Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/195/2013

DEVENDRA KUMAR - Complainant(s)

Versus

VINOD AGRAWAL - Opp.Party(s)

DHIRENDRA RAY

22 Apr 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 195 सन् 2013

प्रस्तुति दिनांक 05.12.2013

                                                                                                निर्णय दिनांक 22.04.2022

देवेन्द्र कुमार पुत्र डॉo ओमप्रकाश साकिन मुहल्ला- आराजीबाग (चौधरी कैम्पस), तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़।      

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. विनोद अग्रवाल पुत्र श्री श्यामबिहारी अग्रवाल, मेसर्स भारत टायर हाउस/भारत मोबाइल स्टोर साकिन मुहल्ला- सिविल लाईन्स, तहसील- सदर, जनपद- आजमगढ़।
  2. महाप्रबन्धक बृजस्टोन इण्डिया प्राoलिo प्लाट नं.ए43के.स एम.आ.डी. सी. चकन ग्राम सवारदारी ताल्लुका खेद जनपद- पुणे महाराष्ट्र 410501    
  3. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विपक्षी के दुकान भारत टायर हाउस/भारत मोबाइल स्टोर सिविल लाईन्स आजमगढ़ से अपनी टाटासूमो विक्टा गाड़ी नं. यू.पी.50पी./4305 के लिए ब्रिजस्टोन कम्पनी का चार टायर दिनांक 12.06.2012 को मुo 28,800/- रुपया अदा करके क्रय किया। परिवादी द्वारा उक्त क्रय किए गए चार टायर में से एक टायर गाड़ी में लगने के कुछ माह बाद ही क्रेक कर गयी, जिसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी की दुकान पर जाकर दिया तो विपक्षी ने यह आश्वासन दिया कि “आप खराब टायर अपनी बिल के साथ लेते आईएगा, उसे मैं कम्पनी में क्लेम करके भेजकर वापस कर दूंगा।” परिवादी ने दिनांक 04.03.2013 को खराब टायर व बिल के साथ विपक्षी के दुकान पर कम्पनी को क्लेम कर क्रेक टायर वापस करने के लिए दिया, जिस पर विपक्षी द्वारा एक क्लेम रसीद जिसका क्रम संख्या 00655 दिनांकित 04.03.2013 परिवादी को दी गयी और विपक्षी द्वारा कहा गया कि एक माह बाद आकर अपना क्लेम पता कर लीजिएगा। परिवादी एक माह बाद विपक्षी की दुकान पर क्रेक टायर के क्लेम के बाबत पता करने गया तो विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि अभी कम्पनी द्वारा कोई जवाब नहीं आया है, 15 दिन बाद आकर पता कर लीजिएगा। परिवादी को विपक्षी द्वारा बार-बार यही मौखिक आश्वासन दिया जाता रहा। जिससे परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बाद में सितम्बर 2013 में विपक्षी द्वारा परिवादी को यह कहा गया कि उसके टायर के क्लेम को कम्पनी द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। अतः उसकी कोई भी शिकायत स्वीकार नहीं की जा सकती। परिवादी द्वारा विपक्षी की दुकान के मालिक से यह पूछा कि विपक्षी द्वारा क्रेक टायर को क्लेम करके रसीद के साथ कम्पनी को वापस भेजा था, परन्तु कम्पनी द्वारा, क्लेम की गयी रसीद पर कहीं भी No Acceptance की मुहर नहीं लगी है और न ही टायर न बदलने का कोई कारण बताया गया है, जिस पर विपक्षी द्वारा क्रेक टायर यह कहते हुए वापस कर दिया गया कि ‘आपको जो करना है करिए मैं टायर वापस नहीं करूंगा।’ परिवादी द्वारा क्रय किए गए टायर को विपक्षी द्वारा वापस न करके घोर सेवा में त्रुटि किया गया है। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी द्वारा क्रय की क्रेक टायर के मूल्य मुo 7,200/- रुपया मय ब्याज का भुगतान परिवादी को करे तथा विपक्षी से मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 75,000/- रुपए एवं अधिवक्ता फीस, खर्च मुकदमा व अन्य खर्च हेतु मुo 10,000/- रुपए दिलाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 8/01 क्लेम रसीद की मूल प्रति, कागज संख्या 8/02 सेल इनवायस की मूल प्रति, कागज संख्या 8/3व4 कानूनी नोटिस की मूल प्रति, कागज संख्या 35ग² शपथ पत्र बतौर साक्ष्य एवं कागज संख्या 37ग² टायर नं. 689 की कलर फोटोग्राफ प्रस्तुत किया है।

