राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-1830/2009
(जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-30/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-09-2009 के विरूद्ध)
1. यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सैक्रेटरी, डिपार्टमेण्ट आफ पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ।
2. सुपरिण्टेण्डेण्ट आफ पोस्ट आफिस, रेलवे मेल सर्विस, बी0एल0 डिवजीन, जिला बरेली।
............ अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ।
बनाम
विवेक कुमार गुप्ता पुत्र बी0के0 गुप्ता निवासी 14, आनन्द नगर, हार्टमेन तिराहा, जिला बरेली।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित:डॉ0 यू0वी0 सिंह विद्वान अधिवक्ता के
कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 16-04-2024.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थीगण द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-30/2009 विवेक कुमार गुप्ता बनाम पोस्ट मास्टर एवं दो अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-09-2009 के विरूद्ध योजित अपील के सन्दर्भ में हमारे द्वारा केवल अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी को पंजीकृत
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डाक से नोटिस प्रेषित की गई थी, परन्तु उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
विद्वान जिला आयोग ने, डाक देरी से पहुँचने के कारण परिवाद स्वीकार करते हुए 5,000/- रू0 की क्षतिपूर्ति एवं 2000/- रू0 वाद व्यय अदा करने का आदेश पारित किया है।
भारतीय डाक अधिनियम की धारा-6 की व्यवस्था के अनुसार यदि दुराशय एवं धोखे का बिन्दु मौजूद है तब देरी से डाक पहुँचने के आधार पर डाक विभाग को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
प्रस्तुत केस में परिवादी का कथन है कि उसने दिनांक 19-02-2009 को सुबह 10.40 बजे रेल मेल सर्विस, रेलवे स्टेशन बरेली जक्शन के कार्यालय से स्पीड पोस्ट सेवा द्वारा अंकन 34/- रू0 खर्च करके डाक प्रेषित की, जो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, इलाहाबाद में दिनांक 20-02-2009 को प्राप्त करा देनी चाहिए थी, लेकिन यह डाक दिनांक 24-02-2009 को पहुँची, जिसके कारण आवेदक का आवेदन अमान्य कर दिया गया।
परिवाद पत्र में कहीं भी दुर्भावना या धोखे का कथन अंकित नहीं किया गया है। अत: ऐसी स्थिति में अपीलार्थी डाक विभाग की सेवा में कमी नहीं मानी जा सकती। यद्यपि परिवादी द्वारा प्रश्नगत डाक भेजने के लिए जो अंकन 34/- रू0 खर्च किए, वे 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित डाक विभाग द्वारा अदा किए जाने चाहिए थे। अत: डाक विभाग को उक्त धनराशि अंकन 34/- रू0 की ब्याज सहित अदायगी किए जाने हेतु आदेश दिया जाना उचित है।
तदनुसार विद्वान जिला आयोग का प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश परिवर्तित करते हुए अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील, आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-30/2009 में पारित
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प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-09-2009 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थीगण इस निर्णय के 30 दिन के अन्दर परिवादी को अंकन 34/- रू0 दिनांक 19-02-2009 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित अदा करें।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
अपीलार्थीगण द्वारा यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के, सम्बन्धित जिला आयोग को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र प्रेषित कर दी जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश के सन्दर्भ में उक्त धनराशि का विधि अनुसार निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 16-04-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.