राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-473/2015
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्या 126/2014 में पारित आदेश दिनांक 23.01.2015 के विरूद्ध)
1. Branch Manager,
Bajaj Allianz Life Insurance Co. Ltd.
Branch Auraiya, Near Coca Cola Agency,
Kanpur Road, Auriya.
2. Divisional Manager,
Bajaj Allianz Life Insurance Co. Ltd.
11/19, Silver Line, Behind Algin Mill,
Civil Line, Kanpur,
Through its Zonal Manager.
.................अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
Vinod Singh Alias Sunil Singh
S/o Late Shri Roop Singh Chauhan,
R/o Behind Jamal Shah Mohalla,
Tilak Nagar, Auraiya. .................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री संजीव बहादुर श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश्वर मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 27.11.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-126/2014 विनोद सिंह उर्फ सुनील सिंह बनाम शाखा प्रबन्धक-बजाज एलयांज लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 23.01.2015 के विरूद्ध यह
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अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध 55,000/-रुपया की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वादयोजन की तिथि 14.07.2014 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देय होगा। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्तानुसार धनराशि परिवादी को निर्णय के एक माह में अदा करें। ''
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण शाखा प्रबन्धक, बजाज एलयांज लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0 एवं डिवीजनल मैनेजर, बजाज एलयांज लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री संजीव बहादुर श्रीवास्तव और प्रत्यर्थी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश्वर मेहरोत्रा उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के
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साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विपक्षी बजाज एलयांज लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0 की शाखा औरैया से मार्च 2012 में पालिसी फैमिली केयर फस्ट, जिसका नम्बर-0261747787 था, खरीदी थी। पालिसी का टर्म 3 साल का था और वार्षिक किश्त 6580.50/-रू0 थी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रथम किश्त विपक्षी की शाखा औरैया में जमा की थी जिसकी बीमा अवधि दिनांक 28.03.2012 से दिनांक 28.03.2013 तक थी और इस पालिसी के अन्तर्गत प्रत्यर्थी/परिवादी, उसकी पत्नी प्रतिभा सिंह और दोनों बच्चे क्रमश: अनुज सिंह व अभय सिंह दिनांक 28.03.2013 तक पालिसी में दी गयी शर्तों के अनुसार 1500000/-रू0 तक के इलाज के लिए बीमित थे।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि पालिसी लेने के बाद प्रत्यर्थी/परिवादी अपनी रोजी रोटी हेतु परिवार सहित अहमदाबाद चला गया। अहमदाबाद में प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र अभय सिंह की अचानक तबियत खराब हो गयी। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने पुत्र अभय सिंह को अस्पताल में दिखाया और चैकअप कराया तो पता चला कि उसे एपेंडिक्स की शिकायत है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने पुत्र अभय सिंह को अक्षर सर्जिकल हास्पिटल द्वितीय फ्लोर विदिता ऐवेन्यू जयहिन्द चाररास्ता मणि नगर अहमदाबाद में दिनांक 14.07.2012 को भर्ती कराया। जहॉं पर डाक्टरों द्वारा चैकअप और जांच करने के उपरान्त उसका आपरेशन 07 बजे शाम को किया गया। उसके बाद
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उसे दिनांक 16.07.2012 को डिस्चार्ज किया गया। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी उसका इलाज चलता रहा और डाक्टरों द्वारा चैकअप होता रहा।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने अपने उपरोक्त पुत्र के इलाज से सम्बन्धित सभी प्रपत्र अस्पताल से आने के बाद दिनांक 28.07.2012 को विपक्षी बजाज एलयांज लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0 शाखा मणि नगर अहमदाबाद के कार्यालय में दिया और जल्द क्लेम दिलाने की मांग की। उसके कुछ दिन बाद वह पुन: विपक्षी की शाखा मणि नगर अहमदाबाद गया तो उसे बताया गया कि उसने जहॉं से पालिसी क्रय की है वहीं कार्यवाही करे। तब वह औरैया आया और विपक्षी की औरैया शाखा में प्रार्थना पत्र इलाज से सम्बन्धित अभिलेखों के साथ प्रस्तुत किया। उसके कुछ दिन बाद वह पुन: औरैया शाखा गया। तब विपक्षी की औरैया शाखा के प्रबन्धक प्रवीण कुमार गुप्ता ने जल्द पैसा दिलवाने की बात कही, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। तब पुन: प्रत्यर्थी/परिवादी शाखा कार्यालय बजाज एलयांज लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0 गया और दिनांक 24.11.2012 को रजिस्टर्ड डाक से प्रर्थाना पत्र भेजा। फिर भी उसके क्लेम का कोई भुगतान नहीं किया गया। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है और अपने पुत्र के इलाज में हुए खर्च 50,000/-रू0 की मांग की है। साथ ही शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति और वाद व्यय भी दिलाए जाने का अनुरोध किया है।
