Rajasthan

Ajmer

CC/373/2013

SANJAY CHOUHAN - Complainant(s)

Versus

VODAFONE - Opp.Party(s)

ADV AVINASH TAK

07 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/373/2013
 
1. SANJAY CHOUHAN
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. VODAFONE
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

संजय चैहान पुत्र श्री यषोदानन्दन चैहान, निवासी- मकान नम्बर 969/29, चैहानो का बेरा, धोलाभाटा, अजमेर । 
                                                       प्रार्थी

                            बनाम

1.   वोडाफोन डिजीलिंक, 5 वा फ्लोर, गौरव टाफवर, मालवीय नगर, जयपुर-302017 जरिए प्रबन्धक । 
2.   वोडाफोन स्टोर, के.सी. काॅम्पलेक्स, अजमेर जरिए प्रबन्धक । 
                                                        अप्रार्थीगण
                    परिवाद संख्या 373/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री अविनाष टांक,  अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री ए.एस.,ओबेराय, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 07.05.2015


1.        परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी कम्पनी से टाॅक प्लान(वन इयर रेन्टेषन प्लान) लिया था  जिसकी काॅल रेट रू. 0.50 पै  अप्रार्थी कम्पनी द्वारा निर्धारित की गई थी  जिसे अप्रार्थी कम्पनी ने उसे सूचित किए बिना ही  एडवांस रेन्टल प्लान में बदल दिया जिसकी काॅल रेट रू. 1.99 पै.  उससे वसूल किए जाने लगे  इस संबंध में उसने दिनांक 6.3.2013 को अप्रार्थी संख्या 2 से सम्पर्क किया  किन्तु उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया ।  तत्पष्चात् अप्रार्थीगण ने  दिनंाक 13.4.2013 को उसकी आउटगोईग सुविधा भी बन्द कर दी  तो उसने दिनांक 7.5.2013 को अधिवक्ता के माध्यम से  दिनांक 7.5.2013 को नोटिस भिजवाया  किन्तु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थीगण को सेवा में कमी का दोषी बतलाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थीगण ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि प्रार्थी दिनांक 6.3.2012 को  उनके वोडाफोन स्टोर, अजमेर पर आया और प्रार्थी द्वारा ।कअंदबम त्मदजंस च्संद लेने हेतु सहमति जताई  उसके पूर्व प्लान को बदल कर  व्दम ल्मंत ।कअंदबम त्मदजंस च्संद में तब्दील किया गया  तत्पष्चात्  प्रार्थी द्वारा उक्त ।कअंदबम त्मदजंस च्संद  को बदलने हेतु पुनः निवेदन किए जाने पर दिनंाक 21.8.2013 को  उसके पूर्व प्लान व्दम ल्मंत त्मदजंस च्संद प्रारम्भ कर दिया गया । वर्तमान में प्रार्थी के मोबाईल पर व्दम ल्मंत त्मदजंस च्संद  ही ।बजपअम है।
    अप्रार्थीगण ने आगे  दर्षाया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या 7687/04 में दिनंाक 1.9.20009 को दिए निर्णय अनुसार  उपभोक्ता एवं मोबाईल कम्पनी के मध्य उत्पन्न होने वाला विवाद मंच  द्वारा सुनवाई योग्य नहीं है साथ ही विभिन्न न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए परिवाद खारिज होने योग्य दर्षाया । 
    अप्रार्थीगण ने मदवार जवाब में भी प्रारम्भिक आपत्तियों में  कहे गए तथ्यों को ही दोहराते हुए परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । 
3.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया । 
4.    अप्रार्थी कम्पनी के जवाब की प्रारम्भ्कि आपत्तियों में  एवं जवाब में इस मंच को धारा 7(बी) भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के अनुसार क्षेत्राधिकार नहीं होने का एतराज लिया है । अतः हम सबसे पहले इस बिन्दु को निर्णित करते है । इस निर्णय बिन्दु को सिद्व करने का भार अप्रार्थी कम्पनी पर था । उनकी ओर से अधिवक्ता ने अपने जवाब की प्रारम्भिक आपत्तियों में वर्णित अनुसार बहस की और यह बतलाया कि  इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट की धारा 7(बी) जिसके अनुसार  कि जहां ऐसा कोई विवाद हो तो उन विवादों को आरबीट्रेषन को रेफर किया जाना चाहिए  इस आषय का प्रतिपादिन माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय ।प्त्  2010 ैनचतमउम ब्वनतज 90 ळमदमतंस डंदंहमतए ज्मसमबवउ टे डण् ज्ञतपेीदंद ंदक ।दतण्   में बखूबी हुआ है । अधिवक्ता प्रार्थी कम्पनी की इस संबंध में बहस  है कि अप्रार्थी कम्पनी भारत सरकार द्वारा संचालित कोई कम्पनी नहीं है । अतः इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट के प्रोविजन इस संबंध में उन पर लागू नहीं होते है एवं अप्रार्थी कम्पनी की यह आपत्ति चलने योग्य नहीं है ।  
