Uttar Pradesh

Baghpat

167/13

Rohtash Singh - Complainant(s)

Versus

West U.P.C.L. - Opp.Party(s)

24 Mar 2015

ORDER

District Consumer Redressel Disputes Forum
Baghpat
 
Complaint Case No. 167/13
 
1. Rohtash Singh
Vill. Fatehpur, Baghpat
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Rajendra Singh PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Smt. Vimlesh Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

समक्षः- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम बागपत।
परिवाद संख्याः-167  सन्  2013
    उपस्थितः-1-श्री राजेन्द्र सिंह                     अध्यक्ष
            2-श्रीमति विमलेश यादव                सदस्या
रोहताश सिंह उम्र 50 साल पुत्र श्री बिशम्भर सिंह निवासी, गा्रम फतेहपुर तहसील व जिला बागपत।                                         परिवादी,
बनाम्
पश्चिमांचल विधुत वितरण निमग लि0 द्वारा अधिशासी अभियन्ता आफिस स्थित विधुत वितरण खण्ड बागपत।                                  विपक्षी,
    
    द्वारा राजेन्द्र सिंह अध्यक्ष,
निर्णय
    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से निम्न अनुतोष प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया है।
(अ) यह कि माननीय फोरम द्वारा विपक्षी को आदेशित किया जाये कि वह शिकायतकर्ता से अवैध रूप से जमा कराये गये 7168/-रूपया जमा करने की तिथि से तायोम अदायगी तक मय ब्याज 24 प्रतिशत् ब्याज की दर से अदा करे।
(ब) यह कि आर्थिक मानसिक क्षति 2,00,000/-वाद व्यय 10,000/-रूपये भी दिलाया जाये।
    परिवादी का कथन संक्षेप में निम्न प्रकार है।
    परिवादी ने विपक्षी के यहाॅ से 2 किलोवाट का विधुत कनैक्शन लिया हुआ है। उपरोक्त कनैक्शन कई वर्षो से चल रहा है जिसका कनैक्शन संख्या 060609 बुक संख्या 2017 परिवादी को विपक्षी द्वारा आवंटित है। उपरोक्त कनैक्शन आवंटित होने के पश्चात् शिकायतकर्ता विपक्षी द्वारा भेजे गये बिलों को भुगतान समयानुसार व नियमानुसार करता चला आ रहा था। शिकायतकर्ता ने बिल जमा करने में कभी कोई देरी नही की। कनैक्शन लगने से पूर्व विपक्षी के कर्मचारी कनैक्शन लगने के स्थान पर यह देखकर गये थे कि कनैक्शन लगने वाली जगह पर कितना भार स्वीकृत हो सकता है। विपक्षी ने 2 किलोवाट का भार स्वीकृत किया। परिवादी का कनैक्शन लगने के बाद परिवादी के निवास स्थान जहाॅ पर कनैक्शन लगा हुआ था। विपक्षी के कर्मचारी कईबार कनैक्शन चैक करने के लिए गये और विपक्षी के कर्मचारियों ने 2 किलोवाट विधुत का प्रयोग करते हुए परिवादी को पाया। विपक्षी के कर्मचारियों को कभी भी कोई कमी नही मिली। विपक्षी के कर्मचारी परिवादी से अवैध रूप से पैसे की मांग करने लगे। परिवादी ने विपक्षी की अवैध मांग पूरी करने से मना कर दिया। विपक्षी के कर्मचारी शिकायतकर्ता से रंजिश रखने लगे और कहने लगे हमारी अवैध पैसों की मांग पूरी नही होगी तो इसका अंजाम अच्छा नही होगा। विपक्षी के कर्मचारी जबरदस्ती परिवादी के निवास स्थान पर गये और शिकायतकर्ता को बिना बताये चैकिंग करने लगे चैंकिग करने पर भार सही पाया गया। परन्तु फिर भी विपक्षी के कर्मचारियों ने