Uttar Pradesh

StateCommission

A/66/2020

Pepsico India Holdings Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Virendra Kumar Gupta - Opp.Party(s)

Vikas Singh, Kumar Kislay, Manish K. Jha, Avni Sharma

06 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/66/2020
( Date of Filing : 23 Jan 2020 )
(Arisen out of Order Dated 24/05/2019 in Case No. C/111/2007 of District Varanasi)
 
1. Pepsico India Holdings Pvt Ltd
Level 3-5 Pioneer Square Sector 62 Near Golf Course Extension Road Gurugram 122101
...........Appellant(s)
Versus
1. Virendra Kumar Gupta
Prop. M/S Burger King S. 19/1-K-2 Nai Bazar Cantt Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Nov 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-66/2020

पेप्सिको इण्डिया होल्डिंग प्रा0लि0, ए कम्‍पनी इनकारपोरेटेड अन्‍डर दी कम्‍पनीज एक्‍ट हैविंग इट्स रजिस्‍टर्ड ऑफिस एट 3-बी डी0एल0एफ0 कारपोरेट पार्क, एस0-ब्‍लाक, कुतुब इनक्‍लेव फेस-3, गुडगॉव, हरियाणा हैविंग इट्स रीजनल ऑफिस एट 29/9, राणा प्रताप मार्ग, राज चैबर्स, लखनऊ थ्रू इट्स रीजनल मैनेजर

वर्तमान में-

पेप्सिको इण्डिया होल्डिंग प्रा0लि0, लेवल 3-5, पायनियर स्‍क्‍वायर, सेक्‍टर 62, नियर गोल्‍फ कोर्स एक्‍सटेंशन रोड गुरूग्राम-122101

बनाम

वीरेन्‍द्र कुमार गुप्‍ता, प्रोपराइटर मैसर्स बर्गर किंग एस.19/1 के-2, नई बाजार, कैण्‍ट, वाराणसी।

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष           

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री कुमार किसले

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 06.11.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी पेप्सिको इण्डिया होल्डिंग प्रा0लि0 की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-111/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.5.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी कम्पनीज एक्‍ट के अन्‍तर्गत एक पंजीकृत कम्पनी है और वह साह साफ्ट ड्रिंक बनाता है और पेप्सी-7 के नाम से बेचता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी बेरोजगार एवं पढ़ा-लिखा व्यक्ति है और वह वर्गर किंग के नाम से व्यवसाय करता है और दिनांक 05-04-2005 को

-2-

उसने अपीलार्थी/विपक्षी से अनुबंध किया। यह अनुबंध दिनांक        05-04-2005 को इस शर्त के अनुसार किया गया था कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी के प्रोड्क्ट को प्रमोट करेगा। प्रत्‍यर्थी/परिवादी रू0 12,500.00 केसेस आफ प्रोडक्ट अपीलार्थी/विपक्षी कम्पनी को 36 कैलेण्डर महीने में खरीदेगा। अपीलार्थी/विपक्षी ने रू0 5,00,000/- अतिरिक्त रू0 50,000/- अग्रिम तथा एग्रीमेंट निष्पादित करते हुए 1,00,000/-रूपये प्रथम व द्वितीय वर्ष के पूर्ण होने पर 1,50,000/-रूपये डी.डी. दिनांक         28-5-2005 को दिया एवं अपना विक्रय प्रारम्भ कर दिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी बार-बार अपीलार्थी/विपक्षी से अनुरोध करता रहा कि उसे चीलिंग इक्विपमेंट्स प्रदान करें, लेकिन अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे बहुत ही छोटा फ्रीजर प्रदान किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अनुबंध के अनुसार अपनी शर्ते पूरी की, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी ने पहले वर्ष बीतने के पश्चात उसे 1,00,000/-रुपये वापस नहीं किया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बार-बार व्यक्तिगत रूप से तथा टेलीफान के माध्यम से बड़ा फ्रीजर देने को कहा गया, परन्‍तु दिनांक           12-4-2007 के पत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया गया अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख सेलिंग इनफ्रास्टक्चर अर्थात बड़ा फ्रीजर मय रेगुलर एवं प्राम्प्ट सप्लाई साथ ही अन्‍य क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने की याचना के साथ प्रस्‍तुत किया गया।  

