Final Order / Judgement | जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ। परिवाद संख्या:- 307/2019 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष। श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य। श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य। परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-15.03.2019 परिवाद के निर्णय की तारीख:-09.06.2022 Aamna Khatoon, wife of Syed Mohammad Javed, resident of 11/1068, Sector-11, Near Munshi Puliya, Indira Nagar, Lucknow. ..........Complainant. Versus Vishnu Kumar Agrawal S/o Late Kishori Lal Agrawal R/o 325, Rajendra Nagar, Chhata Marg, Lucknow. ...............Opposite Party. आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष। निर्णय - परिवादिनी ने प्रस्तुत परिवाद धारा-11/12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षी से 1000 स्क्वायर फिट के बराबर वर्तमान देय के हिसाब से भुगतान एवं 5,00,000.00 रूपये क्षतिपूर्ति कुल 15,00,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
- संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी द्वारा एक स्कीम प्लाट एरिया 500 स्क्वायर फिट के संदर्भ में शुरू किया था जिसमें कि 50.00 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से 47 माह तक जमा करना था और प्लाट भूहर, निकट आलमनगर रेलवे स्टेशन के पास दिये जाने के संबंध में बातचीत हुई। परिवादिनी द्वारा दो प्लाट 22 ए एवं 22 बी एरिया 1000 स्क्वायर फिट (500 स्क्वायर फिट) जो कि भूहर गॉंव में स्थित है।
- स्कीम के तहत 140.00 रूपये प्रति स्क्वायर फिट से दो प्लाटों के लिये 1,40,000.00 रूपये व 3000.00 रूपये और 1500.00 , 1500.00 रूपये प्रति प्लाट दिनॉंक 21.06.2008 से लेकर 2012 तक प्राप्त किया। सम्पूर्ण धनराशि दिये जाने के बाद विपक्षी से पंजीकरण किये जाने के संबंध में कहा गया। परन्तु विपक्षी टालते रहे। मार्च 2014 में यह तथ्य संज्ञान में आया कि विपक्षी के विरूद्ध कुछ धनराशि के दुरूपयोग के संबंध में आपराधिक वाद संस्थित किया गया था जिससे विपक्षी जेल भी गया था।
- विपक्षी के जेल से रिहा होने के बाद परिवादिनी ने उनसे संपर्क किया कि दो प्लाट की रजिस्ट्री करे अथवा 1,40,000.00 रूपये वापस करे। विपक्षी द्वारा न तो धनराशि वापस की गयी और न ही रजिस्ट्री की गयी। परिवादिनी द्वारा बहुत प्रयास किया गया परन्तु कोई भी निष्पादन रजिस्ट्री के संबंध में विपक्षी द्वारा नहीं किया गया। परिवादिनी द्वारा विधिक नोटिस दिनॉंक 29.01.2019 को भेजा गया जो कि दिनॉंक 02.02.2019 को वापस आ गया। उपरोक्त कृत्य से परिवादिनी को मानसिक अशान्ति हुई।
- विपक्षी के विरूद्ध वाद दिनॉंक 07.03.2020 को एकपक्षीय रूप से अग्रसारित किया गया।
- परिवादिनी ने अपने मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र, गणपति इन्टरप्राइजेज के विज्ञापन की प्रति, प्लाट की प्रतिलिपि, प्राप्ति रसीद एवं फोटोग्राम व विधिक नोटिस की प्रति आदि दाखिल की गयी है।
- मैने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया। विदित है कि परिवादिनी द्वारा उपरोक्त परिवाद क्षतिपूर्ति के भुगतान एवं मानसिक आघात हेतु संस्थित किया गया है।
- परिवादिनी का कथानक यह है कि स्कीम के तहत 140.00 रूपये प्रति स्क्वायर फिट से दो प्लाटों के लिये 1,40,000.00 रूपये व 3000.00 रूपये और 1500.00 , 1500.00 रूपये प्रति प्लाट दिनॉंक 21.06.2008 से लेकर 2012 तक प्राप्त किया। सम्पूर्ण धनराशि दिये जाने के बाद विपक्षी से पंजीकरण किये जाने के संबंध में कहा गया। परन्तु विपक्षी टालते रहे। परिवादिनी ने उनसे संपर्क किया कि दो प्लाट की रजिस्ट्री करे अथवा 1,40,000.00 रूपये वापस करे। विपक्षी द्वारा न तो धनराशि वापस की गयी और न ही रजिस्ट्री की गयी।
