(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
परिवाद संख्या : 208/2018
Mr. Manoj Kumar, R/o G-31, First Floor, Flat No.1, Aruna Park Shakarpur, Delhi-110092.
....परिवादी
बनाम्
- Yamuna Expressway Industrial Development Authority, First Floor, Commercial Complex, Block-P.II, Sector Omega-1, Greater Noida City, Gautambudh Nagar-201308, U.P.
- Dr. Arun Veer Singh, CEO, Yamuna Expressway Industrial Development Authority, First Floor, Commercial Complex, P.II, Sector Omega-1, Greater Noida City, Gautambudh Nagar-201308, U.P.
- Dr. Prabhat Kumar, Chairman, Yamuna Expressway Industrial Development Authority, First Floor, Commercial Complex, P.II, Sector Omega-1, Greater Noida City, Gautambudh Nagar-201308, U.P.
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समक्ष :-
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष ।
उपस्थिति :
परिवादी की ओर से उपस्थित- श्री रंजीत पाण्डेय।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित- श्री प्रशांत कुमार।
दिनांक : 07-01-2021
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
- Manoj Kumar ने यह परिवाद विपक्षीगण (1) Yamuna Expressway Industrial Development Authority, First Floor, Commercial Complex, Block-P.II, Sector Omega-1, Greater
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Noida City, Gautambudh Nagar-201308, U.P. (2) Dr. Arun Veer Singh, CEO, Yamuna Expressway Industrial Development Authority, First Floor, Commercial Complex, P.II, Sector Omega-1, Greater Noida City, Gautambudh Nagar-201308, U.P. और (3) Dr. Prabhat Kumar, Chairman, Yamuna Expressway Industrial Development Authority, First Floor, Commercial Complex, P.II, Sector Omega-1, Greater Noida City, Gautambudh Nagar-201308, U.P. के विरूद्ध धारा-17 (1) (A) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है :-
- To restrain the Respondents from Collecting any further EMIs as per the agreement to lease;
- Direct the Respondents to refund all the expense incurred including EMIs paid by the complainant till today that is Rs. 11,70,086/-.
- Direct the Respondents to pay an opportunity cost of Rs. 4,31,000/-
- Direct the Respondents to pay Rs. 70,124/- as interest overcharged;
- Direct the Respondents to pay a sum of Rs. 10,000,00/- as mental agony;
- Direct the Respondents to pay a litigation of Rs. 1,50,000/-
- Any further orders which this Hon’ble commission deems fit in the interest of justice.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-1 उत्तर प्रदेश सरकार की अन्डरटेकिंग है और उसके कार्यों का संचालन विपक्षीगण संख्या-2 और 3 के द्वारा किया जाता है। विपक्षी संख्या-1 ने सेक्टर-18 यमुना एक्सप्रेस वे में हाऊसिंग फ्लैट के एलाटमेंट हेतु प्रास्पेक्टस जारी किया जिसके अनुक्रम में दिनांक 12-12-2013 और 13-12-2013 को लकी ड्रा निकाला गया, जिसमें परिवादी का भी नाम था। तदोपरान्त परिवादी को पेमेंट शिड्यूल आवंटित भवन के भुगतान हेतु उपलब्ध कराया गया।