जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री मिथलेश कुमार शर्मा - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 243/2012
मुकेश कुमार श्रीमाल पुत्र श्री रामनारायण श्रीमाल, उम्र 37 वर्ष, जाति श्रीमाल, निवासी मकान नंबर 111/160, विजय पथ, अग्रवाल फार्म, मानसरोवर, जयपुर 302020
परिवादी
ं बनाम
1. निदेशक जायलोग सिस्टमस (इण्डिया) लिमिटेड 155, तिरूवल्लुवर सलाई कुमारननगर श्योलिंगनालुर चैन्नई 600119
2. मैनेजर जायलोग सिस्टमस (इण्डिया) लिमिटेड (डब्ल्यू आई-5) एफ 101, आम्रपाली प्लाजा, आम्रपाली सर्किल, वैशालीनगर, जयपुर
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री उमेश शर्मा - परिवादी
श्री सुनील जैन - विपक्षीगण
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 22.02.12
आदेश दिनांक: 02.01.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 15.12.2011 को अपने पिता श्री रामनारायण श्रीमाल के नाम से विपक्षी सॅंख्या 2 के यहां से 1653/- रूपए सर्विस टैक्स सहित जमा करवा कर ब्रोडबैण्ड कनेक्शन लिया था जिसका यूजर आई डी 80538 विपक्षी ने जारी किया था और उक्त कनेक्शन दिनांक 17.12.2011 को चालू हुआ था जो 24.12.2011 को खराब हो गया ।
उक्त सिस्टम को दुरूस्त करने के लिए परिवादी ने विपक्षी के यहां शिकायत दर्ज करवाई जिसका निवारण नहीं हुआ और परिवादी के बार-बार निवेदन करने के उपरांत भी विपक्षी ने वांछित सुविधा प्रदान नहीं की है । सेवादोष वर्णित करते हुए परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध परिवाद में वर्णित अनुतोष चाहा है ।
विपक्षीगण की ओर से परिवाद का जवाब प्रस्तुत हुआ है जिसमें वर्णित किया है कि विपक्षी कम्पनी एक रजिस्टर्ड कम्पनी है जो कम्पनी अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत कार्य करती है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है । परिवादी द्वारा जो ब्रोड बैण्ड कनेक्शन लिया गया था उसके तथ्य भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इ समंच की सुनवाई के क्षेत्राधिकार में नहीं आते हैं । परिवादी व विपक्षी के मध्य जो संविदा हुई थी वह आरबीट्रेशन के माध्यम से विवाद तथ्य करवाने बाबत थी । इस कारण परिवादी द्वारा मध्यस्थता का रास्ता नहीं अपना कर यह परिवाद गलत पेश किया है और परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की है ।
उपरोक्त तथ्यों पर दोंनों पक्षों को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
विद्वान अधिवक्ता परिवादी की दलील है कि जो तथ्य परिवाद में वर्णित किए गए हैं और उनके समर्थन में जो शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है उसके आधार पर परिवाद के तथ्य प्रमाणित होते हैं और उन्होंने कम्पनी में जमा करववाई गई राशि की रसीदों का हवाला देते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलवाए जाने की दलील दी है ।
विद्वान अधिवक्ता विपक्षी की दलील है कि जो तथ्य परिवादी द्वारा वर्णित किए गए हैं उनके अनुसार परिवादी का परिवाद इस मंच के समक्ष चलने योग्य नहीं है इसलिए इस आधार पर तथा जवाब में वर्णित अन्य तकनीकी आधार पर परिवाद खारिज करने की दलील दी है ।
उपरोक्त दलीलों के संदर्भ में हमने पत्रावली का अध्ययन किया तो पाया कि परिवादी ने जो तथ्य अपने परिवाद में वर्णित किए हैं और जो रसीदें आदि परिवाद के साथ प्रस्तुुत की है उनमें प्रदर्श-1 विपक्षी कम्पनी द्वारा रसीद सॅंख्या 174388 दिनांक 15.12.2011 को जारी की गई है जिसमें रामनारायण श्रीमाल द्वारा यूजर आई डी 80538 के लिए 1653/- रूपए की राशि जमा करवाने का तथ्य स्पष्ट होता है । इसी संदर्भ में परिवादी द्वारा जो प्रदर्श 2 व 3 पेश किए हैं उनमें रसीद क्रमांक 44907 दिनांक 21.01.12 को विजिट करने के सम्बन्ध में है और विपक्षी कम्पनी के व्यक्ति द्वारा चवसम सपजम कवूद होने का तथ्य वर्णित किया है और परिवादी की ओर से समस्या का समाधान नहीं होने का विवरण भी दिया है । इसी प्रकार रसीद सॅंख्या 44667 दिनांक 04.01.12 में केबल कनेक्शन गलत होने का तथ्य वर्णित किया है और इसी आधार पर सेवाएं बाधित होने का तथ्य वर्णित किया है ।
विपक्षी की ओर से जो तथ्य अपने जवाब में उठाए हैं और उनके संदर्भ में जो विधिक प्रावधान दर्शाएं हैं उनके तथ्य इस प्रकरण पर तथ्यात्मक भिन्नता होने के कारण अक्षरश: लागू नहीं किए जा सकते हैं । विचाराधीन प्रकरण में परिवादी ने जो अपने परिवाद में तथ्य वर्णित किए हैं उनसे यह स्पष्ट होता है कि परिवादी ने विपक्षी को एक निश्चित राशि देकर ब्राडबैण्ड कनेक्शन प्राप्त किया और विपक्षी ने उक्त राशि प्राप्त करने के पश्चात शर्तो के मुताबिक सेवाएॅं प्रदान नहीं की । जहां तक मध्यस्थता से विवाद का निस्तारण करवाने का तथ्य है वह एक वैकल्पिक शर्त के रूप में मानी जा सकती है । उक्त शर्त से परिवादी को उपभोक्ता अधिनियम का लाभ लेने से वंचित नहीं किया जा सकता है क्योंकि उपभोक्ता मंच के समक्ष आने का परिवादी का एक वैधानिक अधिकार है ।
अत: उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है ।
अब देखना यह है कि परिवादी कितना अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ?
इस संदर्भ में ब्रोडबैण्ड कनेक्शन की राशि 1653/- रूपए, आर्थिक क्षति के 35000/- रूपए, मानसिक संताप के 50,000/- रूपए, परिवाद खर्च 11000/- रूपए परिवादी द्वारा चाहा गया है । आर्थिक क्षति व मानसिक संताप के सम्बन्ध में कोई निश्चायक साक्ष्य इस मंच के समक्ष नहीं है अत: परिवाद में वर्णित राशि दिलवाया जाना उचित नहीं है । विपक्षी ने जो राशि परिवादी से प्राप्त की है वह मय ब्याज उसे दिलवाया जाना उचित है और तदानुसार परिवादी का परिवाद आर्थिक परिप्रेक्ष्य में आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है ।
आदेश
अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी से प्राप्त राशि 1653/- रूपए अक्षरे एक हजार छ: सौ तरेपन रूपए उसे वापिस अदा करेगे तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 22.02.2012 से अदायगी तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करेंगे। इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेंगे। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (मिथलेश कुमार शर्मा)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 02.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (मिथलेश कुमार शर्मा)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष