राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-349/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, मुजफ्फरनगर द्धारा परिवाद सं0-13/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.12.2021 के विरूद्ध)
पंजाब नेशनल बैंक, शाखा जानसठ, जिला मुजफ्फरनगर द्वारा ब्रांच मैनेजर
........... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
यशपाल सिंह पुत्र श्री इच्छाराम, निवासी ग्राम ढांसरी, तहसील जानसठ, जिला मुजफ्फरनगर, वर्तमान पता मोहल्ला उत्तरी हुसैनपुर, आदर्श कालोनी, निकट स्टेट बैंक आफ इण्डिया जानसठ, जिला मुजफ्फरनगर।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री एस0एम0 बाजपेई
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री आर0डी0 क्रान्ति
दिनांक :- 19.12.2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद सं0-13/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.12.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से दो एफ0डी0आर0 बनवायी गई थी, जिसमें पहली एफ0डी0आर0 खाता सं0 पी0आर0 892, शाखा क्रमांक 3721 व ग्राहक आई0डी0 संख्या-654622691 व एफ0डी0आर0 संख्या- टी0एफ0क्यू0 751044 थी, जो रू0 65,000.00 की थी व दूसरी एफ0डी0आर0 संख्या टी0एफ0क्यू0 751045 थी जो एक लाख रूपये की थी। उक्त दोनों एफ0डी0आर0 बनवाने में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी विपक्षी बैंक में रू0 1,65,000.00 रू0 का नकद भुगतान किया गया था।
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प्रत्यर्थी/परिवादी ने उक्त दोनों एफ0डी0आर0 12 माह के लिये बनवायी थी, क्योंकि प्रत्यर्थी/परिवादी सरकारी ठेके लेने का कार्य करता है और सरकारी विभाग में सरकारी ठेके लेता रहता है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने उक्त दोनों एफ0डी0आर0 को सिक्योरिटी के रूप में अधिशासी अभियंता, प्रांतीय खण्ड, लोक निर्माण विभाग, मुजफ्फरनगर के कार्यालय में जमा करवाया था तथा एफ0डी0आर0 रू0 65,000.00 का कार्य पूर्ण होने के बाद विभाग से वापस लेकर अपीलार्थी विपक्षी बैंक में कैश करवाने गया, तब अपीलार्थी विपक्षी बैंक ने उक्त एफ0डी0आर0 को कैश करने से मना कर दिया और दोबारा न आने की धमकी दी, तत्पश्चात प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 25.8.2017 को विधिक नोटिस दिया और तदोपरांत अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में कमी के कारण परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख संस्थित किया गया ।
अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद की कार्यवाही एक पक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार कर निम्न आदेश पारित किया गया है:-
''परिवादी द्वारा प्रस्तुत उक्त परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्त किया जाता है। विपक्षी पंजाब नेशनल बैंक, शाखा जानसठ (मुजफ्फरनगर) को आदेशित किया जाता है कि वह इस आदेश की तिथि से एक माह के अंदर परिवादी यशपाल सिंह को प्रश्नगत एफ0डी0आर0 संख्या-टी0एफ0क्यू0 751044 की परिपक्वता धनराशि मुबलिग रू0 70,704.00 (रूपये सत्तर हजार सात सौ चार केवल) व उक्त धनराशि पर दिनांक 27.02.2009 से भुगतान की अंतिम तिथि तक समय-समय पर विपक्षी बैंक द्वारा सावधि जमा योजना पर देय अधिकतम ब्याज एवं मानसिक कष्ट हेतु रू0 10,000.00 (रूपये दस हजार केवल) तथा वाद व्यय हेतु रू0 5,000.00 (रूपये पॉच हजार केवल) अदा करें। अन्यथा परिवादी विपक्षी बैंक से उक्त धनराशि इस जिला आयोग के माध्यम से विधि अनुसार वसूलने का अधिकारी होगा।''
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विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के विरूद्ध है।
अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा मात्र प्रत्यर्थी/परिवादी के अभिकथनों पर विचार करते एक पक्षीय निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जो कि अनुचित है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपील के प्रस्तर-9 में यह भी उल्लेख किया गया है कि उपरोक्त एक लाख रूपये की एफ0डी0आर0 के सम्बन्ध में प्रस्तुत अपील सं0-338/2021 को राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा दिनांक 16.11.2021 को निर्णीत करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी के पक्ष में निर्णय व आदेश पारित किया गया है, जो कि अनुचित है। अपीलार्थी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश को अपास्त कर अपील को स्वीकार किये जाने की प्रार्थना की गई है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के अनुकूल है, जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमारे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्तागण को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया।
वर्तमान प्रकरण में पाया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 26.02.2008 को अपीलार्थी विपक्षी बैंक से प्रश्नगत एफ0डी0आर0 रू0 65,000.00 संख्या-टी0एफ0क्यू0 751044, 12 माह के लिए बनायी गई थी, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुरोध के बावजूद भी अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा उक्त एफ0डी0आर0 की धनराशि उसे अदा नहीं की गयी तथा इस संबंध में प्रत्यर्थी/परिवादी
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द्वारा नोटिस देने के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा उक्त धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा नहीं की गयी। ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थी/परिवादी एवं अपीलार्थी विपक्षी बैंक के मध्य उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता का सम्बन्ध युक्तियुक्त रूप से साबित/स्थापित होता है तथा अपीलार्थी विपक्षी बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान की जाने वाली सेवा में स्पष्ट कमी भी परिलक्षित होती है, जिसके लिए अपीलार्थी विपक्षी बैंक उत्तरदायी है। उक्त समस्त तथ्यों पर विस्तृत चर्चा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में की है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपील स्तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता अपील स्तर पर प्रतीत नहीं हो रही है, अत्एव प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश सिंह, पी0ए0 ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1