Uttar Pradesh

StateCommission

A/555/2021

M/s R.K.J. Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Vineet Kumar Patel - Opp.Party(s)

Shuchita Singh, Neha Singh

31 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/555/2021
( Date of Filing : 01 Nov 2021 )
(Arisen out of Order Dated 24/03/2021 in Case No. C/2013/254 of District Unnao)
 
1. M/s R.K.J. Cold Storage
Unnao
...........Appellant(s)
Versus
1. Vineet Kumar Patel
Unnao
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 31 Mar 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-555/2021

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद संख्‍या 254/2013 में पारित आदेश दिनांक 24.03.2021 के विरूद्ध)

मै0 आर0के0जे0 कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री, आफिस-हरदोई रोड सफीपुर जिला उन्‍नाव द्वारा पार्टनर

                         ........................अपीलार्थी/विपक्षी  

बनाम

विनीत कुमार पटेल, पुत्र श्री मथुरा प्रसाद, निवासी- मोहल्‍ला- माझखोर नगर पंचायत ऊगू, तहसील सफीपुर, जिला-उन्‍नाव

                             ...................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य। 

3. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्रीमती सुचिता सिंह, 

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0पी0 बाजपेयी, 

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 31.03.2023

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद संख्‍या-254/2013 विनीत कुमार पटेल बनाम मेसर्स आर0के0जे0 कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.03.2021 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में दिनांक 16.03.2013 को लाट संख्‍या-571 से 71 बोरी आलू एवं लाट संख्‍या-593 से 69 बोरी आलू तथा उसके उसके पश्‍चात् दिनांक 17.03.2013 को लाट संख्‍या-667 से 64 बोरी आलू जमा किया गया था। इस प्रकार परिवादी द्वारा  कुल

 

 

-2-

204 बोरी आलू विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में जमा किया गया था। परिवादी द्वारा लाट संख्‍या-667 से दो बोरी आलू दिनांक 24.08.2013 को निकाला गया तथा इसी लाट से दिनांक 12.09.2013 को 04 बोरी आलू निकाला गया। तत्‍पश्‍चात् दिनांक 04.10.2013 को कुल 05 बोरी आलू निकाला गया। इस प्रकार परिवादी द्वारा कुल 11 बोरी आलू विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज से निकाला गया तथा विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में परिवादी की             193 बोरी आलू शेष रह गयी थी।

परिवादी का कथन है कि परिवादी दिनांक 25.10.2013 को विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में अपना आलू निकालने गया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा आलू देने से मना कर दिया गया तथा कहा गया कि उक्‍त आलू बेच दिया गया है। परिवादी द्वारा दिनांक 29.10.2013 को जिला उद्यान अधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी का आलू न तो वापस किया गया तथा न ही क्षतिपूर्ति दी गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया तथा परिवाद का विरोध करते हुए कथन किया गया कि परिवाद गलत कथनों के आधार पर गलत तरीके से दायर किया गया है, जो निरस्‍त होने योग्‍य है।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश दिनांकित 24.03.2021 पारित किया गया:-

''अत: उपभोक्‍ता परिवाद संख्‍या- 254 सन 2013 विनीत कुमार पटेल बनाम मे0 आर0के0जे0 कोल्‍ड स्‍टोरेज एतद्द्वारा आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह 45 दिन के अन्‍दर परिवाद दायर करने की  तिथि

 

 

-3-

04-12-2013 से सम्‍पूर्ण वसूली तक 1,14,000 रूपये (एक लाख चौदह हजार रूपये) की धनराशि मय 8 प्रतिशत ब्‍याज अदा करे। इसके अतिरिक्‍त शरीरि‍क, मानसिक व आर्थिक क्षति एवं अन्‍य खर्च के लिए मु0 5,000 रूपये (पांच हजार रूपये) की धनराशि भी अलग से अदा करें।''

हमारे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता      श्रीमती सुचिता सिंह एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 बाजपेयी को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

     अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिया गया है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने इस बात का ध्‍यान नहीं दिया है कि परिवादी द्वारा लगाये गये आक्षेप आधारहीन हैं एवं झूठे हैं। परिवादी को नोटिस दिेये जाने का कोई आधार नहीं है क्‍योंकि अपीलार्थी ने आलुओं को वापस निकालने की तिथि दिनांक 31.10.2013 नियत की थी और स्‍वयं परिवादी द्वारा दुर्भावना से पत्र दिनांकित 29.10.2013 जिला उद्यान अधिकारी को प्रेषित किया गया था और स्‍वयं परिवादी उनके बुलाने पर उपस्थित नहीं हुआ था। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवादी से अपना पक्ष प्रस्‍तुत करने को न कहते हुए उसके अभिकथन को सही मानते हुए परिवाद स्‍वीकार कर लिया गया है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने इस तथ्‍य को अपने संज्ञान में नहीं लिया है कि दिनांक 06.11.2013 को जिला उद्यान अधिकारी ने परिवादी को पत्र लिखा था, जिसमें परिवादी के तथ्‍य आधारहीन एवं गलत कहे थे। परिवादी किसी भी अनुतोष को पाने का अधिकारी नहीं है।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने इस आधार पर परिवाद आज्ञप्‍त किया है कि सामान्‍य नियम यह है कि कभी भी कोल्‍ड स्‍टोरेज माल निकालेगा वह औपचारिकतायें पूर्ण होने के उपरान्‍त ही गेट से बाहर निकालेगा एवं कोल्‍ड स्‍टोरेज का स्‍वामी बिना  किराये

