Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/4/2023

Himanshu Tiwari - Complainant(s)

Versus

Vishal Mega Mart Pvt.Ltd. - Opp.Party(s)

Himanshu Tiwari

29 Aug 2024

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/4/2023
( Date of Filing : 03 Jan 2023 )
 
1. Himanshu Tiwari
lucknow
lucknow
Utter Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. Vishal Mega Mart Pvt.Ltd.
lucknow
lucknow
Utter Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MRS. sonia Singh MEMBER
 HON'BLE MR. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Aug 2024
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   04/2023 

उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

          श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।              

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-03.01.2023

परिवाद के निर्णय की तारीख:-29.08.2024

Advocate Himanshu Tiwari, S/o Hemant Kumar Tiwari, Chamber Near Parag Booth, District & Sessions Court, Lucknow-226001.

                                                                                     ................Complainant.                                                                                

 

                                                    VERSUS

 

Vishal Mega Mart Private Limited, 23 Vidhan Sabha Marg, Near Burlingtom Chauraha, Husainganj, Lucknow-226001. (A Franchise Store operated by Airpiaza Retail Holdings Pvt. Ltd.) Head office: Plot No. 184, 5th Floor, Platinum Tower, Udyog Vihar, Phase I, Gurugram, Gurgaon, Haryana-122016.

                                                                                    ...............Opposite Party.                                                                                         

 

परिवादी के अधिवक्‍ता का नाम:- परिवादी स्‍वयं।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-कोई नहीं।

आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

                               निर्णय

1.   परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद उ0प्र0 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-35 (1) के अन्‍तर्गत दाखिल किया गया है । परिवाद पत्र में परिवादी द्वारा संपूर्ण लॉस में वित्‍तीय हानि, प्रतिष्‍ठा हनन, मानसिक व शारीरिक पीड़ा के लिये 50,018.00 रूपये की क्षतिपूर्ति तथा वाद व्‍यय के लिये 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.   संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी एक हाइपर मार्केट फ्रेन्‍चाइजी स्‍टोर है जो 23 विधान सभा मार्ग, बर्लिंगटन चौराहा, हजरतगंज, लखनऊ में स्थित है।  परिवादी वकालत का कार्य करता है। दिनॉंक 01 जनवरी 2023 को 1.00 बजे परिवादी उस फ्रैन्‍चाइजी स्‍टोर पर अपनी बेटी के लिये कुछ स्‍टेशनरी का सामान क्रय करने हेतु गया। सामान क्रय करने के बाद स्‍टोर के सेल्‍स मैन ने सामान को ले जाने के लिये कैरी बैग के लिये 18.00 रूपये भुगतान के लिये कहा और बिल में उसे सम्मिलित करते हुए बिल परिवादी को दे दिया। परिवादी ने काउन्‍टर मैन से अनुरोध किया कि कैरीबैग का पैसा न लिया जाए, परन्‍तु बिलिंग परसन ने कोई अनुरोध नहीं सुना बल्कि उसके इस व्‍यवहार से सार्वजनिक स्‍थल पर उसे अपमानित जैसा महसूस हुआ।

3.   परिवादी तब अत्‍यंत आश्‍चर्यचकित हुआ जब उसका बिल 675.00 रूपये का उसे प्राप्‍त हुआ। इतने अनुनय विनय के बाद भी बिल में 18.00 रूपये कैरीबैग का ले लिया गया। इस संबंध में परिवादी द्वारा विरोध करने पर शॉप के लोगों द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया अपनाते हुए अभद्र भाषा का प्रयोगकर उसे शॉप से बाहर जाने के लिये कहा।

4.   परिवादी ने अपनी व्‍यथा के संबंध में यह भी अवगत कराया कि वह एक सम्‍मानित अधिवक्‍ता है जो कि समाज में न्‍याय हेतु अपना योगदान देता है। विपक्षी ने धोखा-धड़ी व अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया अपनाते हुए बिलिंग काउंटर पर कैरीबैग के मूल्‍य को बताया जो कि नि:संदेह उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-U/S 2 (47) के तहत अनुचित व्‍यापार प्रकिया है। इसके आलावा नि:शुल्‍क कैरीबैग उपलब्‍ध कराना उपभोक्‍ताओं का अधिकार है व विपक्षी का दायित्‍व है जो कि प्‍लास्टिक मैनेजमेंट रूल 2018 (संशोधित) के अंतर्गत आता है तथा अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया अपनाते हुए विपक्षी द्वारा कैरीबैग खरीदने के लिये मजबूर किया गया जबकि उपभोक्‍ताओं की सुविधा के लिये इसे उपलब्‍ध कराना उनका दायित्‍व है।

5.   परिवादी का यह भी कथानक है कि विपक्षी के इस कृत्‍य से उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित महसूस किया गया। शॉप के कर्मियों द्वारा गलत व्‍यवहार किया गया जिससे उसे अत्‍यंत मानसिक आघात लगा तथा अपमानित होना पड़ा। मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताडि़त होने के कारण उसे कष्‍ट हुआ। विपक्षी ने सेवा में कमी की है तथा अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया अपनायी है। परिवादी निम्‍न अनुतोष पाने का अधिकारी है:-

     विशेष नुकसान-कैरीबैग का वास्‍तविक मूल्‍य:-18.00 रूपये।

     सामान्‍य नुकसान:-प्रतिष्‍ठा का नुकसान +शारीरिक नुकसान, मानसिक पीड़ा के कारण 25,000.00 +25,000.00 =50,000.00 रूपये।

