Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/290

Bajrangf Ice Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Virendra Kumar Gupta - Opp.Party(s)

N K Tiwari

01 Sep 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/290
( Date of Filing : 12 Feb 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Bajrangf Ice Cold Storage
saq
...........Appellant(s)
Versus
1. Virendra Kumar Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Sep 2021
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                    अपील संख्‍या- 290/2007

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या- 123/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21-09-2006 के विरूद्ध)

 

बजरंग आइस एण्‍ड कोल्‍ड स्‍टोरेज स्थित नगला परमसुख, एत्‍मादपुर आगरा द्वारा प्रोपराइटर संजीव कुमार अग्रवाल।

                                                                                             अपीलार्थी/विपक्षी

                              बनाम 

श्री विरेन्‍द्र कुमार गुप्‍त पुत्र स्‍व0 श्री कुन्‍दल लाल गुप्‍त, निवासी- हाउस नं० 220 बाईपास रोड फैजाबाद ।

                                                                                            प्रत्‍यर्थी/परिवादी

मक्ष:-

 माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन कुमार तिवारी

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :    विद्वान अधिवक्‍ता, श्री ए०के० मिश्रा

 

दिनांक: 20-09-2021

 

माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

                                                                                                       निर्णय

 

  प्रस्‍तुत अपील, परिवाद संख्‍या- 123 सन् 2004 वीरेन्‍द्र कुमार गुप्‍त बनाम बजरंग आइस एण्‍ड कोल्‍ड स्‍टोरेज में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम आगरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21-09-2006 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

 

2

 

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन कुमार तिवारी और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए०के० मिश्रा उपस्थित आए हैं। 

हमने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना और पत्रावली का परिशीलन किया है।

अपील के मुख्‍य आधार इस प्रकार हैं कि प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश मनमाना, विधि विरूद्ध, एवं दोषयुक्‍त है । जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय क्षेत्राधिकार से परे है और यदि इसे यथा बनाए रखा जाए तो अपीलार्थी की अपूर्णीय क्षति होगी।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रश्‍नगत निर्णय अत्‍यन्‍त शीघ्रता में पारित किया गया है। निर्णय साक्ष्‍य के विरूद्ध है। कोल्‍ड स्‍टोरेज को स्‍वयं पक्षकार नहीं बनाया गया है। नोटिस कोल्‍ड स्‍टोरेज पर तामील करने का कोई उद्देश्‍य नहीं है। परिवादी ने अपने ही आदमी को खड़ा किया है और उनके द्वारा नोटिस प्राप्‍त करवा ली गयी है और द्धेषभाव से एकपक्षीय आदेश पारित कराया गया है।

 परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी एक व्‍यापारी है जो किसानों से आलू खरीदता है और लाभ कमाने के उद्देश्‍य से उसे कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखवाता है और फिर उसका विक्रय करता है। कथित आक्षेप विशिष्‍ट नहीं है बल्कि झूठे और बनाए हुए हैं। परिवादी ने यह नहीं बताया कि उसने 196 पैकेट आलू वापस लिए हैं लेकिन केवल 13 रसीदें ही प्रस्‍तुत की हैं। परिवादी कोल्‍ड स्‍टोरेज मालिक का पुराना परिचित है जिस पर उसको विश्‍वास था। उसने सारे आलू के बोरे वापस लिये जाने के पहले एक झूठा परिवाद प्रस्‍तुत किया। परिवादी को

3

वाद का कोई कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है। यह बताना आवश्‍यक है कि विद्वान जिला आयोग ने 3,39,900/-रू० दावे को अत्‍यधिक मूल्‍य पर बिना किसी आधार के स्‍वीकार किया है। वकालतनामा पर दिनांक 18-06-2004 को मुकेश अग्रवाल नाम के व्‍यक्ति ने हस्‍ताक्षर किया जबकि वह कभी-भी कोल्‍ड स्‍टोरेज का मैनेजर नहीं रहा। श्री विशाल गुप्‍ता कोल्‍ड स्‍टोरेज के मैनेजर हैं।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा यह परिवाद गलत उद्देश्‍य और धन प्राप्ति के लिए प्रस्‍तुत किया गया है। परिवाद कोल्‍ड स्‍टोरेज के अधिनियम से बाधित है। अत: वर्तमान अपील स्‍वीकार कर प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

हमने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना और पत्रावली का परिशीलन किया।

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में दिनांक 02-04-2002 और उसके बाद विभिन्‍न तारीखों में कुल मिलाकर 814 आलू के बोरे जिसका कुल वजन 59,595 किग्रा था, रखा और किराया 55/-रू० प्रति बोरी की दर से तय हुआ। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 18-07-2002 को 196 बोरी आलू जिसका वजन 14,349 कि०ग्रा० था किराया देकर कोल्‍ड स्‍टोरेज से निकाले। जब प्रत्‍यर्थी/परिवादी माह अगस्‍त 2002 के अंतिम सप्‍ताह में शेष 618 बोरी आलू लेने के लिए गया तो अपीलार्थी/विपक्षी टाल-मटोल करने लगा और आलू के बोरे नहीं दिये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को माह सितम्‍बर 2002 के अंतिम सप्‍ताह में जानकारी हुयी कि अपीलार्थी/विपक्षी ने दिनांक 24-08-2002 प्रत्‍यर्थी/परिवादी के शेष आलू के बोरों को विक्रय कर दिया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने थाने में शिकायत की लेकिन अपीलार्थी/विपक्षी की थाने में दोस्‍ती होने के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गयी।

4

 

अपीलार्थी/विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी जो उस पर तामील हुयी और प्राप्ति स्‍वीकृति रसीद पत्रावली पर संलग्‍न है। विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता ने वकालतनामा भी दाखिल किया है और उन्‍हें प्रतिवाद दाखिल करने का पर्याप्‍त समय भी दिया गया लेकिन उसके द्वारा प्रतिवाद पत्र दाखिल नहीं किया गया न ही कोई स्‍थगन प्रार्थना-पत्र प्रस्‍तुत किया गया। तब परिवाद-पत्र में एकपक्षीय सुनवाई का आदेश पारित किया गया।

इससे स्‍पष्‍ट होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी को विद्वान जिला आयोग ने प्रतिवाद-पत्र प्रस्‍तुत करने के लिए पर्याप्‍त अवसर दिया किन्‍तु वह अपनी लापरवाही के कारण इसे प्रस्‍तुत नहीं कर सका। तब अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही करने के अतिरिक्‍त और कोई विकल्‍प नहीं बचता है। जब अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया तब परिवाद पत्र और उसके साथ सलंग्‍न शपथ-पत्र पर विश्‍वास किया ही जाता है। ऐसा कोई साक्ष्‍य जो परिवाद-पत्र प्रस्‍तुत करने के दौरान प्रस्‍तुत न किया गया हो, वह अपील में प्रस्‍तुत नहीं किया जा सकता है।

समस्‍त तथ्‍यों, परिस्थितियों एवं साक्ष्‍यों को देखते हुए यही निष्‍कर्ष निकलता है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि सम्‍मत है और अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही भी विधि के अनुसार ही की गयी है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार वर्तमान अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

               आदेश

     वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है।

     वाद व्‍यय पक्षकारों पर।

         

5

         आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

(सुशील कुमार)                                            (राजेन्‍द्र सिंह)            

      सदस्‍य                                                       सदस्‍य

 

     निर्णय आज दिनांक- 20-09-2021 को खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित/दिनां‍कित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(सुशील कुमार)                                            (राजेन्‍द्र सिंह)            

      सदस्‍य                                                   सदस्‍य

 

कृष्‍णा–आशु0

कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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