 

 

 

 

-4-

की धनराशि प्राप्‍त किये हुए माल को बाहर नहीं निकलने देगा, किन्‍तु कोई गेट पास विपक्षी नहीं दर्शा सका है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने 600/-रू0 प्रति बोरी की दर से क्षतिपूर्ति दिया जाना उचित एवं न्‍यायसंगत पाया है।

     अपीलार्थी ने परिवाद के स्‍तर पर अपने वादोत्‍तर में यह कथन किया है कि ''जब परिवादी दि0 25.10.2013 को 16 बोरी आलू फर्म पर लेने आया था, तब फर्म द्वारा उसको चेतावनी दी गयी थी कि कोल्‍ड स्‍टोरेज की सफाई होने वाली है यदि वह 31 अक्‍टूबर तक नहीं आता है तो आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज से निकलवाकर बरामदे में रखवा दी जायेगी........यह कि जब परिवादी 31 अक्‍टूबर तक जब कोल्‍ड स्‍टोरेज पर आलू लेने नहीं आया तो उसका इन्‍तजार करने के बाद आलू को कोल्‍ड स्‍टोरेज से निकलवाकर बरामदे में रखवा दिया गया।''

     इस प्रकार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने 190 बोरी आलू का विवाद होना कहा है, जिसके संबंध में कोई गेट पास अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत नहीं किया जा सका है। अपीलार्थी का कथन है कि उसने इन बोरियों को परिवादी के न आने पर कोल्‍ड स्‍टोरेज के बरामदे में बाहर निकलवाकर रख दिया था। स्‍पष्‍ट है कि उक्‍त आलू स्‍वयं अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उचित प्रक्रिया न अपनाये जाने के कारण कोल्‍ड स्‍टोरेज के बरामदे में खराब हो जाने या सड़ जाने का कार्य किया गया, जिसके लिए वह स्‍वयं उत्‍तरदायी है क्‍योंकि यह कार्य उत्‍तर प्रदेश रेगुलेशन आफ कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976 के प्रावधानों के विपरीत है। उक्‍त अधिनियम की धारा 17 में यह प्रदान किया गया है कि यदि किराये पर लेने वाला व्‍यक्ति आलुओं की डिलीवरी लेने में तत्‍पर नहीं होता है, जो लाइसेंसी द्वारा निर्धारित की गयी समय-सीमा के अन्‍दर डिलीवरी लेने के लिए तय हुआ है, तो लाइसेंसी इसकी नोटिस तुरन्‍त किरायेदार को देगा कि वह डिलीवरी ले ले और समस्‍त किराया अदा कर दे और जिसकी कॉपी लाइसेंसिंग अधिकारी अर्थात् जिला उद्यान अधिकारी को प्रेषित

 

 

-5-

करेगा।

     उत्‍तर प्रदेश रेगुलेशन आफ कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976

की धारा 17 में यह भी दिया गया है कि यदि नोटिस देने के बावजूद किराये पर लेने वाला व्‍यक्ति डिलीवरी लेने के लिए उपस्थित नहीं होता है तो लाइसेंसी अर्थात् कोल्‍ड स्‍टोरेज उनको निकालकर सार्वजनिक नीलामी के द्वारा बेच सकता है, किन्‍तु बेचने के पहले इसकी सूचना लाइसेंसिंग अधिकारी अर्थात् जिला उद्यान अधिकारी को देना आवश्‍यक है।

     उत्‍तर प्रदेश रेगुलेशन आफ कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976

की धारा 17 निम्‍नलिखित प्रकार से दिया गया है:-

“17    (1) Whenever goods stored in a cold storage begin to deteriorate or are likely to deteriorate from a cause beyond the control of the licensee, or where the hirer fails to take delivery of the goods stored in the cold storage within a period of fifteen days from the date specified there for in the receipt, the licensee shall forthwith give notice thereof to the hirer, requiring him to take delivery of the goods immediately after surrendering the receipt duly discharged and paying all charges due to the licensee, and send a copy of such notice to the Licensing Officer.

