राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-365/2015
(जिला उपभोक्ता फोरम, औरैया द्धारा परिवाद सं0-200/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.01.2015 के विरूद्ध)
सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा-मिहौली परगरा, तहसील वजिला औरैया द्वारा शाखा प्रबन्धक।
........... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
विशाल गुप्ता पुत्र श्री प्रमोद कुमार गुप्ता, निवासी तिलकनगर, परगना व जिला औरैया।
……..…. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री जफर अजीज
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री शिव प्रकाश गुप्ता
दिनांक : 07.10.2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, औरैया द्धारा परिवाद सं0-200/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.01.2015 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध 1,90,499.00 रूपया की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वादयोजन की तिथि 06.12.2013 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा। विपक्षीगण उक्त धनराशि परिवादी को निर्णय के एक माह में अदा करें।"
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संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी का बचत खाता सं0-2198 जिसका नया नम्बर-228965353 प्रतिवादीगण की शाखा मिहौली से संचालित हो रहा है एवं परिवादी के खाते में दिनांक 31.5.2011 को कुल 3,99,634.00 रू0 जमा थे। परिवादी को समाचार पत्र के माध्यम से पता चला कि सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया की शाखा में कैशियर द्वारा गबन कर लिया गया है, इसलिए परिवादी ने दिनांक 08.6.2012 को प्रतिवादी सं0-1 के पास जाकर अपने खाते का मुआयना किया और स्टेटमेंट निकलवाया, तो स्टेटमेंट के अनुसार पता चला कि उसके खाते में मात्र 4,788.00 रू0 शेष है, जबकि 1,90,287.00 रू0 जमा होना चाहिए था। इस प्रकार परिवादी के खाते में 1,85,499.00 रू0 कम होना पाया गया। जिसके फलस्वरूप परिवादी द्वारा दिनांक 08.6.2012 को सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया के शाखा प्रबन्धक मिहौली में इन्ट्री के आधार पर भुगतान कराये जाने के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र दिया गया और कई बार प्रतिवादीगण व उनके कर्मचारियों से सम्पर्क बनाया लेकिन परिवादी के रूपयों का भुगतान नहीं किया गया है। अत: परिवादी द्वारा प्रतिवादीगण से रू0 1,85,499.00 मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवादी प्रस्तुत किया गया है।
प्रतिवादीगण की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और यह कथन किया गया है कि खाता नं0-2198 जिसका नया खाता नं0-2289650353 है जो कि विशाल गुप्ता पुत्र श्री प्रमोद कुमार गुप्ता के नाम से प्रतिवादी सं0-1 के यहॉ है, जिस खाते के माध्यम से खाताधारक अपना लेन-देन करता रहा है और कभी भी किसी प्रकार की कोई शियकात खाताधारक को प्रतिवादीगण से नहीं रही और न हुई खिलाफ इसके जो तथ्य परिवाद पत्र में अंकित किए गये हैं वह कतई गलत व निराधार है एवं परिवादी द्वारा यह तथ्य गलत एवं निराधार तरीके से प्रदर्शित किया गया है कि
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उसके खाते का मुआयना दिनांक 08.6.2012 को कराया गया तो पाया गया कि खाते में 4,488.00 रू0 शेष है जबकि परिवादी की पास बुक इन्ट्री के दिनांक 15.11.2011 को 2,00,000.00 रू0 निकालने के बाद 1,90,287.00 रू0 होना चाहिए था, लिहाजा परिवादी के उक्त खाते में 1,85,499.00 रू0 कम जमा होना कह रहा है, उक्त सारे कथन परिवादी ने सोच समझकर बगैर किसी आधार के उक्त परिवाद पत्र में प्रदर्शित किए है जबकि सही तथ्य यह है कि परिवादी के उक्त खाते में दिनांक 31.5.2011 को 3,99,634.00 रू0 जमा थे, जिसमें परिवादी ने दिनांक 08.8.2011 को 3,00,000.00 का विड्रोल लगाया और धनराशि निकाली, जिसकी इन्ट्री पासबुक में नहीं है, जबकि बैंक के सिस्टम में इन्ट्री है तथा इसके पश्चात दिनांक 15.11.2011 को मु0 1,00,000.00 रू0 उक्त खाते में जमा किया गया, जो सिस्टम में जमा है, पासबुक में जमा नहीं है तथा दिनांक 14.11.2011 को भी 1,000.00 रू0 उक्त खाते में जमा किया गया जो सिस्टम में जमा है, लेकिन पास बुक में इन्ट्री नहीं है, इसी प्रकार परिवादी ने दिनांक 15.11.2011 को 2,00,000.00 विड्रोल के जरिए उक्त खाते से निकाले, जिसकी इन्ट्री पासबुक में नहीं है, जबकि सिस्टम में है, जो निकासी परिवादी को अपने परिवाद पत्र में स्वीकार है, जबकि उक्त निकासी को परिवादी ने बैंक में जो अपना प्रार्थना पत्र दिया था, उसमें साफ इंकार किया है, जिससे परिवाद की बदनियती स्पष्ट है और इस प्रकार उक्त खाते में कुल 634.00 रू0 शेष बचा तथा दिनांक 06.6.2012 तक उक्त खाते में शेष बची रकम व मिला ब्याज मिलाकर कुल धनराशि 4,788.00 रू0 जमा पाये गये और इसके खिलाफ जो तथ्य परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में प्रदर्शित किए है, वह गलत और निराधार है। यह भी कहा गया है कि गंगा प्रसाद पुत्र श्री गुलजारी लाल प्रतिवादी सं0-1 के यहॉ यानि सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा मिहौली में बतौर कैशियर सेवारत रहा, जो वर्तमान में निलंबित चल रहा है, ने अपनी सेवाकाल में बैंक की शाखा मिहौली में काफी हेरा-फेरी की तथा
