Uttar Pradesh

Mahoba

98/14

SANTOSH KUMAR - Complainant(s)

Versus

VODAFONE DIGITAL - Opp.Party(s)

UMESH YADAV

26 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 98/14
 
1. SANTOSH KUMAR
KABRAI
...........Complainant(s)
Versus
1. VODAFONE DIGITAL
NEW DELHI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE JANARDAN KUMAR GOAYAL PRESIDENT
 HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI MEMBER
 HON'BLE MRS. NEELA MISHRA MEMBER
 
For the Complainant:UMESH YADAV, Advocate
For the Opp. Party: VIKRAM BHADAURIYA, Advocate
ORDER

 

समक्ष न्‍यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा

परिवाद सं0-98/2014                   उपस्थित- श्री जनार्दन कुमार गोयल, अध्‍यक्ष,

                                                 डा0 सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी, सदस्‍य,

                                                श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्‍य

संतोष कुमार पुत्र श्री लिलवा निवासी-मुहाल-विवेक नगर,कबरई परगना व तहसील व जिला महोबा                                                                   ...परिवादिनी                                   

बनाम

1.वोडाफोन डिजी लिंक लि0 बी0डी0एल0 रजिस्‍टर्ड आफिस एट- 648 ओखला इंडस्‍ट्रीज एरिया प्‍लेश-।। न्‍यू देलही 110020 द्वारा प्रबंधक, वोडाफोन डिजी लिंक लि0 बी0डी0एल0 रजिस्‍टर्ड आफिस एट- 648 ओखला इंडस्‍ट्रीज एरिया प्‍लेश-।। न्‍यू देलही 110020

2.सर्किल आफिस एट शालीमार टिटे नियम,प्‍लोट नं0 टी0सी0/जी0। /।,विभूति खण्‍ड,गोमतीनगर लखनऊ 226010 द्वारा सहायक प्रबन्‍धक  226010

3.नितेश गुप्‍ता,संचालक वोडाफोन बी0ए0एम0एस0 सर्विस सेंटर,महोबा धनवंतरी मेडिकल स्‍टोर,प्राइवेट बस स्‍टैण्‍ड के पास,महोबा                                    .....विपक्षीगण

 

निर्णय

 

