Uttar Pradesh

StateCommission

RP/49/2019

Sony India Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Vishal Srivastava - Opp.Party(s)

Devansh Bhardwaj

10 Sep 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/49/2019
( Date of Filing : 28 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 25/04/2019 in Case No. C/248/2014 of District Jaunpur)
 
1. Sony India Pvt Ltd
A-18 Mohan Cooperatives Industrial Estate Mathura Road Delhi 110044
...........Appellant(s)
Versus
1. Vishal Srivastava
House No. 681 Near Line Bazar Police Station Mohd. Husainabad Jaunpur U.P.
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Sep 2021
Final Order / Judgement

 

मौखिक।

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

                                                         

पुनर्निरीक्षण संख्‍या:49/2019

 

1-Sony India Pvt. LTD. A-18, Mohan Cooperatives, Industrial Estate, Mathura Road, Delhi-110044.

 

2- M/s Libra Telecom. (Service Center) Through its authorized Signatory, Kamla Nagar, Behind Singra Police Station Singra, Varanasi (UP) Pin Code-221001.

 

3-Maharaj Watch House (Dealer) Court Road, Line Bazar, District Jaunpur (UP).

                                                                               …………PETITIONERS.

                                       Versus

 

Vishal Srivastava House No.681, Near Line Bazar Police Station, Mohd. Husainabad, Jaunpur (UP).

                                                                             ………….RESPONDENT.

 

    समक्ष:-

    1.मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष ।

    2.मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

      पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित :श्री देवांश भारद्वाज के सहयोगी श्री पंकज पाण्‍डेय ।

     विपक्षी की ओर से उपस्थित:   कोई नहीं।

 

      दिनॉंक:-25-10-2021

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

    1-    प्रस्‍तुत पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र जिला उपभोक्‍ता फोरम, जौनपुर द्वारा प्रकीर्ण वाद संख्‍या-13/2017 विशाल श्रीवास्‍तव बनाम डायरेक्‍टर सोनी इण्डिया, प्राइवेट लि0 व अन्‍य में पारित आदेश दिनॉंकित 25-04-2019 के विरूद्ध उक्‍त आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया गया है।

     2-   परिवाद संख्‍या 248/2014 विशाल श्रीवास्‍तव प्रति मैनेजिंग डायरेक्‍टर सोनी आदि में विद्वान जिला फोरम द्वारा आदेश दिनॉंकित 25-03-2019 पारित किया गया जिसमें विपक्षी संख्‍या-01 व 03 अर्थात मैनेजिंग डायरेक्‍टर सोनी इण्डिया प्रा0लि0 तथा विपक्षी संख्‍या-02 लिब्राटेलीकाम प्रबन्‍धक सोनी सर्विस सेन्‍टर डी-64/92 सिंगरा, वाराणसी की विधिक अनुपस्थिति जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा उक्‍त आदेश के माध्‍यम से दर्ज की गयी एवं आदेश इस प्रकार पारित किया गया-

     …………….‘’ इतना ही नहीं, पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रस्‍ताव सोनी इण्डिया प्रा0लि0 कागज संख्‍या 13 के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि कम्‍पनी ने हस्‍तगत प्रस्‍ताव के माध्‍यम से श्री सर्बजीत सिंह एक्‍जीक्‍यूटिव (अधिशासी) व मिस्‍टर प्रियंक चौहान को जवाबदेही एवं अन्‍य कार्यवाहियों के लिए अधिकृत किया है, लेकिन हस्‍तगत जवाबदेही पर केवल श्री प्रियंक चौहन ने ही हस्‍ताक्षर किया है।

            इस प्रकार निर्विवाद रूप से सोनी इण्डिया प्रा0लि0 उपरोक्‍त ने प्रस्‍ताव के माध्‍यम से भी श्री सर्बजीत सिंह अधिशासी एवं श्री प्रियंक चौहान को संयुक्‍त रूप से जवाबदेही एवं अन्‍य कार्यवाहियों के अधिकृत किया है, लेकिन न जाने कैसे और किन परिस्थितियों में प्रश्‍नगत जवाबदेही के साथ जो वेरीफिकेशन किया गया है, वह केवल प्रियंक चौहान द्वारा ही किया गया है। चूंकि प्रस्‍ताव में श्री सर्बजीत सिंह और श्री प्रियंक चौहान को संयुक्‍त रूप से अधिकृत किया गया है, लेकिन जवाबदेही पर केवल प्रियंक चौहान का ही हस्‍ताक्षर है। ऐसी परिस्थितियों में यह न्‍यायसंगत प्रतीत होता है कि विपक्षीगण संख्‍या 1 व 3 को नियत तिथि के लिए व्‍यक्तिगत  रूप से आहुत किया जावे, ताकि वस्‍तु स्थिति स्‍पष्‍ट हो सके। ‘’

