Uttar Pradesh

StateCommission

A/1199/2018

M/S Daikin Air Conditioning India - Complainant(s)

Versus

Vivek Gupta - Opp.Party(s)

Manu Dixit

05 Mar 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1199/2018
( Date of Filing : 27 Jun 2018 )
(Arisen out of Order Dated 21/12/2017 in Case No. C/267/2015 of District Lucknow-I)
 
1. M/S Daikin Air Conditioning India
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Vivek Gupta
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 05 Mar 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1199/2018

(जिला फोरम, प्रथम लखनऊ द्धारा परिवाद सं0-267/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.12.2017 के विरूद्ध)

M/s Daikin Air Conditioning India Pvt. Ltd., Branch Office B-191, 1st Floor, Nirala Nagar, Lucknow.

                                               ........... Appellant/Opp. Party

Versus    

1-    Vivek Gupta S/o R.P.P. Gupta, R/o 1/186, Sector-L, L.D.A. Colony, Kanpur, Lucknow.

…….. Respondent/ Complainant

2-    M/s Nanak Electronics, Shop No. 6-7, Guru Teg Bahadur Market, Bans Mandi, Naka Hindola, Lucknow.

       …….. Respondent/ Opp. Party

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता    : श्री मनु दीक्षित

प्रत्‍यर्थी/ परिवादी         : श्री विवेक गुप्‍ता, व्‍यक्तिगत रूप से

    उपस्थित

दिनांक :-29-3-2019                                            

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-267/2015 विवेक गुप्‍ता बनाम नाका इलेक्‍ट्रोनिक्‍स व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता प्रतितोष फोरम, प्रथम लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21.12.2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष परिवाद के विपक्षी Daikin Air Conditioning India Pvt. Ltd. की ओर से

 

-2-

अपील हेतु निर्धारित समय सीमा के बाद विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत की गई है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनु दीक्षित उपस्थित आये है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी श्री विवेक गुप्‍ता व्‍यक्तिगत‍ रूप से उपस्थित हुए है। प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता और प्रत्‍यर्थी/परिवादी श्री विवेक गुप्‍ता को विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र पर सुना है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 21.12.2017 को पारित किया गया है और उसकी नि:शुल्‍क प्रमाणित प्रतिलिपि अपीलार्थी को दिनांक 01.01.2018 को उपलब्‍ध करायी गई, जबकि यह अपील दिनांक 27.6.2018 को अपील हेतु निर्धारित समय सीमा के बाद प्रस्‍तुत की गई है।

अपील प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब का कारण, विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र में इस प्रकार बताया गया है कि अपीलार्थी आक्षेपित निर्णय और आदेश का पालन करने के लिए तैयार था और उसने अपना Technician प्रत्‍यर्थी/परिवादी के आवास पर ए0सी0 ठीक करने हेतु भेजा, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ए0सी0 ठीक कराने से इंकार कर दिया, इस कारण अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा आक्षेपित आदेश का पालन नहीं किया जा सका। तब दिनांक 07.02.2018

-3-

को अपीलार्थी के स्‍थानीय कार्यालय द्वारा अपीलार्थी के लीगल डिपार्टमेंट को गुड़गॉव में सूचना भेजी गई, तदोपरांत पुन: अपीलार्थी का Technician प्रत्‍यर्थी/परिवादी के घर पर दिनांक 21.3.2018 व 06.5.2018 को ए0सी0 ठीक करने गया, परन्‍तु दोनों बार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ए0सी0 ठीक कराने से इंकार कर दिया, जिससे आयोग के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा सका है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी ने आक्षेपित निर्णय के विरूद्ध अपील प्रस्‍तुत करने का निर्णय लिया है और यह अपील 142 दिन विलम्‍ब से प्रस्‍तुत किया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी ने अपील प्रस्‍तुत करने में विलम्‍ब का जो कारण बताया है, वह आधाररहित और सत्‍यता से परे है।

आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

 “परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है, तथा विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा 03 ए0सी0 प्रस्‍तुत करने के 10 दिन के अन्‍दर उसकी मरम्‍मत कर परिवादी को वापस करेगें। यदि उन खराब एयर कन्डिश्‍नर की मरम्‍मत सम्‍भव नहीं है तो विपक्षीगण तीनों ए0सी0 को बदलकर उसके स्‍थान पर ए0सी0 की कीमत मुबलिग

-4-

1,48,500.00 (एक लाख अड़तालिस हजार पॉच सौ रूपया मात्र) मय ब्‍याज वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करेंगें। साथ ही साथ परिवादी को हुए मानसिक, शारीरिक क्षति के लिए 10,000.00 रूपये (दस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्‍यय के रूप में मुबलिग 5,000.00 (पॉच हजार रूपया मात्र) भी अदा करेगें।”

अपीलार्थी के द्वारा विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र में किये गये उपरोक्‍त कथन से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी जिला फोरम द्वारा पारित आदेश से संतुष्‍ट रहा है और उसका पालन करने हेतु तैयार व तत्‍पर रहा है।

जिला फोरम के आदेश से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी द्वारा तीन ए0सी0 प्रस्‍तुत करने के 10 दिन के अन्‍दर उसकी मरम्‍मत कर परिवादी को वापस करना है और यदि ए0सी0 की मरम्‍मत सम्‍भव नहीं है, तो विपक्षी तीनों ए0सी0 को बदलकर उसकी कीमत परिवादी को अदा करेगा। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी जिला फोरम के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु आवेदन पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत कर आक्षेपित आदेश के अनुसार तीनों खराब ए0सी0 मरम्‍मत हेतु प्रस्‍तुत करने के लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी को निर्देशित करने का निवेदन जिला फोरम के समक्ष कर सकता

 

-5-

है। अत: उसके द्वारा अपील प्रस्‍तुत करने का बताया गया कारण उचित नहीं दिखता है।

उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी को आक्षेपित निर्णय की नि:शुल्‍क प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्‍त होने के बाद वह जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय से संतुष्‍ट रहा है और उसके विरूद्ध अपील प्रस्‍तुत न करने का निश्‍चय किया है और इसी कारण उसने अपील निर्धारित समय सीमा के अन्‍दर प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हॅू कि विलम्‍ब क्षमा कर अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील ग्रहण किए जाने हेतु उचित और युक्ति संगत आधार नहीं है। अत: विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र निरस्‍त किया जाता है और अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील कालबाधा के आधार पर अस्‍वीकार की जाती है। 

वर्तमान अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेगें।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनिमय के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000.00 रू0 अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।

 

                       (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)         

                                अध्‍यक्ष                             

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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