राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-४५९/२००८
(जिला फोरम/आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-१८/२००४ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-०१-२००८ के विरूद्ध)
मेरठ डेवलपमेण्ट अथारिटी, मेरठ द्वारा वाइस चेयरमेन। ...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
प्रमोद त्यागी पुत्र स्व0 श्री रंजीत सिंह त्यागी, निवासी ग्राम व डाकखाना चन्दसारा जिला मेरठ। ...........प्रत्यर्थी/परिवादी।
अपील सं0-४६०/२००८
(जिला फोरम/आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-१९/२००४ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-०१-२००८ के विरूद्ध)
मेरठ डेवलपमेण्ट अथारिटी, मेरठ द्वारा वाइस चेयरमेन। ...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
विनोद कुमार त्यागी पुत्र स्व0 श्री रंजीत सिंह त्यागी, निवासी २७८/६, जागृति विहार, जिला मेरठ। ...........प्रत्यर्थी/परिवादी।
अपील सं0-४६१/२००८
(जिला फोरम/आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-१३/२००४ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-०१-२००८ के विरूद्ध)
मेरठ डेवलपमेण्ट अथारिटी, मेरठ द्वारा वाइस चेयरमेन। ...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
उमेश कुमार त्यागी पुत्र स्व0 श्री रंजीत सिंह त्यागी, निवासी २७८/६, जागृति विहार, जिला मेरठ। ...........प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री पियूष मणि त्रिपाठी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- १६-०९-२०२१.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान अपीलें, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत जिला
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फोरम/आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-१८/२००४, परिवाद सं0-१९/२००४ एवं परिवाद सं0-१३/२००४ में प्रथक-प्रथक पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-०१-२००८ के विरूद्ध योजित की गयी हैं। ये तीनों मामले समान प्रकृति के हैं, अत: इन अपीलों को एक साथ निर्णीत किया जा रहा है। अपील सं0-४५९/२००८ अग्रणी होगी।
अपील सं0-४५९/२००८ के अपीलार्थी का संक्षेप में कथन है कि उसने फार्म सं0-७०३२ द्वारा लोहिया नगर हाउसिंग स्कीम मेरठ में प्लाट सं0-सी-३१५, एम0आई0जी0, क्षेत्रफल १२० वर्गमीटर का आबंटन कराया और परिवादी ने मौके का निरीक्षण करने के बाद आबंटन करने को कहा। इस प्रार्थना पत्र से स्पष्ट है कि परिवादी भूखण्ड आबंटन के लिए उत्सुक और इच्छुक था। दिनांक १८-०१-२००२ को अपीलार्थी ने परिवादी के आवेदन पर भूखण्ड सं0-सी-३१५ लोहिया नगर हाउसिंग स्कीम में आबंटित किया, जिसका अनुमानित मूल्य १,११,०००/- रू० था और परिवादी को इस मूल्य का २० प्रतिशत दिनांक १८-०२-२००२ तक जमा करना था तथा शेष मूल्य ८८,८००/- रू० १६ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ ०८ छमाही किश्तों में जमा करना था।
अपीलार्थी ने दिनांक १३-०६-२००२ को आबंटन किया और परिवादी को पत्र जारी किया जिसके अन्तर्गत परिवादी को देय तिथियों पर किश्तों को जमा करना था। परिवादी ने बिना सारी किश्तों को जमा किए। सन् २००४ में विद्वान जिला फोरम, मेरठ में परिवाद प्रस्तुत किया और यह प्रार्थना की कि अपीलार्थी को आदेश दिया जाए कि वह उसे भूखण्ड का आधिपत्य प्रदान करे तथा ब्याज, हर्जाना और वाद व्यय भी दे।
अपीलार्थी ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया और आपत्ति की कि यह वाद चलने योग्य नहीं है किन्तु उसकी आपत्ति को न सुनते हुए प्रश्नगत निर्णय दिनांक २४-०१-२००८ द्वारा परिवाद स्वीकार कर लिया गया।
विद्वान जिला फोरम का निर्णय मूल्य को निश्चित करने के सम्बन्ध में है और उन्होंने बिना मस्तिष्क का प्रयोग किए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है जो विधि विरूद्ध है। विद्वान जिला फोरम ने गम्भीर त्रुटि की है और अपीलार्थी को सेवा में कमी का उत्तरदायी ठहराया है किन्तु उन्होंने परिवादी के आवेदन पत्र सं0-७०३२ को नहीं देखा।
