Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/833

Agra Development Authority - Complainant(s)

Versus

Wahid Husain - Opp.Party(s)

Arvind Kumar

21 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/833
( Date of Filing : 29 Apr 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Agra Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Wahid Husain
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Nov 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :- 833/2008

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, (द्वितीय) आगरा द्वारा परिवाद सं0-16/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23/01/2008 के विरूद्ध)

Agra Development Authority, Agra through Vice-Chairman

  1.                                                                          Appellant  

Versus

Wahid Husain Son of Muirabbar Husain, Resident of 18/91, Daresi No. 3, Agra.

  •                                                                   Respondent

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री मनोज कुमार

प्रत्‍यर्थी की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री राहुल कुमार श्रीवास्‍तव

दिनांक:- 21.11.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           यह अपील जिला उपभोक्‍ता आयोग, (द्वितीय) आगरा द्वारा परिवाद सं0-16/2005 वाहिद हुसैन बनाम वाइय चेयरमेन व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23/01/2008 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
  2.        जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए परिवादी को आवंटित प्‍लाट सं0 एस-39 का विक्रय पत्र निष्‍पादित करे। भौतिक कब्‍जा सुपुर्द करें। आवंटन निरस्‍त न करने तथा अंकन 42,859/-रू0 की मांग पत्र के नोटिस को रद्द करने का आदेश पारित किया है, साथ ही अंकन 1,500/-रू0 वाद व्‍यय 90 दिन के अंदर अदा करे, इसके पश्‍चात 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
  3.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 31.10.1987 को अंकन 1,000/-रू0 जमा किये थे। परिवादी द्वारा सभी सम्‍पूर्ण औपचारिकतायें पूर्ण कर दी थी। दिनांक 16.01.1991 के पत्र के पश्‍चात सभी औपचारिकतायें पूर्ण करते हुए कब्‍जे की मांग की गयी। अंतिम रूप से समस्‍त भुगतान विपक्षी को कर दिया गया। परिवादी के खिलाफ कुछ भी बकाया नहीं है। परिवादी को विपक्षी का एक पत्र दिनांक 16.11.2004 को प्राप्‍त हुआ, जिसके द्वारा अंकन 42,859/-रू0 की मांग की गयी, जो अनुचित है, जबकि परिवादी पूर्व में ही सम्‍पूर्ण राशि अदा कर चुका है, इसलिए यह नोटिस अवैध है, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत करते हुए विक्रय पत्र निष्‍पादित कराने, कब्‍जे की मांग करने, 42,859/-रू0 का मांग पत्र निरस्‍त, भुखण्‍ड को निरस्‍त न करने किसी अन्‍य को  परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।
  4.          विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी ने अंकन 1,000/-रू0 जमा किये थे। आवेदन में वांछित औपचारिकतायें पूर्ण नहीं की गयी थी। दिनांक 02.12.1989, 21.08.1990 को पत्र लिखकर सूचना मांगी गयी थी। परिवादी ने भिन्‍न-भिन्‍न आय प्रमाण पत्र देकर स्‍वयं भ्रमित किया है। दिनांक 26.07.1991 को आवंटन पत्र जारी करते हुए कहा गया है कि आवंटन एवं कब्‍जे से पूर्व धनराशि 6,000/-रू0 एवं 10/-रू0 पट्टा किराया व 10 रूपये पट्टा लिखा है एवं 10 रूपये नॉन-ज्‍यूडिशियल स्‍टाम्‍प पेपर जमा करके कब्‍जा प्राप्‍त किया जाए। विलम्‍ब की दशा में विलम्‍ब अवधि का ब्‍याज भी देना होगा, किन्‍तु आवेदक द्वारा निर्धारित अवधि में धनराशि जमा नहीं की गयी तथा औपचारिकतायें भी पूर्ण नहीं की गयी। दिनांक 03.09.1991 एवं 16.09.1991 के पत्र द्वारा सूचना देने