5.            हमने पक्षकारान की ओर से उपरोक्त अनुसार की गई बहस पर गौर किया तथा दृष्टान्त ळमदमतंस डंदंहमतए ज्मसमबवउ टे डण् ज्ञतपेीदंद ंदक ।दतण्    एवं  इण्डियन टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 7(बी) का अध्ययन किया  साथ ही भारत सरकार के ळवअमतदउमदज व िप्दकपंए डपदपेजतल व िब्वउउनदपबंजपवदे - प्ज् क्मचंतजउमदज व िज्मसमबवउउनदपबंजपवदे द्वारा जारी दिषा निर्देष  व स्पष्टीकरण दिनांक 24.1.2014 जिसकी प्रति उचित माध्यम से अर्थात राज्य आयोग से 
इस मंच को प्रेषित की है, का भी अध्ययन किया । भारत सरकार के दिषा निर्देष (उपरोक्त) दिनांक 24.1.2014 के पैरा 4 में उल्लेख किया है कि  इण्डियन टेलीफोन एक्ट की धारा 7 (बी)  में  विवाद जो टेलीग्राफ आथिरिटी व उपभोक्ताओं के मध्य हो तो ऐसे विवाद को मध्यस्थ को रेफर किया जावेगा , वर्णित है  एवं इसी पैरा में वर्णितानुसार भारत सरकार के डपदपेजतल व िब्वउउनदपबंजपवदे - प्ज् क्मचंतजउमदज व िज्मसमबवउउनदपबंजपवदे (उपरोक्त) दिषा निर्देष में यह भी बतलाया है कि टेलीफोन से संबंधित प्राईवेट कम्पनीस् तथा भारत दूर संचार निगम लिमिटेड में से कोई भी टेलीग्राफ आथिरिटी की श्रेणी में नहीं आता है ।  अतः माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय ळमदमतंस डंदंहमतए ज्मसमबवउ टे डण् ज्ञतपेीदंद ंदक ।दतण् में प्रतिपादित  मत ऐसे प्रकरणों में लागू होना नहीं माना  है। इस प्रकार इस विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि इस विवाद को इस मंच को सुनवाई का क्षेत्राधिकार है । इस प्रकार इस निर्णय बिन्दु का निर्णय इसी अनुरूप किया जाता है ।   
6.    अब  हम आगे के निर्णय हेतु अग्रसर होते हे । परिवाद में वर्णित अनुसार प्रार्थी ने अप्रार्थी कम्पनी के विरूद्व इस आषय की  सेवा में कमी  दर्षाई है कि अप्रार्थी कम्पनी द्वारा प्रार्थी के काॅल रेट  जो 0.50 पै. निर्धारित की गई थी उससे प्रति काॅल रू. 1.99 पै. चार्ज की जा रही हे एवं इस हेतु प्रार्थी से किसी तरह की सहमति नहीं ली गई थी । इस प्रकार अप्रार्थी कम्पनी का यह मनमाना निर्णय बतलाया । इस संबंध में  अप्रार्थी के जवाब में जो उल्लेख आया है उसका भी हमने अध्ययन किया ।  अप्रार्थी कम्पनी के जवाब  अनुसार प्रार्थी स्वयं ने व्दम ल्मंत ।कअंदबम त्मदजंस च्संद  की स्वीकृति दी थी इस कारण से उक्त प्लान चालू किया गया था । तत्पष्चात् उक्त प्लान को प्रार्थी द्वारा निवेदन किए जाने पर दिनंाक 21.8.2013 को  उसके पूर्व प्लान व्दम ल्मंत  त्मदजंस च्संद प्रारम्भ कर दिया गया । वर्तमान में प्रार्थी के मोबाईल पर व्दम ल्मंत त्मदजंस च्संद  ही है तथा प्रार्थी का मोबाईल नम्बर  आज भी ।बजपअम  होना दर्षाया है ।  जवाब में प्रार्थी के अन्य कथनों को अस्वीकार किया है । पत्रावली पर प्रार्थी ने प्लान बदलने की कोई स्वीकृति दी हो , ऐसी कोई साक्ष्य नहीं है । अतः इन सभी तथ्यों  एवं  परिस्थितियों को देखते हुए हम अप्रार्थी कम्पनी के विरूद्व इस आषय की सेवा में कमी सिद्व पाते है कि अप्रार्थी कम्पनी ने बिना प्रार्थी की स्वीकृति के प्लान बदला दिया है  एवं इस हेतु  हमारे विनम्र मत में प्रार्थी समुचित राषि बतौर हर्जे के प्राप्त करने का अधिकारी है । अतः आदेष है कि 
                      :ः- आदेष:ः-
7.    (1)     प्रार्थी अप्रार्थी कम्पनी से  मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में बतौर हर्जे के रू. 5000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
        (2)     क्र. सं. 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी कम्पनी प्रार्थी को  इस  आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
            (3)     दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी कम्पनी   से  उक्त राषि पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(श्रीमती ज्योति डोसी)                              (गौतम प्रकाष षर्मा)
           सदस्या                                           अध्यक्ष    
8.        आदेष दिनांक 07.05.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्या                                           अध्यक्ष

    
ं 

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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