Brijraj singh filed a consumer case on 07 Dec 2015 against Vishnu sharma, indu art studio in the Kota Consumer Court. The case no is CC/247/2013 and the judgment uploaded on 09 Dec 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
प्रकरण संख्या-247/13
बृजराज सिंह पुत्र साॅवल सिंह आयु 59 साल जाति राजपूत निवासी ”बृज निकेतन“ सब्जीमंडी के पास कोटड़ी, कोटा, राजस्थान। -परिवादी।
बनाम
श्री विष्णु शर्मा, इन्द्र आर्ट स्टुडियों, कोटड़ी गुमानपुरा, मैनरोड़, राय ब्यूटी के पास, गुमानपरुा, कोटा, राजस्थान। -विपक्षी
समक्ष :
अध्यक्ष : भगवान दास
सदस्य : हेमलता भार्गव
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री मनीष कुमार गुप्ता, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2 श्री कल्पित शर्मा, अधिवक्ता, विपक्षी की ओर से।
निर्णय दिनांक 07.12.15
परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उसका संक्षेप में यह सेवा-दोष बताया है कि दिनांक 08.12.12 को अपनी पुत्री ईशा के विवाह समारोह हेतु दिनांक 04.04.12 से 09.12.12 तक शादी कार्यक्रमों के लिये व दिनांक 06.12.12 को दोहती सुश्री रिया सिंह के जन्म दिन के कार्यक्रम के लिये सम्पूर्ण फोटोग्राफी/विडियोग्राफी का कार्य विपक्षी ने 30,000/- रूपये में तय किया था, जिसके पेटे उसे 5,000/-रूपये नकद अग्रिम दिये गये थे। इसकी सी.डी. विपक्षी द्वारा दिनांक 25.12.12 तक देनी थी, परन्तु 28.12.12 तक भी नहीं दी गई। बार-बार सम्पर्क करने पर सी.डी. देने का आश्वासन दिया जाता रहा, लेकिन नहीं दी गई। अन्त में देने से मना कर दिया। विपक्षी को अभिभाषक के जरिये दिनांक 05.04.13 को नोटिस भेजा गया, जो मिल गया, इसके बावजूद फोटोग्राफी/विडियोग्राफी की सी.डी. नहीं दी गई, इससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप भी हुआ।
विपक्षी के जवाब का सार है कि वह फोटोग्राफी/विडियोग्राफी का कार्य नहीं करता है। परिवादी से फोटोग्राफी/विडियोग्राफी करने व उसके पेटे 5,000/- रूपये अग्रिम प्राप्त करने की कहानी पूरी तरह मिथ्या एवं आधारहीन है। परिवाद झूंठा पेश किया गया है।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा राजेन्द्र सिंह का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है, इसके अलावा पुत्री ईशा का विवाह कार्ड, विपक्षी को प्रेषित नोटिस, पोस्टल रसीद,ए/डी भी प्रस्तुत की है।
विपक्षी ने साक्ष्य में अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है। ं
हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
विपक्षी ने परिवादी से उसकी पुत्री के विवाह समारोह व दोहती के जन्म दिन समारोह के लिये फोटोग्राफी/विडियोग्राफी का कार्य का करार करना व उसके पेटे अग्रिम राशि 5,000/- प्राप्त करने से पूरी तरह इंकार किया है। परिवादी यह केस लेकर आया है कि विपक्षी पूर्व से परिचित था इस कारण अग्रिम अदायगी राशि की कोई रसीद नहीं दी थी। परिवादी ने अपने शपथ-पत्र के अलावा अपने साले का शपथ-पत्र दिया जो उसका निकट-संबंधी है। विपक्षी ने अपने शपथ-पत्र से परिवादी के केस का खंडन किया है। परिवादी की ओर से बहस की गई है कि उसकी ओर से प्रेषित नोटिस का विपक्षी ने जवाब नहीं दिया इसलिये विपक्षी की स्वीकृति की उपधारणा की जानी चाहिये। हमारे मत में यह तर्क सारहीन है केवल नोटिस का जवाब नहीं देने से परिवादी व विपक्षी के मध्य कोई करार होना नहीं माना जा सकता। उल्लेखनीय है कि पुत्री के विवाह समारोह की फोटोग्राफी/विडियोग्राफी का करार होना व उसके पेटे अग्रिम राशि देने और उसकी पालना नही होने का तथ्य इस प्रकृति का है कि ऐसी अवस्था में आवश्यक रूप से परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध पुलिस में शिकायत की जानी चाहिये थी, उस अवस्था में पुलिस फोटोग्राफी/विडियोग्राफी होने से संबंधित साक्ष्य एकत्रित कर सकती थी, जो प्रकरण के उचित निस्तारण के लिये महत्वपूर्ण साक्ष्य होती, लेकिन परिवादी की ओर से ऐसा कोई प्रयास ही नहीं किया गया, इससे यह उपधारणा होती है कि वास्तव में परिवादी व विपक्षी के मध्य फोटोग्राफी/विडियोग्राफी का कोई करार नहीं हुआ था।
परिवादी की कहानी वैसे भी प्रथम दृष्ट्या विश्वास उत्पन्न करने वाली नहीं है। परिवादी के अनुसार विपक्षी ने उसकी पुत्री के विवाह समारोह के लगभग 5 दिन व दोहती के जन्म दिन के संपूर्ण समारोह के फोटोग्राफी/विडियोग्राफी की, लेकिन उसे नहीं लौटाया, उस कार्य के पेटे केवल 5,000/- रूपये अग्रिम तथा कुल कार्य 30,000/- रूपये का बताया गया अर्थात् विपक्षी ने लगभग 25,000/- रूपये का कार्य उधार किया जिसके लिये निश्चित रूप से विपक्षी ने अपने संसाधन लगाये होगे एवं अपने स्तर पर खर्चा भी किया होगा तथा ऐसे फोटोग्राफ्स व विडियोग्राफ्स विपक्षी स्वयं के कोई कार्य के भी नहीं हो सकते तब क्योंकर विपक्षी उन्हे अपने पास रखेगा।
इसलिये कार्य नहीं होने के कारण सेवादोष का प्रश्न ही नही उठता। उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है कि परिवादी विपक्षी के विरूद्ध सेवादोष सिद्ध करने में विफल रहा है।
अतः परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(हेमलता भार्गव) ( भगवान दास)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनंाक 07.12.15 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.