- परिवादिनी द्वारा अपने कथानक की पुष्टि शपथ पत्र के माध्यम से किया है और कहा कि परिवादिनी ने विपक्षी के यहॉं 500-500 वर्गफिट के अर्थात 1000 वर्गफिट के दो आवासीय भूखण्ड अपने नाम बुक कराये जो ग्राम भूहर में स्थित थे। उक्त भूखण्डो का मूल्य 140.00 रूपये प्रतिवर्ग फिट की दर से प्रत्येक भूखण्ड का मूल्य 70,000.00 रूपये दोनों भूखण्डों की कुल कीमत 1,40,000.00 रूपये विपक्षी द्वारा निर्धारित की गयी जिसमें से प्रत्येक भूखण्ड का 50.00 रूपया प्रतिदिन के हिसाब से 1500.00 रूपये प्रतिमाह शपथिनी को विपक्षी के यहॉं 47 माह तक अदा करना था, और प्लाट भूहर, निकट आलमनगर रेलवे स्टेशन के पास दिये जाने के संबंध में बातचीत हुई। सम्पूर्ण धनराशि दिये जाने के बाद विपक्षी से पंजीकरण किये जाने के संबंध में कहा गया। परन्तु विपक्षी टालते रहे। मार्च 2014 में यह तथ्य संज्ञान में आया कि विपक्षी के विरूद्ध कुछ धनराशि के दुरूपयोग के संबंध में आपराधिक वाद संस्थित किया गया था जिससे विपक्षी जेल भी गया था।
- विपक्षी के जेल से रिहा होने के बाद परिवादिनी ने उनसे संपर्क किया कि दो प्लाट की रजिस्ट्री करे अथवा 1,40,000.00 रूपये वापस करे। विपक्षी द्वारा न तो धनराशि वापस की गयी और न ही रजिस्ट्री की गयी। परिवादिनी द्वारा प्रयास भी किया गया परन्तु कोई भी कार्यवाही रजिस्ट्री के संबंध में विपक्षी द्वारा नहीं की गयी। परिवादिनी द्वारा विधिक नोटिस भी दी गयी, परन्तु वह नोटिस वापस आ गया। परिवादिनी ने अपने कथानक की पुष्टि अपने शपथ पत्र के माध्यम से भी किया है। पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य अन्य नहीं है जिससे परिवादिनी के कथनों पर अविश्वास किया जा सके।
- परिवादिनी ने नोटिस में भी तस्करा किया है कि दो प्लाटों की रजिस्ट्री करें अथवा 1,40,000.00 रूपये का भुगतान करे। उल्लेखनीय है कि 500 स्क्वायर फिट प्लाट के संबंध में करार हुआ था जिसके सापेक्ष में 1,40,000.00 रूपये अदा किया गया था और परिवादिनी के कथानक के अनुसार 140.00 रूपये वर्गफिट की दर से उसकी कीमत थी और नोटिस एवं परिवाद पत्र में 1000.00 रूपये स्क्वायर फिट के हिसाब से याचना की गयी। वास्तव में वर्तमान में 1000.00 रूपये स्क्वायर फिट के हिसाब से उपरोक्त जगह है का प्रमाण परिवादिनी द्वारा दाखिल नहीं किया गया है। परिवादिनी को चाहिये था कि निबन्धक के कार्यालय से प्राप्त करके प्रमाण दाखिल करती तब आयोग नियमानुसार उचित आदेश पारित करता। अत: 1000.00 रूपये स्क्वायर फिट से भुगतान किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
- नोटिस के परिशीलन से विदित है कि 1,40,000.00 रूपये दो प्लाटो के संबंध में भुगतान किये जाने के संबंध में नोटिस दिया गया है, रसीद दाखिल की गयी है जिससे विदित है कि पैसा दिया गया है। अत: पीठ के विचार से उक्त धनराशि परिवादिनी प्राप्त करने की अधिकारी है। अत: परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश - परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है परिवादिनी को मुबलिग 1,40,000.00 (एक लाख चालीस हजार रूपया मात्र) 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवाद दाखिल करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक निर्णय के 45 दिन के अन्दर अदा करें। मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में मुबलिग 50,000.00 (पचास हजार रूपया मात्र) भी अदा करें। यदि उपरोक्त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह ) (नीलकंठ सहाय) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ। आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया (सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह) (नीलकंठ सहाय) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ। दिनॉंक 09.06.2022 | |