Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/1544

Executive Engineer, Obra Bandh Construction - Complainant(s)

Versus

Wajid Ali - Opp.Party(s)

J N Singh

07 Oct 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/1544
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Executive Engineer, Obra Bandh Construction
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Wajid Ali
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:J N Singh, Advocate
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील संख्‍या-1544/1998

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्‍या-473/1998 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.04.1998 के विरूद्ध)

 

अधिशासी अभियन्‍ता, ओबरा बान्‍ध निर्माण खण्‍ड प्रथम, ओबरा, सोनभद्र।     अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

वाजिद अली पुत्र स्‍व0 श्री अशरफ अली, निवासी चोयन रोड, गुरूद्वारा के सामने ओबरा, तहसील राबर्टगंज, जिला सोनभद्र।                                   प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित         : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित           : कोई नहीं।

दिनांक 07.10.2015

माननीय श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

अपील सुनवाई हेतु ली गयी। अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। उनकी ओर से तिथि स्‍थगन हेतु कोई प्रार्थना पत्र भी प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। चूंकि यह अपील पिछले 17 वर्ष से अधिक समय से निस्‍तारण हेतु लम्बित चली आ रही है। अत: उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-30 की उपधारा (2) के अन्‍तर्गत निर्मित उत्‍तर प्रदेश उपभोक्‍ता संरक्षण नियमावली 1987 के नियम 8 के उप नियम (6) में दिये गये प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुए पीठ द्वारा यह समीचीन पाया गया कि इस प्रकरण में पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर न्‍यायोचित आदेश पारित कर दिया जाये। तदनुसार पत्रावली का गहनता से परिशीलन किया गया।

पत्रावली के परिशीलन से यह तथ्‍य प्रकाश में आता है कि दिनांक 20.04.1998 को अधीनस्‍थ फोरम द्वारा इस आशय का आदेश पारित किया गया था कि ''अब प्रश्‍न उठता है कि क्‍या दण्‍डादेश विपक्षी के विरूद्ध पारित किया जाय। फोरम की राय में दण्‍डादेश पारित करने से पहले एक माह का एक और मौका इस रकम के भुगतान के लिए देना उचित होगा। यदि इस अवधि में भुगतान नहीं हुआ तो दण्‍डादेश पारित कर दिया जायेगा, जिसमें 3 साल की सजा और मु0 5000/- रू0 के जुर्माने का भी प्राविधान है।'' इसी आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील योजित की गयी है, जो विधि अनुसार पोषणीय नहीं है। प्रश्‍नगत आदेश पूर्णरूपेण मध्‍यवर्ती है। अत: प्रस्‍तुत अपील सारहीन होने तथा पोषणीय न होने के कारण अपीलार्थी की अनुपस्थिति में निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

पक्षकारान अपना अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

पत्रावली दाखिल अभिलेखागार हो।

 

 

(आलोक कुमार बोस)

पीठासीन सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,  कोर्ट-4 

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER

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