न्यायालय-जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायपुर (छ.ग.)
समक्ष :-
सदस्य - श्रीमती अंजू अग्रवाल
सदस्य - श्रीमती प्रिया अग्रवाल
प्रकरण क्रमांक:-172/2014
संस्थित दिनांक:-26.03.2014
विकास शर्मा, उम्र 33 वर्ष,
आत्मज श्री रघुवीर प्रसाद शर्मा,
निवासी-मार्फत् मार्कण्डेय शर्मा,
नवीन सरस्वती कन्या शाला के सामने,
टूरी हटरी गली, लोहार चैक,
पुरानी बस्ती, रायपुर (छ.ग.) परिवादी
विरूद्ध
संचालक, विशाल मेगामार्ट,
(ए फ्रेन्चाईजी स्टोर ऑपरेटेड, एयर प्लान),
गुरू घासीदास प्लाजा, तिवारी स्कूल के पीछे,
आमापारा, जी.ई.रोड,
रायपुर जिला-रायपुर (छ.ग.) अनावेदक
परिवादी की ओर से परिवादी स्वयं उपस्थित।
अनावेदक की ओर से श्री हरीश साहू अधिवक्ता ।
// आदेश //
आज दिनांक:- 23 फरवरी 2015 को पारित
श्रीमती अंजू अग्रवाल - सदस्य
1. परिवादी, अनावेदक से अनुचित रूप से लिये गये पॉलीथिन कैरीबैग का मूल्य रू0 2.94 पैसे वापस दिलाने, अनावेदक के कृत्य से हुई मानसिक परेशानी के एवज में रू0 10000/-, अधिवक्ता शुल्क एवं वादव्यय के रूप में रू0 3000/-व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है ।
2. प्रकरण में निर्विवादित तथ्य यह है कि अनावेदक दैनिक उपयोग की वस्तुओं का विक्रय करता है तथा परिवादी ने दि0 29.10.2013 को खरीदी करने अनावेदक संस्थान में गया । परिवादी ने अनावेदक संस्थान को कुल मूल्यांकन करते हुए समस्त कर सहित रू0 1004/-का बिल भुगतान किया अनावेदक द्वारा जिसका बिल क्रमांक- 017/7040000002422 प्रदान किया गया ।
परिवाद:-
3. परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दि0 29.10.2013 को खरीदी करने अनावेदक संस्थान में गया । परिवादी ने अनावेदक संस्थान को कुल मूल्यांकन करते हुए समस्त कर सहित रू0 1004/-का बिल भुगतान किया जिसका बिल क्रमांक- 017/7040000002422 प्रदान किया गया । परिवादी द्वारा अनावेदक को बिल का भुगतान किये जाने के पश्चात् उक्त बिल में जो कि अनावेदक के द्वारा परिवादी को प्रदान किया गया था कैरी बैग हेतु रू0 2.94 पैसे परिवादी के बिना अनुमति, सहमति के जोड़ दिया गया तथा उक्त रकम भी परिवादी से अनावेदक ने वसूल की जिसका विरोध व आपत्ति करने पर अनावेदक ने परिवादी से दुर्व्यवहार किया जिसके कारण परिवादी को मानसिक परेशानी हुई। अतः परिवादी ने यह परिवाद पेश कर अनावेदक से अनुचित रूप से लिये गये पॉलीथिन कैरीबैग का मूल्य रू0 2.94 पैसे वापस दिलाने, अनावेदक के कृत्य से हुई मानसिक परेशानी के एवज में रू0 10000/-दिलाये जाने की याचना कर परिवादी विकास शर्मा ने परिवाद पत्र में किये अभिकथन के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
जवाबदावा:-
4. अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी को यह बताया गया था कि यदि आप खरीदे गये सामान के लिये अपना कोई थैला या बैग लाये हैं तो दे देवें, उसमें खरीदा गया सामान रख दिया जायेगा। परिवादी ने व्यक्त किया कि वह थैला या बैग नहीं लाया है, तब अनावेदक ने कैरी बैग हेतु शुल्क रू0 2.94 पैसे लगने की बात कही, जिसे परिवादी ने स्वीकार कर लिया और स्वयं के द्वारा क्रय किये गये सामान को उक्त कैरी बैग में रखने और कैरी बैग का मूल्य अदा करने को तैयार हो गया तथी बिलिंग की गई और सामान दिया गया । अनावेदक या उनके कर्मचारियों द्वारा परिवादी से कोई दुव्र्यवहार नहीं किया गया ।
5. अनावेदक द्वारा यह भी अभिकथन किया गया है कि प्लास्टिक के बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिये भारत सरकार द्वारा रिटेल कंपनियों को यह निर्देश दिया गया था, प्लास्टिक/कैरी बैग के लिये ग्राहकों से राशि/रूपये लिये जावे ताकि कैरी बैग की उपयोगिता को हतोत्साहन मिले और ग्राहक सामान क्रय करने के लिये घर से अपने साथ थैला, बैग लाये ताकि बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगे । इस संबंध में भारत सरकार के द्वारा जारी अधिसूचना का विवरण निम्नानुसार है:-
कैरी बैग पॉलिसी
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से दि0 04 फरवरी, 2011 को जारी अधिसूचना नं. S.O.249 (E) के अनुसार रिटेलर्स ग्राहकों को प्लास्टिक बैग मुफ्त उपलब्ध नहीं कराया जायेगा । भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार ग्राहकों को 01 दिसम्बर, 2011 से प्लास्टिक कैरी बैग का निम्नानुसार शुल्क देना होगा:-
