जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-1132/2019
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-13/11/2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-05/01/2021
शिखर यादव पुत्र श्री एल0पी0 यादव, निवासी 84बी यमुना विहार, चिनहट लखनऊ। .........परिवादी।
बनाम
1-Xiaomi Technology India Pvt Ltd 8th Floor, Tower-1, Umiya Business bay, Outer Ring Road, Bangalore-560103 Through its Managing Director.
2-QDIGI Services Ltd Xiaomi Service Center C-14, Garha Bhandar, Sector-F, Aliganj, Near Kaporthala Chauraha, Lucknow-226024 Through Its Proprietor.
.........विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
निर्णय
परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण से मोबाइल फोन की कीमत 11000.00 रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित मोबाइल क्रय किये जाने की दिनॉंक 12.06.2019 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक, मानसिक एवं शारीरिक कष्ट के लिये 50000.00 रूपये एवं वाद व्यय 11000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनॉंक 12.06.2019 को एक जिओमी कम्पनी का मोबाइल फोन मॉडल Note 7S मुबलिग 11,000.00 का भुगतान करके गणपति मोबाइल, लखनऊ से क्रय किया था जिस पर एक वर्ष की वारन्टी दी गयी थी। मोबाइल क्रय करने के कुछ दिनों बाद ही खराब हो गया, हैंग करने लगा, टच में प्राप्ब्लम आने लगी, डिस्प्ले ब्लैन्क होने लगा एवं स्वत: अपने आप बन्द हो जा रहा था, तो परिवादी दिनॉंक 04.10.2019 को विपक्षी संख्या 02 अधिकृत सर्विस सेन्टर में रिपेयरिंग के लिये
गया तो वहॉं विपक्षी द्वारा परिवादी से मोबाइल सेट वारन्टी में होने के बावजूद अवैधानिक रूप से फोन रिपेयरिंग हेतु पैसों की मॉंग की गयी। परिवादी ने इसका विरोध किया तो विपक्षी ने फोन की रिपेयरिंग करने से इनकार कर दिया तथा परिवादी का मोबाइल सेट भी जमा नहीं किया। परिवादी द्वारा विपक्षी के टोल फ्री नम्बर पर भी शिकायत की गयी, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई।
विपक्षी संख्या 01 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों को इनकार किया तथा कथन किया कि परिवादी का परिवाद झूठा एवं मनगढ़न्त व तुच्छ है तथा विपक्षी को परेशान करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। परिवादी द्वारा मोबाइल में निर्माण संबंधी दोष का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। परिवादी का यह कथन कि मोबाइल वारन्टी पीरियड के दौरान ठीक करने के लिये पैसे की मॉंग की गयी झूठा एवं मनगढ़न्त है तथा इसके लिये कोई साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे स्पष्ट होता है कि परिवादी ने बदनियति से यह परिवाद न्यायालय के समक्ष दाखिल किया है।
वाद की कार्यवाही विपक्षी संख्या 02 के विरूद्ध एकपक्षीय चल रही है।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों एवं तथ्यों का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा मोबाइल में त्रुटि आने के बाद वारन्टी पीरियड के अन्दर विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा मरम्मत करने के लिये धनराशि मॉंगने का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। मोबाइल अभी भी परिवादी के पास उपलब्ध है। विपक्षी संख्या 01 ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए अनुरोध किया है कि उन्हें परिवादी से मोबाइल दिलाया जाए ताकि वह उसे ठीक कर सके। परन्तु पत्रावली के अवलोकन से यह भी स्पष्ट होता है कि परिवादी का मोबाइल दूसरी बार भी वारन्टी अवधि में ही खराब हुआ है और वारन्टी अवधि में यदि कोई वस्तु खराब होती है तो उसे ठीक कराया जाना विक्रेता/कम्पनी की होती है। वारंटी की शर्तों के अनुसार एक क्रेता के रूप में विक्रेता/कम्पनी स्वयं अपनी वस्तु को निशुल्क ठीक कराने/बदलने का हकदार होता है। इसी प्रकार परिवादी को भी यह अधिकार वारंटी अवधि में अपना मोबाइल ठीक कराने/बदलने का है। अत: परिवादी द्वारा अपने मोबाइल को ठीक कराये जाने की मॉंग में बल प्रतीत होता है और परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा परिवादी को निर्देशित किया जाता है कि वह अपना मोबाइल विपक्षी के सर्विस सेन्टर पर उपलब्ध कराये और विपक्षी परिवादी का मोबाइल जमा करने की तिथि से 45 दिनों के अन्दर निशुल्क मरम्मत/ठीक किया जाना सुनिश्चित करें। यदि आदेश का पालन उक्त अवधि में नहीं किया जाता है तो विपक्षीगण द्वारा मोबाइल की कीमत मुबलिग 11000/- (ग्यारह हजार रूपया मात्र) 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवादी को अदा करेंगे। वाद व्यय के लिये मुबलिग 2000/-(दो हजार रूपया मात्र) भी परिवादी को अदा करेंगे।
(अशोक कुमार सिंह) (स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।