(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2418/2014
(जिला उपभोक्ता आयोग गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या 03/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.09.2014 के विरूद्ध)
एस.बी.आई. लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0, ए कम्पनी इनकारपोरेटेड अन्डर दि कम्पनीज एक्ट, 1956 रजिस्टर्ड आफिस ‘’नटराज’’ एम. वी. रोड एण्ड पश्चिमी एक्सप्रेस हाइवे जंक्शन, अंधेरी (पूरब), मुम्बई-400069 एण्ड ब्रांच आफिस मेसर्स पार्श्वनाथ मेटरो टावर, शाहदरा, 3ed फ्लोर, नियर शाहदरा मेटरो स्टेशन, शाहदरा, दिल्ली-110032 द्वारा आथराज्ड सीनेटरी
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
विनोद कुमार त्यागी पुत्र श्री टीकारमा त्यागी निवासी थर्ड जी-3, राकेश गर्ग नेहरू नगर, गाजियाबाद
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री सचिन गर्ग, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक : 11.09.2023
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा यह अपील, अन्तर्गत धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विद्वान जिला आयोग गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या 03/2013 विनोद कुमार त्यागी बनाम रीजनल डायरेक्टर एस0बी0आई0 में उदघोषित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.09.2014 के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है।
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संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश विधि विरूद्ध है, सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। इरडा ने कुछ नियम एवं उपनियम बनाये हैं, जो इंश्योरेंस एडवाईजर/एजेंट, ब्रोकर्स एवं कारपोरेट एजेंट के लिए है। उन लोगों द्वारा किये गये कार्य के लिए बीमा कम्पनी उत्तरदायी नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने बीमा शर्तों का उल्लंघन किया है। विद्वान जिला फोरम ने उन तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया, जो इस मामले में लागू नहीं होते। प्रत्यर्थी/परिवादी ने केवल एक प्रीमियम अदा किया और उसका रिफण्ड चाहा जो बीमा नियमों के अन्तर्गत नहीं आता है। उसके पास 15 दिन का समय था कि वह बीमा लेने से इन्कार कर देता, किन्तु उसने ऐसा नहीं किया। अत: माननीय आयोग से अनुरोध है कि वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाये।
हमने अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवकता श्री सचिन गर्ग को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने कहा कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की शाखा गाजियाबाद/नोयडा से शुभ विनेश होल लाइफ प्लान के अन्तर्गत दिनांक 23.06.2011 को पालिसी कराई थी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने 40000/-रू0 की धनराशि चेक द्वारा दिनांक 22.06.2011 को एस0बी0आई0 लाईफ इंश्योरेन्स कम्पनी के नाम से प्रीमियम के रूप में जमा किये थे। ब्रोकर द्वारा उचित तत्यों की सम्पूर्ण जानकारी उक्त पॉलिसी के संबंध में नहीं बतायी गयी। ब्रोकर द्वारा बताया गया कि भविष्य में कभी पैसों बावत परेशानी हो तो किसी भी समय आप अपना जमा पैसा प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्यर्थी/परिवादी आर्थिक मजबूरी व अन्य कारणों से अपनी उक्त पॉलिसी का प्रीमियम नियत तिथि पर जमा नहीं कर सका। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी की शाखा राजनगर में जाकर उक्त स्थिति से अवगत कराया तो यह बताया गया कि उक्त पॉलिसी पूरे पॉच साल तक जमा करानी होगी अन्यथा आपको एक भी पैसा वापस नहीं मिलेगा। प्रत्यर्थी/परिवादी ने उक्त पॉलिसी की बावत जमा धनराशि प्राप्त करने हेतु एक नोटिस दिनांक 16.11.2012 को दिया जिसके जवाब में अपीलार्थी/विपक्षी ने पॉलिसी की जमा धनराशि वापस करने से स्पष्ट इंकार कर दिया गया तथा जिसमें धनराशि प्राप्त करने का समय पॉलिसी कराने से 15 दिन के अन्दर का बताया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी को पालिसी से संबंधित समस्त कागजात एक माह बाद प्राप्त
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हुए। अत: उक्त तथ्यों की समस्त जानकारी प्रत्यर्थी/परिवादी को होने का सवाल ही नहीं है।
अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रश्नगत पॉलिसी ब्रोकर के माध्यम से ली थी, जो अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा नियुक्त नहीं है। ब्रोकर के कार्य के लिए अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी उत्तरदायी नहीं है। ब्रोकर को फरीक मुकदमा नहीं बनाया गया है, इसलिए परिवाद खारिज होने योग्य है। बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवाद पोषणीय नहीं है। कथित ब्रोकर अपीलार्थी/विपक्षी का एजेन्ट नहीं है। ब्रोकर की किसी गलती के लिए बीमा कम्पनी उत्तरदायी नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी को कोई प्रलेखीय साक्ष्य अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध प्रस्तुत नहीं किया है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने एस0बी0आई0 लाईफ शुभ निवेश प्लान के अन्तर्गत 17.06.2011 को पॉलिसी ली थी। चालीस हजार रूपये जमा कराये थे। पॉलिसी ब्रोकर के माध्यम से ली गयी थी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने फार्म भरते समय यह घोषणा की थी कि मैंने कम्पनी के सभी नियम पढ़ लिये हैं और दी गयी सूचना मेरे विश्वास के अनुसार सही है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने हमारा ध्यान पालिसी की शर्तों की ओर आकर्षित किया। पालिसी धारक ने अपने हस्ताक्षर अंग्रेजी में किये हैं इससे स्पष्ट है कि वह पढ़ा लिखा व्यक्ति है। पालिसी की शर्तों में गारण्टीज सरेण्डर वैल्यू सी0एस0 था, वैल्यू एवं सी0एस0 के बारे में स्पष्ट रूप से व्यवस्था दी गयी है कि यह पालिसी तीन वर्षों को पूरा करने के उपरांत ही देय होगी। इस मामले में केवल एक प्रीमियम अदा किया गया है, इसलिए यह उपनियम इस मामले में लागू नहीं होता है। विद्वान जिला फोरम को इन तथ्यों को देखने, प्रस्ताव भरने के बाद पालिसी धारक को 15 दिन के अन्दर अपनी इच्छा व्यक्त करनी थी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्वयं स्वीकार किया है कि उसने केवल एक ही प्रीमियम अदा किया है, स्पष्ट है कि उसके द्वारा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन किया गया है। विद्वान जिला फोरम ने इन तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया। तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक 11.09.2023
नवी हुसैन आशु0 कोट नं0-2