बैग की लागत:- छोटे आकार का बैग - रू0 1.00
मध्य आकार का बैग - रू0 2.00
बड़े आकार का बैग - रू0 2.50
6. अनावेदक द्वारा परिवादी को कैरी बैग के लिये अतिरिक्त राशि लगने की बात मौखिक रूप से बताई गई थी जिससे परिवादी के सहमत होने पर ही उसे कैरी बैग में सामान दिया गया था और बकायदा परिवादी को अनावेदक ने कैरी बैग का बिल भी दिया था । साथ ही कैश/बिलिंग काउंटर में इस आशय की सूचना टंगी हुई है कि कैरी बैग के अलग से पैसे लगेंगे । परिवादी ने अनावेदक पर दुव्र्यवहार के संबंध में झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाये हैं । परिवादी के द्वारा सहमति प्रदान करने पर ही उसे कैरी बैग में सामान दिया गया और बिलिंग में कैरी बैग का बिल भी जोड़ा गया । अतः पेश परिवाद निरस्त किये जाने की प्रार्थना कर अखिलेश राणा, स्टोर मैनेजर ने जवाब के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
7. उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण में निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि:-
(1) क्या परिवादी, अनावेदक से अनुचित रूप से लिये ‘‘नहीं''
गये पॉलीथिन कैरी बैग का मूल्य रू0 2.94 वापस
प्राप्त करने का अधिकारी है ?
(2) क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के ‘‘नहीं‘‘
एवज में रू0 10000/-प्राप्त करने का अधिकारी
है ?
(3) अन्य सहायता एवं वादव्यय ? परिवाद अस्वीकृत।
:: विचारणीय बिन्दुओं के निष्कर्ष के आधार ::
8. प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है ।
फोरम का निष्कर्ष:-
9. परिवादी का तर्क है कि उसके द्वारा अनावेदक संस्थान से वस्तुओं की खरीदी के पश्चात् अनावेदक द्वारा उक्त वस्तुओं का मूल्यांकन समस्त कर सहित संपूर्ण बिल रू0 1004/-का प्रदान किया गया । उक्त बिल में कैरी बैग हेतु रू0 2.94 पैसा (उक्त कैरी बैग में अनावेदक संस्थान का विज्ञापन था) बिना परिवादी की अनुमति एवं सहमति के जोड़ दिया गया जिससे परिवादी को मानसिक क्षति हुई । अतः मानसिक त्रास हेतु रू0 10000/-क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की प्रार्थना की गई ।
10. अनावेदक का तर्क है कि उनके द्वारा परिवादी को कैरी बैग के लिये अतिरिक्त राशि लगने की बात मौखिक रूप से बताई गई थी, जिससे परिवादी के सहमत होने पर ही उसे कैरी बैग में सामान दिया गया था और बाकायदा परिवादी को अनावेदक ने कैरी बैग का बिल भी दिया था । साथ ही कैश/बिलिंग काऊंटर में इस आशय की सूचना टंगी हुई है कि कैरी बैग के अलग से रूपये लगेंगे । अनावेदक का यह भी तर्क है कि प्लास्टिक के बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिये भारत सरकार द्वारा रिटेल कंपनियों को यह निर्देश दिया गया था, प्लास्टिक/कैरी बैग के लिये ग्राहकों से राशि/रूपये लिये जावे ताकि कैरी बैग की उपयोगिता को हतोत्साहन मिले और ग्राहक सामान क्रय करने के लिये घर से अपने साथ थैला, बैग लाये ताकि बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगे ।
11. उक्त के संबंध में प्रकरण का अवलोकन किया गया । परिवादी द्वारा यह प्रमाणित नहीं किया गया कि कैरी बैग (विज्ञापन सहित) की राशि वसूल करना अनावेदक की सेवा में निम्नता है, जबकि अनावेदक के द्वारा परिवादी को यह बता दिया जाना कि कैरी बैग हेतु अतिरिक्त राशि देना होगा जिस हेतु परिवादी की सहमति के पश्चात् ही अनावेदक द्वारा परिवादी को कैरी बैग में सामान प्रदान किया गया था । फोरम अनावेदक के इस तर्क से भी सहमत है कि कैरी बैग के लिये रूपये लिये जाने से कैरी बैग की उपयोगिता को हतोत्साहन मिले और ग्राहक सामान क्रय करने के लिये घर से अपने साथ थैला बैग लाये ताकि बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगे । अनावेदक द्वारा कैरी बैग पॉलिसी भी पेश की गई है । अतः फोरम परिवादी के प्रति अनावेदक द्वारा सेवा में निम्नता या अनैतिक व्यापार का कोई कारण नहीं पाती है ।
12. फलस्वरूप हम परिवादी का परिवाद स्वीकार करने का कोई आधार नहीं पाते। अतः उपरोक्त विवेचना के आधार पर परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है । प्रकरण की परिस्थितियों में उभयपक्षकार अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
(श्रीमती अंजू अग्रवाल) (श्रीमती प्रिया अग्रवाल )
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