राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या 241/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, कुशीनगर द्धारा परिवाद सं0-03/2020 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25-01-2022 के विरूद्ध)
1-यूनियन आफ इंडिया,द्धारा जनरल मैनेजर, एन.ई.रेलवे
गोरखपुर
2.जनरल मैनेजर, नार्थ इस्टर्न रेलवे , गोरखपुर ..... अपीलार्थीगण
बनाम
विनोद कुमार गौतम, पुत्र श्री पन्ना लाल गौतम, निवासी सेंटल
बैंक रोड , पडरौना , पोस्ट पडरौना, जिला कुशीनगर ....... प्रत्यर्थी
अपील संख्या 108/2022
विनोद कुमार गौतम उम्र लगभग 70 वर्ष पुत्र स्व0 पन्ना
लाल गौतम, निवासी सेन्ट्रल बैंक रोड, पडरौना पोस्ट पडरौना
जनपद कुशीनगर ...... अपीलार्थी
बनाम
1.जनरल मैनेजर, पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर।
2.यूनियन आफ इंडिया , भारतीय रेल द्धारा जनरल मैनेजर
पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर ....... प्रत्यर्थीगण
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
माननीय श्री सुशील कुमार , सदस्य
अपीलार्थी/यूनियन आफ इण्डिया के विद्वान अधिवक्ता : श्री विकास श्रीवास्तव
प्रत्यर्थी/विनोद कुमार गौतम के विद्वान अधिवक्ता : श्री ब्रज कुमार उपाध्याय
दिनांक 27-7-2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत उक्त दोनों अपीलें जिला आयोग, कुशीनगर द्धारा पारित निर्णय/आदेश दि0 25-01-2022 परिवाद सं0 03/2020 के विरूद्ध योजित की गई है।
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अपीलार्थी द्धारा प्रस्तुत अपील में इस न्यायालय से निम्न अनुतोष प्रदान करने की प्रार्थना की गई है:-
- अत: प्रार्थना है कि न्यायहित में उपरोक्त आधार पर क्षतिपूर्ति बढ़ोत्तरी अपील स्वीकार कर आदेश दिनांक 25-01-2022 माडीफाई कर दिलायी गयी 170000-00 रू0 की क्षतिपूर्ति के साथ-साथ सोने के जेवरात की कीमत 500000-00रू0 एवं सम्पूर्ण धनराशि पर ब्याज अटैची चोरी की घटना तिथि से वास्तविक भुगतान तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिलायी जाये, तथा इस अपील का कास्ट 10000-00 रू0 दिलवाया जाये, यदि मा0 आयोग की नजर में कोई अन्य अनुतोष जो मै अपीलार्थी / परिवादी को दिलवाया जाना आवश्यक है उसे भी प्रतिपक्षीगण से दिलवाया जाये। ‘’
संक्षेप में अपील के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी ट्रेन सं0 22532 मथुरा से छपरा सुपरफास्ट एक्सप्रेस से दिनांक 29-11-2019 को अपनी पत्नी के साथ ए0सी0 2 टियर में कोच सं0-ए-1, बर्थ सं0 8 एवं 11 से आ रहा था उसके टिकट का पी0एन0आर0 सं0 2750724757 था । अपीलार्थी/परिवादी के पास एक बड़ी अटैची ( ट्राली बैग ) और एक बड़ा बैग था । ट्रेन काफी विलंब से रात्रि 2.30 पर मथुरा जंैशनसे चली और जब अपीलार्थी/परिवादी अपने गन्तव्य स्थान पर पहुंचा तो उसने पाया कि उसकी बड़ी अटैची ( ट्राली बैग) चोरी हो गयी है। काफी ढूढने पर भी जब अटैची नहीं मिली तो उसने इसकी सूचना विपक्षी सं0 3 को दिया और बिना अपनी पत्नी से कुछ पूछे ही रू0 70,000/- के सामान की चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवा दिया, अतएव क्षुब्ध होकर अपीलार्थी / परिवादी को इस
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संदर्भ में जिला आयोग, कुशीनगर में परिवाद संस्थित करना पड़ा । संपूर्ण विवेचना के उपरान्त विद्वान जिला आयोग, कुशीनगर द्धारा निम्न आदेश पारित किया गया :-
आदेश
‘’परिवादी का परिवाद पत्र आंशिक रूप से विपक्षी संख्या-1 व 2 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या-1 और 2 को निर्देश दिया जाता है कि वे परिवादी को उसके चोरी गये सामान की कीमत 70000 रू0 तथा विपक्षी की लापरवाही के कारण परिवादी को हुए विभिन्न प्रकार के कष्टों के संबंध में 100000रू0 क्षतिपूर्ति, कुल 170000 दो माह के अन्दर परिवादी को भुगतान करें। इसमें विफल रहने पर निर्णय की तिथि उक्त राशि पर 06 प्रतिशत ब्याज विपक्षी गण संख्या -1 व 2 द्वारा परिवादी को देय होगा’’