          (2) Where the hirer fails to comply with the notice referred to in sub-section (1) within a period of seven days from the date of service thereof, the licensee may cause the goods to be removed from the cold storage and sold by public auction at the cost and risk of their hirer:

          Provided that the licensee shall give notice of the sale to the Licensing Officer at least forty-eight hours before such sale, and the Licensing Officer shall supervise such sale either himself or through an officer authorized by him in that behalf.”

     उत्‍तर प्रदेश रेगुलेशन आफ कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976

में लाइसेंसी, किरायेदार और लाइसेंसी अधिकारी को धारा 2 (d) (f) (g) में निम्‍नलिखित प्रकार से परिभाषित किया गया है:-

          (d) “hirer” means a person who on payment hires space in a cold storage for storing agricultural produce;

          (f) “licensee” means any person to whom a licence is granted under this Act;

          (g) “Licensing Officer” means the Director of Horticulture

 

 

 

-6-

and Fruit Utilization, Uttar Pradesh, and except in the Explanation to section 17 includes-

          (1) any other officer of the Horticulture Department, not below the rank of a District Horticulture Officer;

          (2) an officer of the Revenue Department, not below the rank of a Sub-Divisional Officer; empowered by the Director of Horticulture and Fruit Utilization in his behalf to exercise some or all of the powers of the Licensing Officer under this Act;

     इस प्रकार उत्‍तर प्रदेश रेगुलेशन आफ कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976 में किरायेदार द्वारा आलू की डिलीवरी न लेने पर पूर्ण प्रक्रिया प्रदान की गयी है। अपीलार्थी उक्‍त प्रक्रिया अपनाकर अपने उत्‍तरदायित्‍व से बच सकता है, किन्‍तु ऐसी प्रक्रिया अपनाया जाना स्‍वयं अपीलार्थी ने स्‍वीकार नहीं किया है, बल्कि मात्र उसने इतना कथन किया है कि परिवादी द्वारा आलुओं की‍ डिलीवरी न लेने पर उसने उन आलुओं को कोल्‍ड स्‍टोरेज के बरामदे में रख दिया था, जो निश्‍चय ही उपेक्षापूर्ण कार्यवाही है और उक्‍त अधिनियम के विपरीत है। अत: लाइसेंसी अर्थात् कोल्‍ड स्‍टोरेज इस हानि एवं क्षति की क्षतिपूर्ति करने के लिए उत्‍तरदायित्‍व रखता है।

     जहॉं तक वर्ष 2013 में स्‍थान उन्‍नाव में आलुओं की कीमत का प्रश्‍न है, भारत सरकार की वेबसाइट agmarknet.gov.in में उन्‍नाव में वर्ष 2013 में आलुओं की कीमत 600/-रू0 प्रति कुन्‍टल से आरम्‍भ करके 1200/-रू0 प्रति कुन्‍टल दर्शायी गयी है एवं स्‍वीकृत रूप से परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में बोरियों में आलू रखना कहा है। एक बोरी में कितने वजन का आलू था, यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है तथा न ही इसके संबंध में कोई साक्ष्‍य दिया है। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इन बोरियों के लिए 600/-रू0 प्रति बोरी की धनराशि जो नियत की गयी है, वह उचित प्रतीत होती है एवं इस धनराशि के विपरीत परिवादी की ओर से कोई अपील योजित नहीं की गयी है। अत: यह धनराशि उचित प्रतीत होती है।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग  द्वारा  प्रश्‍नगत  निर्णय  में

 

 

 

-7-

उचित प्रकार से धारा 17 उत्‍तर प्रदेश रेगुलेशन आफ कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम, 1976 को संज्ञान में लेते हुए धनराशि आज्ञप्‍त की है, जो उचित प्रतीत होती है। उक्‍त निर्णय में दी गयी ब्‍याज की दर भी उचित है। चूँकि ब्‍याज की दर प्रदान की गयी है, अत: शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति एवं अन्‍य खर्च के लिए क्षतिपूर्ति 5000/-रू0 की धनराशि दिलाया जाना उचित नहीं है। उक्‍त धनराशि के संबंध में प्रश्‍नगत निर्णय का यह भाग अपास्‍त किये जाने योग्‍य है एवं शेष निर्णय की पुष्टि किये जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद संख्‍या-254/2013 विनीत कुमार पटेल बनाम मेसर्स आर0के0जे0 कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.03.2021 को संशोधित करते हुए शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति एवं अन्‍य खर्च के लिए देय क्षतिपूर्ति 5000/-रू0 की देयता को समाप्‍त किया जाता है। जिला उपभोक्‍ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा। 

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)  (विकास सक्‍सेना)   (सुधा उपाध्‍याय)     

          अध्‍यक्ष            सदस्‍य          सदस्‍य

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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