जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह.......................................वरि0सदस्य
सुधा यादव.....................................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-529/2014
विजय लक्ष्मी गुप्ता पत्नी श्री दिनेष चन्द्र गुप्ता निवासी 1/176 नवाबगंज, कानपुर नगर।
................परिवादिनी
बनाम
1. बी0एल0सी0सी0 इंस्ट्ीटयूट 113/200 स्वरूप नगर, कानपुर नगर-208002
2. बी0एल0सी0सी0 इंस्ट्ीटयूट 372 प्रथम तल कोहात इनक्लेव प्रीतमपुरा नई दिल्ली-110034
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 22.11.2014
निर्णय की तिथिः 17.08.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःएकपक्षीय-निर्णयःःः
1. परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादिनी का जमा प्रषिक्षण षुल्क रू0 25,000.00 मय 18 प्रतिषत ब्याज दिनांक 09.12.10 से दिलाया जाये, परिवादिनी को हुए मानसिक संताप के लिए विपक्षी सं0-1 से रू0 50000.00 दिलाया जाये और विपक्षी सं0-1 व 2 से परिवाद व्यय के रूप में रू0 11000.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादिनी का कथन यह है कि परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण द्वारा अखबार में प्रकाषित लोक-लुभावन इष्तहार को पढ़कर विपक्षी सं0-1 बी.एल.सी.सी. इंस्ट्ीटयूट स्वरूप नगर में दिनांक 09.12.10 को रू0 500.00 जमाकर प्रषिक्षण हेतु दाखिला लिया गया। परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण द्वारा प्रकाषित विभिन्न कोर्सों में ब्यूटी कल्चर एवं हेयर डिजाइनिंग का रू0 25000.00 अदा करके, चुनाव करके प्रवेष लिया गया। दोनों कोर्सों की प्रषिक्षण अवधि 4 माह की थी, जिसमें
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प्रैक्टिकल भी षामिल था। विपक्षीगण द्वारा कोर्स समाप्त होने के एक माह बाद प्रमाण पत्र मुख्य कार्यालय बी.एल.सी.सी. द्वारा मिलते ही देने का वायदा किया गया और यह भी वायदा किया गया कि प्रमाण पत्र मिलते ही परिवादिनी को रू0 15000.00 तक की नौकरी बी.एल.सी.सी. इंस्टीट्यूट में मिल जायेगी। परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-1 पर विष्वास करके बाजार से ब्याज पर पैसे लेकर प्रषिक्षण षुल्क रू0 25000.00 भुगतान किया गया। परिवादिनी की हाजिरी भी विपक्षी सं0-1 द्वारा लगायी गयी, कोई भी कोर्स सही तरह से नहीं सिखाया गया और न ही कोर्स से सम्बन्धित प्रैक्टिकल कराया गया। निर्धारित समय पूर्ण होने के बाद भी परिवादिनी को प्रमाण पत्र. प्रदान नहीं किया गया। परिवादिनी को दो वर्शों पष्चात दिनांक 21.03.12 को दो प्रमाण पत्र दिये गये, जो कि मुख्य कार्यालय द्वारा जारी न होकर विपक्षी सं0-1 द्वारा ही जारी किये गये हैं। जिनकी मान्यता दूसरे स्थानों पर नहीं हो पा रही है। तब परिवादिनी को स्वयं के ठगे होने का एहसास हुआ और विपक्षीगण से प्रषिक्षण षुल्क रू0 25000.00 की वापसी की मांग जरिये विधिक नोटिस दी गयी। किन्तु विपक्षी सं0-1 द्वारा कोई हल न निकालने पर परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षीगण को जरिये रजिस्टर्ड डाक नोटिस भेजी गयी, किन्तु विपक्षीगण बावजूद विधिक नोटिस फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा दिनांक 29.06.16 को विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय चलाये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 21.11.14 व 14.07.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगातय् 1/9 व समाचार पत्र में प्रकाषन की कटिंग तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
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निष्कर्श
5. फोरम द्वारा परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता को एकपक्षीय रूप से सुनने व प्रस्तुत लिखित बहस तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादिनी की ओर से एक कथन यह किया गया है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादिनी से यह वायदा किया गया था कि प्रषिक्षण के पष्चात उसे रू0 15000.00 तक की नौकरी विपक्षी सं0-1 के इंस्टीट्यूट में मिल जायेगी। किन्तु परिवादिनी द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में षपथपत्रीय साक्ष्य के अतिरिक्त अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। विधि का यह सुस्थापित सिद्धांत है कि जो तथ्य अन्य अभिलेखीय साक्ष्य के द्वारा साबित किया जाना है, उन तथ्यों को मात्र षपथपत्र के आधार पर प्रमाणित नहीं माना जायेगा।
परिवादिनी की ओर से एक कथन यह किया गया है कि विपक्षी सं0-1 के द्वारा लगाये गये लोक-लुभावन प्रकाषन इस आषय के कराये गये थे कि प्रषिक्षण के उपरान्त परिवादिनी को 100 प्रतिषत कार्य मिल जायेगा। इस सम्बन्ध में पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादिनी की ओर से सूची के साथ अखबार में विपक्षीगण की ओर से प्रकाषित प्रकाषन की कटिंग प्रस्तुत की गयी है। किन्तु उक्त अभिलेख के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादिनी अथवा अन्य किसी प्रषिक्षु को जॉब दिलाने की गारंटी नहीं दी गयी है। उक्त प्रकाषन के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षीगण द्वारा जॉब दिलाये जाने की 100 प्रतिषत सहायता करने की बात अंकित की गयी है। जिससे यह स्पश्ट होता है कि परिवादिनी द्वारा अपने उपरोक्त कथन को भी साबित नहीं किया जा सका है।
परिवादिनी की ओर से एक कथन यह किया गया है कि विपक्षी के द्वारा कोर्स सही तरीके से न तो पढ़ाया और न ही पै्रक्टिकल कराया
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गया, किन्तु इस सम्बन्ध में भी परिवादिनी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। अतः परिवादिनी का उपरोक्त कथन भी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। परिवादिनी की ओर से एक कथन यह किया गया है कि विपक्षी के द्वारा यह वायदा किया गया था कि कोर्स समाप्त होने के तत्काल बाद उसे प्रमाण पत्र जारी कर दिया जायेगा, किन्तु परिवादिनी को उसके द्वारा किये गये कोर्स से सम्बन्धित प्रमाण पत्र दो वर्शों बाद दिये गये है। पत्रावली के अवलोकन से विदित हेता है कि परिवादिनी की ओर से विपक्षीगण के द्वारा किये गये अभिकथित वायदे को प्रमाणित करने के लिए कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
6. परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से खारिज किया जाता है।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।