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परिवादी ने स्थल निरीक्षण करने के पश्चात् प्रश्नगत भूखण्ड को आबंटित करने पर सहमति व्यक्त की और इसके पश्चात् वह अपने उत्तरदायित्व से नहीं बच सकता। विद्वान जिला फोरम ने यह गलत निष्कर्ष दिया कि भूखण्ड का विकास नहीं किया गया है। उनके द्वारा अपीलार्थी को ०३ माह के अन्दर भूखण्ड का कब्जा देने का आदेश देना गलत है और इस पर ब्याज देने का आदेश भी विधि विरूद्ध है। विद्वान जिला फोरम ने अपीलार्थी की आपत्तियों के सम्बन्ध में कोई निष्कर्ष नहीं दिया। परिवादी ने गलत और झूठे तथ्यों पर परिवाद प्रस्तुत किया। विद्वान जिला फोरम मेरठ को वाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं था। अत: अनुरोध है कि वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाए।
अपील सं0-४६०/२००८ में अपीलार्थी का संक्षेप में कथन है कि परिवादी ने फार्म सं0-६९८० द्वारा लोहिया नगर हाउसिंग स्कीम मेरठ में प्लाट सं0-सी-३९७, एम0आई0जी0, क्षेत्रफल १२० वर्गमीटर का आबंटन कराया और परिवादी ने मौके का निरीक्षण करने के बाद आबंटन करने को कहा।
इस प्रार्थना पत्र से स्पष्ट है कि परिवादी भूखण्ड आबंटन के लिए उत्सुक और इच्छुक था। दिनांक १८-०१-२००२ को अपीलार्थी ने परिवादी के आवेदन पर भूखण्ड सं0-सी-३९७ लोहिया नगर हाउसिंग स्कीम में आबंटित किया, जिसका अनुमानित मूल्य १,८५,०००/- रू० था और परिवादी को इस मूल्य का २० प्रतिशत दिनांक १७-०२-२००२ तक जमा करना था तथा शेष मूल्य १,४४,३००/- रू० १८ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ ०८ छमाही किश्तों में जमा करना था।
अपीलार्थी ने दिनांक १०-०७-२००२ को आबंटन किया और परिवादी को पत्र जारी किया जिसके अन्तर्गत परिवादी को देय तिथियों पर किश्तों को जमा करना था। परिवादी ने बिना सारी किश्तों को जमा किए सन् २००४ में विद्वान जिला फोरम, मेरठ में परिवाद प्रस्तुत किया और यह प्रार्थना की कि अपीलार्थी को आदेश दिया जाए कि वह उसे भूखण्ड का आधिपत्य प्रदान करे तथा ब्याज, हर्जाना और वाद व्यय भी दे।
अपीलार्थी ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया और आपत्ति की कि यह वाद
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चलने योग्य नहीं है किन्तु उसकी आपत्ति को न सुनते हुए प्रश्नगत निर्णय दिनांक २४-०१-२००८ द्वारा परिवाद स्वीकार कर लिया गया।
विद्वान जिला फोरम का निर्णय मूल्य को निश्चित करने के सम्बन्ध में है और उन्होंने बिना मस्तिष्क का प्रयोग किए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है जो विधि विरूद्ध है। विद्वान जिला फोरम ने गम्भीर त्रुटि की है और अपीलार्थी को सेवा में कमी का उत्तरदायी ठहराया है किन्तु उन्होंने परिवादी के आवेदन पत्र सं0-६९८० को नहीं देखा। परिवादी ने स्थल निरीक्षण करने के पश्चात् प्रश्नगत भूखण्ड को आबंटित करने पर सहमति व्यक्त की और इसके पश्चात् वह अपने उत्तरदायित्व से नहीं बच सकता। विद्वान जिला फोरम ने यह गलत निष्कर्ष दिया कि भूखण्ड का विकास नहीं किया गया है। उनके द्वारा अपीलार्थी को ०३ माह के अन्दर भूखण्ड का कब्जा देने का आदेश देना गलत है और इस पर ब्याज देने का आदेश भी विधि विरूद्ध है। विद्वान जिला फोरम ने अपीलार्थी की आपत्तियों के सम्बन्ध में कोई निष्कर्ष नहीं दिया। परिवादी ने गलत और झूठे तथ्यों पर परिवाद प्रस्तुत किया। विद्वान जिला फोरम मेरठ को वाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं था। अत: अनुरोध है कि वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाए।
अपील सं0-४६१/२००८ में अपीलार्थी का संक्षेप में कथन है कि परिवादी ने फार्म सं0-६९८१ द्वारा लोहिया नगर हाउसिंग स्कीम मेरठ में प्लाट सं0-सी-२९८, एम0आई0जी0, क्षेत्रफल १२० वर्गमीटर का आबंटन कराया और परिवादी ने मौके का निरीक्षण करने के बाद आबंटन करने को कहा।
इस प्रार्थना पत्र से स्पष्ट है कि परिवादी भूखण्ड आबंटन के लिए उत्सुक और इच्छुक था। दिनांक १८-०१-२००२ को अपीलार्थी ने परिवादी के आवेदन पर भूखण्ड सं0-सी-२९८ लोहिया नगर हाउसिंग स्कीम में आबंटित किया, जिसका अनुमानित मूल्य १,११,०००/- रू० था और परिवादी को इस मूल्य का २० प्रतिशत दिनांक १८-०२-२००२ तक जमा करना था तथा शेष मूल्य ८५,४७०/- रू० १६ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ ०८ छमाही किश्तों में जमा करना था।