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसे फ्लैट नम्बर-2562TF एलाटमेंट लेटर नम्बर-BHS014368 B.H.S.-01,2013” दिनांकित 15-01-2014 के द्वारा आवंटित किया गया। तदोपरान्त परिवादी को विपक्षी संख्या-1 का पत्र दिनांक 02-07-2014 लीज एग्रीमेंट के निष्पादन हेतु मिला जिसके अनुसार परिवादी ने लीज एग्रीमेंट का निष्पादन कराया । उसके बाद पुन: विपक्षी संख्या-1 ने परिवादी को पत्र दिनांक 05-12-2017 प्रेषित किया और परिवादी को आवंटित फ्लैट नम्बर-2562TF के संदर्भ में लीज डीड के पुन: निष्पादन हेतु कहा और उन्हीं बचे फ्लैटों के आवंटन के लिए एक दूसरी स्कीम के साथ आए तथा नया प्रास्पेक्टस जारी किया। यह स्कीम दिनांक 25-09-2017 को खोली गयी और दिनांक 07-11-2017 को बंद की गयी। इस स्कीम में भी वही फ्लैट्स 11.53 लाख रूपये मूल्य पर आफर किये गये।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने परिवाद प्रस्तुत करने तक सभी ड्यूज विपक्षीगण के यहॉं जमा कर दिये है। उसे आवंटित फ्लैट का निर्माण सेक्टर-18 में किया जाना था, परन्तु एलाटमेंट लेटर प्राप्त होने के बाद परिवादी को ज्ञात हुआ कि निर्माण स्थल की साइट सेक्टर-18 से बदलकर सेक्टर-22-D उसकी सहमति के बिना कर दी गयी है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि एलाटमेंट लेटर दिनांक 15-01-2014 जो कि आवेदन पत्र के क्लाज-N का कन्फरमेशन था में विपक्षीगण ने स्पष्ट रूप से वायदा किया था कि परिवादी फ्लैट का कब्जा एलाटमेंट लेटर जारी होने से 4 साल में प्राप्त करेगा, परन्तु लिखित आश्वासन के बाद भी विपक्षीगण ने फ्लैट का कब्जा एलाटमेंट लेटर की तिथि से 04 साल के अंदर नहीं दिया और यह तिथि दिनांक 15-01-2018 को समाप्त हो गयी। उसके बाद परिवादी निर्माण स्थल पर गया तो पाया कि योजना का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है और उसे कब्जा के आफर का कोई लेटर अब
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तक जारी नहीं किया गया है अत: क्षुब्ध होकर परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि परिवादी को आवंटित फ्लैट का निर्माण स्थल सेक्टर-18 से बदलकर सेक्टर-22 मा0 उच्च न्यायालय के द्वारा पारित स्थगन आदेश के कारण विपक्षीगण द्वारा किया गया है।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि स्कीम के ब्रोसर के अनुसार एलाटमेंट लेटर दिनांक 15-01-2014 से 4 साल के अंदर कब्जा प्रत्याशित था विपक्षीगण ने परिवादी कोपत्र दिनांक 05-12-2017 vide ref no. property/2017/568 कब्जे के संबंध में भेजा है जिसमें कहा है कि कब्जा लीज डीड के निष्पादन के बाद ही दिया जायेगा।
लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि एलाटमेंट लेटर के अनुसार परिवादी पर भुगतान करने का दायित्व है। परिवादी को पत्र दिनांक 02-07-2014 के द्वारा कब्जा दिया गया है। लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि प्रश्नगत योजना समय के अंदर पूरी कर ली गयी है। परिवादी को पत्र दिनांक 05-12-2017 vide ref no. property/2017/568 लीज डीड के निष्पादन हेतु भेजा गया है। लीज डीड के निष्पादन के बाद कब्जा उसे दे दिया जायेगा। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी मनोज कुमार ने अपना शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन के समर्थन में साक्ष्य में शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