सपूर्ण नुकसान =स्‍पेशल +जनरल = 50,018.00 रूपये।

6.   परिवाद का नोटिस विपक्षी को भेजा गया, परन्‍तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई जवाब दिया गया। अत: विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।

7.   परिवादी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में रसीदें आदि दाखिल की गयी हैं।

8.   मा0 आयोग द्वारा परिवादी के अधिवक्‍ता के तर्को को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।

9.   परिवादी का कथानक है कि उसने विपक्षी हाइपर मार्केट फ्रेंचाइजी स्‍टोर बर्लिगंटन चौराहा हजरतगंज से अपनी बेटी के लिये कुछ स्‍टेशनरी के सामान क्रय किये जिसकी कुल कीमत 675.00 रूपये थी। इस कीमत में 18.00 रूपये कैरीबैग के भी शामिल थे। परिवादी को जब इस तथ्‍य की जानकारी हुई तो उसने बिलिंग काउंटर पर बैठे व्‍यक्ति से पूछा कि कैरीबैग का चार्ज क्‍यों लिया जा रहा है? क्‍योंकि सामान क्रय करने पर कैरीबैग मुफ्त में दिया जाता है। स्‍टोर के व्‍यक्तियों से बहस हुई व उसने काफी लोगों के बीच अपमानित होना पड़ा। परिवाद पत्र में उसने यह भी कथन किया है कि उपभोक्‍ता अधिनियम 2019 की धारा-U/S 2 (47) के तहत कैरीबैग ग्राहकों को फ्री में उपलब्‍ध कराया जाना विपक्षी का दायित्‍व है तथा यह व्‍यवस्‍था प्‍लास्टिक मैनेजमेंट रूल 2018 के अनुसार भी है। कैरीबैग के लिये पैसा लेना अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया के अंतर्गत आता है।

10.  परिवादी का यह भी कथानक है कि कैरीबैग पर  नीला निशान कम्‍पनी के ब्राण्‍ड का प्रचार – प्रसार करने की मंशा से लगाए गए है। आउटलेट पर इस तथ्‍य की नो‍टिस भी चस्‍पा नही की गयी है जिससे उपभोक्‍ताओं को यह जानकारी हो सके कि कैरीबैग का क्रय करना अनिवार्य होगा। ग्राहक/उपभोक्‍ता जब बिलिंग काउंटर पर जाता है तब उसे यह मालूम होता है। उस समय उपभोक्‍ता के पास कैरीबैग का क्रय करने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं रहता है । इसके अतिरिक्‍त उपभोक्‍ता सामान वापस करना इसलिए नहीं चाहता है कि काफी समय खर्च करने के उपरांत सामानों का चयन किया जाता तब उसके पसंद का सामान मिलता है। है। इस प्रकार उपभोक्‍ताओं को असमंजस/भ्रम का सामना करना पड़ता है।

11.  उक्‍त के अतिरिक्‍त सामान्‍यतया रिटेल शॉपों पर सभी जगह कैरीबैग फ्री में दिया जाता है,यहॉं तक कि छोटी-छोटी दुकानों,ठेलों व फुटपाथ पर लगने वाली दुकानो से भी सामान कैरीबैग में ही दिया जाता है। वस्‍तुत: बड़े-बड़े मॉंल,आउटलेट्स पर कैरीबैग पर उनके ब्राण्‍ड का लोगो या  नाम छपा होता है जिससे उनका प्रचार-प्रसार होता है। उपभोक्‍ताओं से उस कैरीबैग का पैसा चार्ज करना अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया के अंतर्गत आता है। कैरीबैग नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराना एक सामान्‍य व्‍यवस्‍था है तथा विक्रेता का दायित्‍व भी है, और यह पूर्व से निश्चित व्‍यवस्‍था है।

12.  एक अन्‍य मायने में राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग द्वारा एक अन्‍य मामले में Big Bazaar (Future Retail Ltd.) Vs. Sahil Dawar on 22 December 2020 में 14 रिवीजन पिटीशन एक साथ योजित की गयी जो राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग चण्‍डीगढ़ के आदेश दिनॉंक 18.05.2020 के विरूद्ध दाखिल की गयी। मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग ने जिला आयोग चण्‍डीगढ़ तथा राज्‍य आयोग चण्‍डीगढ़ के फैसले को उचित बताते हुए उपभोक्‍ताओं के हित में अपना फैसला सुनाया है। मा0 न्‍यायालय की विधि व्‍यवस्‍था का ससम्‍मानपूर्वक अवलोकन किया। उक्‍त केस व इस केस में समानता है,इसलिए वर्तमान परिवाद में  उसके अनुसार मत स्थिर किया जाना न्‍यायोचित प्रतीत होता है। विपक्षी ने कैरीबैग का पैसा लेकर सेवा में कमी तथा अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया अपनायी है। अत: उक्‍त के दृष्टिगत परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को कैरीबैग का मूल्‍य मुबलिग 18.00 रूपये (अट्ठारह रूपये मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ भुगतान की तिथि तक,तथा मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा करेंगे। यदि उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रार्थना पत्र निस्‍तारित किये जाते हैं।

     निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)     (सोनिया सिंह)                     (नीलकंठ सहाय)                    

         सदस्‍य               सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                लखनऊ।       

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)     (सोनिया सिंह)                     (नीलकंठ सहाय)                    

         सदस्‍य               सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                लखनऊ।

दिनॉंक:-29.08.2024

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MRS. sonia Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 

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