मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या 153/07 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 30.05.2007 के विरूद्ध)
रिवीजन संख्या 91 सन 2007
गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा सचिव । ............पुनरीक्षणकर्ता
बनाम
श्रीमती विन्द्रा सिंह . .............विपक्षी
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री राजकमल गुप्ता , सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री एन0सी0 उपाध्याय ।
विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
दिनांक: 19.8.2015
श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
यह पुनरीक्षण, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या 153/07 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 30.05.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादी के आवंटित भूखण्ड की नीलामी करने से विपक्षी विकास प्राधिकरण को अवरूद्ध किया है।
हमने पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुन ली है, प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अभिलेख का अनुशीलन किया गया ।
अभिलेख के अनुशीलन से स्पष्ट है कि प्रश्नगत आदेश दिनांक 30.5.2007 में कोई त्रुटि नहीं है क्योंकि उक्त आदेश में केवल नीलामी को अवरूद्ध किया गया था। प्रश्नगत अन्तरिम आदेश पारित किए 08 वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो चुका है जिसके कारण संबंधित परिवाद अनावश्यक रूप से लम्बित है।
परिणामत:, यह पुनरीक्षण निरस्त किए जाने के योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत पुनरीक्षण निरस्त करते हुए संबंधित जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि संबंधित परिवाद का निस्तारण अधिकतम तीन माह में किया जाना सुनिश्चित करें।
उभय पक्ष इस पुनरीक्षण का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (राज कमल गुप्ता)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)