपीलार्थी ने परिवादी संख्या-2 को भारी कष्ट हुआ और उसके जुकाम के रोग में कोई फायदा नहीं हुआ। विपक्षी/प्रत्यर्थी द्वारा नाक का गोश्त जलाने की सलाह देने पर परिवादीगण ने जो कि पढ़े-लिखे उच्च वर्ग के व्यक्ति है ने किसी अन्य डाक्टर से सलाह लेने के संबंध में कोई उल्लेख अपने शपथ पत्र में नहीं किया है। इस संबंध में विपक्षी/प्रत्यर्थी का कथन है कि नाक का मॉंस नाक को सुन्न करने के बाद आपरेशन थियेटर में ही जलाया जाना सम्भव है बाहर नहीं क्योंकि उक्त भाग को सुन्न करने की प्रक्रिया का आपरेशन थियेटर के बाहर रियेक्शन करना घातक होना भी पाया जाता है। वास्तव में प्रत्यर्थी/विपक्षी ने परिवादी संख्या-2 अपीलार्थी की नाक का गोस्त कभी नहीं जलाया कि यह कथन अपीलार्थी/परिवादीगण नितान्त असत्य एवं निराधार है विपक्षी/प्रत्यर्थी के इस कथन की पुष्टि डॉ0 मेजर पी0सी0 चौहान के पर्ची से होती है क्योंकि डा0 पी0सी0 चौहान ने उक्त पर्चें में परिवादी संख्या-2 की नाक के मॉंस को जलाये जाने अथवा उसका कोई निशान अथवा सिम्टर्म होने का कोई उल्लेख अपने उक्त पर्चें में नहीं किया। इसके अलावा विपक्षी एक सरकारी डाक्टर है जो सरकारी अस्पताल में बिना फीस लिए नि:शुल्क इलाज करता है व दवा लिखता है। अपीलार्थी/परिवादीगण ने कोई ऐसा प्रमाण भी दाखिलनहीं किया है कि विपक्षी/प्रत्यर्थी ने परिवादीगण/अपीलार्थीगण से फीस लेकर इलाज किया है। प्रत्यर्थी/विपक्षी ने नि:शुल्क दवा लिखकर कोई सेवा में कमी नहीं की है तथा जिला मंच ने विधि अनुसार आदेश पारित किया है उसमें कोई त्रुटि नहीं है। तद्नुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
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आदेश
अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद संख्या-682/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31-08-1996 की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्ययभार स्वयं वहन करेंगे।
( जितेन्द्र नाथ सिन्हा ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-4 प्रदीप मिश्रा