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से प्रश्‍नगत अपील में श्री विजय कुमार अधिवक्‍ता उपस्थित हो रहे है, जो अनेकों तिथियों पर पूर्व में उपस्थित नहीं हुए अथवा उनके द्वारा स्‍थगन प्रार्थना पत्र दिया गया। प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी की ओर से पक्ष रखने हेतु विद्वान अधिवक्‍ता

-3-

श्री कुमार किसले इस न्‍यायालय के सम्‍मुख दिल्‍ली से आकर अपना पक्ष प्रस्‍तुत करते है। विगत दिनांक 20.9.2024 को इस न्‍यायालय द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया था:-

"पुकार करायी गयी।

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख विगत् साढ़े चार वर्षों से लम्बित है। अपील विलम्‍ब से योजित किया जाना भी उल्लिखित पाया जाता है। अंतरिम आदेश इस न्‍यायालय द्वारा दिनांक 27.01.2020 को पारित किया गया।

उपरोक्‍त अंतरिम आदेश में इस न्‍यायालय द्वारा अपीलार्थी को कुल डिक्रीटल धनराशि का 50 प्रतिशत जमा किये जाने का आदेश पारित किया गया।

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा इस न्‍यायालय का ध्‍यान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद संख्‍या 111/2007 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.05.2019 की ओर आकर्षित किया गया, जिसमें निम्‍न आदेश पारित किया गया :-

‘’प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को अन्‍दर 30 (तीस दिन) बड़ा फ्रीजर उपलब्‍ध करायें तथा वे नियमित रूप से परिवादी को अपना प्रोडेक्‍ट उपलब्‍ध कराता रहे। विपक्षी को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह उक्‍त निर्धारित तिथि में मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के लिए मु0 20,000/- (बीस हजार रूपये) की क्षतिपूर्ति प्रदान करें। परिवादी ने अनुतोष ‘’डी’’ में क्षतिपूर्ति भी मांगा है जो हम लोगों के विचार से दिया जाना उचित नहीं है। परिवादी को वाद व्‍यय के रूप में मु0 5,000/- (पॉंच हजार रूपये) भी अदा करें।‘’

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री कुमार किसले  द्वारा कथन किया गया कि यद्यपि इस न्‍यायालय द्वारा अपीलार्थी के अंतरिम प्रार्थना पत्र पर 50 प्रतिशत डिक्रीटल धनराशि जमा किये जाने का आदेश पारित किया जिसका अनुपालन अपीलार्थी द्वारा सुनिश्चित किया गया, परन्‍तु इस न्‍यायालय द्वारा अंतरिम आदेश में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश दिनांकित 24.05.2019 का क्रियान्‍वयन स्‍थगित नहीं किया गया, जिस कारण से अपीलार्थी को जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित ऊपर उल्लिखित आदेश के अनुपालन में परिवादी को निर्मित प्रोडेक्‍ट प्राप्‍त कराया जाना आदेशित है।

प्रश्‍नगत् अपील पत्रावली में आदेश फलक के परीक्षण पर यह पाया गया कि परिवादी/विपक्षी के अधिवक्‍ता श्री विजय कुमार द्वारा पूर्व में अनेकों तिथियों पर स्‍थगन प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत करते हुए अपील स्‍थगित करायी जाती रही है, जबकि श्री कुमार किसले, अपीलार्थी के अधिवक्‍ता अपील में अपना पक्ष प्रस्‍तुत किये जाने हेतु दिल्‍ली से इस न्‍यायालय के सम्‍मुख उपस्थित हुए हैं, जो पूर्व में भी उपस्थित हुए हैं और आज भी उपस्थित हैं।

-4-

तदनुसार विपक्षी/परिवादी के अधिवक्‍ता की कार्यप्रणाली विशेष रूप से स्‍थ‍गन प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किये जाने को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत अपील अगली निश्चित तिथि पर गुणदोष के आधार पर अन्तिम रूप से सुनी जावेगी अर्थात् किसी भी दशा में अपील स्‍थगित नहीं की जावेगी।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील पुन: सुनवाई हेतु दिनांक 06.11.2024 को सूचीबद्ध की जावे।

