(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2362/2004
यूनियन आफ इण्डिया द्वारा डीआरएम नार्दन रेलवे, मुरादाबाद जोन, जिला मुरादाबाद, जनरल मैनेजर, नार्दन रेलवे, बड़ोडा हाऊस, नई दिल्ली एण्ड स्टेशन मास्टर बरेली जंक्शन, नार्दन रेलवे, बरेली।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
विनोद कुमार पाण्डेय पुत्र स्व0 बृज बिहारी पाण्डेय, निवासी दुर्गा नगर, जिला बरेली।
प्रत्यर्थी/परिवादी
एवं
अपील संख्या-2363/2004
यूनियन आफ इण्डिया द्वारा डीआरएम नार्दन रेलवे, मुरादाबाद जोन, जिला मुरादाबाद, जनरल मैनेजर, नार्दन रेलवे, बड़ोडा हाऊस, नई दिल्ली एण्ड स्टेशन मास्टर बरेली जंक्शन, नार्दन रेलवे, बरेली।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
राजेश पाल सिंह पुत्र श्री सरदार सिंह, निवासी 31/5, बीडीए कालोनी, सुभाष नगर, जिला बरेली।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वैभव राज एवं श्री एम.एच. खान।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 30.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-80/2003, विनोद कुमार पाण्डेय बनाम रेल प्रबंधक, बरेली जंक्शन उत्तर रेलवे एवं अन्य तथा परिवाद संख्या-135/2003, राजेश पाल सिंह बनाम मण्डल रेल प्रबंधक, उत्तर रेलवे तथा अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय बरेली द्वारा पारित संयुक्त निर्णय/आदेश दिनांक 17.11.2004 के विरूद्ध विपक्षीगण की ओर से क्रमश: अपील संख्या-2362/2004 तथा अपील संख्या-2363/2004 प्रस्तुत की गई हैं।
2. उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय द्वारा एक साथ किया जा रहा है, इस हेतु अपील संख्या-2362/2004 अग्रणी अपील होगी।
3. उपरोक्त दोनों परिवादों के तथ्यों का सार यह है कि परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण द्वारा संचालित साईकिल स्टैण्ड पर अपनी साईकिल निर्धारित शुल्क अदा करते हुए जमा की गई थी, जिनकी कीमत क्रमश: 1500/-रू0 एवं 1550/-रू0 थी। ये दोनों साईकिल स्टैण्ड से गुम हो गईं। विद्वान जिला आयोग के समक्ष साईकिल खड़ी करने की रसीद तथा साईकिल गुम होने के संबंध में सशपथ सहित परिवाद प्रस्तुत किए गए, जिन्हें स्वीकार करते हुए विद्वान जिला आयोग ने परिवाद संख्या-80/2003 के परिवादी को साईकिल की कीमत अंकन 1500/-रू0 तथा परिवाद संख्या-135/2003 के परिवादी को साईकिल की कीमत अंकन 1550/-रू0 अदा करने का ओदश पारित किया।
4. उपरोक्त दोनों अपीलों में अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वैभव राज एवं श्री एम.एच. खान को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावलियों का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
5. उपरोक्त दोनों अपीलों के ज्ञापन तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्तागण के मौखिक तर्कों का सार यह है कि अपीलार्थी द्वारा साईकिल स्टैण्ड की सुविधा प्रदान करने का तात्पर्य यह नहीं है कि वह बेली (रक्षक/सहायक) की श्रेणी में आता है, इसलिए साईकिल गुम होने के लिए वह उत्तरदायी नहीं है। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 72 के अंतर्गत किसी सामान का प्राप्तकर्ता भी बेली की श्रेणी में आता है और उस व्यक्ति का भी सुरक्षा का उत्तरदायित्व है, जितना कि स्वंय अपने सामान की करता, जबकि प्रस्तुत प्रकरणों में साईकिल स्टैण्ड पर साईकिल जमा करने का किराया दिया गया है, इसलिए विपक्षीगण का दायित्व बेली की श्रेणी का होता है और यदि उनको सुपुर्द किए गए सामान की वापसी नहीं होती और सामान गायब हो जाता है तब सामान की कीमत अदा करने का दायित्व विपक्षीगण का है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में परिवर्तन का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत दोनों अपीलें निरस्त होने योग्य हैं।
आदेश
6. उपरोक्त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-2362/2004 तथा अपील संख्या-2363/2004 निरस्त की जाती हैं।
प्रस्तुत अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-2362/2004 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2