परिवादी के विरूद्ध थाने में मुकदमा कायम करा दिया और परिवादी के विरूद्ध अंकन 7168/-असिस्मेंट लगा दिया और रूपये जमा करने के लिए दबाव डालने लगे। परिवादी ने विपक्षी के दबाव मंेआकर 7168/-रूपये दिनांक 06-12-2007 को विपक्षी के यहाॅ जमा कर दिया जिसकी रसीद संख्या 42/20086 है। विपक्षी ने जबरदस्ती अवैध मांग पूरी न होने पर परिवादी के विरूद्ध असिस्मेंट लगा दिया। रूपये जमा करने के बाद परिवादी ने विपक्षी के यहाॅ जाकर कईबार शिकायत की कि परिवादी के सामने जब चाहे विपक्षी चैंकिग कर सकते है। स्वीकृत भार बिलकुल ठीक है। परिवादी ने अवैध रूप से बसूली गयी धनराशि को विपक्षी से वापिस करने की प्रार्थना की तो विपक्षी ने धन वापिस करने से मना कर दिया। विपक्षी के इस प्रकार के कार्य से परिवादी को मानसिक पीड़ा हुयी है तथा समाज में सम्मान को भी ठेस पहुॅची, और इसी आधार पर परिवादी ने जमा किये गये 7168/-रूपये व मानसिक आर्थिक क्षति के मद में 2 लाख रूपये व वाद के मद में 10,000/-रूपये पाने की प्रार्थना की है।
    विपक्षी ने परिवादी के अधिकांश कथनों को अस्वीकार करते हुए प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया।
     प्रतिवादी का कथन संक्षेप में निम्न प्रकार है।
     परिवाद पोषनीय नही है। परिवादी ने विपक्षी पर नाजायज दबाव डालने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया है। दिनांक 22-11-2007 को पुलिस प्रवर्तन दल मेरठ देहात द्वारा चैकिंग की गयी थी और जिसमें प्रवर्तन दल द्वारा चैकिंग के दौरान परिवादी को अपने घर के पास से जा रही एल.टी.लाईन से सीधे केबिल डालकर विधुत चोरी करते पाया गया और थाना सिंघावली अहीर पर प्रवर्तन दल ने मुकदमा दर्ज कराने हेतु द्वारा प्रार्थना पत्र दिया गया। परिवादी के विरूद्ध 7168/-रूपये का एस्टीमेट बनाया गया और परिवादी ने 6-12-2007 को विपक्षी के कार्यालय में उक्त धनराशि जमा कर दी। जिससे स्पष्ट है कि परिवादी ने अपनी गलती स्वीकार की और उसके आधार पर परिवादी द्वारा असिस्मेंट बिल व समन शुल्क जमा किया गया। विधुत चोरी से संबंधित परिवादों को सुनने का अधिकार मंच को नही है। परिवादी का परिवाद धारा 126,127 विधुत अधिनियम के प्रावधानों से वाधित है और इसी के आधार पर परिवाद को खारिज करने की प्रार्थना विपक्षी ने की है।
    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में दस्ताबेजी साक्ष्य के रूप में  6ग/1 रसीद की फोटो काॅपी, 6ग/2 अधिशासी अभियन्ता द्वारा लोक अभियोजक को लिखे गये पत्र की फोटो काॅपी,6ग/3 बिल की फोटो काॅपी, 16ग/2 रोहताश सिंह के कनैक्शन से संबधित पास बुक के प्रष्ठ की फोटो काॅपी, 16/3 लगायत 16ग/9 रसदों की फोटो काॅपी,प्रस्तुत किये।
    परिवादी ने अपने परिवादी के कथनों के समर्थन में 5ग/1 लगायत 5ग/4, शपथ पत्र 8ग/1 लगायत 8ग/3, शपथ पत्र 14ग/1 लगायत 14ग/3 अपने स्वयं के शपथ पत्र प्रस्तुत किये।
    विपक्षी की ओर से दस्ताबेजी साक्ष्य के रूप में कागज संख्या 15ग/4 चैकिंग रिपोर्ट की फोटो काॅपी कागज संख्या 15ग/5 असिस्मेंट की फोटो काॅपी, 15ग/6 विधुत वितरण खण्ड बागपत अध्यक्ष एवं प्रबंध महोदय द्वारा विच्छेदन का अनुश्रवण किये जाने से संबंधित पत्र की फोटो काॅपी प्रस्तुत किये।