     3-   अगली तिथि 25-04-2019 नियत की गयी जिस तिथि पर विद्वान जिला फोरम द्वारा प्रश्‍नगत आदेश पारित किया गया जिसको अपास्‍त किये जाने हेतु यह पुनरीक्षण आवेदन प्रस्‍तुत किया गया।

     4-   उक्‍त आदेश निम्‍नलिखित प्रकार से पारित किया गया-

     ……………..‘’ जहॉं तक विपक्षी संख्‍या-01 व 03 का प्रश्‍न है, उन्‍हें पीठ द्वारा आदेशिका दिनॉंक 25-03-2019 के दृष्‍टिगत व्‍यक्तिगत रूप से पीठ के समक्ष आहुत किया गया था, लेकिन उसके बावजूद भी आज पुन: व्‍यक्तिगत  रूप से उपस्थित नहीं हैं और न ही उनके विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओम प्रकाश सिंह एडवोकेट ही उपस्थिति हैं।

          18 ग आपत्ति विपक्षी संख्‍या 02 की ओर से इस याचना के साथ दिया गया है कि परिवादी ने मूल परिवाद संख्‍या 248/2014 वारण्‍टी मियाद के बाहर बिना तारीख दर्ज किये एवं तसदीक किये दाखिल किया है। परिवादी ने मूल परिवाद में दिनॉंक 16-03-2018 को विधि विरूद्ध संशोधन किया है जबकि ऐसा कोई आदेश मूल परिवाद में नहीं हुआ है। परिवादी ने प्रश्‍नगत मोबाइल दिनॉंक 24-07-2014 को सर्विस सेन्‍टर पर जमा करने का कथन किया है, लेकिन कोई जमा रसीद या विवरण दाखिल नहीं किया है। मूल परिवाद दिनॉंक 17-07-2017 को पैरवी के अभाव में खारिज हो गया था बिना ति‍थि अंकित किये मियाद क्षेत्र के बाहर तजबीजसानी दाखिल किया और तजबीजसानी के अनुतोष में मूल परिवाद संख्‍या 184/2014 दर्ज किया जबकि मूल परिवाद 184/2014 परिवादी का नहीं है। परिवाद पत्र असत्‍य निराधार एवं कपोल-कल्पित कथनों के आधार पर दाखिल किया गया है जो निरस्‍त होने योग्‍य है।

          परिवादी एवं विपक्षी संख्‍या-02 के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।

          चॅूंकि आपत्ति 18ग निष्‍प्रभावी होने के साथ-साथ अधिकांश आपत्तियों का संबंध तथ्‍यात्‍मक  पहलुओं से है जिस पर प्रकरण के गुण-दोष पर बहस सुनने के समय निर्णय पारित होगा। आपत्ति 18ग तदनुसार निस्‍तारित की जाती है।

          पूर्व आदेशिका दिनॉंक 25-03-2019 का अनुशीलन करने के उपरान्‍त ऐसा प्रतीत होता है कि न तो विपक्षी संख्‍या-01 व 03 न्‍यायपीठ के आदेशों के प्रति गंभीर है और न ही उनके विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओम प्रकाश सिंह। ऐसा प्रतीत होता है कि वे संयुक्‍त एवं प्रथक रूप से न्‍यायपीठ के प्रश्‍नगत आदेश का अनुपालन करने में न केवल असफल है, बल्कि वे जानबूझ कर न्‍यायपीठ के आदेशों का लोप भी कर रहे हैं, जिसके फलस्‍वरूप उनके विरूद्ध दण्‍डात्‍मक कार्यवाही करना न्‍यायोचित एवं तर्कसंगत प्रतीत होता है। अतएव विपक्षी संख्‍या 01 व 03 के विरूद्ध कारण बताओ नोटिस जारी हो कि क्‍यों न पूर्व प्रश्‍नगत आदेश दिनॉंक 25-03-2019 का जानबूझ कर उल्‍लंघन करने के फलस्‍वरूप दण्‍डात्‍मक कार्यवाही अमल में लायी जाये।‘’

