राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या– 388/2002 सुरक्षित
( जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम आगरा द्वारा परिवाद सं0-246/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 22-12-2001 के विरूद्ध)
- आगरा डेव्लपमेंट अथारिटी, आगरा।
- वाइस चेयरमैन, आगरा डेव्लपमेंट अथारिटी, आगरा।
- सेक्रेटरी, आगरा डेव्लपमेंट अथारिटी, आगरा।
..अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
विश्वनाथ शर्मा, उम्र लगभग 45 वर्ष पुत्रश्री भवानी सिंह शर्मा निवासी- 38 शिवाजी नगर, शाहगंज, आगरा।
.......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से उपस्थिति : श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थिति : कोई नहीं।
दिनांक-08-01-2016
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उद्घोषित
निर्णय
अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम आगरा द्वारा परिवाद सं0-246/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 22-12-2001 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार से है कि परिवादी ने दिनांक 19-06-1978 को प्लाट सं0- 80 विपक्षीगण से व्यवसाय हेतु यातायात नगर, आगरा में एलाट कराया था, इसके लिए आवंटर से पूर्व प्रार्थी ने दिनांक 15-06-1976 को 2900-00 रूपये एवं दिनांक 23-08-1976 को रूपया 2600-00 की धनराशि आगरा विकास प्राधिकरण, आगरा में जमा की थी और उसमें यह शर्त लगायी गई थी कि यदि उसका निर्माण छ: माह के अन्दर नहीं होगा तो 15 प्रतिशत ब्याज उक्त रकम पर विपक्षी देगा। विपक्षी को नोटिस दिनांक 05-07-1982 को भेजा गया, लेकिन उन्होंने न तो उत्तर दिया और न ही कब्जा दिया।
जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रतिवादीगण के तरफ से प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया है कि परिवादी ने 2600-00 रूपये, 2900-00 रूपये एवं 3389-00 जमा किया था, लेकिन लीज धनराशि जमा नहीं किया गया, लेकिन डिमाण्ड नोटिस दिनांक 21-05-1981 को 3400-00 रूपये 15 प्रतिशत ब्याज के साथ जमा करने के लिए कहा गया। परिवादी ने 1389-00 रूपये प्लस रूपया 6-00 दिनांक 03-09-1984 को जमा किये, लेकिन मकान निर्माण न होने की वजह से नोटिस परिवादी को 35,035-00 का दिया गया। इस प्रकार से उसकी सेवाओं में कोई कमी नहीं हुई है।
(2)
जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा यह आदेश किया गया है कि विपक्षीगण प्लाट नं0- 80/4 यातायात नगर, आगरा में कब्जा परिवादी को दें और विक्रय पत्र निष्पादित करें और 2,000-00 रूपये हर्जाना भी परिवादी को दें और न देने पर अन्य शर्ते भी लगायी गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा 2,000-00 रूपये जो हर्जाना लगाया गया है, उसको लगाने का कोई औचित्य नहीं है और उसको समाप्त किये जाने का अनुरोध किया गया और यह भी कहा गया कि विक्रय पत्र निष्पादित करने से पहले बकाया परिवादी अदा करें।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त केस के तथ्यों परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा अपीलार्थी पर जो 2,000-00 रूपये हर्जाना लगाया गया है, वह समाप्त होने योग्य है और शेष आदेश पुष्टि किये जाने योग्य है, लेकिन विक्रय पत्र निष्पादित किये जाने के पहले परिवादी सारा बकाया अदा करें। इसी के साथ अपीलार्थी की अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
तद्नुसार अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम आगरा द्वारा परिवाद सं0-246/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 22-12-2001 में जो दो हजार रूपये हर्जाना लगाया गया है, उसे समाप्त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है। परिवादी विक्रय पत्र निष्पादन से पहले सारा बकाया अदा करें।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
(आर0सी0 चौधरी) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य,
आर.सी.वर्मा, आशु
कोर्ट नं 5