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परिवादी की ओर से अपने कथन के समर्थन में निम्न अभिलेख भी प्रस्तुत किये गये है :-
- विपक्षी के फ्लैट का रजिस्ट्रेशन फार्म संलग्नक-1 (पृष्ठ-14 से 18)
- विपक्षी के आवासीय फ्लैटों की योजना का प्रारूप संलग्नक-2 (पृष्ठ-19 से 28)
- स्टेटस आफ अप्लीकेशन संलग्नक-3 (पृष्ठ-29 से 30)
- आवंटन पत्र संलग्नक-4 (पृष्ठ 31 से 34)
- प्रापर्टी इन्फारमेशन का पत्र एग्रीमेंट-टू- लीज सहित संलग्नक-5 (पृष्ठ-35 से 81)
- विपक्षी का पत्र दिनांकित 05-12-2017 संलग्नक-6 (पृष्ठ-82)
- येडा आफर्स रेजीडेन्सियल फ्लैट्स संलग्नक-7 (पृष्ठ 83 से 106)
- आन लाइन प्रापर्टी एकाउन्ट सिस्टम का प्रारूप संलग्नक-8 (पृष्ठ-107 से 117)
- परिवादी के अधिवक्ता द्वारा विपक्षी को प्रेषित विधिक नोटिस दिनांकित 05 मई, 2018 संलग्नक-9 (पृष्ठ-118 से 135)
- परिवादी का आधार कार्ड संलग्नक-10 (पृष्ठ-136 से 137)
परिवाद में अंतिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी के विद्धान अधिवक्ता श्री रंजीत पाण्डेय उपस्थित आए । विपक्षीगण की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री प्रशांत कुमार उपस्थित आए।
मैंने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
मैंने परिवादी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
यह तथ्य अविवादित है कि परिवादी को प्रश्नगत फ्लैट का आवंटन, आवंटन पत्र दिनांक 15-01-2014 के द्वारा किया गया है और कब्जा आवंटन पत्र की तिथि से चार साल के अंदर दिया जाना था।
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प्रश्नगत योजना के प्रास्पेक्ट्स के क्लाज-N में प्राविधान है कि आवंटी को कब्जा लेने की सूचना प्रेषित करने के 60 दिन के भीतर कानूनी दस्तावेज, पट्टा प्रलेख निष्पादित करना अनिवार्य होगा।
उपरोक्त ब्राउशर के क्लाज-H में प्राविधान है जैसे है, जहॉं के आधार पर क्रेता द्वारा चार मंजिला फ्लैट जैसे है, जहॉं के आधार पर 90 वर्ष के पट्टा पर जिसकी अवधि पट्टा प्रलेख की निर्धारित तिथि से प्रारम्भ कर स्वीकार किये जायेंगे।
विपक्षीगण के पत्र दिनांक 02-07-2014 के अनुपालन में परिवादी ने लीज डीड दिनांक 11-07-2014 को निष्पादित किया है जिसके क्लाज-D में अंकित है;
“And due compliance to the detailed terms and conditions to be stipulated in the lease deed which shall later on be executed by the AUTHORITY in favour of the ALLOTTEE;
the AUTHORITY doth hereby execute this agreement to lease in favour of the ALLOTTEE, in respect of the plot of land on as is where is basis numbered as 2562TR, Sector-22D, Yamuna Expressway Area, District Gautam Budh Nagar contained by all measurement 29.75 sqm, be the same a little more, or less, and, bounded as below tentatively.
उपरोक्त लीज डीड में परिवादी को लीज प्लाट की boundaries के संबंध में उल्लेख है, “Exact boundaries will be decided at the time of preparation of final lease plan”.