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अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी विपक्षी के कार्यालय में कभी नहीं आया है और भुगतान के लिए कभी कोई बात नहीं हुई है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने फैमिली केयर फस्ट की पालिसी खरीदी थी, जिसमें 1,50,000/-रू0 तक के इलाज का बीमा प्रत्यर्थी/परिवादी व उसके परिवार का था।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने बीमित व्यक्तियों के इलाज के लिए अपने अस्पताल अधिकृत कर रखे हैं। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने पुत्र का इलाज उन अधिकृत अस्पतालों में नहीं कराया है। उसने स्वेच्छा से दूसरे नर्सिंग होम में इलाज कराया है। उसने कोई आवेदन भी अपीलार्थी/विपक्षीगण को नहीं दिया है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि पालिसी के पृष्ठ 18 पर प्रश्तर 29 में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि 60 दिन के अन्दर किसी भी शाखा कार्यालय में उपस्थित होकर कार्यवाही करना आवश्यक है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने इस शर्त का उल्लंघन किया है। अत: उसका दावा स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष निकाला है कि
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प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने पुत्र का इलाज एपेंडिक्स के कारण अचानक असहनीय पीड़ा होने पर उपलब्ध अस्पताल में इमरजेंसी में कराया है। जिला फोरम ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण की अहमदाबाद शाखा में क्लेम प्रस्तुत करने का प्रयास किया, परन्तु अहमदाबाद स्थित शाखा कार्यालय ने क्लेम नहीं लिया। जिला फोरम ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि प्रत्यर्थी/परिवादी का अपने पुत्र के इलाज में 50,000/-रू0 खर्च हुआ है। अत: यह धनराशि वह अपीलार्थी/विपक्षीगण की बीमा कम्पनी से पाने का अधिकारी है। इसके साथ ही जिला फोरम ने 3000/-रू0 मानसिक कष्ट व 2000/-रू0 वाद व्यय के रूप में भी प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया जाना उचित माना है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने केवल एक किश्त जमा की है। उसके बाद की किश्तें जमा नहीं की हैं।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण की बीमा कम्पनी के समक्ष कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया है, जबकि उसे पालिसी की शर्त के अनुसार 60 दिन के अन्दर अपना दावा प्रस्तुत करना चाहिए था।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण की बीमा कम्पनी ने अपने बीमित
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व्यक्तियों के इलाज के लिए अस्पताल अधिकृत कर रखे हैं, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण की बीमा कम्पनी द्वारा अधिकृत अस्पताल में अपने पुत्र का इलाज नहीं कराया है। इस कारण भी उसने बीमा पालिसी की शर्त का उल्लंघन किया है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य, विधि एवं बीमा पालिसी की शर्तों के विरूद्ध है। अत: निरस्त किए जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य, विधि और बीमा पालिसी के अनुकूल है। जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद स्वीकार कर कोई गलती नहीं की है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि स्वीकृत रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण की फैमिली केयर पालिसी ली थी, जिसके अन्तर्गत प्रत्यर्थी/परिवादी, उसकी पत्नी और दो पुत्रों का 1,50,000/-रू0 तक के इलाज का बीमा था। स्वीकृत रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी ने बीमा पालिसी की पहली किश्त जमा की है। अत: बीमा पालिसी दिनांक 28.03.2012 से 27.03.2013 तक की अवधि में वैध रही है और इसी वैधता अवधि में प्रत्यर्थी/परिवादी का पुत्र बीमार हुआ है और उसका इलाज कराया गया है।
