राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2862/2006
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या- 141/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11-10-2006 के विरूद्ध)
मेसर्स पेप्सिको इंडिया होल्डिंग प्राइवेट लि0 ए-।। यू0पी0एस0 आई0डी0सी0 इंडस्ट्रीयल एरिया, साइट- ।।बाजपुर, जिला उधमसिंह नगर,उत्तरॉचल ( निर्माता कम्पनी) अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
- वीरेन्द्र पाल सिंह पुत्र स्व0 श्री सुमेरी लाल, निवासी- ग्राम मिलक तहव्वर अली खान, पुलिस स्टेशन पटपाई, तहसील- सदर, जिला- रामपुर। प्रत्यर्थी/परिवादी
- एम्प्रोसिया प्रोविजनल स्टोर्स, राहे रजा रोड़,निकट जिला पंचायत परिषद, रामपुर ( रीटेलर/सेलर)
- राम कुमार मदान( राधा रोड़ एग्रीकल्चर बैंक के सामने, सिविल लाइन रामपुर। यू0पी0 (डिस्ट्रीब्यूटर) .प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1-माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2-माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री विकास सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक03-07-2015
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या- 141/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11-10-2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की है। उक्त आदेश में यह कहा गया है कि एक हजार रूपये हर्जाना के साथ परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है और आदेश किया जाता है कि एक माह के अन्दर 30-00 रूपये बोतल की कीमत 08 प्रतिशत ब्याज के साथ दिनांक 30-05-2003 तक दें और विपक्षी सं0-3 को निर्देशित किया जाता है कि वह 10 हजार रूपये क्षतिपूर्ति अदा करें और यदि उक्त रकम समय के अन्दर नहीं दिया जाता है
(2)
तो ब्याज 18 प्रतिशत हो जायेगा और क्षतिपूर्ति की रकम 20,000-00 रूपये हो जायेगी।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार से है कि परिवादी ने परिवाद में कहा है कि 30-07-2003 को उसने दो बोतल पेप्सी विपक्षी सं0-1 से 30-00 रूपये में खरीदा और उसी रात में एक बोतल में से कुछ पेय पीन के बाद उसके तीनों बच्चों की तबियत बिगड़ने लगी और उनको उल्टियां होने लगी और मुंह से फाग आने लगा और बिहोश हो गये, जिससे उन्हें डा0 आर0पी0 सिंह के यहॉ ले जाया गया तो उन्होंने बताया कि पेय पदार्थ पीने से बीमार हो गये हैं और परिवादी को बच्चों को भर्ती कराना पड़ा और अगले दिन सुबह छुट्टी मिली और उनके दवा इलाज में 800-00 रूपये खर्च करना पड़ा। परिवादी अपने बच्चों को लेकर घर आया। परिवादी अपने घर आकर जब उक्त पेप्सी की दूसरी सील बन्द बोतल को ध्यान से देखा तो पाया कि उसमें काफी गन्दगी पड़ी हुई है, और वह आधी पीये हुए बोतल की तरह थी, जिससे उनके बच्चों का स्वास्थ्य बुरी तरह से खराब हुआ। इस प्रकार से विपक्षीगण को निर्देश किया जाय कि वह दो बोतल की कीमत 30-00 रूपये 18 प्रतिशत ब्याज के साथ और दो लाख रूपये हर्जाना दें।
विपक्षीगण ने अलग-अलग जवाबदावा दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 ने कहा कि उसे बिना किसी क्षेत्राधिकार के पक्षकार बना लिया गया है। यह भी कहा कि उसे गलत रूप से पक्षकार बना दिया गया है। विपक्षी सं0-2 ने कहा कि उसने विपक्षी सं0-1 को उक्त बोतल बेचा नहीं है और यह भी कहा है कि विपक्षी सं0-3 द्वारा दिये गये पैकर्स नहीं है। विपक्षी सं0-3 ने अपने जवाबदावा में यह कहा गया है कि यह फर्जी उसके द्वारा बनाया गया है। अत: वह कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किया जाय।
(3)
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विकास सिंह तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता उपस्थित है। दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। पत्रावली एवं अपील के आधार का अवलोकन किया गया।
दोनों पक्षों को सुनने के उपरान्त केस के तथ्यों परिस्थितियो को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम ने प्रकरण की सही विवेचना व सभी साक्ष्यों पर विचार करके निर्णय पारित किया है और हम यह पाते है कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह विधि सम्मत् है, उसमें हस्तक्षेप किये जाने की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन समय से उक्त रूपया अदा न करने पर जो यह शर्त जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा लगाया गया है कि समय से न देने पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज हो जायेगा व क्षतिपूर्ति 20,000-00 रूपये हो जायेगा। इस प्रकार का जो शर्ते लगाया गया है, वह समाप्त किये जाने योग्य है, शेष आदेश की पुष्टि किये जाने योग्य है। अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा अपने आदेश में जो यह शर्त लगाया गया है कि यदि समय से भुगतान नहीं किया जाता है तो ब्याज की रकम 18 प्रतिशत वार्षिक हो जायेगा और क्षतिपूर्ति की धनराशि 20,000-00 रूपये हो जायेगा। इस प्रकार का शर्त जो लगाया गया है, उसे समाप्त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वयं वहन करें।
(राम चरन चौधरी) ( राज कमल गुप्ता )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर.सी. वर्मा, आशु.
कोर्ट नं0-5