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि लीज डीड दिनांक 11-07-2014 पूर्ण नहीं है। अत: पत्र दिनांक 05-12-2017 द्वारा परिवादी से लीज डीड निष्पादित करने का विपक्षीगण द्वारा अनुरोध किये जाने का उचित आधार है। परन्तु परिवादी ने लीज डीड इस पत्र के अनुसार निष्पादित नहीं किया है। लीज डीड के निष्पादन के बिना विपक्षीगण द्वारा परिवादी को कब्जा नहीं दिया जा सकता है। ऐसी स्थिति में तय समय में दिनांक 15-01-2018 तक परिवादी को आवंटित फ्लैट का कब्जा न प्राप्त होने का कारण स्वयं उसके द्वारा लीज डीड पत्र दिनांक 15-12-2017 के अनुसार निष्पादित न किया जाना है।
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विपक्षीगण की प्रश्नगत योजना सेक्टर-18 में प्रस्तावित थी परन्तु बाद में इसे सेक्टर-22 D में किया गया है। परिवादी को सेक्टर-22 D में ही भवन आवंटन पत्र दिनांक 15-01-2014 के द्वारा आवंटित किया गया है जिसे परिवादी ने स्वीकार करते हुए धनराशि विपक्षीगण के यहॉं जमा की है अत: परिवादी अब यह नहीं कह सकता है कि यह योजना सेक्टर-18 में प्रस्तावित थी जबकि इसका निर्माण अब सेक्टर-22 D में किया जा रहा है।
परिवादी ने अपने जवाबुल जवाब (रिप्लीकेशन) के साथ कुछ फोटोग्राफ की फोटोप्रति प्रस्तुत किया है जो अस्पष्ट है। इस फोटोप्रति से जो स्पष्ट होता है उससे स्पष्ट है कि भवन निर्माण का अधिकांश कार्य हो चुका है।
रेरा में विपक्षीगण ने प्रश्नगत योजना का निर्माण कार्य पूरा करने की प्रस्तावित तिथि दिसम्बर, 2019 बताया है। परन्तु उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि स्वयं परिवादी ने आवंटित फ्लैट का कब्जा पाने की आवश्यक शर्त पत्र दिनांक 05-12-2017 द्वारा वांछित लीज डीड निष्पादित न कर पूरी नहीं की है। ब्राउशर एवं लीज डीड दिनांक 11-07-2014 से स्पष्ट है कि परिवादी को फ्लैट जहॉं है, जैसे है के आधार पर आवंटित किया गया है।
उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि स्वयं परिवादी ने फ्लैट का कब्जा पाने की आवश्यक शर्त पूरी नहीं की है। विपक्षीगण के अनुसार फ्लैट का निर्माण पूरा हो चुका है और विपक्षीगण परिवादी को लीज डीड निष्पादित करने पर कब्जा देने को तैयार है।
उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षीगण को इस निर्णय की तिथि से 03 मास के अंदर निर्माण पूरा कर फ्लैट का वास्तविक कब्जा परिवादी को एलाटमेंट लेटर के अनुसार आवश्यक औपचारिकताऍं पूरी करने पर दिये जाने का अवसर प्रदान किया जाए और यदि इस अवधि में विपक्षीगण द्वारा निर्माण पूरा कर कब्जा परिवादी को आफर नहीं किया जाता है तब मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Civil Appeal No. (S) 3948 of 2019 SLP (C) 9575 of 2019 M/s Krishna Estate Developers Pvt. Ltd.Vs. Naveen Srivastava में
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पारित आदेश दिनांक 15-04-2019 को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षीगण को परिवादी की सम्पूर्ण जमा धनराशि तीन महीने के अंदर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने हेतु आदेशित किया जाये और यदि इस अवधि में विपक्षीगण परिवादी की जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस नहीं करते हैं तब परिवादी की जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया जाये।
परिवादी को विपक्षीगण से 5,000/-रू0 वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी को और कोई अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु उचित आधार नहीं दिखता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि
वे इस निर्णय की तिथि से 03 मास के अंदर निर्माण पूरा कर फ्लैट का वास्तविक कब्जा परिवादी को एलाटमेंट लेटर के अनुसार परिवादी द्वारा आवश्यक औपचारिकताऍं पूरी करने पर प्रदान करें।
यदि उपरोक्त 03 माह के अंदर विपक्षीगण द्वारा परिवादी को फ्लैट का निर्माण पूरा कर कब्जा का आफर नहीं दिया जाता है तब विपक्षीगण परिवादी की जमा सम्पूर्ण धनराशि, जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक तीन महीने के अंदर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ उसे वापस करेंगे। यदि विपक्षीगण इस अवधि में परिवादी की जमा धनराशि 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज के साथ वापस नहीं करते है तब वे परिवादी की सम्पूर्ण जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ उसे वापस करेंगे।
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विपक्षीगण परिवादी को 5,000/-रू0 वाद व्यय भी प्रदान करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1