दौरान बहस अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री ब्रज कुमार उपाध्याय द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अपनी पत्नी से पूछे बिना
रू0 70,000/- की रिपोर्ट दर्ज करवा दी जबकि प्रश्नगत विवादित अटैची में जेवरात भी थे, अतएव जिला आयोग, कुशीनगर के आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्धारा वर्तमान अपीलें प्रस्तुत की गई है , अतएव वह मॉगे गये अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी है।
इसके विपरीत प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी ने गलत आधारों पर वर्तमान अपीलें संस्थित की है जो कि अविधिक है एवं खारिज होने योग्य है।
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उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने एवं पत्रावली का सम्मक् अवलोकन करने के उपरांत हमने पाया कि जब अपीलार्थी/परिवादी द्वारा मात्र रू0 70,000/- की रिपोर्ट दर्ज करवायी गयी, उसके उपरांत भी विद्वान जिला आयोग, कुशीनगर द्वारा रू0170000/- की क्षतिपूर्ति प्रदान की गई है , उसके उपरांत भी अपीलार्थी/परिवादी का विद्धान जिला आयोग, कुशीनगर के निर्णय / आदेश से क्षुब्ध होना इस न्यायालय के समझ से परे है।
प्रस्तुत वाद के तथ्य निर्विवाद रूप से निम्नवत् है अर्थात यह कि अपीलार्थी/परिवादी श्री विनोद कुमार गौतम अपनी पत्नी के साथ दिनांक 29-11-2019 को ट्रेन सं0 22532 मथुरा से छपरा हेतु ए0सी0 2 टियर के कोच सं0-ए-1, बर्थ सं0 8 एवं 11 से आ रहा था। उपरोक्त ट्रेन मथुरा जंक्शन स्टेशन पर भी विलंब से रात्रि 2.30 बजे पहुंची , जहॉ पर परिवादी एवं उनकी पत्नी ने अपना सामान उपरोक्त कोच में रखकर यात्रा प्रारम्भ की। परिवादी का यह कथन कि जब उपरोक्त ट्रेन ऐशबाग स्टेशन पर पहुंची, तब उसे यह ज्ञात हुआ कि उसके सामान की बड़ी अटैची ( ट्राली बैग ) मथुरा से ऐशबाग के मध्य यात्रा के दौरान चोरी हो गयी । परिवादी द्वारा उपरोक्त बड़ी अटैची ( ट्राली बैग ) की काफी समय तक तलाश किया परंतु वह कोच में कहीं भी उपलब्ध नहीं हुयी , तदोंपरान्त परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 3 कोच के टी0टी0ई0 को अटैची चोरी की सूचना दी , जिसके द्वारा शिकायत पुस्तिका पर चोरी की शिकायत दर्ज करने को कहा गया। विपक्षी सं0 3 द्वारा वास्तव में सहयोग न करते हुए उपरोक्त दिशा निर्देश दिया। परिवादी द्वारा शिकायत पुस्तिका पर चोरी के सामान की कीमत रू0 70,000/- होने की शिकायत दर्ज करवायी गयी।
परिवाद पत्र के कोच अटेन्डेन्ट विपक्षी सं0 4 को भी सूचित किया गया, जिसने पूछताछ पर यह बात बतायी कि पुलिस एस्कार्ट को सूचना दे दी
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परंतु उपरोक्त पुलिस एस्कार्ट ट्रेन में अनुपलब्ध था, जिसे सूचना प्रदान नहीं की जा सकी ।
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह भी कथन किया कि कोच में यात्रा के समय यद्यपि परिवादी व उसकी पत्नी सीनियर सिटीजन थे फिर भी उन्हें अनुपर्युक्त बर्थ दी गयी तथा यह कि उपरोक्त ए0सी0 2 टियर कोच के चारों दरवाजे/फाटक यात्रा के समय खुले हुए थे । फाटक खुले होने की सूचना कोच के अन्य यात्रियों ने भी दी तथा परिवाद के विपक्षी सं0 3 टी0टी0ई0 एवं अटेन्डेन्ट ने यात्रा के समय रहने पर भी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में कथन किया कि उनके द्वारा परिवाद पत्र में भी कथन किया कि उनके द्वारा यद्यपि शिकायत पुस्तिका में रू0 70,000/- के सामान की चोरी होने की सूचना/शिकायत दर्ज