(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2210/2005
कानपुर डेवलपमेंट अथारिटी, द्वारा वाइस चेयरमैन
बनाम
विनोद कुमार ई-4/287, दीन दयाल पुरम, कानपुर
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री पीयूष मणि त्रिपाठी।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 23.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-222/2002, विनोद कुमार बनाम संयुक्त सचिव, कानपुर विकास प्राधिकरण में विद्वान जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.07.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री पीयूष मणि त्रिपाठी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी द्वारा पूर्व में जारी किए गए आवंटन पत्र दिनांकित 22.07.1998 के अनुसार प्रश्नगत भवन सं0-ई-4/287 का पूर्व निर्धारित मूल्य विपक्षी को भुगतान करे।
3. विकास प्राधिकरण के विरूद्ध परिवाद इस अनुतोष के साथ प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी के पक्ष में भवन संख्या
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ई-4/287 ई.डब्ल्यू.एस. आवंटित किया गया था। अंकन 10/-रू0 प्रतिदिन के हिसाब किस्त जमा करनी थी। परिवादी नियमित रूप से किस्त अदा करता रहा और भवन का कब्जा भी प्राप्त कर लिया गया। विपक्षी द्वारा अंकन 2,000/-रू0 पंजीकरण शुल्क के रूप में अतिरिक्त मांगे गए, इस राशि को भी परिवादी द्वारा जमा कर दिया गया। पुन: इसके बाद अंकन 3,000/-रू0 पंजीकरण शुल्क के रूप में अतिरिक्त मांगे गए, इसलिए एक भवन को दो-दो बार आंवटित किया गया, जो विधि विरूद्ध है।
4. प्राधिकरण द्वारा भवन का आवंटन करना स्वीकार किया गया, परन्तु कथन किया गया कि भवन का वास्तविक मूल्य अंकन 80,617/-रू0 निर्धारित किया गया, इसलिए परिवाद खारिज होने योग्य है।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि भवन का कुल मूल्य अनावश्यक रूप से बढ़ाया गया है। निर्धारित मूल्य ही भवन का वास्तविक मूल्य है। विपक्षी अतिरिक्त धनराशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। अत: परिवादी के पक्ष में उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
6. चूंकि परिवादी के पक्ष में ई.डब्ल्यू.एस. योजना के अंतर्गत भवन आवंटित किया गया है। परिवादी की आय अत्यधिक सीमित श्रेणी की है। अत: इस स्थिति में भवन का मूल्य बढ़ाए जाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा
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पारित निर्णय/आदेश में कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2