Uttar Pradesh

StateCommission

RP/110/2016

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Yashwant Singh - Opp.Party(s)

Abhaya Kumar

14 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/110/2016
( Date of Filing : 16 Aug 2016 )
(Arisen out of Order Dated 19/12/2011 in Case No. C/539/2011 of District Lucknow-II)
 
1. Allahabad Bank
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Yashwant Singh
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Jul 2022
Final Order / Judgement

                                                    (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                                          पुनरीक्षण संख्‍या- 110/2016

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्धितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या- 539/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19-12-2011 एवं 27-02-2012 के विरूद्ध)

 

1- इण्डियन बैंक, हजरतगंज लखनऊ द्वारा चीफ मैनेजर/अर्थराइज्‍ड आफीसर।

2- इण्डियन बैंक, केसरबाग ब्रांच लखनऊ द्वारा सीनियर मैनेजर।

3- इण्डियन बैंक, हेड आफिस  254-260 Avvai shawargham Royapethah Chennai द्वारा मैनेजर।

                                                                                       पुनरीक्षणकर्ता

                              बनाम 

1- दि डिस्ट्रिक कन्‍ज्‍युमर डिस्‍प्‍युट रिड्रेसल फोरम।।, लखनऊ।

2- यसवंत सिंह पुत्र श्री पुतान सिंह, निवासी 4/585, विनय खण्‍ड गोमती नगर लखनऊ।

                                                                              प्रतिउत्‍तरदाता

मक्ष:-  

 माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

 माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

 

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं

विपक्षी सं०1 की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं

विपक्षी सं०2 की ओर से उपस्थित:  विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनूप कुमार मिश्रा

 

दिनांक.  28-07-2022

 

माननीय सदस्‍य श्री राजेन्‍द्र सिंह, द्वारा उदघोषित

                                                                                                 निर्णय

     प्रस्‍तुत पुनरीक्षण याचिका पुनरीक्षणकर्ता द्वारा अन्‍तर्गत धारा-17 (बी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद संख्‍या– 539 सन् 2011 में पारित आदेश दिनांक- 19-12-2011 एवं 27-02-2012 के विरूद्ध राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

        

2

     संक्षेप में पुनरीक्षण के आधार इस प्रकार हैं कि विद्वान जिला आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार से परे जाकर अन्‍तरिम निषेधाज्ञा का आदेश दिया है। प्रश्‍गनत आदेश दिनांक 19-12-2011 एवं 27-02-2012 अवैधानिक, मनमाना और क्षेत्राधिकार से परे है। विद्वान जिला आयोग को कोई विधिक अधिकार नहीं है कि वह धारा-34 सर्फेशी एक्‍ट के अन्‍तर्गत कार्यवाही करे। धारा-34 सर्फेशी अधिनियम 2002 कहता है कि दीवानी न्‍यायालय को इस सम्‍बन्‍ध में कोई क्षेत्राधिकार नहीं है और न ही निषेधाज्ञा किसी न्‍यायालय द्वारा जारी की जा सकती है। अत: इस सम्‍बन्‍ध में प्रश्‍नगत आदेश जो विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित किया गया है, अपास्‍त होने योग्‍य है।

         उक्‍त आदेश राज्‍य की नीतियों के विरूद्ध है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 उपभोक्‍ता नहीं है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 ने परिवाद के माध्‍यम से बैंक को यह आदेश देने के लिए कहा कि वे किसी कि सम्‍पत्ति के सम्‍बन्‍ध में विक्रय प्रलेख निष्‍पादित करें जो नीलामी के माध्‍यम से विक्रय किया गया था और जिस पर प्रत्‍यर्थी ने अपनी बोली 16.50 लाख के लिए लगायी तथा 4.15 लाख रूपये जमा किया जो बोली का 25 प्रतिशत जमा किया गया लेकिन शेष धनराशि निर्धारित समय 15 दिन के अन्‍दर जमा करने में असफल रहे। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा इस मामले में अनुतोष नहीं दिया जा सकता है। अत: माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग, द्धितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या– 539/2011 में पारित आदेश दिनांक        19-12-2011 एवं 27-02-2012 को अपास्‍त कर वर्तमान पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार की जाए।