थी परंतु उनकी पत्नी द्वारा सूचना अंकित करने के उपरांत जेवरात भी उसी बड़ी अटैची ( ट्राली बैग ) में होने की शिकायत की जो लगभग पॉच लाख की कीमत के आंकलित किये गये । परिवादी द्वारा उक्त संबंध में विपक्षी सं0 5 स्टेशन मास्टर , रेलवे स्टेशन, पडरौना , पूर्वोत्तर रेलवे , गोरखपुर से संपर्क स्थापित किया , जिसके द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने हेतु आदेशित किया गया तथा यह कथन किया गया कि शिकायत पुस्तिका में परिवाद दर्ज कर दिया गया , अतएव प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना संभव नहीं है।
जिला आयोग, कुशीनगर के सम्मुख विपक्षी सं0 2 यूनियन आफ इण्डिया ,भारतीय रेल द्वारा जनरल मैनेजर, पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर एवं विपक्षी सं0 4 अटेन्डेन्ट , भारतीय रेल , पूर्वोत्तर रेलवे , गोरखपुर द्वारा उपस्थित होकर
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लिखित कथन प्रस्तुत किया , जिसमें परिवाद पत्र को खारिज करने हेतु प्रार्थना की गई।
उपरोक्त तथ्य विपक्षीगण द्वारा स्वीकृत किया गया , जहॉ तक शिकायत पुस्तिका में शिकायत दर्ज करने का कथन है वह भी स्वीकृत है परंतु विपक्षीगण द्वारा परिवादी का रू0 छ: लाख के हुए नुकसान को पूर्णतया गलत बताया । जिला आयोग, कुशीनगर के सम्मुख विपक्षी सं0 3 , 4, व 5 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ , जिनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही सुनिश्चित की गई।
जिला आयोग द्वारा अपने निर्णय में समस्त तथ्यों को वर्णित करते हुए तथा अभिलेखीय साक्ष्यों के अवलोकन के उपरान्त यह तथ्य अंकित किया गया कि जहॉ तक परिवादी के सामान चोरी होने का प्रश्न है वह निसंदेह चोरी हुआ तथा परिवादी द्वारा प्रथमत: अनुमानित चोरी रू0 70,000/- का उल्लेख शिकायत पुस्तिका में दर्ज करवाया , जिसके बाद रू0 छ: लाख का दावा प्रस्तुत करते हुए मुआवजा दिलाने हेतु कथन किया परंतु परिवादी द्वारा छ: लाख के आभूषण के संबंध में न तो परिवाद पत्र , न ही साक्ष्य में किसी प्रकार का कोई उल्लेख किया है, जिससे उपरोक्त जेवरातों की कीमत रू0 छ: लाख आंकी जा सकें।
जिला आयोग, कुशीनगर के सम्मुख परिवादी द्वारा जेवरात क्रय करने से संबंधित प्रपत्र कुल धनराशि रू0 चार लाख बयालिस हजार का प्रस्तुत किया गया, जिसे जिला आयोग द्वारा अवलोकित किया गया तथा यह तथ्य अस्वीकार किया गया कि उपरोक्त जेवरात का विवरण न तो शिकायत पुस्तिका में दर्ज किया गया
और न ही चोरी की घटना की सूचना परिवादी द्वारा पुलिस अधीक्षक को पत्र के माध्यम से दिनांकित 14-12-2019 को प्राप्त कराना पाया गया , जबकि घटना 29/30-11-2019 की है ।
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जिला आयोग, कुशीनगर द्वारा समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी द्वारा सामान की कीमत को शिकायत पुस्तिका में अंकित की गयी अर्थात रू0 70,000/- विपक्षीगण की लापरवाही को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी को प्राप्त कराये जाने हेतु आकंलित आदेशित किया तथा विभिन्न प्रकार के कष्टों के संबंध में रू0 एक लाख की क्षतिपूर्ति अर्थात कुल रू0 170,000/- की देयता निर्धारित की।
उपरोक्त निर्णय से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील अपीलार्थी/परिवादी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गई है एवं विपक्षी - यूनियन बैंक आफ इंडिया द्वारा अपील सं0 241/2022 प्रस्तुत की गई है।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को विस्तृत रूप से सुना गया एवं परिवाद व प्रस्तुत अपीलों में अंकित बिन्दुओं का सम्यक् परिशीलन / परीक्षण किया गया । विपक्षी द्वारा प्रस्तुत अपील / प्रपत्रों एवं अपील मेमो का समुचित परीक्षण एवं परिशीलन किया गया ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा हमारे समक्ष माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय II(2012) CPJ 640 (NC) SOUTH CENTRAL RAILWAY & ORS. V/S JAGANNATH MOHAN SHINDE का उद्धरण देते हुए कथन किया कि उपरोक्त वाद में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह अवधारित किया गया कि भारतीय रेल एक्ट की धारा 100 के अनुसार यदि इस तथ्य को
