(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-22/2010
Executive Engineer, Electricity Distribution division & others
Versus
Vivek Kumar Sachan S/O Raja Ram
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री मोहन अग्रवाल, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :01.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-256/2002, विवेक कुमार सचान बनाम अधिशाषी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड व अन्य में विद्वान जिला आयोग, फतेहपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.11.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादी के परिसर में स्थापित विद्युत कनेक्शन पर विद्युत शुल्क मीटर रीडिंग 44 यूनिट के आधार पर बिल वसूल करने का आदेश पारित किया है और दिनांक 28.05.2002 आई0डी0एफ0 के आधार पर तैयार की गयी रिपोर्ट के अनुसार बिल प्रेषित करने को विधि विरूद्ध माना है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश के अनुसार 2 विवादित बिन्दु उत्पन्न होते हैं। प्रथमत: जिला उपभोक्ता आयोग ने न्यूनतम मीटर रीडिंग 44 यूनिट के आधार पर बिल जारी करने का आदेश पारित किया है और इसी अवसर पर आई0डी0एफ0 के आधार पर भेजे गये बिल को निरस्त किया है, चूंकि मीटर मौजूद है, इसलिए न्यूनतम 44 यूनिट का निर्धारण करना अनुचित है। मीटर रीडिंग के अनुसार जितनी यूनिट खर्च की गयी, उसी के आधार पर बिल वसूल किया जाना विधिसम्मत है, परंतु आदेश का द्वितीय भाग कि आई0डी0एफ0 के अनुसार बिल प्रेषित नहीं किया जाना चाहिए था। इस आधार पर विधिसम्मत है कि चूंकि परिवादी के परिसर में मीटर स्थापित है, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश परिवर्तित होने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि विद्युत विभाग परिवादी के परिसर मे स्थित मीटर रीडिंग के अनुसार बिल प्रेषित करे।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3