    विपक्षी की ओर से प्रभाकर पाण्डेय का शपथ पत्र भी प्रतिवाद के समर्थन में प्रस्तुत किया गया।
    आज पत्रावली बहस हेतु नियत थी। किसी भी पक्ष की ओर से बहस नही की गयी। परिवादी ने लिखित बहस पत्रावली में दाखिल कर रखी है। परिवादी की लिखित बहस का अवलोकन किया तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
    परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है। कि परिवादी ने विपक्षी के यहाॅ से 2 किलोवाट का विधुत कनैक्शन लिया हुआ है। उपरोक्त कनैक्शन कई वर्षो से चल रहा है जिसका कनैक्शन संख्या 060609 बुक संख्या 2017 परिवादी को विपक्षी द्वारा आवंटित है। उपरोक्त कनैक्शन आवंटित होने के पश्चात् शिकायतकर्ता विपक्षी द्वारा भेजे गये बिलों को भुगतान समयानुसार व नियमानुसार करता चला आ रहा था। शिकायतकर्ता ने बिल जमा करने में कभी कोई देरी नही की। कनैक्शन लगने से पूर्व विपक्षी के कर्मचारी कनैक्शन लगने के स्थान पर यह देखकर गये थे कि कनैक्शन लगने वाली जगह पर कितना भार स्वीकृत हो सकता है। विपक्षी ने 2 किलोवाट का भार स्वीकृत किया। परिवादी का कनैक्शन लगने के बाद परिवादी के निवास स्थान जहाॅ पर कनैक्शन लगा हुआ था। विपक्षी के कर्मचारी कईबार कनैक्शन चैक करने के लिए गये और विपक्षी के कर्मचारियों ने 2 किलोवाट विधुत का प्रयोग करते हुए परिवादी को पाया। विपक्षी के कर्मचारियों को कभी भी कोई कमी नही मिली। विपक्षी के कर्मचारी परिवादी से अवैध रूप से पैसे की मांग करने लगे। परिवादी ने विपक्षी की अवैध मांग करने से मना कर दिया। विपक्षी के कर्मचारी शिकायतकर्ता से रंजिश रखने लगे और कहने लगे हमारी अवैध पैसों की मांग पूरी नही होगी तो इसका अंजाम अच्छा नही होगा। विपक्षी के कर्मचारी जबरदस्ती परिवादी के निवास स्थान पर गये और शिकायतकर्ता को बिना बताये चैकिंग करने लगे चैंकिग करने पर भार सही पाया गया। परन्तु फिर भी विपक्षी के कर्मचारियों ने परिवादी के विरूद्ध थाने में मुकदमा कायम करा दिया और परिवादी के विरूद्ध अंकन 7168/-असिस्मेंट लगा दिया और रूपया जमा करने के लिए दबाव डालने लगे। परिवादी ने विपक्षी के दबाव मंे आकर 7168/-रूपया दिनांक 06-12-2007 को विपक्षी के यहाॅ जमा कर दिया जिसकी रसीद संख्या 42/20086 है। विपक्षी ने जबरदस्ती अवैध मांग पूरी न होने पर परिवादी के विरूद्ध असिस्मेंट लगा दिया। रूपया जमा करने के वाद परिवादी ने विपक्षी के यहाॅ जाकर कईबार शिकायत की कि परिवादी के सामने जब चाहे विपक्षी चैंकिग कर सकते है। स्वीकृत भार बिलकुल ठीक है। परिवादी ने अवैध रूप से बसूली गयी धनराशि को विपक्षी से वापिस करने की प्रार्थना की तो विपक्षी ने धन वापिस करने से मना कर दिया। विपक्षी के इस प्रकार के कार्य से मानसिक पीड़ा हुयी है तथा समाज में सम्मान को भी ठेस पहुॅची, और इसी आधार पर परिवादी ने जमा किये गये 7168/-रूपये व मानसिक आर्थिक क्षति के मद में 2 लाख रूपये व वाद के मद में 10,000/-रूपये पाने की प्रार्थना की है।