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अपीलार्थी ने दिनांक १८-०६-२००२ को आबंटन किया और परिवादी को पत्र जारी किया जिसके अन्तर्गत परिवादी को देय तिथियों पर किश्तों को जमा करना था। परिवादी ने बिना सारी किश्तों को जमा किए सन् २००४ में विद्वान जिला फोरम, मेरठ में परिवाद प्रस्तुत किया और यह प्रार्थना की कि अपीलार्थी को आदेश दिया जाए कि वह उसे भूखण्ड का आधिपत्य प्रदान करे तथा ब्याज, हर्जाना और वाद व्यय भी दे।
अपीलार्थी ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया और आपत्ति की कि यह वाद चलने योग्य नहीं है किन्तु उसकी आपत्ति को न सुनते हुए प्रश्नगत निर्णय दिनांक २४-०१-२००८ द्वारा परिवाद स्वीकार कर लिया गया।
विद्वान जिला फोरम का निर्णय मूल्य को निश्चित करने के सम्बन्ध में है और उन्होंने बिना मस्तिष्क का प्रयोग किए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है जो विधि विरूद्ध है। विद्वान जिला फोरम ने गम्भीर त्रुटि की है और अपीलार्थी को सेवा में कमी का उत्तरदायी ठहराया है किन्तु उन्होंने परिवादी के आवेदन पत्र सं0-६९८१ को नहीं देखा। परिवादी ने स्थल निरीक्षण करने के पश्चात् प्रश्नगत भूखण्ड को आबंटित करने पर सहमति व्यक्त की और इसके पश्चात् वह अपने उत्तरदायित्व से नहीं बच सकता। विद्वान जिला फोरम ने यह गलत निष्कर्ष दिया कि भूखण्ड का विकास नहीं किया गया है। उनके द्वारा अपीलार्थी को ०३ माह के अन्दर भूखण्ड का कब्जा देने का आदेश देना गलत है और इस पर ब्याज देने का आदेश भी विधि विरूद्ध है। विद्वान जिला फोरम ने अपीलार्थी की आपत्तियों के सम्बन्ध में कोई निष्कर्ष नहीं दिया। परिवादी ने गलत और झूठे तथ्यों पर परिवाद प्रस्तुत किया। विद्वान जिला फोरम मेरठ को वाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं था। अत: अनुरोध है कि वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाए।
हमने अपीलार्थी मेरठ विकास प्राधिकरण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल के तर्क सुने तथा तीनों पत्रावलियों का अवलोकन किया।
हमने सर्वप्रथम प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन किया। निर्णय के अनुसार
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अपीलार्थी/विपक्षी नोटिस/समन प्राप्त होने के पश्चात् उपस्थित हुआ और उसने प्रतिवाद पत्र भी प्रस्तुत किया। विद्वान जिला फोरम ने लिखा है कि विपक्षी ने कोई विकास कार्य नहीं किया है और परिवादी ने प्रश्नगत भूखण्ड के मौके के फोटोग्राफ दाखिल किए हैं। परिवादी की ओर से प्रस्तुत मौके के फोटोग्राफ और साक्ष्य आदि का कोई विरोध विपक्षी की ओर से नहीं किया और विद्वान जिला फोरम ने माना कि विपक्षी ने सेवा में कमी की है।
बहस के दौरान् प्रत्यर्थी द्वारा बताया गया कि मौके पर आज भी खेत हैं और वहॉं पर कोई विकास कार्य नहीं किया गया है। इस सम्बन्ध में अपीलार्थी से जब यह जानकारी चाही गई कि उपरोक्त भूखण्ड का अधिग्रहण कब और किस प्रकार हुआ और तब मौके का टाउन प्लानर द्वारा ले आउट प्लान कब स्वीकृत हुआ, अपीलार्थी की ओर से कोई जबाव नहीं दिया गया। यदि अपीलार्थी स्वच्छ हाथों से आया होता तो वह भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित समस्त अभिलेख और मौके पर प्रस्तावित योजना से सम्बन्धित स्वीकृत ले आउट प्लान को प्रस्तुत करता जिससे यह विश्वास होता कि मौके पर नियमानुसार भूखण्ड बन गया है। अपीलार्थी द्वारा यह भी नहीं बताया गया कि मौके पर कितने प्लाट हैं और कितने प्लाटों का कब्जा आबंटियों को प्रदान किया जा चुका है। इन सब परिस्थितियों से यह स्पष्ट होता है कि जैसा कि प्रत्यर्थी का कथन है कि विद्वान जिला फोरम के निर्णय में कहा है कि मौके पर कोई विकास नहीं हुआ है। इस तरह से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि अपीलों के पर्याप्त आधार नहीं हैं और वर्तमान तीनों अपीलें निरस्त होने योग्य हैं।
आदेश
वर्तमान तीनों अपीलें निरस्त की जाती हैं। जिला फोरम/आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-१८/२००४, परिवाद सं0-१९/२००४ एवं परिवाद सं0-१३/२००४ में प्रथक-प्रथक पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-०१-२००८ की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0-४५९/२००८ में रखी जाए तथा एक-एक
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प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0-४६०/२००८ एवं अपील सं0-४६१/२००८ में रखी जाए।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.