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा इस आदेश की प्रति अथवा तिथि निर्धारण की सूचना श्री विजय कुमार, विपक्षी/परिवादी के अधिवक्‍ता को मोबाइल के माध्‍यम से 01 सप्‍ताह में प्राप्‍त करायी जावेगी।"

उपरोक्‍त आदेश के अनुपालन में आज नियत तिथि पर अपील सूचीबद्ध है। यह खेद का विषय है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अधिवक्‍ता भी आज अनुपस्थित है एवं उनके द्वारा न ही कोई स्‍थगन प्रार्थना पत्र भी प्रस्‍तुत किया गया। मात्र उनकी ओर से एक कनिष्‍ठ अधिवक्‍ता श्री विजय प्रताप सिंह ने उपस्थित होकर कथन किया कि वे आज अनुपस्थित है एवं अपील की सुनवाई कल की जाए।

मेरे द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का परिशीलन व परीक्षण किया गया एवं अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को विस्‍तार पूर्वक सुना गया। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय के पश्‍चात जो आदेश पारित किया गया है, वह निम्‍नवत है:-

 ‘’प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को अन्‍दर 30 (तीस दिन) बड़ा फ्रीजर उपलब्‍ध करायें तथा वे नियमित रूप से परिवादी को अपना प्रोडेक्‍ट उपलब्‍ध कराता रहे। विपक्षी को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह उक्‍त निर्धारित तिथि में मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के लिए मु0 20,000/- (बीस हजार रूपये) की क्षतिपूर्ति प्रदान करें। परिवादी ने अनुतोष ‘’डी’’ में क्षतिपूर्ति भी मांगा है जो हम लोगों के विचार से

 

-5-

दिया जाना उचित नहीं है। परिवादी को वाद व्‍यय के रूप में मु0 5,000/- (पॉंच हजार रूपये) भी अदा करें।‘’

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा उपरोक्‍त आदेश को अत्‍यंत अनुचित एवं अस्‍पष्‍ट बताया गया। मेरे द्वारा उपरोक्‍त आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने पर यह पाया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो आदेश पारित किया गया है, जिसके द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा नियमित अपना प्रोड्क्‍ट उपलब्‍ध कराये जाने का आदेश दिया गया है वह पूर्ण रूप से अनुचित एवं गलत है, जिसे किन्‍हीं भी परिस्थितियों में प्रश्‍नगत परिवाद से सम्‍बन्धित विवाद को दृष्टिगत रखते हुए प्रदान नहीं किया जा सकता है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा वास्‍तव में आदेश पारित करते समय न तो विधि के स्‍थापित सिद्धांतों का परीक्षण किया, न ही अपीलार्थी के पक्ष को दृष्टिगत रखते हुए विधिनुसार आदेश ही पारित किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख कथन किया कि वास्‍तव में परिवाद पोषणीयता के बिन्‍दु पर निरस्‍त किये जाने योग्‍य था, क्‍योंकि निर्विवादित रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी कम्‍पनी के द्वारा निर्मित प्रोड्क्‍ट का डिस्‍टीब्‍यूटर मात्र है, न कि कंज्‍यूमर।  उपरोक्‍त सम्‍बन्‍ध में भी जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा कोई उचित अवधारणा उल्लिखित नहीं की गई।

समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रश्‍नगत अपील अंतिम रूप से स्‍वीकृत की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-111/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.5.2019 अपास्‍त किया जाता है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री कुमार किसले द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख अपील योजित करते समय जमा की गई धनराशि

-6-

को अपीलार्थी को वापस न करने का कथन किया एवं उपरोक्‍त जमा धनराशि को मय अर्जित ब्‍याज सहित मुख्‍यमंत्री राहत कोष में जमा किये जाने हेतु सहर्ष सहमति दी, तद्नुसार उपरोक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित एक माह की अवधि में मुख्‍यमंत्री आपदा राहत कोष में कार्यालय द्वारा विधिनुसार जमा कराया जाना सुनिश्चित किया जावे।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                      

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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