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खातों में भी हेरा-फेरी व गलत इंद्राज करके गबन किया है, जिसकी बैंक अधिकारियों जैसे ही जानकारी हुई तो तुरन्त बैंक के उच्च अधिकारियों द्वारा जॉच कराई गयी और तत्काल प्रतिवादी सं0-1 के शाखा प्रबन्धक द्वारा तत्कालीन बैंक कैशियर गंगा प्रसाद के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिस पर मुकदमा हुआ और न्यायालय सी0जे0एम0 औरैया में लम्बित है और इसके अलावा भी अन्य खातों में गड़बडी और पाई गई, जिसकी जॉच चल रही है। प्रतिवादीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि सम्बन्धित प्रविष्टियों के बावत व अन्य खातों के बावत बैंक की जॉच त्वरित गति से की जा रही है, जिससे कि बैंक ग्राहकों को किसी प्रकार का नुकसान व परेशानी न होने पावे और न ही किसी को इस घटना का अनुचित लाभ भी पहुंचे, अत: परिवादीगण का परिवाद निरस्त होने योग्य है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 07.01.2015 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री जफर अजीज तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री शिव प्रकाश गुप्ता की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है।
प्रत्यर्थी की ओर से दाखिल लिखित बहस का अवलोकन किया गया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र के पैरा-20 में बैंक में हुए घोटाले को स्वीकार किया गया है और जो आदेश जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित किया गया है, उसे कायम रखा जाय तथा अपीलार्थी की अपील को खारिज किए जाने की प्रार्थना की गई है।
अपीलार्थी की ओर से दाखिल लिखित बहस में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया है कि स्टेटमेंट ऑफ एकाउण्ट, साक्ष्य एवं विड्रोल फार्म उनकी ओर से दाखिल किए गये हैं, जिससे स्पष्ट है कि किसी प्रकार की
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धोखा-धडी नहीं की गई है और परिवादी द्वारा अनुचित लाभ प्राप्त करने हेतु यह दावा दायर किया गया है और जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया है। आधार अपील में भी अपीलार्थी की ओर से यह कथन किया गया है कि उसके द्वारा किसी प्रकार से सेवा में कमी नहीं की गई है और जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा बिना किसी क्षेत्राधिकार एवं बिना किसी वाद कारण के आदेश पारित किया गया है, जो कि विधि सम्मत नहीं है अत: जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश निरस्त किए जाने योग्य है।
जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय व आदेश में उल्लेख यह किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने पुरानी पासबुक की फोटोप्रति दाखिल की है, जिसमें 1,85,499.00 रू0 अंकित है, परन्तु नये खाते की पासबुक में मात्र 4,799.00 रू0 अवशेष दिखाया गया है। जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय में यह भी उल्लेख किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने ऐसा कोई विड्राल फार्म दाखिल नहीं किया है, जिसके द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी ने धनराशि निकाली हो, परन्तु अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्ता ने प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते से निकाली गई धनराशि के सम्बन्ध में विड्राल फार्म को दिखाया है और उनकी फोटो प्रति अपील की पत्रावली में दाखिल की है।
चूंकि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष विड्राल फार्म प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे अभी तक परिवादी के निस्तारण में विलम्ब हुआ है, ऐसी स्थिति में हम इस मत के हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से रू0 10,000.00 दिलाया जाना उचित है।
ऐसी स्थिति में हम यह पाते हैं कि अपील स्वीकार करते हुए पत्रावली को जिला उपभोक्ता फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाए कि वह अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा विड्राल फार्म प्रस्तुत करने
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पर उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: परिवाद में अग्रिम कार्यवाही यथाशीघ्र सुनिश्चित करें और परिवाद का निस्तारण विधि के अनुसार करें।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 07.01.2015 को 10,000.00 रू0 हर्जे पर अपास्त करते हुए पत्रावली जिला उपभोक्ता फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि वह अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा विड्राल फार्म प्रस्तुत करने पर उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर परिवाद में पुन: निर्णय विधि के अनुसार पारित करें।
उभय पक्ष जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष दिनांक 13.11.2017 को उपस्थित हों।
अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत इस अपील में जमा की गई धनराशि से उपरोक्त हर्जा की धनराशि दस हजार रूपया का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी को करके अवशेष धनराशि सम्पूर्ण धनराशि पर अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को नियमानुसार वापस कर दी जाएगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (रामचरन चौधरी) (संजय कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1