    प्रतिवाद पत्र के अनुसार प्रतिवादी का कथन है कि परिवाद पोषनीय नही है। परिवादी ने विपक्षी पर नाजायत दबाव डालने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया है। दिनांक 22-11-2007 को पुलिस प्रवर्तन दल मेरठ देहात द्वारा चैकिंग की गयी थी और जिसमें प्रवर्तन दल द्वारा चैकिंग के दौरान परिवादी को अपने घर के पास से जा रही एल.टी.लाईन से सीधे केबिल डालकर विधुत चोरी करते पाया गया और थाना सिंघावली अहीर पर प्रवर्तन दल मुकदमा दर्ज कराने हेतु द्वारा प्रार्थना पत्र दिया गया। परिवादी के विरूद्ध 7168/-रूपये का एस्टीमेट बनाया गया और परिवादी ने 6-12-2007 को विपक्षी के कार्यालय में उक्त धनराशि जमा कर दी। जिससे स्पष्ट है कि परिवादी ने अपनी गलती स्वीकार की और उसके आधार पर परिवादी द्वारा असिस्मेंट बिल व समन शुल्क जमा किया गया। विधुत चोरी से संबंधित परिवादों को सुनने का अधिकार मंच को नही है। परिवादी का परिवाद धारा 126,127 विधुत अधिनियम के प्रावधानों से वाधित है और इसी के आधार पर परिवादी को खारिज करने की प्रार्थना विपक्षी ने की है।
    सिविल अपील संख्या 5466 सन् 2012 उत्तर प्रदेश पाॅवर कार्पोरेशन बनाम अनीश अहमद ने माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया है कि विधुत चोरी व असिस्मेंट से संबंधित वादों को सुनने का अधिकार मंच को नही है। परिवाद पत्र में परिवादी ने स्पष्ट शब्दों में यह कथित किया है कि उसके विरूद्ध थाने में मुकदमा कायम कराया गया और 7168/-रूपये असिस्मेंट लगा दिया। कागज संख्या 15ग/4 चैकिंग रिपोर्ट है जिसमें यह कथित किया गया है कि परिवादी चोरी करते हुए पाया गया और कागज संख्या 15ग/5 से स्पष्ट है कि चोरी के कारण 7168/-रूपये का असिस्मेंट बनाया गया जिसमें असिस्मेंट की धनराशि 3168 रूपये तथा समन शुल्क 4000/-रूपये है।
    उपरोक्त से स्पष्ट है कि पक्षकारों के मध्य विधुत चोरी व असिस्मेंट का विवाद है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उपरोक्त विधि व्यवस्था में प्रतिपादित सिद्धान्त के अनुसार विधुत चोरी व असिस्मेंट से संबंधित वादों को सुनने का अधिकार मंच को नही है। परिवादी का परिवाद भी विधुत चोरी व असिस्मेंट से संबंधित है और उपरोक्त विधि व्यवस्था में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त के अनुसार परिवादी के परिवाद को सुनने का अधिकार मंच को नही है। परिवादी किसी अनुतोष को पाने का अधिकारी नही है। परिवादी का परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
    परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। वाद की परिस्थितियों को देखते हुए पक्षकार वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। पत्रावली दाखिल दफ्तर होवे।
दिनांकः 24.03.2015
श्रीमती विमलेश यादव                     ( राजेन्द्र सिंह )
      सदस्या                            अध्यक्ष

 आज दिनांक 24-03-2015 को यह निर्णय खुले न्यायालय (फोरम) में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके सुनाया गया।
श्रीमती विमलेश यादव                     ( राजेन्द्र सिंह )
      सदस्या                            अध्यक्ष
दिनांकः 24.03.2015

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Rajendra Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Smt. Vimlesh Yadav]
MEMBER

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