Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/61/2017

Smt.Sunita Gupta - Complainant(s)

Versus

Voltas LTD. - Opp.Party(s)

02 Aug 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या-61/2017  

श्रीमती सुनीता गुप्‍ता पत्‍नी स्‍व. श्री कृष्‍ण नन्‍दन गुप्‍ता निवासी डिप्‍टी गंज शंकर नगर तहसील व जिला मुरादाबाद।                    …......परिवादनी

बनाम

1-वोल्‍टाज लि. वोल्‍टाज हाउस ए ब्‍लॉक डा. बाबा साहब अम्‍बेडकर रोड चिंचपोकली मुम्‍बई-400033

2-आर.के. इलेक्‍ट्रोनिक्‍स दुकान नं.-20-21 बेसमेंट एकता सांई कॉम्‍पलेक्‍स बाजार बुद्ध मुरादाबाद।

3-वी केयर-44 तुलसी प्‍लाजा दुकान नं.-4 लाजपत नगर मुरादाबाद-244001(अधिकृत सर्विस सेंटर वोल्‍टाज लि.)।               …........ विपक्षीगण

वाद दायरा तिथि: 22-06-2017                                                                                                                         निर्णय तिथि: 02.08.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादनी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाये कि वे या तो परिवादनी का ए.सी. ठीक कराये अथवा उसकी कीमत 30 हजार रूपये उसे वापस करें। क्षतिपूर्ति तथा वाद व्‍यय की मद में क्रमश: 15-15 हजार रूपये परिवादनी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।   
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादनी ने वोल्‍टाज कंपनी का स्‍पलिट ए.सी. जिसका विवरण परिवाद के पैरा-1 में दिया गया है, दिनांक 02-06-2014 को विपक्षी-2 से खरीदा था। इसकी रसीद परिवादनी ने परिवाद के साथ दाखिल की है। दिनांक 11-10-2014 को ए.सी. में कूलिंग कम होने और पानी लीक होने की शिकायत परिवादनी ने विपक्षी-1 से की, अगले दिन विपक्षी-1 के इंजीनियर आये और उन्‍होंने ए.सी. का निरीक्षण करके परिवादनी को बताया कि उन्‍होंने कूलिंग कम होने तथा पानी लीक होने की समस्‍या दूर कर दी है। 15 दिन बाद ए.सी. में पुन: वही समस्‍या आने लगी। विपक्षी-1 के टोल फ्री नम्‍बर पर शिकायत की गई, जिस पर विपक्षी-1 के इंजीनियर आये और उन्‍होंने ए.सी. की समस्‍या दूर कर दी। माह मई, 2015 में ए.सी. में कूलिंग कम होने की समस्‍या पुन: आयी, जिसे परिवादनी ने कंपनी के टोल फ्री नंबर पर फोन करके बताया, अगले दिन कंपनी के इंजीनियर ने आकर ए.सी. को चैक किया और कहा कि ए.सी. में गैस कम है। उन्‍होंने ए.सी. में गैस डाल दी। माह जून, 2016 में ए.सी. की कूलिंग नहीं होने की समस्‍या पुन: आयी, जिसकी शिकायत करने पर कंपनी के इंजीनियर ने आकर ए.सी. में पुन: गैस डाल दी और यह कहकर चले गये कि अब ए.सी. में कूलिंग की समस्‍या नहीं आयेगी। परिवादनी ने अग्रेत्‍तर कथन किया कि दिनांक 08-5-2017 को ए.सी. में कूलिंग की समस्‍या पुन: उत्‍पन्‍न हुई, जिसकी शिकायत पर अगले दिन कंपनी के इंजीनियर ने आकर ए.सी. की जांच की और बताया कि इसमें गैस कम है, उन्‍होंने ए.सी. में गैस डाल दी और इस हेतु परिवादनी से अंकन-2250/-रूपये लिये किन्‍तु उसकी कोई रसीद परिवादनी को नहीं दी। दिनांक 12-5-2017 को पुन: कूलिंग की समस्‍या उत्‍पन्‍न होने पर विपक्षी-1 के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करायी गई, कंपनी के इंजीनियर ने आकर समस्‍या दूर कर दी। दिनांक 14-5-2017 को पुन: वही समस्‍या ए.सी. में उत्‍पन्‍न हुई। दिनांक 17-5-2017 को परिवादनी ने कूलिंग न होने की पुन: शिकायत विपक्षी-1 से की, तब अगले दिन उन्‍होंने परिवादनी से 400/-रूपये नकद चार्ज किये और ए.सी. की कूलिंग की समस्‍या ठीक कर दी गई। परिवादनी के अनुसार उसकी कूलिंग कम होने की समस्‍या लगातार बनी हुई है और विपक्षी-1 द्वारा उसका समाधान नहीं किया जा रहा है। अतएव मजबूर होकर उसे यह परिवाद योजित करना पड़ा। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद के साथ ए.सी. खरीदने की रसीद, दिनांक 12-10-2014 एवं 14-5-2017 की सर्विस रिपोर्ट और विपक्षी-1 के इंजीनियर द्वारा चार्ज किये गये 400/-रूपये की रसीद की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/4 लगायत 3/7 हैं।