श्री जनार्दन कुमार गोयल,अध्‍यक्ष द्वारा उदधोषित

      परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण सं01 व 2 के विरूद्ध प्रारंभ में प्रस्‍तुत किया गया था । विपक्षी सं03 को संशोधन द्वारा पक्षकार बनाया गया है । परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि परिवादी विवेक नगर,कबरई परगना व तहसील-महोबा का निवासी है। विपक्षी सं01 व 2 की कंपनी वोडाफोन के ई टोप,कैश कार्ड,सिम, नेट सेटर कार्ड को विक्रय करने के लिये अनुबंधित व्‍यक्ति है । संतोष टेलीकाम के नाम से कबरई बाजार में प्रतिष्‍ठान स्‍थापित है और परिवादी इसका प्रोपराइटर है । उसका व विपक्षी कंपनी का दि0 04.04.2012 को तीन वर्ष के लिये अनुबंध हुआ था । किसी विवाद की स्थिति में एजेंसी समाप्‍त करने के पूर्व 30 दिन का नोटिस विपक्षीगण द्वारा परिवादी को देना भी तय हुआ था । विपक्षीगण के अधीनस्‍थ कर्मचारी आर0एम0 निखिल गुप्‍ता एवं ए0एस0एम0 कुमुद वर्मा द्वारा परिवादी की बिना किसी त्रुटि के दि0 10.05.2014 को एजेंसी समाप्‍त कर दिया तथा 10.05.2014 को ही नितेश गुप्‍ता निवासी महोबा को प्रिया एजेंसी को अनियमित रूप से एजेंसी दे दी जो अनुबंध की शर्तों के विपरीत है । पूर्व सूचना के बिना एजेंसी समाप्‍त करने से परिवादी के पास रखा माल 600/-रू0 का ई टोप,5,000/-रू0 का सिम कार्ड,50,000/-रू0 का कैश कार्ड एवं 2,000/-रू0 का नेट सेटर कुल 57600/-रू0 का माल रखा हुआ है । परिवादी ने 10,000/-रू0 का माल एजेंसी को वापस किया,जिसका पेमेंट भी परिवादी को प्राप्‍त करना है । परिवादी की 50000/-रू0 प्रतिदिन से अधिक की बिक्री थी । एजेंसी समाप्‍त किये जाने से परिवादी की 500/-रू0 प्रतिदिन की क्षति हो रही है । अनुबंध के अनुसार 30 दिन का नोटिस और 48 घंटे के अंदर सभी रिप्‍लेसमेंट का पेमेंट परिवादी को दिया जाना आवश्‍यक था जो विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया । परिवादी ने दि0 21.05.2014 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजा । विपक्षीगण ने बावजूद तामील कोई जबाब नहीं दिया और कोई कार्यवाही नहीं की । विधि विरूद्ध तरीके से एजेंसी समाप्‍त कर दी गई तथा धोखा धडी की गई तथा अनुबंध की शर्तों का उल्‍लंघन किया । विपक्षीगण संपूर्ण भारत में अपने अधिकृत फेंचाइजी नियुक्‍त कर के व्‍यापार करते है तथा वर्तमान में नितेश गुप्‍ता को फेंचाइजी नियुक्‍त कर के व्‍यापार कर रहे हैं । अत: यह परिवाद परिवादी की एजेंसी बहाल करने और 500/-रू0 प्रतिदिन की दर से दि0 10.05.2014 से भुगतान की तिथि तक क्षतिपूर्ति,10,000/- रू0 के रिप्‍लेंसमेंट की धनराशि पर 18 प्रतिशत की वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित एवं 58,000/-रू0 का पेमेंट 18 प्रतिशत की वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित दिलाये जाने हेतु और एजेंसी बहाल न होने कीस्थिति में 5,00,000/-रू0 व परिवादव्‍यय हेतु प्रस्‍तुत किया गया है।    

      विपक्षी संख्‍या-01 व 02 के जबावदावा के अनुसार परिवादी व विपक्षीगण के मध्‍य दि0 04.04.2012 को अनुबंध निष्‍पादित हुआ था । परिवादी की ऐजेंसी संतोष टेलीकाम विपक्षी के उत्‍पादों का विक्रय करने हेतु अधिकृत थी,वह स्‍वयं के उत्‍पादों को विक्रय नहीं करती थी । परिवादी तथा विपक्षीगण के मध्‍य व्‍यावसायिक व्‍यवहार था । अनुबंध की शर्तों के अनुसार तीन वर्ष की अवधि शर्तों के आधीन थी । अनुबंध के अनुसार विवाद की स्थिति में अर्बिटेशन क्‍लाज था जिसका परिवादी ने उपयोग नहीं किया । परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है और यह कोई उपभोक्‍ता विवाद नहीं है तथा परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है ।

      विपक्षी सं03 ने जबाबदावा प्रस्‍तुत करने हेतु समय लिया लेकिन उनके द्वारा कोई जबाबदावा प्रस्‍त‍ुत नहीं किया गया । आदेश दि0.15.10.2015 द्वारा विपक्षी सं03 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई ।

      विपक्षी सं01 व 2 के जबाबदावा के उपरांत परिवादी ने रिपलिका प्रस्‍तुत किया कि विपक्षी सं01 व 2 ने अनुबंध दि0 04.04.2012 का स्‍वयं उल्‍लंघन किया गया । परिवादी अनुबंध के अनुसार व्‍यवसाय करता रहा है । परिवादी विपक्षी सं01 व 2 का बकायेदार व देनदार नहीं है इसलिये अर्बि‍टेशन का कोई औचित्‍य नहीं है

      परिवादिनी की और से अभिलेखीय साक्ष्‍य के अतिरिक्‍त संतोष कुमार का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया । अन्‍य साक्ष्‍य देने से अस्‍वीकार किया । 25.02.2016 को परिवादी के साक्ष्‍य का अवसर समाप्‍त किया गया ।