      

 

3

   सुनवाई के समय पुनरीक्षणकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से कोई उपस्थित हुआ। विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनूप कुमार मिश्रा उपस्थित हुए।

       हमने विपक्षी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया।

     वर्तमान मामले में मुख्‍य विवाद इस बात का है कि नीलामी के समय बोली की धनराशि का 25 प्रतिशत जमा कर दिया गया है और शेष धनराशि को 15 दिन के अन्‍दर जमा करने के लिए कहा गया था लेकिन उसे जमा नहीं किया गया। सर्वप्रथम हमने नीलामी के अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रकाशित विज्ञप्ति में यह लिखा हुआ है कि सफल बोली लगाने वाले को बिल की धनराशि का 25 प्रतिशत तुरन्‍त जमा करना होगा तथा शेष धनराशि 15 दिन के अन्‍दर जमा करना होगा। अधिकृत अधिकारी को यह अधिकार है कि वह बिना नोटिस दिये समस्‍त जमा धनराशि जब्‍त कर ले। इसी के आलोक्‍य में प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 19-12-2011 का अवलोकन किया गया । परिवादी का कथन है कि शेष धनराशि वह बैंक से ऋण लेकर जमा करता। जब धनराशि पूरी जमा नहीं की गयी तब विक्रय प्रलेख निष्‍पादित करने का प्रश्‍न ही नहीं उठता है। बैंक के आपसी संव्‍यहार से विद्वान जिला आयोग का कोई सम्‍बन्‍ध नहीं था। यदि बिल जमा करने वाला नियम का अनुपालन करने में असफल रहा है तब वह अनुतोष नहीं पा सकता है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 19-12-2011 अपास्‍त होने योग्‍य है। जहॉं तक आदेश दिनांक 27-02-2012 का सम्‍बन्‍ध है  जिसमें कहा गया है कि एक बार जिस बिन्‍दु पर अंतिम रूप से फोरम द्वारा आदेश पारित कर दिया गया है, पुन:विपक्षी द्वारा दिये गये आवेदन पर उन्‍हीं बिन्‍दुओं का पुर्नविलोकन करना

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फोरम के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। इसलिए उक्‍त आदेश पारित करते हुए विपक्षी के आवेदन को खारिज किया गया है क्‍योंकि विद्वान जिला आयोग को पुर्नविलोकन का अधिकार प्राप्‍त नहीं है। इस प्रकार वर्तमान मामले में प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 19-12-2011 अपास्‍त होने योग्‍य है एवं आदेश दिनांक       27-02-2012 की पुष्टि किये जाने योग्‍य है तदनुसार वर्तमान पुनरीक्षण याचिका निस्‍तारित की जाती है।

आदेश

 प्रस्‍तुत पुनरीक्षण याचिका आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍गनत निर्णय एवं आदेश दिनांक     19-12-2011 को अपास्‍त किया जाता है तथा आदेश दिनांक 27-02-2012  की पुष्टि की जाती है। विद्वान जिला आयोग इस निष्‍कर्ष के आलोक्‍य में पुन: उभय-पक्ष को सुनवाई का अवसर देते हुए अन्‍तरिम निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र पर विचार करते हुए आदेश पारित करें।

उभय-पक्ष विद्वान जिला आयोग के समक्ष दिनांक 08-09-2022 को उपस्थित हों। इस आदेश की प्रति विद्वान जिला आयोग को प्रेषित की जाए।

    आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(विकास सक्‍सेना)                              (राजेन्‍द्र सिंह)

   सदस्‍य                                             सदस्‍य

    निर्णय आज दिनांक- 28-07-2022 को खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित/दिनां‍कित होकर उद्घोषित किया गया।

 

(विकास सक्‍सेना)                                               (राजेन्‍द्र सिंह)            

     सदस्‍य                                                             सदस्‍य

            कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट-2.

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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