  4. विपक्षी-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-9/1 लगायत 9/4 दाखिल हुआ, जिसमें कहा गया कि जब-जब परिवादनी ने ए.सी. की शिकायत की तब-तब उत्‍तरदाता के इंजीनियर ने जाकर ए.सी. की समस्‍या को दूर किया। परिवादनी का यह कथन गलत है कि ए.सी. में गैस की कमी की समस्‍या थी बल्कि सही बात यह है कि उसका पैनल लॉक ढीला हो गया था, जिसे ठीक कर दिया गया था। विपक्षी-1 की ओर से अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि ए.सी. जून, 2014 में खरीदी गई थी, उसकी एक साल की वारंटी थी, इस तरह ए.सी. की वारंटी माह जून, 2015 में समाप्‍त हो गई थी, ऐसी दशा में वारंटी अवधि के बाद ए.सी. में आयी खराबी के लिए उत्‍तरदाता विपक्षी-1 जिम्‍मेदार नहीं है। विपक्षी-1 ने यह भी कहा कि ए.सी. की वारंटी खतम हो जाने के बाद उनका इंजीनियर अपना चार्ज लेने के लिए स्‍वतंत्र था, ऐसी दशा में दिनांक 18-5-2017 को उसने परिवादनी से अपनी विजिट के 400/-रूपये चार्ज करके कोई गलत काम नहीं किया। परिवादनी का यह कथन भी असत्‍य है कि उत्‍तरदाता के इंजीनियर ने ए.सी. में गैस भरने के लिए परिवादनी से रूपये चार्ज किये और उसकी रसीद नहीं दी। उत्‍तरदाता विपक्षी की ओर से अग्रेत्‍तर यह कथन करते हुए कि जब भी परिवादनी की शिकायत आयी, उत्‍तरदाता ने उसका पूर्णरूपेण निराकरण किया और परिवादनी को कभी भी यह आश्‍वासन नहीं दिया गया कि उसकी शिकायत पुरानी है, ए.सी. ठीक कर दिया जायेगा, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई है।
  5. विपक्षी-2 व 3 तामील के बावजूद फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुए और उनकी ओर से प्रतिवाद पत्र भी दाखिल नहीं हुआ। अतएव फोरम के आदेश दिनांक 25-8-2017 के अनुपालन में परिवाद की सुनवाई विपक्षी-2 व 3 के विरूद्ध एकपक्षीय की गई।
  6. परिवादनी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-6/1 लगायत 6/2 दाखिल किया।
  7. विपक्षी-1 की ओर से वोल्‍टाज कंपनी के एरिया सर्विस मैनेजर श्री मोहित कुमार का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-11/1 लगायत 11/3 दाखिल हुआ।
  8. किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  9. हमने परिवादनी और विपक्षी-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  10. परिवादनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रश्‍नगत ए.सी. प्रारम्‍भ से ही ठीक नहीं था और उसमें निरन्‍तर कोई न कोई कमी आती रही यद्यपि शिकायत करने पर वोल्‍टाज कंपनी के इंजीनियर ने हर बार आकर समस्‍या का समाधान करने का प्रयास किया किन्‍तु ए.सी. में कूलिंग न होने की समस्‍या बनी रही तब मजबूर होकर परिवादनी को यह परिवाद योजित करना पड़ा। प्रतिउत्‍तर में वोल्‍टाज कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जब-जब ए.सी. की शिकायत कंपनी से की गई तब-तब कंपनी ने अपना इंजीनियर को परिवादनी के घर भेजा और उसने जाकर कूलिंग की समस्‍या का निदान किया, उनका यह भी कहना है कि ए.सी. में गैस कम होने की समस्‍या नहीं थी बल्कि उसका पैनल लॉक ढीला हो गया था, जिसे उनके इंजीनियर ने सही कर दिया था, उनका यह भी कथन है कि ए.सी. की वारंटी केवल एक साल की थी। ए.सी. दिनांक 02-6-2014 को खरीदा गया था, इस तरह माह जून, 2015 में ए.सी. की वारंटी खतम हो गई थी। वारंटी पीरियड के बाद ए.सी. में उत्‍पन्‍न कमियों के निराकरण की कंपनी की कोई जिम्‍मेदारी नहीं है। उन्‍होंने यह कहते हुए कि वारंटी अवधि में ए.सी. को ठीक कर दिया गया था, परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
