( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :920/2019
आबिद अली पुत्र सुल्तान अहमद आयु लगभग 40 वर्ष, निवासी-मिर्जा हादीपुर, अलिया नगर, मऊनाथ भंजन, तहसील सदर, जिला मऊ, उ0प्र0।
अपीलार्थी/परिवादी
1-वोल्टाज सर्विस सेंटर मुंशीपुरा, हलीमा हास्पिटल के पीछे मऊनाथ भंजन जिला मऊ, उ0प्र0, पिन कोड -275101
2-वोल्टाज लि0, वोल्टाज हाऊस, ए-ब्लाक, बाबासाहब अम्बेडकर रोड, चिंचपोकाली, मुम्बई, पिन-400033
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री के0 एम0 त्रिपाठी।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री सत्येन्द्र कुमार।
दिनांक : 24-01-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-104/2017 आबिद अली बनाम मेसर्स गिरहस्त इलेक्ट्रानिक्स व अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, मऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 28-06-2019 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद सव्यय खण्डित कर दिया है।‘’
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विद्धान जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद की परिवादी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 04-05-2016 को विपक्षी संख्या-2 द्वारा निर्मित वोल्टाज रेफ्रिजरेटर को मु0 18,900/-रू0 में विपक्षी संख्या-1 से क्रय किया। परिवादी किराना और जनरल स्टोर का दुकानदार है और उसने क्रयशुदा रेफ्रिजरेटर कोल्ड ड्रिक्स को ठण्डा करके जीविकोपार्जन हेतु ग्राहको को बेचने के लिए क्रय किया था। क्रयशुदा रेफ्रिजरेटर की बाडी जब लीक करने लगी तो उसके संबंध में परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 से मौखिक शिकायत की और विपक्षी संख्या-3 को दिनांक 23-01-2017 को टोल फ्री नम्बर पर मोबाइल से शिकायत दर्ज करायी, जिस पर बताया गया कि विपक्षी संख्या-2 द्वारा बाडी पार्टस कम्पनी से गलत आ गये हैं, जिसके बावत दिनांक 27-01-2017 को परिवादी द्वारा गलत बाड़ी वापस करते हुए विपक्षी संख्या-3 कस्टमर केयर सेंटर से दिनांक 27-01-2017 को ही कम्प्लेन्ट दर्ज करायी गयी। उपरोक्त कम्प्लेन्ट पर दिनांक 08-02-2017 के पूर्व कोई उत्तर या सही बाड़ी भेजे जाने की न तो कोई सूचना मिली न ही सही बाडी पार्टस कम्पनी से आयी। परिवादी द्वारा दिनांक 08-02-2017 को विपक्षी संख्या-3 कस्टमर केयर सेंटर में शिकायत दर्ज करायी गयी, किन्तु दिनांक 10-02-2017 तक न तो कोई सही जवाब ही दिया गया न ही बाड़ी ही आयी। परिवादी ने पुन: दिनांक 10-02-2017 को विपक्षी संख्या-3 से शिकायत की, तब जाकर सही बाड़ी आया और रेफ्रिजरेटर
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ठीक हुआ किन्तु लगभग डेढ़ माह के बाद ही रेफ्रिजरेटर ने सही ढंग से कार्य करना बंद कर दिया और रेफ्रिजरेटर में रखे गये सामानों को रेफ्रिजरेटर ने ठण्डा करना बंद कर दिया जिसकी शिकायत दिनांक 02-04-2017 को पुन: विपक्षीगण संख्या-1 लगायत 3 से की गयी जिस पर कम्पनी के निर्देश पर विपक्षी संख्या-4 द्वारा रेफ्रिजरेटर को ठीक किया गया किन्तु 8-9 दिन बाद ही रेफ्रिजरेटर ने कुलिंग करना पुन: बंद कर दिया। परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 व 3 के यहॉं शिकायत की लेकिन विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी तब परिवादी ने विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजा जिसे विपक्षी संख्या-1 व 4 ने लेने से इंकार कर दिया और विपक्षी संख्या-2 व 3 पर नोटिस की तामीला हुई। किन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। जो कि विपक्षीगण के स्तर से सेवा में कमी है। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षीगण संख्या-2, 3 व 4 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें कथन किया गया कि परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है क्योंकि परिवादी द्वारा क्रय किया गया रेफ्रिजरेटर वाणिज्यिक उद्देश्य हेतु क्रय किया गया था।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से न तो प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया न ही कोई उपस्थित आया।
विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन करने के उपरानत यह पाया कि परिवादी द्वारा पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य
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प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह साबित हो सके कि परिवादी ने रेफ्रिजरेटर जीविकोपार्जन हेतु क्रय किया था अत: परिवादी का परिवाद उपभोक्ता की श्रेणी में न होने के कारण पोषणीय न पाते हुए खारिज कर दिया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री के0 एम0 त्रिपाठी उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री सत्येन्द्र कुमार उपस्थित उपस्थित।
अपीलार्थी की विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को निरस्त किया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त की जावे।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
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आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1