     5-   उक्‍त आदेश से व्‍यथित होकर यह पुनर्निरीक्षण प्रार्थनापत्र प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें कथन किया गया है कि अपीलकर्तागण की ओर से श्री प्रियांक चौहान को सोनी इण्डिया प्रा0लि0 के बोर्ड के प्रस्‍ताव दिनॉंक 07-02-2014 के माध्‍यम से आवेदनकर्तागण की ओर से सभी विधिक कार्यों को योजित करने, चलाने और प्रतिनिधित्‍व करने तथा अन्‍य सभी कार्य निष्‍पादित करने हेतु प्राधिकृत किया गया था। उक्‍त आदेश इस आधार पर भी अपास्‍त किये जाने योग्‍य है क्‍यों कि आदेश दिनॉंकित 10-07-2017 के माध्‍यम से परिवाद खारिज किया जा चुका है। अत: विपक्षीगण के पदाधिकारियों को तलब कराये जाने का औचित्‍य नहीं है। उक्‍त खारिज परिवाद को आदेश दिनॉंक 10-07-2017 पारित होने के उपरान्‍त विद्वान जिला फोरम ने पुन: संज्ञान लेते हुए परिवाद को पुर्नस्‍थापित किया जो पहले ही खारिज किया जा चुका था। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के अनुसार विद्वान जिला फोरम ने अपने आदेश का पुनर्विलोकन करने अथवा अपने द्वारा पारित आदेश यद्यपि अपास्‍त किये जाने अथवा परिवाद को पुर्नस्‍थापित किये जाने संबंधी कोई अधिकारिता नहीं है।

     6-   पुनरीक्षणकर्ता के अनुसार परिवादी ने एक सोनी मोबाइल हैण्‍डसेट खरीदा था जिसमें कुछ कमियॉं दर्शाते हुए सर्विस सेन्‍टर पर इसकी शिकायत की गयी जो उचित प्रकार से पुनरीक्षणकर्ता पक्ष द्वारा सही कर दिया गया था किन्‍तु फिर भी अवैध हितों के लिये एवं अनुचित लाभ उठाने के लिये परिवादी की ओर से प्रश्‍नगत परिवाद 248/2014 जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत कर दिया गया। उक्‍त परिवाद को उपरोक्‍त प्रकार से दिनॉंक 10-07-2017 को खारिज करने के उपरान्‍त पुन: पुर्नस्‍थापित कर दिया गया जो विधिक प्रावधानों के विपरीत है। पुनरीक्षणकर्ता द्वारा यह भी कहा गया कि उनकी ओर से उचित उपसंजाति दर्शायी जा रही थी और उचित प्रकार से मामले में पक्षकारों की ओर से प्रतिनिधित्‍व हो रहा था किन्‍तु फिर भी बिना किसी कारण के विद्वान जिला फोरम ने कम्‍पनी के दिल्‍ली हेड आफिस स्थित पदाधिकारियों को आहूत कर लिया जिसका कोई उचित आधार नहीं था। इस प्रकार कम्‍पनी के हेड आफिस के पदाधिकारियों को आहूत करने का आदेश मनमाना और बिना किसी योग्‍य आधार पर था जिसको अपास्‍त किये जाने हेतु प्रार्थना की गयी है।  

     7-   पुनर्निरीक्षण प्रार्थना पत्र के विरूद्ध विपक्षीगण पर नोटिस की तामील आदेश दिनॉंक 22-07-2019 के माध्‍यम से पर्याप्‍त मानी गयी। इसके उपरान्‍त विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। दिनॉंक 11-12-2019 को श्री नवीन तिवारी अधिवक्‍ता के मुन्‍शी द्वारा अगली तिथि पर अधिवक्‍ता महोदय के उपस्थित होने की बात कही गयी किन्‍तु अग्रिम तिथि 25-10-2021 को भी विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। अत: पुनर्निरीक्षण प्रार्थना पत्र पर पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री पंकज पाण्‍डेय एवं श्री देवाशं भारद्वाज की बहस को सुना गया।

     8-   मुख्‍य रूप से यह पुनर्निरीक्षण प्रार्थना पत्र आदेश दिनॉंकित 25-04-2019 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें विपक्षी संख्‍या-01 व 03 को व्‍यक्तिगत रूप से तलब करने हेतु आदेश दिया गया है एवं इस आदेश के माध्‍यम से आदेश दिनॉंकित 25-03-2019 को दोहराया गया है जिसमें उक्‍त विपक्षीगण को व्‍यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। जहॉ तक पुनर्निरीक्षण का प्रश्‍न है उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 17 (बी) इस आयोग को पुनरीक्षण की अधिकारिता प्रदान करता है। धारा 17 (1) (बी) निम्‍नवत है:-

17(1)(b): Subject to the other provisions of this Act, the State Commission shall have jurisdiction  ……  to call for the records and pass appropriate orders in any consumer dispute which is pending before of has been decided by any District Forum within the State, Where it appears to the State Commission that such District Forum has exercised a jurisdiction not vested in it by law, or has failed to exercise a jurisdiction so vested or has acted in exercise of its jurisdiction illegally or with material irregularity.