  11. यह सही है कि ए.सी. की वारंटी केवल एक साल की थी किन्‍तु परिवादनी की ओर से दाखिल साक्ष्‍य से यह स्‍पष्‍ट है कि ए.सी. में कूलिंग की समस्‍या परिवाद योजित किये जाने के समय भी लगातार बनी हुई थी। जब वारंटी अवधि में ए.सी. पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया तो वोल्‍टाज कंपनी यह कहकर अपना पीछा नहीं छुड़ा सकती कि वारंटी अवधि बीत जाने के बाद ए.सी. में प्रारम्‍भ से ही निरन्‍तर आ रही समस्‍याओं से अब उसका कोई मतलब नहीं रहा है। परिवादनी के साक्ष्‍य शपथपत्र के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि वारंटी अवधि में ए.सी. में कूलिंग कम होने की उन्‍होंने विपक्षी-1 से तीन बार शिकायत की और परिवाद योजित किये जाने के समय तक शिकायतों की संख्‍या 7-8 हो गई। सेल इन्‍वायस की नकल कागज सं.-3/4 से प्रकट है कि परिवादनी ने प्रश्‍नगत ए.सी. के साथ वोल्‍टाज कंपनी का ही एक और ए.सी. खरीदा था। कहने का आशय यह है कि परिवादनी ने दिनांक 02-6-2014 को एक साथ वोल्‍टाज कंपनी के दो स्‍पलिट ए.सी. खरीदे थे। कूलिंग की समस्‍या केवल एक ए.सी. में हो रही है, दूसरे ए.सी. में किसी समस्‍या की शिकायत परिवादी ने नहीं की है। स्‍पष्‍ट है कि परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित ए.सी. में कदाचित निर्माण संबंधी दोष है, जिस वजह से कूलिंग की उसमें लगातार शिकायत आ रही है। कंपनी का यह उत्‍तरदायित्‍व था कि वह परिवादनी द्वारा इंगित ए.सी. की समस्‍या का स्‍थायी निराकरण करती किन्‍तु ऐसा नहीं किया गया। यहां तक कि यह कहकर कि वारंटी पीरियड समाप्‍त होने के बाद कंपनी के इंजीनियर ने यदि 400/-रूपये विजिट फीस परिवादनी से चार्ज कर ली तो कोई गलत बात नहीं की, ए.सी. को स्‍थायी रूप से ठीक करने की अपनी जिम्‍मेदारी से पल्‍ला झाड़ने का प्रयास किया, जो हमारे विनम्र अभिमत में उचित नहीं कहा जा सकता है।
  12. पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री, तथ्‍यों व परिस्थितियों से यह प्रमाणित है कि परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित ए.सी. में प्रारम्‍भ से ही निर्माण संबंधी दोष थे, जिनका स्‍थायी निराकरण न करके विपक्षी-1 ने परिवादनी को सेवा प्रदान करने में कमी की। उचित यह दिखायी देता है कि परिवादनी को इस ए.सी. का मूल्‍य अंकन-30,000/-रूपये 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित विपक्षी-1 से दिलाया जाये। परिवादनी को परिवाद व्‍यय की मद में विपक्षी-1 से अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी न्‍यायोचित होगा। परिवाद तद्नुसार स्‍वीकार होने योग्‍य है।    

परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित तीस हजार रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादनी के पक्ष में विपक्षी-1 के विरूद्ध स्‍वीकृत किया जाता है। विपक्षी-1 से परिवादनी परिवाद व्‍यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त पाने की भी अधिकारिणी होगी । इस आदेशानुसार धनराशि प्राप्‍त करने से पूर्व परिवादनी को परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित ए.सी. विपक्षी-1 को वापस करना होगा।

 

(सत्‍यवीर सिंह)                                                                                                                                 (पवन कुमार जैन)

  • सदस्‍य                                                                                                                                                    अध्‍यक्ष

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(सत्‍यवीर सिंह)                                                                                                                                  (पवन कुमार जैन)

  • सदस्‍य                                                                                                                                                      अध्‍यक्ष

दिनांक: 02-08-2018

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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