पर 6,020/-रू0 जमा कराये गये, परंतु वांछित औपचारिकतायें पूर्ण कर कब्‍जा प्राप्‍त नहीं किया गया। इस संबंध मे पुन: दिनांक 02.02.1996 को पत्र जारी किया गया और 1,050/-रू0 पट्टा किराया जमा करने के लिए कहा गया। परिवादी द्वारा 9,251.50/-रू0 जमा कराये, लेकिन अन्‍य औपचारिकतायें पूरी नहीं की गयी। परिवादी औपचारिकतायें पूर्ण कराने के लिए उपस्थित नहीं हुआ। दिनांक 30.11.2004 तक परिवादी पर 42,859/-रू0 बकाया है, इस राशि को जमा करने के पश्‍चात परिवादी कब्‍जा प्राप्‍त कर सकते हैं और यदि लेखा के अंदर कोई अंतर है तब मूल रसीद प्रस्‍तुत करते हुए लेखा विवरण का निराकरण कर सकते हैं।
  5.          पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि परिवादी सम्‍पूर्ण राशि जमा करा चुका है। अंकन 42,859/-रू0 का नोटिस अवैध रूप से जारी किया गया है। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया है।
  6.          इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील में उठाये गये तर्कों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि परिवादी द्वारा आवंटन की शर्तों के अनुसार धनराशि जमा नहीं करायी गयी है। बकाया धन जमा किये बिना परिवादी के पक्ष मे विक्रय पत्र निष्‍पादित नही किया जा सकता, न ही कब्‍जा सुपुर्द किया जा सकता क्‍योंकि परिवादी द्वारा वांछित औपचारिकतायें भी पूर्ण नहीं की गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा साक्ष्‍य की समस्‍त व्‍याख्‍या के पश्‍चात अपना निर्णय पारित किया है, इसलिए अपील खारिज होने योग्‍य है।
  7.          जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष शपथ पत्र के साथ विभिन्‍न तिथियों पर जमा भिन्‍न-भिन्‍न राशि की रसीद उपलब्‍ध करायी गयी। इन जमा के आधार पर यह निष्‍कर्ष दिया गया है प्‍लाट का अनुमानित मूल्‍य 13,391/-रू0 तथा परिवादी द्वारा 15 दिन के अंदर 7,000/-रू0 जमा कराये गये और अवशेष राशि 10 वर्ष तक 40 जमा किश्‍तों में 323/-रू0 प्रतिमाह जमा कराये गये हैं। परिवादी द्वारा विभिन्‍न तिथियों पर कुल 16,791/-रू0 जमा कराये गये और यह जमा दिनांक 25.10.2004 तक हो चुकी थी। परिवादी द्वारा दिनांक 16.06.1991 को अंकन 6,020/-रू0 भी जमा कराये गये, जिसकी रसीद 6/29 जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी तथा इसके बाद दिनांक 29.06.2004 के पत्र के द्वारा 16,791.24/-रू0 भी जमा कराये गये हैं। इसी आधार पर यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि यह राशि जमा करने के पश्‍चात अवशेष राशि की मांग करना अनुचित है। अपील के ज्ञापन के साथ इस प्रकार की कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गयी, जिससे साबित हो कि जिन रसीदों का हवाला दिया गया है, उनमें से कोई रसीद फर्जी एवं बनावटी है। अपील की सुनवाई के दौरान केवल एक कथन किया गया कि परिवादी मूल रसीदें प्रस्‍तुत कर कार्यालय में उपस्थित होकर जमा राशि का मिलान कर सकते हैं। परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि विपक्षी की ओर से विवाद के निस्‍तारण का कोई प्रयास नहीं किया गया और परिवादी द्वारा जमा राशि के बावजूद कब्‍जा प्रदान नहीं किया गया। परिवादी द्वारा जो साक्ष्‍य जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया, उसका कोई खण्‍डन प्राधिकरण द्वारा नहीं किया गया, इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश मे हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।

आदेश

           अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश पुष्‍ट किया जाता है। 

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधितज जिला उपभोक्‍ता  आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

   

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

         

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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