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उभय पक्ष की ओर से अपीलार्थी/विपक्षीगण की बीमा कम्पनी की प्रश्नगत बीमा पालिसी फैमिली केयर फस्ट के पालिसी डाक्यूमेंट प्रस्तुत किए गए हैं, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि अचानक इमरजेंसी की दशा में बीमा कम्पनी के अधिकृत अस्पताल से भिन्न अस्पताल में इलाज कराया जाना वर्जित नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने पुत्र का इलाज अहमदाबाद के अस्पताल में कराए जाने का उचित कारण दर्शित किया है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि उसके पुत्र को पेट में अचानक दर्द होने के कारण उसे डाक्टर को दिखाया गया तो एपेंडिक्स की बीमारी बतायी गयी। अत: उसे तुरन्त अस्पताल में भर्ती किया गया और उसी दिन उसका आपरेशन व इलाज किया गया। अत: अचानक बीमार होने पर इमरजेंसी में प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र का निजी अस्पताल में इलाज कराया जाना कदापि बीमा पालिसी का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसने अपने पुत्र के इलाज के व्यय हेतु आवश्यक प्रपत्र दिनांक 28.07.2012 को बजाज एलयांज लाइफ इंश्योरेंस कं0लि0 मणि नगर अहमदाबाद के कार्यालय में प्रस्तुत किया और कुछ दिन बाद जब अहमदाबाद कार्यालय द्वारा बताया गया कि जहॉं से पालिसी ली गयी है वहीं से क्लेम का भुगतान होगा तब उसने अपीलार्थी/विपक्षीगण की औरैया शाखा में अपने प्रपत्र प्रस्तुत किए हैं। परिवाद पत्र के कथन का समर्थन प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने शपथ पत्र के द्वारा किया है।
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प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपने पुत्र के इलाज का क्लेम बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत न किए जाने का कोई कारण नहीं दिखता है। अत: यह मानने हेतु उचित और युक्त संगत आधार नहीं है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना क्लेम अपीलार्थी/विपक्षीगण की बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने पुत्र के इलाज के बिल व बाउचर प्रस्तुत किए हैं। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र को दिनांक 14.07.2012 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहॉं पर उसका एपेंडिक्स का आपरेशन व इलाज हुआ है और दिनांक 16.07.2012 को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने सम्बन्धित अस्पताल का बिल दिनांक 16.07.2012 प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार 25,400/-रू0 का भुगतान सर्जिकल हास्पिटल एण्ड बैरियाट्रिक क्लीनिक को किया गया है। इसके साथ ही प्रत्यर्थी/परिवादी ने कुछ और रसीदें प्रस्तुत की हैं, जिसमें अदा की गयी धनराशि 660/-रू0 व 160.67/-रू0 अंकित है। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों से उसके पुत्र के इलाज में 50,000/-रू0 का व्यय होना प्रमाणित नहीं होता है। अत: जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके पुत्र के इलाज के खर्च के रूप में 50,000/-रू0 की धनराशि दिलायी है, वह बहुत अधिक प्रतीत होती है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत बिल एवं उसके पुत्र की बीमारी की प्रकृति को देखते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी के पुत्र के इलाज हेतु व्यय की धनराशि 35,000/-रू0 निर्धारितकिया जाना उचित है। अत: उपरोक्त विवेचना के आधार पर मैं इस
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मत का हूँ कि प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रश्नगत पालिसी के अन्तर्गत उसके पुत्र के इलाज हेतु 35,000/-रू0 की धनराशि दिलाया जाना और तदनुसार जिला फोरम का निर्णय संशोधित किया जाना उचित है।
जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी को जो 2000/-रू0 वाद व्यय दिलाया है वह उचित प्रतीत होता है। उसमें किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है।
जिला फोरम ने जो 3000/-रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया है, उसे अपास्त किया जाना उचित प्रतीत होता है।
जिला फोरम ने जो 07 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया है उसे कम कर ब्याज दर 06 प्रतिशत किया जाना उचित प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके पुत्र के इलाज के व्यय हेतु 35,000/-रू0 प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत प्रदान करें और इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करें।
जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी को 3000/-रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/विपक्षीगण से दिलायी है, उसे अपास्त
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किया जाता है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण, प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी 2000/-रू0 वाद व्यय की धनराशि भी अदा करेंगे।
इस अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1