सुस्थापित किया जा सकता है कि दौरान यात्रा रेलवे की लापरवाही, किसी यात्री का सामान चोरी होता है, तब उस दशा में रेलवे के पक्ष पर Deficiency in Service (सेवा में कमी), का सिद्धान्त लागू होगा तथा रेलवे द्वारा हजार्ना देय होगा।
परिवादी / अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित अन्य निर्णय Revision Petition No.602 of 2013 Union of India v/s
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Dr.(Smt.) Shobha Agarwal का हवाला देते हुए यह कथन किया गया कि प्रस्तुत अपील में जो बिन्दु निहित है लगभग वहीं समान बिन्दु उपरोक्त वाद में भी निहित थे, जिसे माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा परिवादिनी के पक्ष में एवं रेलवे के विरूद्ध निर्णीत किया गया।
हमारे द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त निर्णयों का परिशीलन किया गया तथा संदर्भ लिया गया एवं यह तथ्य निर्विवादित रूप से पाया गया कि प्रस्तुत वाद में विपक्षी - रेलवे द्वारा सेवा में कमी की गई है तथा इस तथ्य का उल्लेख किया जाना भी हमारे विचार से समुचित होगा कि रेल विभाग द्वारा सुरक्षा के समुचित प्रबंध नहीं किये जाते है अर्थात आरक्षित श्रेणी के कोच में भी अनारक्षित लोग यात्रा करते है जो यदि रेलवे सुरक्षा गार्ड अथवा रेलवे के कर्मचारी चाहे तो उन्हें विधिपूर्ण आरक्षित कोच में यात्रा करने से रोक सकते है परंतु वास्तव में ऐसा नहीं किया जाता है। रेलवे को यह आदेशित किया जाता है कि वह उक्त के संदर्भ में यथोचित कार्यवाही करें, जिससे कि आरक्षित यात्रियों को असुविधा न हो।
जहॉ तक जिला आयोग, कुशीनगर के निर्णय का प्रश्न है, हमारे विचार से जिला आयोग, कुशीनगर द्वारा परिवाद पत्र एवं प्रस्तुत साक्ष्यों एवं शिकायत पुस्तिका में अंकित संपूर्ण धनराशि की देयता हेतु आदेशित किया है जो पूर्णतया
विधिनुसार है । किसी स्तर पर इस तथ्य को सुसंगत रूप से स्थापित नहीं किया जा सकता कि परिवादी की बड़ी अटैची ( ट्राली बैग ) में आभूषण उपलब्ध थे तथा उक्त आभूषण की कीमत रू0 पॉच लाख थी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा एवं परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में इस तथ्य का उल्लेख कहीं भी नहीं किया गया है कि वे किसी वैवाहिक समारोह से वापस आ रहे थे अथवा वैवाहिक समारोह में सम्मिलित होने जा रहे थे । उक्त तथ्यों को भी
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दृष्टिगत रखना आवश्यक है चूंकि अनायाश ही कोई व्यक्ति रू0 पॉच लाख के आभूषण अपनी बड़ी अटैची ( ट्राली बैग ) में रखकर रात्रि में रेल में अनावश्यक रूप से यात्रा नहीं करेगा। जिला आयोग द्वारा परिवादी द्वारा मांगा गया अनुतोष स्वीकार करते हुए रू0 एक लाख हर्जानें के संबंध में देयता आदेशित की गई है जो पूर्णतया विधिनुसार सुसंगत है।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से उक्त दोंनों अपीलें निरस्त होने योग्य है।
आदेश
उक्त दोनों अपीलें निरस्त की जाती है।
पक्षकार वाद व्यय स्वयं वहन करेगें।
इस निर्णय/आदेश की एक प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0 108/2022 की पत्रावली पर भी रखी जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार) अध्यक्ष सदस्य
गायत्री जोशी
पी0ए0ग्रेड-2भार