9-  उपरोक्‍त प्रकार से धारा-17 (1) डी यह प्रावधान करता है कि राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग  को यह अधिकार है कि वह जिला उपभोक्‍ता फोरम में लम्बित किसी विवाद के अभिलेख को आहूत करके उचित आदेश पारित कर सकता है यदि राज्‍य आयोग यह पाता है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा 1- ऐसा क्षेत्राधिकार का उपयोग जो उसमें विहित नहीं है 2- अथवा विहित क्षेत्राधिकार का उपयोग करने में असफल हो 3- क्षेत्राधिकार के प्रयोग में  वैधानिकता अथवा अनियमितता की गयी है। मुख्‍य रूप से इस मामले में यह देखा जाना है कि विद्वान जिला फोरम ने विपक्षीगण के पदाधिकारियों को आहूत करके अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया है अथवा इस प्रकार क्षेत्राधिकार विधि अथवा नियमित रूप से प्रयोग किया है, किन्‍तु पुनरीक्षणकर्ता  के उक्‍त तर्क में बल नहीं है । किसी भी पक्षकार को आहूत किये जाने का क्षेत्राधिकार उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-13 उप धारा-4 (1) में प्रावधान किया है जिसके अनुसार 4(1) For the purposes of this section, the District Forum shall have the same powers as are vested in a civil Court under Code of Civil Procedure, 1908 (5 of 1908) While trying a suit in respect of the following matters, namely:- (i) the summoning and enforcing the attendance of any defendant or witness and examining the witness on oath,

10-  उक्‍त तथ्‍यों के अनुसार विपक्षीगण को आहूत करने का पूर्ण क्षेत्राधिकार अधिनियम के अन्‍तर्गत प्रावधानित किया गया है। अत: आदेश में कोई अवैधानिकता अथव अनियमितता परिलक्षित नहीं होती है। अत: पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र में बल प्रतीत नहीं होता है अतएव निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। किन्‍तु यहॉं इस तथ्‍य पर भी बल देना होगा कि विद्वान जिला फोरम अनावश्‍यक रूप से पक्षकारों को आहूत न करें एवं सोनी जैसे अर्न्‍तराष्‍ट्रीय कम्‍पनी के पदाधिकारियों को तभी बुलाया जाए जबकि वास्‍तव में उनकी आवश्‍यकता हो। इस संबंध में पुनरीक्षणकर्ता की ओर से यह प्रावधान किया गया है कि कम्‍पनी के प्रसताव द्वारा श्री प्रियांक चौहान एवं सर्वजीत सिंह नामक व्‍यक्ति को जवाबदेही के लिये अधिकृत किया गया, अत: विद्वान जिला फोरम से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सीधे कम्‍पनी के डायरेक्‍टर आदि को बुलाये जाने के पूर्व उक्‍त प्राधिकृत व्‍यक्ति के माध्‍यम से जवाबदेही सुनिश्चित करें और यदि विद्वान फोरम द्वारा यह पाया जाता है कि उक्‍त प्राधिकृत व्‍यक्ति द्वारा वाद  का संचालन सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है, एवं परिवाद प्रभावी रूप से निस्‍तारित नहीं हो पा रहा है। ऐसी दशा में उपरोक्‍त जवाबदेह कम्‍पनी के डायरेक्‍टर को तलब किया जाए। पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र उक्‍त निर्देश के साथ निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     11-   पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र निरस्‍त किया जाता है। विद्वान जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि इस निर्णय में आये निष्‍कर्ष के प्रकाश में मूल परिवाद को शीघ्र निस्‍तारित करने का प्रयत्‍न करें एवं  यदि संभव हो तो पक्षकारों की उप संजाति के 03 माह के अन्‍दर परिवाद को निस्‍तारित कर दे। उभयपक्ष दिनॉंक 10-12-2021 को विद्वान जिला फोरम में उपस्थित हों जिससे परिवाद में अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।      

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की   वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)(विकास सक्‍सेना)

  •  

 

प्रदीप कुमार, आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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