कागज संख्या 16क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के पैरा 03 में कहे गए कथनों को स्वीकार करते हुए शेष सभी कथनों से इन्कार किया है तथा अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है। माo फोरम में इस वाद को चलाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा यह कहा है कि विपक्षी संख्या 01 महज एक टायर विक्रेता है जबकि ब्रिजस्टोन टायर का निमार्ता ब्रिजस्टोन इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उत्पादित टायर का वह विक्रेता है। यदि टायर में कोई गड़बड़ी आती है तो उसका जिम्मेदार, ब्रिजस्टोन इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड जो कि टायर का मैनुफैक्चरर है, वह होगा। ब्रिजस्टोन इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड एक बड़ी एवं प्रतिष्ठित टायर निर्माता कम्पनी है। इसके अलावा विपक्षी संख्या 01 ने अपने लिखित कथन में यह कहा है कि परिवादी की शिकायत पर दिनांक 04.03.2013 को परिवादी के प्रश्नगत टायर को मंगवाया तथा उसके क्लेम के लिए जो कि टायर में मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट था ब्रिजस्टोन इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी है जिसका डीलरशिप मेo ताज इन्टरप्राइजेज चौकघाट वाराणसी में स्थित है तथा सेल्स ऑफिस ब्रिजस्टोन इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड मिल रोड आसिफबाग लखनऊ उत्तर प्रदेश में स्थित है तथा दिनांक 04.03.2012 को परिवादी द्वारा प्रस्तुत टायर से सम्बन्धित शिकायत के आधार पर क्लेम किया और अवगत कराया, जिस पर दिनांक 02.08.2013 को ब्रिजस्टोन इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड मिल रोड एशबाग लखनऊ उत्तर प्रदेश ने क्लेम को रिजेक्ट करते हुए यह कहा कि टायर का साइड वाल कट किसी शॉर्प ऑबजेक्ट द्वारा क्षति पहुंचाया गया है, यह मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं है और इस आधार पर परिवादी के क्लेम को मैनुफैक्चरर ब्रिजस्टोन इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निरस्त कर दिया गया, जिसपर दिनांक 05.09.2013 को परिवादी को शोरूम से प्रश्नगत टायर को परिवादी को रिसीव कराकर उसे दे दिया गया और इस प्रकार से परिवादी का कम्पलेन नो वाराण्टी में समाप्त हो गया। ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवादी पोषणीय नहीं है। उक्त टायर में कोई भी मैनुफैक्चरिंग गड़बड़ी नहीं है, जिससे कि क्लेम स्वीकार किया जा सके। ऐसी स्थिति में माo फोरम में परिवाद निरस्त किए जाने योग्यि है। अतः निरस्त किया जाए।   

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 01 द्वारा कागज संख्या 20ग² ब्रिजस्टोन प्राइवेट कम्पनी लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत प्रपत्र दिनांक 02.08.2013 की छायाप्रति, कागज संख्या 20/1 परिवादी को टायर प्राप्त कराने व टायर वापस करने से सम्बन्धित रसीद की छायाप्रति तथा कागज संख्या 20/2 नियम व शर्तें की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।

कागज संख्या 26क² विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार करते हुए विपक्षी संख्या 01 के जवाबदावे में किए गए अभिकथनों का ही अपने जवाबदावे में अभिकथन किया है तथा यह कहा है कि परिवादी द्वारा टायर के सम्बन्ध में की गयी शिकायत में कोई भी मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं है, बल्कि टायर की क्षति का कारण किसी शॉर्प ऑब्जेक्ट से कट होना पाया गया है। इस आधार पर परिवादी के टायर सम्बन्धी क्लेम को निरस्त किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवादी का परिवाद माo फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।   

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 02 द्वारा कागज संख्या 28/1व2 ब्रिजस्टोन वाराण्टी पॉलिसी सम्बन्धि विवरण की छायाप्रति, कागज संख्या 28/3 क्लेम इन्सपेक्शन रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 28/4ता7 कट डैमेज सम्बन्धी विवरणों की छायाप्रति, कागज संख्या 20/8व9 भारतीय मानक ब्यूरो सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 28/10 संलग्नक ए की छायाप्रति, कागज संख्या 28/11 अप्रूवल सर्टिफिकेट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 28/12ता28/18 टाइप अप्रूवल की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

परिवादी द्वारा प्रस्तुत प्रलखीय साक्ष्य कागज संख्या 37ग² व 37/2 तथा उसके समर्थन में प्रस्तुत शपथ पत्र से यह प्रमाणति होता है कि उक्ट टायर पर जो क्रेक का निशान है वह मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट के कारण स्वाभाविक रूप से हुआ है न कि किसी शॉर्प ऑब्जेक्ट के द्वारा कोई क्षति पहुंचायी गयी है। इस प्रकार से प्रश्नगत टायर में जो क्रेक का निशान मौजूद है वह क्रेक फटने का निशान एक लाईन के रूप में पूरे टायर पर है न कि साइड वाल कट के कारण है। ऐसी स्थिति में उपरोक्त विवेचना के आधार पर हमारे विचार से परिवाद परिवादी के पक्ष में एवं विपक्षी संख्या 02 जो कि एक टायर निर्माता कम्पनी है, के विरुद्ध स्वीकार होने योग्य है।

 

आदेश

    परिवाद परिवादी के पक्ष में एवं विपक्षी संख्या 02 जो कि एक टायर निर्माता कम्पनी है, के विरुद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 02 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को क्रेक टायर का मूल्य मुo 7,200/- रुपए (रु.सात हजार दो सौ मात्र) अन्दर 30 दिन परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करे। साथ ही विपक्षी संख्या 02 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 3,000/- रुपए (रु.तीन हजार मात्र) तथा वाद खर्च के रूप में मुo 2,000/- रुपए (रु.दो हजार मात्र) भी अदा करे।

 

 

 

                                                                          गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह 

                                                     (सदस्य)                     (अध्यक्ष)

 

दिनांक 22.04.2022

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                                गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                                 (सदस्य)                     (अध्यक्ष)

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