Rajasthan

Jaipur-IV

CC/649/2013

Yogesh Yadav - Complainant(s)

Versus

Vishal Mega Mart - Opp.Party(s)

Yogesh Kumar Yadav

20 Feb 2015

ORDER

        जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                          पीठासीन अधिकारी
                           डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा,अध्यक्ष
                           डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                          श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-649/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1278/2011)
श्री योगेश यादव पुत्र श्री ब्रह्मप्रकाश, निवासी- मकान संख्या सी-45, राम नगर, शास्त्री नगर, जयपुर । 
परिवादी
बनाम
विशाल मेगा मार्ट (फ्रेंचाइजी स्टोर व्चमतंजमक इल ।पतचसं्रं त्मजंपस भ्वसपकपदह च्अजण् स्जकण् ), क्रिस्टल कोर्ट, मालवीय नगर, जयपुर । 
                                                विपक्षी
उपस्थितः-
परिवादी की ओर से श्री योगेश कुमार यादव, एडवोकेट
विपक्षी की ओर से श्री मनीष गंगवानी, एडवोकेट
      निर्णय    
           दिनांक 20.02.2015

 यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दिनांक 04.08.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
 विपक्षी एक डिपार्टमेन्टल स्टोर हैं जो ।पतचसं्रं त्मजंपस भ्वसपकपदह च्अजण् स्जकण् का एक फ्रेंचाइजी स्टोर हैं । परिवादी ने विपक्षी से दिनंाक 25.05.2011 को कुछ घरेलू सामान बिल संख्या 5050000003912 के माध्यम से खरीदा और इस बिल के भुगतान में विपक्षी ने परिवादी से 46.50 रूपये को त्वनदक विि करते हुए कुल 47/-रूपये वसूल किये । इस प्रकार विपक्षी ने परिवादी से 50 पैसे अधिक वसूल करके और निवेदन करने के बावजूद 50 पैसे वापस नहीं लौटाकर अनुचित व्यापार व्यवहार एवं सेवादोष कारित किया है और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी से परिवाद के मद संख्या 09 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया के सर्कूलर दिनांकित 14.08.2003 में त्वनदक विि को वैध ठहराया गया हैं । ऐसे ही ज्त्।प् एवं भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा सर्कूलर के माध्यम से त्वनदक विि करने की प्रक्रिया को सही बताया गया हैं । इसलिए विपक्षी ने 46.50 रूपये के स्थान पर परिवादी से 47/-रूपये वसूल करने में कोई त्रुटि नहीं करके सेवादोष कारित नहीं किया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
 परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री योगेश यादव ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल चार पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि विपक्षी की ओर से जवाब की तथ्यों की पुष्टि में श्री आशीष शर्मा का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया । 
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विपक्षी से कुल 46.50 रूपये का सामान क्रय किया था लेकिन उसके स्थान पर विपक्षी ने परिवादी से बिल दिनंाकित           25.05.2011 के माध्यम से 47/-रूपये वसूल किये अर्थात् परिवादी से विपक्षी ने त्वनदक विि करके 50 पैसे अधिक वसूल किये हैं । इस संदर्भ में विपक्षी की ओर से अपने जवाब के मद संख्या 5, 6, 7 और 8 में क्रमशः ज्ीम ज्ंगंजपवद स्ंू ;।उमदकउमदजद्ध ।बजए 2007ए त्ठप् का सर्कूलर दिनांकित 14.08.2003, ज्त्।प् का छवजपपिबंजपवद और भारत सरकार के वित्त विभाग के सर्कूलर के प्रकाश में 50 पैसे अधिक वसूल करने के कृत्य का न्यायीकरण किया गया है । लेकिन विपक्षी की ओर से उक्त चारों सर्कूलरों में से कोई भी सर्कूलर पेश नहीं किया गया है । इसके विपरीत यह स्पष्ट हैं कि वर्ष 2011 में ज्ीम स्महंस डमजतवसवहल ;च्ंबांहमक ब्वउउवकपजपमेद्ध त्नसमे प्रकाश में लाया जा चुका हैं । इस नियम के प्रकाश में परिवादी को विपक्षी से 46.50 रूपये ही वसूल करने चाहिये थे और 50 पैसे की राशि त्वनदक विि करके परिवादी से वसूल नहीं करनी चाहिये थी । उक्त नियम निम्नानुसार हैंः-
डंगपउनउ वत डंगए तमजंपस चतपबम३ण् प्दबसनेपअम व िंसस जंगमे वत पद जीम वितउ डत्च् त्े३ण्ण् पदबसण्ए व िंसस जंगमे ंजिमत जंापदह पदजव ंबबवनदज जीम तिंबजपवद व िसमेे जींद पिजिल चंपें जव इम तवनदकमक विि  जव जीम चतवबममकपदह  तनचममे ंदक तिंबजपवद व िंइवअम 50 चंपें ंदक नच जव 95 चंपें जव जीम  तवनदकमक विि  जव पिजिल चंपेमण्

अतः विपक्षी द्वारा जवाब परिवाद में बताये गये सर्कूलर्स पेश नहीं करने के कारण और बाद में ज्ीम स्महंस डमजतवसवहल ;च्ंबांहमक ब्वउउवकपजपमेद्ध त्नसमेए2011 बन जाने के कारण विपक्षी ने परिवादी से 46.50 रूपये का सामान क्रय करने पर उससे 50 पैसे अधिक यानि 47/-रूपये वसूल करके सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के कारण परिवादी अब विपक्षी से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 6,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षी से उसके उपरोक्त सेवादोष से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक व शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 3,500/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 6,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है । 
विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करायेगा ।


अनिल रूंगटा          डाॅं0 अलका शर्मा          डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य         सदस्या        अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 20.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा          डाॅं0 अलका शर्मा           डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य         सदस्या        अध्यक्ष

 

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