      विपक्षी सं01 व 2 ने जबाबदावा के साथ सप्‍तांशु मित्रा डी0जी0एम0 लीगल का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया । अन्‍य कोई साक्ष्‍य नहीं दिया । आदेश दि0 17.03.2016 द्वारा विपक्षीगण के साक्ष्‍य का अवसर समाप्‍त किया गया ।

      पत्रावली का अवलोकन किया गया व पक्षकारों के अधिवक्‍तागण के तर्क सुने गये ।

स्‍वीकृत तथ्‍य है कि परिवादी का संतोष टेलीकाम के नाम से विपक्षीगण 1 व 2 की कंपनी से दि0 04.04.2012 को अनुबंध हुआ और उसके अनुसार अधिकृत डीलर था । विपक्षीगण तथा विपक्षीगण 1 व 2 के उत्‍पादों का व्‍यवसाय करता था ।

विपक्षीगण सं01 व 2 की और से यह तर्क दिया गया है कि परिवादी व विपक्षीगण 1 व 2 के मध्‍य व्‍यापारिक व्‍यवहार था । परिवादी उपभोक्‍ता नहीं है । कोई उपभोक्‍ता विवाद नहीं है। परिवादी का यह केस नहीं है कि परिवादी ने विपक्षीगण के उत्‍पादों को उपभोक्‍ता के रूप में प्रयोग किया हो । बल्कि वह विपक्षीगण सं01 व 2 के उत्‍पादों का अधिकृत विक्रेता था । अनुबंध दि004.04.2012 के आधार पर व्‍यापारिक संव्‍यवहार स्‍थापित हुआ है । विपक्षीगण ने अनुबंध की शर्तों का यदि कोई उल्‍लंघन किया है और धोखा धडी की है तो यह उपभोक्‍ता विवाद की श्रेणी में नहीं आता है । इस दृष्टिकोण से परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्‍ता नहीं है और विपक्षीगण की कोई सेवा में त्रुटि का प्रश्‍न नहीं उठता । अनुबंध की शर्तों का उल्‍लंघन मात्र से उपभोक्‍ता विवाद नहीं बनता । परिवादी अनुबंध की शर्तों के क्रियांवयन के लिये उपलब्‍ध उपचार कर सकता था लेकिन उपभोक्‍ता संरक्षण फोरम को उक्‍त अनुबंध की शर्तों के उल्‍लंघन के प्रकरण की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है । विपक्षीगण की और से ए0आई0आर0 1996 सुप्रीम कोर्ट पेज 1083 राजीव मेटल वर्क्‍स एवं अन्‍य बनाम मिनरल एंड ट्रेडिंग कारपोरेशन आफ इंडिया लि0 में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत की और हमारा ध्‍यान आकर्षित किया

गया है जिसके अनुसार यदि रा मैटैरियल निर्माण करने के उददेश्‍य से तथा निर्माण के उपरांत विक्रय हेतु दी जाती है तो यह व्‍यापारिक उददेश्‍य है और उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा- 2 । डी 2 के अनुसार उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है ।

इस सिद्धांत के परिपेक्ष्‍य परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है ।

                                    आदेश     

      परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया जाता है । पक्षकार अपना अपना परिवाद व्‍यय स्‍वयं वहन करें ।

 

(डा0सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी)         (श्रीमती नीला मिश्रा)             (जनार्दन कुमार गोयल)

    सदस्‍य,                       सदस्‍या,                       अध्‍यक्ष,

जिला फोरम,महोबा।            जिला फोरम,महोबा।             जिला फोरम,महोबा।

  06.04.2016                  06.04.2016                   06.04.2016

यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।

 

(डा0सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी)         (श्रीमती नीला मिश्रा)             (जनार्दन कुमार गोयल)

    सदस्‍य,                       सदस्‍या,                       अध्‍यक्ष,

जिला फोरम,महोबा।            जिला फोरम,महोबा।             जिला फोरम,महोबा।

  06.04.2016                  06.04.2016                   06.04.2016

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE JANARDAN KUMAR GOAYAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. NEELA MISHRA]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.