राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :708/2010
(जिला मंच, शाहजहॉपुर द्धारा परिवाद सं0 136/2008 में पारित निर्णय/ आदेश दिनांक 16.3.2010 के विरूद्ध)
Executive Engineer, Electricity Distribution Division I, Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. Shahjahanpur.
........... Appellant/ Opp.Paity
Versus
- Vinod Kumar S/o Sri Aatma Ram, R/o Kasba Allah Ganj, Police Station and Tahsil, Jalalabad, Shahjahanpur.
- Aatma Ram S/o Sri Puttu Lal, R/o Kasba Allah Ganj Tahsil, Jalalabad, Shahjahanpur.
- Respondents/ Complainants.
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री इसार हुसैन
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : सुश्री तारा गुप्ता
दिनांक :17-8-2015
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-136/2008 1-विनोद कुमार व 2-आत्माराम बनाम अधिशाषी अभियंता, विद्युत वितरण खण्ड प्रथम, शाहजहॉपुर व अन्य में जिला मंच, शाहजहॉपुर द्वारा दिनांक 16.3.2010 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"परिवादी का परिवाद अंशत: विपक्षी विद्युत विभाग के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को प्रेषित डिमाण्ड नोटिस निरस्त कर लम्बित संबंधित कार्यवाही को निरस्त करे। पक्षकार अपना अपना खर्चा स्वयं बहन करेंगे।"
उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता सुश्री तारा गुप्ता उपस्थित आये। यह प्रकरण वर्ष-2010 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को
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सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा विपक्षी से एक विद्युत कनेक्शन एक किलो वाट का प्राप्त किया गया था एवं उसके द्वारा विद्युत उपभोग के सभी बिलों का भुगतान समय से किया जाता रहा एवं परिवादी सं0-1 व 2 पिता पुत्र हैं। परिवादी सं0-2 द्वारा विपक्षी से एक विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया गया था, जिसमें विपक्षी द्वारा लगातार गलत बिल भेजे गये, जिसके कारण परिवादी द्वारा परिवाद योजित किया गया और जिला मंच द्वारा विपक्षी को आदेशित किया गया कि गलत बिल निरस्त करें एवं न्यूनतम चार्जेस का संशोधित बिल परिवादी सं0-2 को उपलब्ध कराये। जिमा मंच के आदेशानुसार परिवादी सं0-2 को संशोधित बिल रू0 1291.80पैसे का उपलब्ध कराया गया, जिसे परिवादी सं0-2 ने दिनांक 27.3.03 को जमा कर दिया और विद्युत कनेक्शन स्थायी रूप से विच्छेदित करा दिया। विपक्षी द्वारा परिवादी सं0-1 के नाम उसकी अनुपस्थिति में एक रिपोर्ट दिनांक 31.1.08 को थाने में दर्ज करायी गई, जबकि परिवादी सं0-1 के नाम कोई विद्युत कनेक्शन नहीं है, इसलिए विद्युत चोरी का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है एवं विपक्षीद्वारा परिवादी सं0-1 के नाम एक बिल दिनांक 12.02.08 को रू0 1,11,337.00 का अवैधानिक रूप से भेजा गया, जो गलत है, अत: उपरोक्त बिल को निरस्त करने हेतु एवं क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष परिवाद संस्थित किया गया है।
विपक्षी/विद्युत विभाग की ओर से जिला मंच के समक्ष लिखित आपत्ति प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया और यह अभिवचित किया गया है कि चूंकि चैकिंग के समय परिवादी सं0-1 को बिजली चोरी में लिप्त पाया गया और उसके द्वारा बिलों का भुगतान नियमित रूप से नहीं किया गया। प्रकरण विद्युत चोरी का है, जिससे विपक्षी सं0-2 का कोई सम्बन्ध नहीं है। पुराने कनेक्शन का कोई विवाद नहीं है। 13 मीटर केबिल गॉव वालो की उपस्थिति में सील कर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर मुकदमा कायम करवाया गया, इसलिए विभाग द्वारा भेजी गई कराधीन धनराशि को जमा करने का दायित्व परिवादी सं0-1 का बनता है एंव परिवाद धारा-145 विद्युत अधिनियम से बाधित है।
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उभय पक्ष के अभिवचन एवं तर्कों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा प्रश्नगत उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील योजित है।
वर्तमान प्रकरण में प्रश्नगत निर्णय के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि चैकिंग के समय परिवादी सं0-1 को बिजली चोरी में लिप्त पाया गया और परिवादी द्वारा विद्युत बिलों का भुगतान भी नियमित रूप से नहीं किया गया था तथा इस सम्बन्ध में विपक्षी/बिजली विभाग की ओर से चोरी की रिपोर्ट अनाधिकृत रूप से कर दी गई और परिवादी के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट भी अंकित करायी गई है और इस प्रकार वर्तमान प्रकरण विद्युत चोरी से सम्बन्धित होना पाया है और इस प्रकार मुकदमें के तथ्यों को देखते हुए विद्युत चोरी का प्रथम दृष्ट्या मामला पाया जाता है।
इस संदर्भ में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा U.P. Power Corporation Ltd. & Ors Vs. Anis Ahmad III (2013) CPJ 1 (SC) में यह अवधारित किया गया है कि विद्युत चोरी, विद्युत देयों एवं निर्धारण से सम्बन्धित प्रकरण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत पोषणीय नहीं हैं।
अत: मा0 उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय के आलोक में अपील स्वीकार किये जाने तथा जिला मंच का प्रश्नगत आदेश अपास्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए जिला मंच, शाहजहॉपुर द्वारा परिवाद संख्या-136/2008 1-विनोद कुमार व 2-आत्माराम बनाम अधिशाषी अभियंता, विद्युत वितरण खण्ड प्रथम, शाहजहॉपुर व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.3.2010 अपास्त किया जाता है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-3