Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/1799

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Yameen Haidar - Opp.Party(s)

P L Nigam

11 May 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/1799
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Yameen Haidar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 11 May 2017
Final Order / Judgement

मौखिक

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 201/08 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.07.2011  के विरूद्ध)

 

अपील संख्‍या 1799 सन 2011

यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सेक्रेटरी डिपार्टमेंट आफ पोस्‍ट एण्‍ड टेलीग्राफ नई दिल्‍ली एवं अन्‍य                    .......अपीलार्थी/प्रत्‍यर्थीगण

-बनाम-

 यामीन हैदर पुत्र श्री बहाजुल हसनैन निवासी ग्राम बुकनाला पो0 खासपुर पाकबडा थाना पाकबडा जिला मुरादाबाद            . .........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

 

समक्ष:-

मा0  श्री  आर0सी0 चौधरी,  पीठासीन  सदस्‍य।

मा0    श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  डा0 उदयवीर सिंह ।

प्रत्‍यर्थी   की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  श्री जुवैर हसन।

 

दिनांक:   11.05.2017

 

श्री आर0सी0 चौधरी,  पीठासीन  सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

 

      प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 201/08 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.07.2011  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है ।

संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षीगण से डाक जीवन बीमा पालिसी संख्‍या आर0यूपी-बीआर-ईए 33907 दिनांक 02.03.2002 को मु0 पच्चीस हजार रू0 की प्राप्‍त की और उसकी किस्‍तों का भुगतान लगातार करता रहा। उक्‍त बीमा पालिसी दिनांक 02.03.15 को परिवक्‍व होनी थी । इस बीच परिवादी को व्‍यक्तिगत रूप से धन की आवश्‍यकता पड़ी जिसके कारण उसने दिनांक 29.05.2008 को उक्‍त पालिसी सरेण्‍डर करते हुए एवं सभी औपचारिकतायें पूर्ण कर पालिसी के अन्‍तर्गत जमा धनराशि नियमानुसार देने का अनुरोध किया लेकिन विपक्षीगण ने उसे उक्‍त पालिसी के अन्‍तर्गत जमा धनराशि का भुगतान नहीं किया जिसके कारण उसने जिला मंच में परिवाद दाखिल किया।

      जिला मंच के समक्ष विपक्षीगण ने अपने जबावदावे में पालिसी जारी करना स्‍वीकार करते हुए उल्लिखित किया गया कि भारतीय पोस्‍टल अधिनियम के नियम 34 के अनुसार मूल पालिसी वाण्‍ड एवं मूल पासबुक व मूल प्रीमियम व मूल प्रीमियम की रसीदें विभाग में प्रस्‍तुत करने पर ही भुगतान सम्‍भव है, जो परिवादी द्वारा उपलब्‍ध नहीं करायी गयी और अपूर्ण दस्‍तावेज दाखिल किए गए थे, जो उसे वापस कर दिए गए हैं।

जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्‍य एवं अभिवचनों के आधार पर परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया कि दो माह के अन्‍दर पालिसी की सरेण्‍डर वैल्‍यू प्रिस्‍क्राइब्‍ड फार्मूला और टेबिल के अनुसार निर्धारित कर उस धनराशि पर दिनांक 04.12.2008 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 08 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित भुगतान करे तथा वाद व्‍यय के रूप में 2500.00 रू0 अदा करें।  

उक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील योजित की गयी है।

अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्‍नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा तथ्‍यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

 हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस विस्‍तार से सुनी जिला फोरम के प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दि0 19.07.2011 एवं आधार अपील का अवलोकन किया।

पत्रावली का अवलोकन करने से स्‍पष्‍ट है कि जिला मंच ने अपने विवेच्‍य निर्णय पैरा -6 में उल्लिखित किया है कि यदि परिवादी की ओर से मूल अथवा डुप्‍लीकेट कागज पालिसी वाण्‍ड नहीं भी दाखिल किया गया तो भी भारतीय पोस्‍टल अधिनियम के नियम 35 के साथ जो नोट दिया गया है उसके अनुसार मूल अथवा डुप्‍लीकेट पालिसी वाण्‍ड यदि पालिसीधारक द्वारा विपक्षी को उपलब्‍ध नहीं कराया जाए तो उस दशा में भी सरेण्‍डर वैल्‍यू का नियमानुसार भुगतान विपक्षी द्वारा बीमाधारक को करना चाहिए। केवल विपक्षी बीमाधारक से इण्‍डेमिनिटी वाण्‍ड प्रिस्‍काइब्‍ड फार्म भरवाकर ले सकते हैं। जिला फोरम ने अपने प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में उल्लिखित किया है कि विपक्षी (प्रतिवादी) यदि चाहे तो परिवादी से भुगतान के पूर्व इण्‍डैमिनिटी वाण्‍ड प्रिस्‍काइब्‍ड फार्मूला में प्राप्‍त कर सकता है। जिसके लिए उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता सहमत हैं।

      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा वाद व्‍यय के रूप में आरोपित 2500.00 रू0 की धनराशि अनुचित है।  अपीलार्थी के इस तर्क में बल है और हमारे विचार से उक्‍त आरोपित क्षतिपूर्ति की धनराशि अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

      परिणामत:, यह अपील अंशत: स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

 

            प्रस्‍तुत अपील, अंशत: स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय, मुरादाबाद द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 19.07.2011  में  वाद व्‍यय के रूप में आरोपित 2500.00 रू0 की धनराशि अपास्‍त करते हुए शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।

उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     

 

(आर0सी0 चौधरी)                             (गोवर्धन यादव)

  पीठासीन सदस्‍य                                                                सदस्‍य

      कोर्ट-4

(S.K.Srivastav,PA)

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
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